Tuesday 30 November 2021

प्रश्न - आध्यात्मिक उत्कृष्टता(Spiritual Excellence) के साथ अच्छा व्यक्तित्व स्वयं में कैसे गढ़े? अच्छा इंसान कैसे बने?

 प्रश्न - आध्यात्मिक उत्कृष्टता(Spiritual Excellence) के साथ अच्छा व्यक्तित्व स्वयं में कैसे गढ़े? अच्छा इंसान कैसे बने?


उत्तर- जब हम स्वयं को परमात्मा का अभिन्न अंग मानकर उनके  जैसे बनने (नर से नारायण में रूपांतरित होने) का सफ़र शुरु करते है। तब ही हम आध्यात्मिक कहलाते हैं।


परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी "मनुष्य में देवत्व का उदय व धरती पर स्वर्ग का अवतरण" को ही युगनिर्माण का आधार बताया है।


आध्यात्मिक उत्कृष्ट व श्रेष्ठ देवत्व युक्त व्यक्तित्व गढ़ने के 30 सूत्र:-


1- स्वयं से प्रश्न पूँछे - "मैं क्या हूँ?", "मैं कौन हूँ?" - शरीर या मन या आत्मा? 

2- इस बात पर भरोसा रखें -"ईश्वर हमें देख रहा है"।

3- "मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है", अतः जो मैं हूँ , जिस परिस्थिति में हूँ, इसके लिए मैं ही जिम्मेदार हूँ?

4- कुछ भी करने से पहले स्वयं से पूँछे - क्या इस कार्य से ईश्वर खुश होगा? अंतरात्मा की आवाज सुने।

5- नित्य ग़ायत्री मन्त्र जप, स्वाध्याय व ध्यान योग के माध्यम से आत्म ऊर्जा बढ़ाएं।

6-प्रत्येक क्षेत्र में जिम्मेदारी स्वीकार करें।

7- परमार्थ करें व औरों की परवाह करें।

8- स्वयं की जीत के साथ सबकी जीत हो इस बारे में सोचे व प्रयास करें।

9- बोलने से पहले विचार करे, सही  व हितकर शब्दो का प्रयोग बोलते समय करें। ध्यान रखें मुंह से निकले शब्द वापस नहीं हो सकते।

10- प्रशंशा सबके सामने मग़र आलोचना एकांत में करें। आलोचना व शिकायत न ही करें तो अच्छा है।

11- मुस्कुराएं और दयालु बने। सड़ा सा मुंह न बनायें

12- दूसरे के साथ वैसा व्यवहार न करें, जैसा स्वयं के लिए पसन्द न हो। दुसरो के व्यवहार का सही अर्थ निकाले।

13-अच्छे श्रोता बने, ध्यान रखे कान दो और मुंह एक है। बोलने से अधिक सुनना है।

14- उत्साही बने, उत्साह दूसरे का भी बढ़ाते रहें।

15-दुसरो व स्वयं की प्रशंसा ईमानदारी व सच्चाई से करें।

16- प्रशंशा व चापलूसी में फर्क समझें, किसी के चापलूस न बने और स्वयं की चापलूसी करने वालो से दूरी बनाये।

17- यदि गलती हो तो स्वयं की गलती स्वीकारें व आगे बढ़ें।

18- तर्क करें मग़र तकरार न करें, मतभेद करें मग़र मनभेद न करें।

19- तर्क व बहस में अंतर समझे, बहस कभी न करें। तर्क तथ्य व प्रमाण सहित बात करें

20- किसी की पीठ पीछे बुराई न करें

21- जो वचन दें, वादा करें उसे निभाएं। वचनबद्ध बने।

22-दुसरो का एहसान माने, लेकिन दूसरे भी अहसानमंद आपके हों यह उम्मीद न करे

23- भरोसेमंद व वफादार बने

24- मन में किसी के लिए मैल न रखे, मन सदा पवित्र रखें

25- जो जैसा है उसे वैसा स्वीकारें, रिश्तों में किसी को नियंत्रित करने की मत सोचिए

