प्रश्न - *युग निर्माण योजना क्या है? और गायत्री परिवार और डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन क्या है? नये व्यक्ति और युवाओँ को सरल ढंग से क्या और कैसे समझाये? और शुरुआत कैसे करे* ...?? कृपया मार्गदर्शन करें!
उत्तर - आत्मीय भाई, युगनिर्माण क्या है समझाने से पहले यह समझाना जरूरी है कि इसकी आवश्यकता क्यों है?
मनुष्य के स्वार्थकेन्द्रित विकृत चिंतन ने समाज मे अनेकों समस्याओं को जन्म दे दिया है। आज हमारे पास न साफ-शुद्ध पीने को जल है, और न ही शुद्ध हवा सांस लेने को है, भोजन भी शुद्ध खाने को नहीं है। शरीर रोगों से भर गया है, और मन तनाव(टेंशनग्रस्त) होकर पीड़ा दे रहा है। जीते जी नर्क में रह रहे है, आज मनुष्य ही मनुष्य से डर रहा है। एक अकेली लड़की यदि किसी सड़क पर हो तो वो वहां खड़े लड़को के समूह को राक्षसों/नरपिशाचों के समूह की तरह देख कर डर जाती है। ट्रेन-बस में सामान को चेन से बांधना पड़ता है प्रत्येक मनुष्य को सर्वत्र चोर दिखाई देता है। भ्रष्ट नेता अब जनता का सेवक नहीं रहा वो 5 वर्ष केवल अपने अपनी सेवा करता है। भ्रष्ट डॉक्टर, इंजीनियर, वक़ील, नौकरशाह इत्यादि सब जनता को लूटने में कसर नहीं छोड़ रहे। आज हॉस्पिटल, कोर्ट और थाना जाने की यदि जरूरत पड़े तो भी यहां जाने से हर व्यक्ति डरता है। बेईमानी जब 75% लोगों की सोच में आ जाये, तो इसे कलियुग कहते है। अर्थात मजबूर व्यक्ति को देख के जब दूसरा व्यक्ति उसका फ़ायदा उठाने का प्रथम विचार आये और कदम लूटने को उठे तो इसे विकृत चिंतन(राक्षस) कहते है, यदि मजबूर की मदद करने का प्रथम विचार उठे और कदम मदद की ओर बढ़े तो इसे सद्चिन्तन(देवत्व) कहते है।
धरती और वृक्ष हम मनुष्यों के बिना भी सरवाइव कर , लेकिन हम मनुष्य बिना धरती और वृक्ष के सरवाइव कर न सकेंगे। यदि अभी हम न सुधरे, जल-थल-वायु प्रदूषण नियंत्रित न किया और प्रकृति का अंधाधुंध दोहन न रुका तो बढ़ती धरती का तापमान प्रलय शीघ्र लाएगा।
उपरोक्त विकृत चिंतन से उपजी समस्या से सब परेशान है, लेकिन समाधान कैसे हो कोई समझ नहीं पा रहा कि कैसे पर्यावरण संरक्षण, वातावरण परिशोधन और युग पीड़ा पतन निवारण के लिए समाज एकजुट हो उठ खड़ा हो?
पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, विचारक लेखक और समाज सुधारक युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा ने वातावरण में व्याप्त असुरता को मिटाने का संकल्प लिया, जन जन को जागृत(aware) कर के, उनके विचारों में क्रांति करके और उन्हें साधक बनाकर उनमें देवत्व जगाने का कार्य शुरू किया।
गायत्री परिवार का उन्होंने गठन किया जो कि सृजन सैनिकों/युग शिल्पियों का समूह है, इन्हें जन जन में देवत्व जगाने का कार्य सौंपा। यूथ जो इस कार्य को एक अभियान के रूप में कर रहे है उसे डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन कहते हैं।
युगऋषि ने युगनिर्माण योजना की घोषणा की, सप्त आंदोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम दिया। इसका उद्देश्य (vision & mission ) बताया मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण।
युगनिर्माण के लिए जो तकनीक अपनाई गई है उसे विचारक्रांति नाम दिया गया है। क्योंकि शुरुआत नए व्यक्ति के विचारों में क्रांति से ही की जा सकेगी। जैसे अभी हम जो संवाद कर रहे है औऱ जो आप सोचने के लिए मजबूर हो रहे है और कुछ करने का भाव उभर रहा है इसे ही विचारों में क्रांति कहते हैं। यदि परिवर्तन चाहते हो तो परिवर्तन का हिस्सा भी बनना पड़ेगा। यदि हम स्वयं बदल जाये, स्वयं में देवत्व जगा लें तो भी 1/देश का युगनिर्माण तो हो ही जायेगा।
मनुष्य में देवत्व जगाने के लिए जो तकनीक युगऋषि ने बताया है उसे साधना (गायत्री जप-तप-ध्यान-स्वाध्याय-योग-प्राणायाम) कहते हैं।
साधना अर्थात स्वयं को trained करना, मन तो जंगली घोड़ा है, उसे काबू में करने के लिए और मनचाही सवारी करने के लिए इसे साधना तो पड़ेगा ही। मन में वास्तव में दो विचारधारा चलती है, एक आत्मा समर्थक देवत्व की, दूसरी संसार और इंद्रियसुख समर्थक पशुवत की।
उदाहरण - तुम सबने सुबह उठने और योग करने के फायदे पढ़ लिए, समझ आ गया और देवत्व बुद्धि ने सुबह जल्दी उठने का सङ्कल्प ले लिया । अब सुबह हुई, तुमने अलार्म सुना, उठना चाहा, पशुवत मन ने उठने से मना कर दिया। शरीर ने भी उसका साथ दिया, न आंखे खुली और चैतन्य हुए, हाथ ने रजाई और खींच ली। पशुवत मन ने देवत्व मन से बोला भाई तुम और आत्मा को ठंडी तो लगती नहीं, हमें और शरीर को ठंड भी लगती है दर्द भी होता है, सोने दो हमें। लड़ाई में पशु मन जीत गया और आप सो गए। अर्थात सवार को जंगली घोड़े ने गिरा दिया।
सर्कस मास्टर और घुड़सवार पशुओं को ट्रेनिंग देता है, गिरता सम्हलता है, लेकिन प्रयास करना नहीं छोड़ता है। कड़ी मेहनत के बाद जब पशु ट्रेन्ड हो जाते है। फिर काम आसान हो जाता है। इसी तरह नित्य साधना द्वारा देवत्व मन को पोषण और बल देकर पशुवत मन को ट्रेनिंग देनी पड़ती है। एक बार अभ्यस्त हो पशुवत मन हो गया तो देवत्व मन उस पर सवारी कर योगी बन जाता है।
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में भी मन की ट्रेनिंग के दो ही उपाय बताए है अभ्यास और वैराग्य। यही ट्रेनिंग विभिन्न छोटे छोटे अनुष्ठान और नित्य साधना द्वारा गायत्री परिवार सिखाता है।
प्राचीन spiritual scientist ऋषि और आधुनिक वैज्ञानिक, ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन सबने में रिसर्च पेपर में गायत्री मंत्र के जप से मानसिक क्षमता, बुद्धि की निर्णय क्षमता और कुशलता बढ़ने की बात एक मत से स्वीकारी है। यज्ञ पर हुए विभिन्न रिसर्च में भी यह सिद्ध हो चुका है पर्यावरण संतुलन और पोषण , वातावरण का परिशोधन, जल-थल-नभ प्रदूषण दूर करने में और विभिन्न शारीरिक मानसिक रोगोपचार में यज्ञ एक समग्र उपचार सहायक है।
मन को सन्तुलित आहार हेतु युगसाहित्य उपलब्ध है। उच्च प्राणबल और मनोबल युक्त जब आप बन जाते है, आपकी चेतना जग जाती है। तब आप देवता बन जाते है, फिर यदि कोई मजबूर व्यक्ति दिखा तो प्रथम विचार उसकी मदद को उठेगा और कदम स्वतः उसकी मदद को बढ़ जाएंगे।
ऐसे देवता लोग जब नेता, इंजीनियर, डॉक्टर, वक़ील बनेंगे और समस्त देशवासी में देवत्व जागेगा, तो धरती स्वर्ग बन जाती है। युगनिर्माण हो जाएगा।
व्यक्ति निर्माण 👉🏼 परिवार निर्माण 👉🏼 समाज निर्माण 👉🏼 युगनिर्माण
स्वच्छ मन 👉🏼 स्वस्थ शरीर 👉🏼 सभ्य समाज
निम्नलिखित साहित्य अवश्य पढ़े:-
👉🏼 वर्तमान युवावर्ग और उसकी चुनौतियां
👉🏼 महाकाल की युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया
👉🏼 परिवर्तन के महान क्षण
👉🏼 सतयुग की वापसी
👉🏼 सफल जीवन की दिशा धारा
👉🏼 स्वयं का सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, युगनिर्माण क्या है समझाने से पहले यह समझाना जरूरी है कि इसकी आवश्यकता क्यों है?
