Thursday 15 April 2021

प्रश्न - मानसिक असंतुलन का शिकार हूँ, व एक कार्य पर टिककर कार्य सकने में असमर्थ हूँ। मार्गदर्शन करें।

 प्रश्न - मानसिक असंतुलन का शिकार हूँ, व एक कार्य पर  टिककर कार्य सकने में असमर्थ हूँ। मार्गदर्शन करें।


उत्तर - अनगढ़ भागता हुआ मन एक समस्या है, नियंत्रित व सधा हुआ नियंत्रित मन एक वरदान है। जीवन की समस्या को हल करके जीवन को वरदान में बदलने हेतु मन को साधना होगा। कठिन मग़र असम्भव नहीं है। निम्नलिखित उपाय 6 महीने तक करें, सफलता अवश्य मिलेगी।


1- नित्य दोनो हाथ से बारी बारी गायत्री मन्त्रलेखन करना है। कम से कम पांच लाइन दाहिने हाथ से और उसके बाद पांच लाइन बाएं हाथ से मन्त्रलेखन करना है।


2- मन्त्रलेखन की पुस्तिका तकिए के नीचे रखकर सोना है। मन्त्रदुपट्टा ओढ़कर सोएं या तकिए के ऊपर रखकर सोएं।


3- कोई भी ऊनि वस्त्र का आसन (कम्बल या शॉल) बिछा कर उस पर नित्य गायत्री साधना (324 गायत्री मन्त्र जप उगते सूर्य का ध्यान करते हुए) करनी है। एक माला निम्नलिखित मन्त्र का खड़े होकर जप करना है :-


ॐ भूर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात क्लीं क्लीं ॐ


4- नित्य शाम को एक बजरंग बाण और एक हनुमान चालीसा का पाठ करके फिर सोना है।


5- नज़दीकी गायत्री शक्तिपीठ में समय दान करें व वहां की साफ सफाई करें, इससे आपके प्रारब्ध कटेंगे, साफ होंगे। यदि नजदीक में गायत्री शक्तिपीठ न हो तो नजदीकी किसी भी मन्दिर में सेवा कार्य करें।


6- शक्तिपीठ में यज्ञ में सम्मिलित हो और प्राणायाम करें। कम से कम 21 बार अनुलोमविलोम प्राणायाम नित्य करना है।


7- घर मे प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को मम्मी को बोलकर चार बाती वाला सरसो के तेल का दिया जलवाओ। उसके बाद उसके समक्ष तुम बजरंग बाण करो।


8- मनोचिकित्सक के पास जाकर काउंसलिंग सेशन लो और उनके द्वारा दी गयी दवा नियम से खाओ।


9- गायत्री शक्तिपीठ पर जाकर निम्नलिखित पुस्तक पढ़ो:-


- कलात्मक जीवन जियें (व्यक्तित्व का मनोविज्ञान)

- गहना कर्मणो गति: (कर्मफ़ल का सुनिश्चित विज्ञान)

- हारिये न हिम्मत 

- सफल जीवन की दिशा धारा

- मानसिक संतुलन

- प्रबंध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल

- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा

- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार

- स्वर्ग नरक की स्वचालित प्रक्रिया

- मानव मष्तिष्क एक प्रत्यक्ष कल्पवृक्ष

- बुद्धि बढाने की वैज्ञानिक विधि

- अधिकतम अंक कैसे पाएं


उपरोक्त पुस्तक गूगल में सर्च करके ऑनलाईन भी पढ़ सकते हैं।


10 - यूट्यूब पर नित्य चाणक्य-चंद्रगुप्त, अकबर-बीरबल, तेनालीराम-कृष्णदेवराय के सीरियल के एक या दो एपिसोड नित्य देखें। बुद्धि का चतुराई से प्रयोग सीखें।


11- किस्से कामयाबी के यूट्यूब पर सर्च करें, सफल लोगो के जीवन के संघर्ष को सुनें व उनसे प्रेरणा लें।


12- यूट्यूब पर पूर्णिमा के चंद्रमा का ध्यान श्रद्धेय द्वारा बताई विधि से करें।


https://youtu.be/OIuOq76WHI8


24 बार निम्नलिखित चन्द्र गायत्री मन्त्र जप करे


ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे, अमृततत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात।


