प्रश्न - *दी, हमारे देश में स्त्रियां विभिन्न प्रकार के जेवर/आभूषण पहनना पसंद करती हैं, जिससे उनके सौंदर्य में वृद्धि होती है। लेकिन इन जेवरों के पहनने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है? क्या हम पुरुषों को भी कोई जेवर/आभूषण पहनना चाहिए? कृपया मेरे मन में उठे इस प्रश्न का समाधान दीजिये।*
उत्तर - आत्मीय भाई, इस संसार में प्रत्येक धातु आकाशीय विद्युत को खींचने का गुण रखती है। इस आकाशीय विद्युत की धारा वायु के साथ बहती है। इस आकाशीय विद्युत ऊर्जा को खींचकर यह धातुएँ पहनने वाले व्यक्ति की मानवीय विद्युत ऊर्जा में जोड़ने और उसे बढ़ाने में सहायक होती हैं।
जिस प्रकार मनुष्य का स्थूल और सूक्ष्म शरीर होता है, वैसे ही स्थूल और सूक्ष्म का भेद इस आकाशीय विद्युत में भी है। लोहे, पीतल इत्यादि सस्ती वस्तुओं का सस्तापन के बल उनके रूप रँग के कारण नहीं है, वरन सूक्ष्म और उपयोगी विद्युत प्रवाह ग्रहण करने की दृष्टि से भी है। इसलिए लोहे से चांदी महंगा है, और चांदी से सोना महंगा है। सोना और चांदी आकाश की सूक्ष्म से सूक्ष्म विद्युत/बिजलियों को आकर्षित करते हैं।
कुँवारी लड़की और कुंवारे लडकों को चांदी के आभूषण अवश्य पहनने चाहिए। पहले के ज़माने में लड़के भी कान में आभूषण पहनते थे। चांदी पहनने से शीतलता, गम्भीरता और स्थिरता मिलती है, जो विद्यार्थी को लक्ष्य केंद्रित बनाती है और चंचलता को नियंत्रित करती है। युवाओं के जोश के ओवरफ्लो को रोकती है।
सोना उत्साह, तेज़ और चमक प्रदान करता है। सोने के समान ही तांबा अत्यंत उपकारी है और उत्साह, तेज और चमक प्रदान करता है।
अष्टधातु में आकाशीय विद्युत की उच्च आकर्षण धारा होती है, इसे केवल अंगूठी के रूप में प्रयोग करें। अष्टधातु का कंगन या बड़ा आभूषण पहनने से अनिद्रा, उन्माद, रक्त-पित्त-वायु दोष उतपन्न हो सकते हैं।
तांबे और चाँदी के तारों से गुँथी हुई अंगूठी सात्विक विचारों को आकर्षित करती है। जिनका मन अशांत रहता हो वो इसे पहनकर लाभ ले सकते हैं।
लड़कियों को कान के निचले भाग में लटकने वाला सोने या चांदी का ऐसा आभूषण पहनना चाहिए, जो कनपटी और आसपास की मांसपेशियों को स्पर्श करता रहे। इससे इनके स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। पैर में कभी सोना नहीं पहनना चाहिए अन्यथा उल्टा असर होता है, मन अस्थिर कर देता है। पैर में चाँदी अत्यंत शुभदायक है, मन को स्थिर रखता है। कमर से ऊपर सोना(स्वर्ण) और तांबा धारण करना चाहिए। चाँदी सर्वत्र शुभ फलदायी है। यदि पोले सोने में लाख की जगह तांबे भरवाकर पहने तो ज्यादा फलदायी है। लकड़ी के आभूषण सभी उपयोगी नहीं है, केवल औषधीय पौधे के लकड़ी के आभूषण धारण किये जा सकते है।
अधिक स्वर्ण आभूषण पहनना घातक है - यह मनुष्य को उन्मादी बना देता है। जो लाभ की जगह हानि देता है। अधिक चांदी शिथिल कर देता है जो लाभ की जगह हानि देता है।
जितना भोजन में नमक जरूरी है उतना ही स्वर्ण आभूषण चाहिए अर्थात अत्यंत कम। जितना मीठा भोजन में जरूरी है उतना ही चांदी जरूरी है। मीठा को नमक से थोड़ा ज्यादा खाया जा सकता है, लेकिन अत्यधिक मीठा रोगी बना देगा, मधुमेह कर देगा। ज्यादा नमक शरीर गला देगा। इसी तरह ज्यादा स्वर्ण और चांदी का आभूषण पहनना नुकसान दायक है।
लाख प्लास्टिक की तरह ऊर्जा ग्रहण नहीं करता है। प्लास्टिक, लाख, बटन इत्यादि के बने आभूषण पहनने का कोई फायदा नही है।
आप पुरुष भाई लोग अब पहले जमाने की तरह कर्ण कुंडल तो नहीं पहन सकते, लेकिन अंगूठी और चैन तो पहन ही सकते हैं। कम से कम सोने या चाँदी या तांबे की अंगूठी पहनकर इस आकाशीय विद्युत ऊर्जा का लाभ ले सकते हैं।
*सोने या चांदी या तांबे या कुश की अंगूठी अनामिका उंगली में पहनकर गायत्री जप और यज्ञ करने पर आकाशीय विद्युत की ग्रहणशीलता बढ़ जाती है।*
मानवीय विद्युत के चमत्कार को और ज्यादा अच्छी तरह से समझने के लिए युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखित निम्नलिखित पुस्तक पढ़िये:-
