*सत्साहित्य फोल्डर अभियान*
गुजरात गायत्री परिवार ने युग्सहित्य विस्तार हेतु एक अनूठी पहल की है जिसे सत्साहित्य फ़ोल्डर अभियान का नाम दिया है:-
*उद्देश्य* - वर्तमान समय मे व्यक्ति टूटे मन, अस्वस्थ शरीर, बिखरते रिश्तों और आस्था संकट से ग्रसित हो दुःखी और बेचैन है। ऐसे समय पर वर्तमान समस्याओं का समाधान और जीवन मे दिशा धारा चाहता है। लेकिन किस पर विश्वास करे किस पर नहीं समझ नहीं पाता। ऐसे लोगों तक इनके जीवन की समस्याओं का समाधान सत्साहित्य रूप में फोल्डर अभियान के ज़रिए दिया जाता है। लोगों के विचारों में क्रान्तिबीज डालकर इन्हें सत्साहित्य पढ़ने हेतु प्रेरित करते है ये फ़ोल्डर।
*साहित्य फ़ोल्डर अभियान में फोल्डर किस प्रकार के होते है?* - प्लास्टिक पारदर्शी फ़ोल्डर जिसमें मध्यम साइज की टोटल 12 पुस्तकें आती हैं। हैंगर के साथ आसानी से दीवार में लटकाई जाती हैं। पारदर्शी होने के कारण पुस्तक के नाम दूर से स्पष्ट नज़र आते हैं। उसमें कॉन्टेक्ट नम्बर होता है जिस पर लोग पुस्तक पढ़कर आगे सम्पर्क करते हैं।
*किस प्रकार की पुस्तकें इसमें रखते हैं* - एक फोल्डर में 12 पुस्तकें ही रख सकते हैं, इसलिये मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य, परिवार निर्माण, बाल निर्माण,प्रकृति संरक्षण और युगनिर्माण सम्बन्धी दो - दो पुस्तकें रखते हैं। इसमें *समस्त समस्याओं का समाधान वाला पम्पलेट भी रख देते हैं, इसमे समस्या और उनके समाधान अनुरूप अन्य पुस्तकों की लिस्ट होती है साथ ही ऑनलाइन वेबसाइट के साथ लोकल शक्तिपीठ का अड्र्स भी होता है।*
*साहित्य फोल्डर को कहां लगाते है? इसके लिए कैसे सम्पर्क करते हैं?*
ऐसे स्थानों का चयन करते हैं जहां बैठ कर लोगों को इंतज़ार करना ही पड़ता है, जैसे अस्पताल में मरीजों के इंतज़ार की जगह, नाई या पार्लर, जनरल स्टोर, डेरी मिल्क की शॉप, बस स्टैंड, मन्दिर इत्यादि जगहों का चयन करते हैं।
अस्पताल में सम्पर्क करने पर लगभग 70% डॉक्टर इजाज़त दे देतें है। दुकान और अन्य जगहों पर भी ऐसा ही है।
पुस्तकों को हर महीने रिफिल भी करते रहना होता है।
*साहित्य फोल्डर अभियान चलाने के लिए कितने व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है*? - कुछ लोगों की टीम हो तो बहुत अच्छा है, लेकिन यदि टीम न बन पाए तो एक व्यक्ति दो से तीन जगह सत्साहित्य अभियान बड़े आराम से चला सकता है।
*सत्साहित्य फ़ोल्डर अभियान चला रहे टीम आनन्द जी से हमने इस बारे में पूंछा* - तो उन्होंने बताया कि दीदी इसके बहुत अच्छे रिज़ल्ट सब जगह मिल रहे हैं। लोग हमें फोन करके बताते हैं कि हमने अमुक जगह के फोल्डर से पुस्तक उठाई थी, और इसके बारे में जानना चाहते है। इसका केंद्र कहाँ है और इसे जिसने लिखा उसके बारे में जानकारी चाहते है।
