*एक विचार - जो बदल दे दुनियाँ* - विचारमंथन
मुर्गों और बकरियों को रोज़ मरते कटते भूनते सभी कहीं न कहीं देखते हैं, इन्हें देखकर एक विचार आया कि यदि इनके पास चाणक्य जैसी बुद्धि होती, और यह एक जुट संघबद्ध होते तो कल्पना कीजिये क्या इन्हें कोई मार पाता। ये ही हलाल करने वाले को हलाल कर देते। देखो मुर्गों और बकरों को मरना तो वैसे भी है, यदि लड़कर आत्मरक्षा में शान से शहीद हों तो उसकी बात ही निराली है।
शेर भी गायों के झुंड से डरता है, अर्थात केवल उनकी एकजुटता से डरता है। अब इसी में गायों के पास यदि मनुष्य की बुद्धि हो जाये तब... शेर शिकार करना भूल जाएगा। शिकार और शिकारी में युद्ध हो और लड़कर शहीद हो तो वो मौत भी शानदार होगी।
मुगलों के शासन में कत्लेआम धर्म परिवर्तन में करोड़ो का हुआ, आंकड़ों के हिसाब में लगभग 5 करोड़ मारे गए थे। मरना तो था ही, यदि सब जान हथेली में लेकर एकजुट होकर बुद्धिप्रयोग से लड़कर गुरुगोविंद सिंह जी और उनके अनुयायी और बच्चो जैसे वीरतापूर्वक लड़कर शहीद होते तो बात ही निराली होती। मृत्यु को जो निडर होकर लड़कर स्वीकारे वही वीर है।
लड़कियों के प्रति असद आचरण, शोषण और रेप इत्यादि घटनाएं भी रुक जाएंगी। यदि स्त्रियां एकजुट होकर सद्बुद्धि का प्रयोग करें। समस्या आने पर पलायन की जगह एकजुट होकर लड़कर शहीद होना पसन्द करें। प्रत्येक कॉलेज और स्कूल में लड़कियों की आत्मरक्षा का संगठन हो, एक दूसरे के सहयोग में आगे आएं। प्रत्येक लड़की के भाई और पिता भी होते है और स्कूल के अध्यापक सब एक जुट होकर समाजिक व्यवस्था कड़ी बना दें, तो समस्त अपराध स्वयं रूक जाएंगे। कानून तो अपराध और विनाश के बाद दण्ड देगा, लेकिन नुकसान हो चुका होगा। लेकिन यदि धर्म की स्थापना और एकजुटता अपराध रोकने के लिए हो जाये तो अपराध होगा ही नहीं।
जो अपराधी लड़का किसी स्त्री का शील हनन करने की कोशिश करे यदि उसको सामाजिक दण्ड स्वरूप उसका और उसके परिवार का हुक्का पानी बंद होने लगे तो अधर्म करने की कोई हिम्मत ही नहीं करेगा।
अनाचार बढ़ता है तब,
सदाचार चुप रहता है जब,
लड़कियाँ परेशान है तब,
असंगठित रहती है जब।
वीर भोग्या वसुंधरा,
वीरों के लिए सर्वत्र स्वर्गमय है धरा,
कायर के लिए सर्वत्र नर्कमय है धरा।
आतंकी भी सँगठित होकर हमला करते हैं, इनको रोकने के लिए भी संगठन ही चाहिए। जब आतंकी मौत को स्वीकारते है, तो इन आतंकियों को ठिकाने लगाने वालों को भी मौत के भय को त्यागना होगा। सँगठित धर्मनिष्ठ समाज ही धरती का स्वर्ग है। कायरों की तरह जीने से अच्छा है वीर की तरह रणभूमि में शहीद हो जाना। रानी लक्ष्मीबाई और शिवाजी बनकर एकजुट होकर लड़ना।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
मुर्गों और बकरियों को रोज़ मरते कटते भूनते सभी कहीं न कहीं देखते हैं, इन्हें देखकर एक विचार आया कि यदि इनके पास चाणक्य जैसी बुद्धि होती, और यह एक जुट संघबद्ध होते तो कल्पना कीजिये क्या इन्हें कोई मार पाता। ये ही हलाल करने वाले को हलाल कर देते। देखो मुर्गों और बकरों को मरना तो वैसे भी है, यदि लड़कर आत्मरक्षा में शान से शहीद हों तो उसकी बात ही निराली है।
शेर भी गायों के झुंड से डरता है, अर्थात केवल उनकी एकजुटता से डरता है। अब इसी में गायों के पास यदि मनुष्य की बुद्धि हो जाये तब... शेर शिकार करना भूल जाएगा। शिकार और शिकारी में युद्ध हो और लड़कर शहीद हो तो वो मौत भी शानदार होगी।
मुगलों के शासन में कत्लेआम धर्म परिवर्तन में करोड़ो का हुआ, आंकड़ों के हिसाब में लगभग 5 करोड़ मारे गए थे। मरना तो था ही, यदि सब जान हथेली में लेकर एकजुट होकर बुद्धिप्रयोग से लड़कर गुरुगोविंद सिंह जी और उनके अनुयायी और बच्चो जैसे वीरतापूर्वक लड़कर शहीद होते तो बात ही निराली होती। मृत्यु को जो निडर होकर लड़कर स्वीकारे वही वीर है।
लड़कियों के प्रति असद आचरण, शोषण और रेप इत्यादि घटनाएं भी रुक जाएंगी। यदि स्त्रियां एकजुट होकर सद्बुद्धि का प्रयोग करें। समस्या आने पर पलायन की जगह एकजुट होकर लड़कर शहीद होना पसन्द करें। प्रत्येक कॉलेज और स्कूल में लड़कियों की आत्मरक्षा का संगठन हो, एक दूसरे के सहयोग में आगे आएं। प्रत्येक लड़की के भाई और पिता भी होते है और स्कूल के अध्यापक सब एक जुट होकर समाजिक व्यवस्था कड़ी बना दें, तो समस्त अपराध स्वयं रूक जाएंगे। कानून तो अपराध और विनाश के बाद दण्ड देगा, लेकिन नुकसान हो चुका होगा। लेकिन यदि धर्म की स्थापना और एकजुटता अपराध रोकने के लिए हो जाये तो अपराध होगा ही नहीं।
जो अपराधी लड़का किसी स्त्री का शील हनन करने की कोशिश करे यदि उसको सामाजिक दण्ड स्वरूप उसका और उसके परिवार का हुक्का पानी बंद होने लगे तो अधर्म करने की कोई हिम्मत ही नहीं करेगा।
अनाचार बढ़ता है तब,
सदाचार चुप रहता है जब,
लड़कियाँ परेशान है तब,
असंगठित रहती है जब।
वीर भोग्या वसुंधरा,
वीरों के लिए सर्वत्र स्वर्गमय है धरा,
कायर के लिए सर्वत्र नर्कमय है धरा।
आतंकी भी सँगठित होकर हमला करते हैं, इनको रोकने के लिए भी संगठन ही चाहिए। जब आतंकी मौत को स्वीकारते है, तो इन आतंकियों को ठिकाने लगाने वालों को भी मौत के भय को त्यागना होगा। सँगठित धर्मनिष्ठ समाज ही धरती का स्वर्ग है। कायरों की तरह जीने से अच्छा है वीर की तरह रणभूमि में शहीद हो जाना। रानी लक्ष्मीबाई और शिवाजी बनकर एकजुट होकर लड़ना।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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