13- गुरुदेब व माता गायत्री से प्रार्थना करें कि मेरे प्रारब्ध का शमन करके मुझे नया व्यवस्थित जीवन दें। मैं मेरे जीवन मे आपका आह्वाहन करता हूँ, मेरी जॉब व कमाई में आपको अमुक परसेंट का पार्टनर बनाता हूँ। आज से मेरा जीवन आपको समर्पित है,मैं मेरा जीवन हैंडल नहीं कर पा रहा, आपको  सौंप रहा हूँ। शक्ति व सामर्थ्य दें कि आपके मार्गदर्शन में यह जीवन व्यवस्थित जी सकूँ।


14 - निम्नलिखित भावना मन्त्र नित्य एक बार दोहराएं:-


मैं पूर्ण स्वस्थ हूँ, मेरे रक्त का रंग लाल है, मेरे चेहरे में दिव्य तेज है, मैं दिव्य प्राण ऊर्जा से भरा हूँ।  मैं मेरे दिमाग़ का मालिक हूँ। मेरा मेरे मन पर पूर्ण नियंत्रण है। मैं पूर्णतया तन मन धन से स्वस्थ हूँ। मैं एक सफल इंसान हूँ। मैं खूब तरक्की करूंगा। बहुत अच्छा जीवन जियूँगा। मैं माता गायत्री की सन्तान हूँ, उनके समस्त गुण व शक्तियां मुझमें बीज रूप में है। मैं मेरी माता द्वारा दी समस्त शक्तियों को जागृत नित्य गायत्री साधना से करूंगा। सफल व सुखमय जीवन जियूँगा। 


15 - जिस भी फील्ड में जॉब या व्यवसाय करना चाहते हैं। इंटरनेट व यूट्यूब में उससे सम्बंधित विषयवस्तु सर्च करके पढ़े। नोट्स बनाये। अपने ज्ञान को बढ़ाये। कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। अपनी पसंद के कार्य को छोटे स्तर से प्रारम्भ कर के बड़े स्तर तक ले जाएं। मनोबल बढ़ाये।


संसार मे कोई  भी रिश्ता परफेक्ट नहीं होता, हमें बस जो जैसा है उसे वैसे स्वीकार करके उसे हैंडल करना होता है। या जो प्रयास के बाद न सम्हले उसे छोड़ देना होता है। 


दुसरो से उम्मीद मत करो कि वह तुम्हे बेहतरीन जीवन दें, अपितु खुद से कहो कि मैं अपना जीवन संघर्षों से लड़ते हुए बेहतरीन कलात्मक जीवन से जियूँगा। स्वयं से उम्मीद बांधो व केवल स्वयं से प्रतिस्पर्धा करो। दुसरो से स्वयं के जीवन की तुलना मत करो।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Saturday 10 April 2021

प्रश्न - एकाग्रता (concentration) कैसे प्राप्त करें?

 प्रश्न - एकाग्रता (concentration) कैसे प्राप्त करें?


उत्तर - किसी भी चीज़ को किसी एक बिंदु पर चिपकाने के लिए या तो गोंद की जरूरत होती है, वैसे ही चित्तवृत्तियों व विचारों को एक उद्देश्य एक लक्ष्य हेतु चिपकाने(एकाग्र करने) हेतु लक्ष्य के प्रति प्रेम रूपी गोंद की आवश्यकता है।


यदि आपका मन किसी कार्य पर एकाग्र नहीं हो रहा इसका अर्थ आप उससे प्रेम नहीं करते। 


जिससे प्रेम हो मन उसके प्रति स्वतः एकाग्र हो जाता है। माता को नवजात शिशु से इतना प्रेम होता है कि बिना प्रयास ही वह उसके प्रति ध्यानस्थ एकाग्र होती है। प्रेमिका प्रेमी के लिए एकाग्र होती है। वैज्ञानिक अपने खोज, अपने अविष्कार के प्रति स्वतः एकाग्र होते हैं, चित्रकार-मूर्तिकार घण्टो अपनी कला में एकाग्र होते हैं क्योंकि वह उसे प्रेम करते है। यह प्रेम ही जुनून जगाता है, एकाग्रता लाता है।


जब तक पढ़ाई से प्रेम न करेंगे तब तक उसके प्रति एकाग्र न होंगे। जबतक अपने जॉब से प्रेम न करेंगे तब तक एकाग्र न होंगे।


उदाहरण के तौर पर वैवाहिक सफलता के लिए या तो प्रेमविवाह करें, नहीं तो अरेंज विवाह के बाद प्रेम करें। पहले बाद से फर्क नहीं पड़ता, फ़र्क़ तब तक पड़ेगा जबतक प्रेम अस्तित्व में रहेगा।