गुजरात गायत्री परिवार ने युग्सहित्य विस्तार हेतु एक अनूठी पहल की है जिसे सत्साहित्य फ़ोल्डर अभियान का नाम दिया है:-
*उद्देश्य* - वर्तमान समय मे व्यक्ति टूटे मन, अस्वस्थ शरीर, बिखरते रिश्तों और आस्था संकट से ग्रसित हो दुःखी और बेचैन है। ऐसे समय पर वर्तमान समस्याओं का समाधान और जीवन मे दिशा धारा चाहता है। लेकिन किस पर विश्वास करे किस पर नहीं समझ नहीं पाता। ऐसे लोगों तक इनके जीवन की समस्याओं का समाधान सत्साहित्य रूप में फोल्डर अभियान के ज़रिए दिया जाता है। लोगों के विचारों में क्रान्तिबीज डालकर इन्हें सत्साहित्य पढ़ने हेतु प्रेरित करते है ये फ़ोल्डर।
*साहित्य फ़ोल्डर अभियान में फोल्डर किस प्रकार के होते है?* - प्लास्टिक पारदर्शी फ़ोल्डर जिसमें मध्यम साइज की टोटल 12 पुस्तकें आती हैं। हैंगर के साथ आसानी से दीवार में लटकाई जाती हैं। पारदर्शी होने के कारण पुस्तक के नाम दूर से स्पष्ट नज़र आते हैं। उसमें कॉन्टेक्ट नम्बर होता है जिस पर लोग पुस्तक पढ़कर आगे सम्पर्क करते हैं।
*किस प्रकार की पुस्तकें इसमें रखते हैं* - एक फोल्डर में 12 पुस्तकें ही रख सकते हैं, इसलिये मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य, परिवार निर्माण, बाल निर्माण,प्रकृति संरक्षण और युगनिर्माण सम्बन्धी दो - दो पुस्तकें रखते हैं। इसमें *समस्त समस्याओं का समाधान वाला पम्पलेट भी रख देते हैं, इसमे समस्या और उनके समाधान अनुरूप अन्य पुस्तकों की लिस्ट होती है साथ ही ऑनलाइन वेबसाइट के साथ लोकल शक्तिपीठ का अड्र्स भी होता है।*
*साहित्य फोल्डर को कहां लगाते है? इसके लिए कैसे सम्पर्क करते हैं?*
ऐसे स्थानों का चयन करते हैं जहां बैठ कर लोगों को इंतज़ार करना ही पड़ता है, जैसे अस्पताल में मरीजों के इंतज़ार की जगह, नाई या पार्लर, जनरल स्टोर, डेरी मिल्क की शॉप, बस स्टैंड, मन्दिर इत्यादि जगहों का चयन करते हैं।
अस्पताल में सम्पर्क करने पर लगभग 70% डॉक्टर इजाज़त दे देतें है। दुकान और अन्य जगहों पर भी ऐसा ही है।
पुस्तकों को हर महीने रिफिल भी करते रहना होता है।
*साहित्य फोल्डर अभियान चलाने के लिए कितने व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है*? - कुछ लोगों की टीम हो तो बहुत अच्छा है, लेकिन यदि टीम न बन पाए तो एक व्यक्ति दो से तीन जगह सत्साहित्य अभियान बड़े आराम से चला सकता है।
*सत्साहित्य फ़ोल्डर अभियान चला रहे टीम आनन्द जी से हमने इस बारे में पूंछा* - तो उन्होंने बताया कि दीदी इसके बहुत अच्छे रिज़ल्ट सब जगह मिल रहे हैं। लोग हमें फोन करके बताते हैं कि हमने अमुक जगह के फोल्डर से पुस्तक उठाई थी, और इसके बारे में जानना चाहते है। इसका केंद्र कहाँ है और इसे जिसने लिखा उसके बारे में जानकारी चाहते है।
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