Reference book- *मानवीय विद्युत के चमत्कार*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, इस संसार में प्रत्येक धातु आकाशीय विद्युत को खींचने का गुण रखती है। इस आकाशीय विद्युत की धारा वायु के साथ बहती है। इस आकाशीय विद्युत ऊर्जा को खींचकर यह धातुएँ पहनने वाले व्यक्ति की मानवीय विद्युत ऊर्जा में जोड़ने और उसे बढ़ाने में सहायक होती हैं।
जिस प्रकार मनुष्य का स्थूल और सूक्ष्म शरीर होता है, वैसे ही स्थूल और सूक्ष्म का भेद इस आकाशीय विद्युत में भी है। लोहे, पीतल इत्यादि सस्ती वस्तुओं का सस्तापन के बल उनके रूप रँग के कारण नहीं है, वरन सूक्ष्म और उपयोगी विद्युत प्रवाह ग्रहण करने की दृष्टि से भी है। इसलिए लोहे से चांदी महंगा है, और चांदी से सोना महंगा है। सोना और चांदी आकाश की सूक्ष्म से सूक्ष्म विद्युत/बिजलियों को आकर्षित करते हैं।
कुँवारी लड़की और कुंवारे लडकों को चांदी के आभूषण अवश्य पहनने चाहिए। पहले के ज़माने में लड़के भी कान में आभूषण पहनते थे। चांदी पहनने से शीतलता, गम्भीरता और स्थिरता मिलती है, जो विद्यार्थी को लक्ष्य केंद्रित बनाती है और चंचलता को नियंत्रित करती है। युवाओं के जोश के ओवरफ्लो को रोकती है।
सोना उत्साह, तेज़ और चमक प्रदान करता है। सोने के समान ही तांबा अत्यंत उपकारी है और उत्साह, तेज और चमक प्रदान करता है।
अष्टधातु में आकाशीय विद्युत की उच्च आकर्षण धारा होती है, इसे केवल अंगूठी के रूप में प्रयोग करें। अष्टधातु का कंगन या बड़ा आभूषण पहनने से अनिद्रा, उन्माद, रक्त-पित्त-वायु दोष उतपन्न हो सकते हैं।
तांबे और चाँदी के तारों से गुँथी हुई अंगूठी सात्विक विचारों को आकर्षित करती है। जिनका मन अशांत रहता हो वो इसे पहनकर लाभ ले सकते हैं।
लड़कियों को कान के निचले भाग में लटकने वाला सोने या चांदी का ऐसा आभूषण पहनना चाहिए, जो कनपटी और आसपास की मांसपेशियों को स्पर्श करता रहे। इससे इनके स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। पैर में कभी सोना नहीं पहनना चाहिए अन्यथा उल्टा असर होता है, मन अस्थिर कर देता है। पैर में चाँदी अत्यंत शुभदायक है, मन को स्थिर रखता है। कमर से ऊपर सोना(स्वर्ण) और तांबा धारण करना चाहिए। चाँदी सर्वत्र शुभ फलदायी है। यदि पोले सोने में लाख की जगह तांबे भरवाकर पहने तो ज्यादा फलदायी है। लकड़ी के आभूषण सभी उपयोगी नहीं है, केवल औषधीय पौधे के लकड़ी के आभूषण धारण किये जा सकते है।
अधिक स्वर्ण आभूषण पहनना घातक है - यह मनुष्य को उन्मादी बना देता है। जो लाभ की जगह हानि देता है। अधिक चांदी शिथिल कर देता है जो लाभ की जगह हानि देता है।
जितना भोजन में नमक जरूरी है उतना ही स्वर्ण आभूषण चाहिए अर्थात अत्यंत कम। जितना मीठा भोजन में जरूरी है उतना ही चांदी जरूरी है। मीठा को नमक से थोड़ा ज्यादा खाया जा सकता है, लेकिन अत्यधिक मीठा रोगी बना देगा, मधुमेह कर देगा। ज्यादा नमक शरीर गला देगा। इसी तरह ज्यादा स्वर्ण और चांदी का आभूषण पहनना नुकसान दायक है।
लाख प्लास्टिक की तरह ऊर्जा ग्रहण नहीं करता है। प्लास्टिक, लाख, बटन इत्यादि के बने आभूषण पहनने का कोई फायदा नही है।
आप पुरुष भाई लोग अब पहले जमाने की तरह कर्ण कुंडल तो नहीं पहन सकते, लेकिन अंगूठी और चैन तो पहन ही सकते हैं। कम से कम सोने या चाँदी या तांबे की अंगूठी पहनकर इस आकाशीय विद्युत ऊर्जा का लाभ ले सकते हैं।
*सोने या चांदी या तांबे या कुश की अंगूठी अनामिका उंगली में पहनकर गायत्री जप और यज्ञ करने पर आकाशीय विद्युत की ग्रहणशीलता बढ़ जाती है।*
मानवीय विद्युत के चमत्कार को और ज्यादा अच्छी तरह से समझने के लिए युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखित निम्नलिखित पुस्तक पढ़िये:-
Reference book- *मानवीय विद्युत के चमत्कार*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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