इसीतरह या तो वह कार्य करें जिससे प्रेम करते हैं, अन्यथा जो कर रहे हैं बस उससे प्रेम करना शुरू कर दें। 


अपने कार्य में जितनी रुचि लेंगे, जितना प्रेम करेंगे तब ही समस्त कठिनाइयों को पार करने की शक्ति व साहस भीतर से आएगा व चित्तवृत्तियाँ स्वतः एकाग्र होंगी। असम्भव भी सम्भव करने की क्षमता विकसित होगी।


सफल व्यक्ति कुछ नया नहीं करते, अपितु उसी साधारण कार्य को असाधारण तरीके से करने की कोशिश करते हैं। तब वह साधारण ही असाधारण व शानदार बन जाता है।


कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता, अपितु उसे करने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व के व उसके कार्य के प्रति प्रेम व जुनून से वह कार्य बड़ा हो जाता है व शानदार प्रभाव देता है।


अपने कार्य से प्रेम कीजिये, यदि विद्यार्थी है तो ज्ञान से प्रेम करना शुरू कीजिए, ज्ञानार्जन के महत्त्व पर चिंतन कीजिये उसके महत्त्व को समझिए। तब प्रेम व श्रद्धा से पढ़ने बैठिए मन अवश्य लगेगा।


यदि जॉब कर रहे हैं या व्यवसाय कर रहे हैं, उस कार्य के प्रति प्रेम जगाइए क्योंकि वह आपकी रोजी रोटी है, उससे ही घर चल रहा है। अपने कार्य के प्रेम में उसे बेहतरीन करने की ताकत व योग्यता बढ़ाइए।


भक्त है साधक है, तो स्वयं कौन है जानिए, जिस परमात्मा का अंश है उनका निरंतर चिंतन कीजिये। जिसने सृष्टि बनाई जो कण कण में व्याप्त है बस उनके प्रेम में पड़ जाइये। अटूट प्रेम कीजिये, यह प्रेम बन्धन आपका चित्त ईश्वर से बांध देगा, तब ध्यान स्वतः लगेगा। 


प्रेम की ताकत समझिए, प्रेम जो भी कार्य कर रहे हैं उससे कीजिये। प्रेम वह ईंधन है,  जो कार्य को करने की शक्ति, साहस, योग्यता,ऊर्जा व एकाग्रता देगा। 


प्रेम ही वह फेवीक्विक गोंद है, जो आपको स्वयं द्वारा बनाये  लक्ष्य की ओर एकाग्र करेगा, आगे बढ़ने की गति देगा।


करत करत अभ्यास से, जड़मति होत सुजान।

रसरी आवत जात ही, सल पर पड़त निशान।।


जब लक्ष्य से प्रेम होगा, निरंतर अनवरत उसे पाने का प्रयास होगा तो एकाग्रता स्वतः उस ओर होगी। तन्मय तल्लीन होकर इच्छित कार्य कीजिये सफलता निश्चयत: मिलेगी।


🙏🏻श्वेता, DIYA

Tuesday 6 April 2021

प्रश्न - ऑफिस वर्कलोड के कारण सर भारी रहता है, मानसिक रूप से बहुत थक जाता हूँ। पहले weekend में बाहर मॉल वगैरह चले जाते थे अब तो वह भी कोरोना के कारण बन्द है। मन को कैसे रिलेक्स करूँ?

 प्रश्न - ऑफिस वर्कलोड के कारण सर भारी रहता है, मानसिक रूप से बहुत थक जाता हूँ। पहले weekend में बाहर मॉल वगैरह चले जाते थे अब तो वह भी कोरोना के कारण बन्द है। मन को कैसे रिलेक्स करूँ?


उत्तर- सफाई कर्मी को सैलरी गंदगी साफ करने की ही मिलती है, ऑफिस में काम करने वालों को सैलरी टेंशन झेलने, वर्कलोड झेलने की मिलती है। यदि बीमारी नहीं होगी तो डॉक्टर को कोई फीस न देगा, ऑफिस में काम नहीं होगा तो कोई जॉब हमें क्यों देगा? अतः ऑफिस में वर्कलोड है तो ख़ुश हो जाइए, आपकी जॉब सुरक्षित है।


यदि अतिव्यस्त हैं तो दिन में जब भी सोकर उठें, बिस्तर पर बैठे बैठे ही  या नहाधोकर कार्यक्षेत्र में खड़े खड़े या बैठे बैठे 24 बार गायत्री मन्त्र मन ही मन उगते सूर्य का ध्यान करते हुए जप लें। गहरी श्वांस के माध्यम से प्राणाकर्षण या अनुलोमविलोम प्राणायाम 11 बार कर लें।