मनुष्य के स्वार्थकेन्द्रित विकृत चिंतन ने समाज मे अनेकों समस्याओं को जन्म दे दिया है। आज हमारे पास न साफ-शुद्ध पीने को जल है, और न ही शुद्ध हवा सांस लेने को है, भोजन भी शुद्ध खाने को नहीं है। शरीर रोगों से भर गया है, और मन तनाव(टेंशनग्रस्त) होकर पीड़ा दे रहा है। जीते जी नर्क में रह रहे है, आज मनुष्य ही मनुष्य से डर रहा है। एक अकेली लड़की यदि किसी सड़क पर हो तो वो वहां खड़े लड़को के समूह को राक्षसों/नरपिशाचों के समूह की तरह देख कर डर जाती है। ट्रेन-बस में सामान को चेन से बांधना पड़ता है प्रत्येक मनुष्य को सर्वत्र चोर दिखाई देता है। भ्रष्ट नेता अब जनता का सेवक नहीं रहा वो 5 वर्ष केवल अपने अपनी सेवा करता है। भ्रष्ट डॉक्टर, इंजीनियर, वक़ील, नौकरशाह इत्यादि सब जनता को लूटने में कसर नहीं छोड़ रहे। आज हॉस्पिटल, कोर्ट और थाना जाने की यदि जरूरत पड़े तो भी यहां जाने से हर व्यक्ति डरता है। बेईमानी जब 75% लोगों की सोच में आ जाये, तो इसे कलियुग कहते है। अर्थात मजबूर व्यक्ति को देख के जब दूसरा व्यक्ति उसका फ़ायदा उठाने का प्रथम विचार आये और कदम लूटने को उठे तो इसे विकृत चिंतन(राक्षस) कहते है, यदि मजबूर की मदद करने का प्रथम विचार उठे और कदम मदद की ओर बढ़े तो इसे सद्चिन्तन(देवत्व) कहते है।
धरती और वृक्ष हम मनुष्यों के बिना भी सरवाइव कर , लेकिन हम मनुष्य बिना धरती और वृक्ष के सरवाइव कर न सकेंगे। यदि अभी हम न सुधरे, जल-थल-वायु प्रदूषण नियंत्रित न किया और प्रकृति का अंधाधुंध दोहन न रुका तो बढ़ती धरती का तापमान प्रलय शीघ्र लाएगा।
उपरोक्त विकृत चिंतन से उपजी समस्या से सब परेशान है, लेकिन समाधान कैसे हो कोई समझ नहीं पा रहा कि कैसे पर्यावरण संरक्षण, वातावरण परिशोधन और युग पीड़ा पतन निवारण के लिए समाज एकजुट हो उठ खड़ा हो?
पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, विचारक लेखक और समाज सुधारक युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा ने वातावरण में व्याप्त असुरता को मिटाने का संकल्प लिया, जन जन को जागृत(aware) कर के, उनके विचारों में क्रांति करके और उन्हें साधक बनाकर उनमें देवत्व जगाने का कार्य शुरू किया।
गायत्री परिवार का उन्होंने गठन किया जो कि सृजन सैनिकों/युग शिल्पियों का समूह है, इन्हें जन जन में देवत्व जगाने का कार्य सौंपा। यूथ जो इस कार्य को एक अभियान के रूप में कर रहे है उसे डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन कहते हैं।
युगऋषि ने युगनिर्माण योजना की घोषणा की, सप्त आंदोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम दिया। इसका उद्देश्य (vision & mission ) बताया मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण।
युगनिर्माण के लिए जो तकनीक अपनाई गई है उसे विचारक्रांति नाम दिया गया है। क्योंकि शुरुआत नए व्यक्ति के विचारों में क्रांति से ही की जा सकेगी। जैसे अभी हम जो संवाद कर रहे है औऱ जो आप सोचने के लिए मजबूर हो रहे है और कुछ करने का भाव उभर रहा है इसे ही विचारों में क्रांति कहते हैं। यदि परिवर्तन चाहते हो तो परिवर्तन का हिस्सा भी बनना पड़ेगा। यदि हम स्वयं बदल जाये, स्वयं में देवत्व जगा लें तो भी 1/देश का युगनिर्माण तो हो ही जायेगा।
मनुष्य में देवत्व जगाने के लिए जो तकनीक युगऋषि ने बताया है उसे साधना (गायत्री जप-तप-ध्यान-स्वाध्याय-योग-प्राणायाम) कहते हैं।
साधना अर्थात स्वयं को trained करना, मन तो जंगली घोड़ा है, उसे काबू में करने के लिए और मनचाही सवारी करने के लिए इसे साधना तो पड़ेगा ही। मन में वास्तव में दो विचारधारा चलती है, एक आत्मा समर्थक देवत्व की, दूसरी संसार और इंद्रियसुख समर्थक पशुवत की।
उदाहरण - तुम सबने सुबह उठने और योग करने के फायदे पढ़ लिए, समझ आ गया और देवत्व बुद्धि ने सुबह जल्दी उठने का सङ्कल्प ले लिया । अब सुबह हुई, तुमने अलार्म सुना, उठना चाहा, पशुवत मन ने उठने से मना कर दिया। शरीर ने भी उसका साथ दिया, न आंखे खुली और चैतन्य हुए, हाथ ने रजाई और खींच ली। पशुवत मन ने देवत्व मन से बोला भाई तुम और आत्मा को ठंडी तो लगती नहीं, हमें और शरीर को ठंड भी लगती है दर्द भी होता है, सोने दो हमें। लड़ाई में पशु मन जीत गया और आप सो गए। अर्थात सवार को जंगली घोड़े ने गिरा दिया।
सर्कस मास्टर और घुड़सवार पशुओं को ट्रेनिंग देता है, गिरता सम्हलता है, लेकिन प्रयास करना नहीं छोड़ता है। कड़ी मेहनत के बाद जब पशु ट्रेन्ड हो जाते है। फिर काम आसान हो जाता है। इसी तरह नित्य साधना द्वारा देवत्व मन को पोषण और बल देकर पशुवत मन को ट्रेनिंग देनी पड़ती है। एक बार अभ्यस्त हो पशुवत मन हो गया तो देवत्व मन उस पर सवारी कर योगी बन जाता है।
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में भी मन की ट्रेनिंग के दो ही उपाय बताए है अभ्यास और वैराग्य। यही ट्रेनिंग विभिन्न छोटे छोटे अनुष्ठान और नित्य साधना द्वारा गायत्री परिवार सिखाता है।
प्राचीन spiritual scientist ऋषि और आधुनिक वैज्ञानिक, ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन सबने में रिसर्च पेपर में गायत्री मंत्र के जप से मानसिक क्षमता, बुद्धि की निर्णय क्षमता और कुशलता बढ़ने की बात एक मत से स्वीकारी है। यज्ञ पर हुए विभिन्न रिसर्च में भी यह सिद्ध हो चुका है पर्यावरण संतुलन और पोषण , वातावरण का परिशोधन, जल-थल-नभ प्रदूषण दूर करने में और विभिन्न शारीरिक मानसिक रोगोपचार में यज्ञ एक समग्र उपचार सहायक है।
मन को सन्तुलित आहार हेतु युगसाहित्य उपलब्ध है। उच्च प्राणबल और मनोबल युक्त जब आप बन जाते है, आपकी चेतना जग जाती है। तब आप देवता बन जाते है, फिर यदि कोई मजबूर व्यक्ति दिखा तो प्रथम विचार उसकी मदद को उठेगा और कदम स्वतः उसकी मदद को बढ़ जाएंगे।
ऐसे देवता लोग जब नेता, इंजीनियर, डॉक्टर, वक़ील बनेंगे और समस्त देशवासी में देवत्व जागेगा, तो धरती स्वर्ग बन जाती है। युगनिर्माण हो जाएगा।
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डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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