Tuesday, 4 December 2018

कविता - तू ही परम सत्य है

मेरी हर ख्वाइशें,
पूरी कर रहा है तू,
मुझे जीवन की,
 हर खुशियां दे रहा है तू,

तुझसे जुड़कर,
पूरी हो गयी हूँ मैं,
संसार के कीचड़ में भी,
कमल बन खिल गयी हूँ मैं,

अब कोई इच्छा शेष नहीं है,
तेरी सृष्टि में लगता अब सब सही है,
सबमें तो मुझे तू ही तू दिखता है,
अब कोई पराया लगता ही नहीं है।

जैसे जल के अंदर मछली,
और मछली के अंदर जल है,
वैसे ही मेरे अंदर तुम,
और तुम्हारे अंदर हम है।

जल बिन मछली मृत है,
और तुम बिन हम मृत है,
यह संसार है मिथ्या है,
केवल तुम्हारा अस्तित्व ही परम सत्य है।

🙏🏻श्वेता #DIYA

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