 मानसिक थकान दूर कर मन को रिलैक्स करने हेतु निम्नलिखित कार्य सोने से पूर्व करें।


गायत्रीमंत्र लेखन दोनों हाथ से करना है, यदि बाएं हाथ से राइटिंग बिगड़ रही है तो चिंता न करें। नित्य अभ्यास से वह बेहतर बनेगी। कम से कम 5 लाइन दाहिने हाथ से और 5 लाइन बाएं हाथ से लिखना है। मन्त्रलेखन जिस कॉपी में कर रहे हैं उसे तकिए के नीचे रखकर सोना है। मन्त्र अधिक जितना चाहे उतना लिखें।


 मन्त्र लेखन से पूर्व भावना/कल्पना करें :-


"मेरे रक्त का रंग खूब लाल है, यह मेरे उत्तम स्वास्थ्य का द्योतक है। इसमें अपूर्व ताजापन है। इसमें कोई विजातीय तत्व नहीं है, इस रक्त में प्राण तत्व प्रवाहित हो रहा है। मैं स्वस्थ व सुडौल हूँ और मेरे शरीर के अणु अणु से जीवन रश्मियाँ नीली नीली रौशनी के रूप में निकल रही है। मेरे नेत्रों से तेज और ओज निकल रहा है, जिससे मेरी तेजस्विता, मनस्विता, प्रखरता व सामर्थ्य प्रकाशित हो रहा है। मेरे फेफड़े बलवान व स्वस्थ हैं, मैं गहरी श्वांस ले रहा हूँ, मेरी श्वांस से ब्रह्मांड में व्याप्त प्राणतत्व खीचा जा रहा है, यह मुझे नित्य रोग मुक्त कर रहा है। मुझे किसी भी प्रकार का रोग नहीं है, मैं मेरे स्वास्थ्य को दिन प्रति दिन निखरता महसूस कर रहा हूँ। यह मेरी प्रत्यक्ष अनुभूति है कि मेरा अंग अंग मजबूत व प्राणवान हो रहा है। मैं शक्तिशाली हूँ। आरोग्य-रक्षिणी शक्ति मेरे रक्त के अंदर प्रचुर मात्रा में मौजूद है।"


"मैं शुद्ध आत्मतेज को धारण कर रहा हूँ, अपनी शक्ति व स्वास्थ्य की वृद्धि करना मेरा परम् लक्ष्य है। मैं आधिकारिक शक्ति प्राप्त करूंगा, स्वस्थ बनूँगा, ऊंचा उठूँगा। समस्त बीमारी और कमज़ोरियों को परास्त कर दूंगा। मेरे भीतर की चेतन व गुप्त शक्तियां जागृत हो उठी हैं। मेरी बुद्धि का उच्चतर विकास हो रहा है। मैं बुद्धिकुशल बन रहा हूँ, बुद्धिबल व आत्मबल प्राप्त कर रहा हूँ।"


"अब मैं एक बलवान शक्ति पिंड हूँ, एक ऊर्जा पुंज हूँ। अब मैं जीवन तत्वों का भंडार हूँ। अब मैं स्वस्थ, बलवान और प्रशन्न हूँ।"


निम्नलिखित सङ्कल्प मन में पूर्ण विश्वास से दोहराईये:-


1- मैं त्रिपदा गायत्री की सर्वशक्तिमान पुत्री/पुत्र हूँ।

2- मैं बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान परमात्मा का बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान पुत्री/पुत्र हूँ।

3- मैं गायत्री की गर्भनाल से जुड़ी/जुड़ा हूँ और माता गायत्री मेरा पोषण कर रही हैं। मुझे बुद्धि, स्वास्थ्य, सौंदर्य व बल प्रदान कर रही है।

4- मैं वेदमाता का वेददूत पुत्री/पुत्र हूँ। मुझमें ज्ञान जग रहा है।

5- जो गुण माता के हैं वो समस्त गुण मुझमें है।

6- मैं और मेरा परिवार भगवान की कृपा से सुखी व संतुष्ट है।

7- हम सभी स्वस्थ हैं व आनन्दमय जीवन जी रहे हैं।

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फिर गायत्रीमंत्र जप करना शुरू करे - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।*


जप या लेखन के बाद तीन बार ॐ शांति ॐ शांति ॐ शांति बोल लें। व दोनो हाथ को रगड़कर चेहरे पर जैसे क्रीम लगाते हैं वैसे ही घुमा लीजिये।


कोई अच्छी पुस्तक भी सोने से पूर्व पढ़ना अच्छा रहता है।


जितनी भूख हो उससे कम खाएं, पेट हल्का रखें।  बीच में भूख लगे तो कुछ फल अवश्य खा लें । सुबह या शाम थोड़ा पैदल आसपास टहल लें।

प्रश्न - घर में नकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है क्या करें?

 प्रश्न - घर में नकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है क्या करें?

उत्तर - अंधेरा बताता है कि प्रकाश का प्रबंध नहीं है। नकारात्मक ऊर्जा बताती है कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रबंध नहीं है।


सकारात्मक ऊर्जा के जबरजस्त स्रोत - यज्ञ व गायत्री मंत्र जप है। 40 दिन तक नित्य दस माला गायत्री मंत्र जप के साथ सात्विक हवन सामग्री से किया दैनिक यज्ञ घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ा देगा और नकारात्मक ऊर्जा स्वतः क्षीण होकर विदा हो जाएगी। समस्या पुरानी है तो छः मास यह प्रयत्न करना होगा।


षट्कर्म व गुरु आह्वाहन, देव आह्वाहन के बाद नित्य जप में दस माला गायत्री मंत्र की एवं एक माला क्लीं बीज मन्त्रयुक्त महाकाली गायत्री मन्त्र की करनी है। नित्य 11 बार अनुलोम विलोम प्राणायाम, उगते सूर्य का 15 मिनट ध्यान करना है। जप के बाद यज्ञ होगा। अंत में सूर्य भगवान को जल चढ़ेगा और थोड़ा जल बचा लें व उसमें एक चुटकी यज्ञ भष्म मिलाकर समस्त घर में छिड़क दें।


यज्ञ हेतु पुस्तक - "सरल हवन विधि" का प्रयोग करें


यज्ञ में 24 गायत्री मंत्र आहुति, 11 महामृत्युंजय मंत्र आहुति, 3 क्लीं बीज मंत्र आहुति, 3 शान्तिमन्त्र आहुति दें


मन्त्र निम्नलिखित हैं-


गायत्रीमंत्र - 

ॐ भूर्भुवः स्व:  तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात ॐ स्वाहा इदं गायत्र्यै इदं न मम्


क्लीं बीज मंत्र युक्त महाकाली गायत्रीमंत्र - 

ॐ भूर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ

ॐ स्वाहा इदं महाकाली इदं न मम्


महामृत्युंजय मंत्र - 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

ॐ स्वाहा इदं रुद्रायै इदं न मम्


शांति मन्त्र - 

ॐ शं नः मित्रः शं वरुणः । शं नः भवतु अर्यमा । शं नः इन्द्रः बृहस्पतिः । शं नः विष्णुः उरुक्रमः 

ॐ स्वाहा इदं दिवंगत आत्मनाम शांत्यर्थम् इदं न मम्

प्रश्न - यदि किसी लड़की को प्यार में किशोरावस्था में धोखा मिला हो क्या उससे विवाह करना उचित है? लड़की ने विवाह से पूर्व ही मुझे सच्चाई बता दी है। वह ईमानदार व सच्ची दिखती है।

 प्रश्न - यदि किसी लड़की को प्यार में किशोरावस्था में धोखा मिला हो क्या उससे विवाह करना उचित है? लड़की ने विवाह से पूर्व ही मुझे सच्चाई बता दी है। वह ईमानदार व सच्ची दिखती है।


उत्तर - किशोरावस्था कच्ची उम्र होती है व समझदारी नहीं होती। बड़ी उम्र के लड़के ऐसी लड़कियों को बेवकूफ बना लेते हैं, बड़े बड़े सपने दिखाते हैं, व अपना उल्लू सीधा करने के बाद इन्हें छोड़ देते हैं।


एक ग़लती तो भगवान भी माफ़ करता है, तुममें देवत्व है तो उसे स्वीकार लो एवं विवाह कर लो। अपनी गलती स्वीकारना व सच्चाई अपने होने वाले पति को बताने की हिम्मत करना सराहनीय है। सत्य वो बोलते हैं जो सत्य की नींव पर अपना वैवाहिक जीवन शुरू करना चाहते है। तुम्हें धोखे में नहीं रखा व नए जीवन की शुरुआत सच्चाई व ईमानदारी से करने की हिम्मत दिखाई। सत्य बोलने वाले को पुरस्कार मिलना चाहिए न कि दण्ड।


उस लड़की का सत्य केवल स्वयं तक रखना, किसी भी नाते रिश्तेदार, घनिष्ठ मित्र से शेयर मत करना। उसने तुम पर विश्वास किया है, उस विश्वास को मत तोड़ना।


विवाह उससे करना है या नहीं, यह निर्णय केवल तुम्हारा है। शांत जगह पर बैठ कर विचार करो और जो दिल और दिमाग कहे उसे सुनो, व निर्णय लो।


इस दुनियां में कोई भी परफेक्ट नहीं है। विवाह से पूर्व विचार मिलने आवश्यक है, एक दूसरे पर भरोसा अनिवार्य है। क्योंकि यह एक उम्र भर का लंबा सफ़र है।


विवाह के पूर्व जो भी हुआ उसे भूलकर, विवाह के बाद क्या क्या एक दूसरे के प्रति ईमानदारी, विश्वास, सहयोग व सम्मान होना चाहिए उस पर चिंतन करें। एक दूसरे से इस पर बात कर निर्णय लें। एक दूसरे के परिवार व माता पिता को सम्हालने का भी उत्तरदायित्व निभाने हेतु मनःस्थिति तैयार करें। हिंदुस्तान में विवाह में लड़के व लड़की बंधन में  बंधते है, साथ ही दो परिवारों भी बन्धन में बंधते है। अतः मनःस्थिति तद्नुसार तैयार करें, नए जीवन की शुरुआत के साथ साथ परिवार भी सम्हालना है यह ध्यान रखें। 


🙏🏻श्वेता, DIYA

Thursday 1 April 2021

परामनोवैज्ञानिक उन्माद - मानसिक नकारात्मक वृत्ति - भूत बाधा शांति हेतु प्रयोग

 परामनोवैज्ञानिक उन्माद - मानसिक नकारात्मक वृत्ति - भूत बाधा शांति हेतु प्रयोग


40 दिन नित्य घी का दीपक जलाकर, षट्कर्म व देववाहन के बाद ग्यारह(11) माला गायत्री मंत्र,  एक माला क्लीं बीज मंत्र के साथ गायत्री एवं एक माला महामृत्युंजय मन्त्र का जप करें। साथ ही नित्य यज्ञ में 24 गायत्री मंत्र की आहुति, 11 क्लीं बीज मंत्र युक्त मन्त्र की आहुति एवं 11 महामृत्युंजय मंत्र की आहुति दें। घृत टपकाया जल हाथ से चेहरे पर  लगाएं व अत्यंत थोड़ा यज्ञभष्म मिलाकर एक चम्मच जल पिला दें। यज्ञभष्म को रोगी के हृदय, ग्रीवा, मस्तक, नेत्र, कर्ण, मुख, नासिका इत्यादि में हल्का सा लगा देना चाहिए।


40 दिन तक शाम को सरसों के तेल में चार बाती वाला दिया जलाएं। एक गायत्री चालीसा एवं बजरंगबाण का पाठ कर लें। रोगी हेतु सुबह या शाम को एक बार गायत्री न्यास अवश्य करें।


जब भी रोगी सोए तो उसकी तकिया के नीचे गायत्री मन्त्रलेखन की हुई पुस्तिका रख दें। साथ ही उसे गायत्रीमंत्र का दुपट्टा ओढ़ने को दे दें।


उसे मन्त्रलेखन करने के लिए प्रेरित करें, व अच्छी पुस्तक पढ़ने को दें।


मन्त्र 


गायत्रीमंत्र - 

ॐ भूर्भुवः स्व:  तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात ॐ


क्लीं बीज मंत्र युक्त महाकाली गायत्रीमंत्र - 

ॐ भूर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ


महामृत्युंजय मंत्र - 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||


नित्य रक्षा विधान में सुबह शाम निम्नलिखित मन्त्र अवश्य बोलें


अपसर्पन्तु ये भूताः ये भूताः भूमि संस्थिताः ॥

ये भूताः विघ्नकर्तारस्ते गच्छन्तु शिवाज्ञया ।


तांबे के लोटे में यज्ञ के समय जल भरकर रखें, यज्ञ पूर्णाहुति के बाद लोटे के जल को गायत्रीमंत्र जपते हुए यज्ञाग्नि से हल्का गर्म करें। फ़िर इस जल में थोड़ी यज्ञ भष्म मिलाकर पीड़ित रोगी के माथे व हृदय में लगाएं व साथ ही उसे वह जल अवश्य पिलाएं।

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...