26- वह बात न करें और न सुने, जिसमें किसी की भलाई न हो व केवल निंदा के उद्देश्य से की जा रही हो

27- आधे अधूरे व गलत ढंग से पेश किए सच से बचें व उस पर कमेंट न करें

28- योग: कर्मशु कौशलं, जो करें उसमें कुशल बने। हमारा परिचय हमारे कार्य से है मात्र कोरे शब्दों से नहीं।

29- विनम्र व विनयी बने, जो भी मिला है उसके लिए ईश्वर को आभार दें। 

30- श्रेष्ठ जीवन लक्ष्य बनाए और उसे निष्ठा से पाने में जुटे। दुसरो को समझने और ख्याल रखने वाला बने


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Saturday 27 November 2021

प्रश्न - *शेयर बाज़ार में किये इन्वेस्टमेंट में भारी नुकसान होने के कारण क्लाइंट को अवसाद हो गया है, उसका मनोबल किस तरह बढ़ाये व उसकी मदद करें।*

 प्रश्न - *शेयर बाज़ार में किये इन्वेस्टमेंट में भारी नुकसान होने के कारण क्लाइंट को अवसाद हो गया है, उसका मनोबल किस तरह बढ़ाये व उसकी मदद करें।*


उत्तर- जुआ व सट्टा बाज़ार के आधुनिक रूप शेयर बाजार को कुछ लोग मानते हैं।


जुए और शेयर बाजार में एक ही समानता है कि यहां पर आप अपने निवेश का X गुना लाभ कमा सकते हैं, परंतु

जुए में जीतने की संभावना 50% के बराबर होती है, और आप की जीत आपकी किस्मत पर निर्भर करती है।

जबकि शेयर बाजार इसके बिल्कुल विपरीत है यहां पर लाभ अर्जित करने की संभावना आपके समझ, ज्ञान और विश्लेषण पर निर्भर करती है ना कि किस्मत पर।


जुआ केवल भाग्य पर आधारित है, शेयर बाज़ार में बुद्धिकुशलता, विश्लेषण व बौद्धिक कर्म के साथ साथ क़िस्मत भी चाहिए होती है।


 *तनावप्रबन्धन - एक कला और एक अध्यात्म विज्ञान है* इसे शेयर बाज़ार में भारी नुकसान से ग्रस्त बन्दे पर अप्लाई भी कर सकते हैं।


शेयर बाज़ार का इन्वेस्टर एक सांसारिक चकाचौंध से ग्रस्त मानसिकता का व्यक्ति होता है जो शॉर्टकट में बुद्धि के तिकड़म से जल्दी पैसा कमाने की चाहत रखता है। ऐसे दृष्टिकोण के लोग भी अध्यात्म व ज्योतिष को भी पैसे कमाने के टूल किट की तरह उपयोग करते हैं।


अतः इनका मानसिक आध्यात्मिक उपचार कठिन है मगर असम्भव नहीं है।


किसी परिस्थिति जन्य घटना/समस्या को कुछ लोग समस्या की तरह लेते हैं और कुछ लोग चुनौती की तरह लेते हैं।


*चुनौती* की तरह समस्या को लेने वाला व्यक्ति *समाधान केंद्रित* हो समाधान ढूंढने में जुट जाता है। इसलिए *उसके विचार हल्के नीली और पीली आभा लिए समाधान की खोज ब्रह्माण्ड में विचरते हुए सम्बन्धित समस्या का समाधान ढूंढते हैं*, समस्या के समाधान से सम्बंधित विचार आकर्षित करता है । एक प्रकार से व्यक्ति एकाग्र और ध्यानस्थ हो जाता है। सकारत्मकता से भरा हुआ होता है।  व्यक्ति अंदर से मजबूत होता चला जाता है और आत्मविश्वास बढ़ता चला जाता है।


*समस्या को समस्या समझने वाला व्यक्ति, समस्या केंद्रित होकर चिंता करने लगता है।* इसलिए उसके *विचार समस्या का बोझ लिए भूरे और काले रंग लिए* ब्रह्मांड से समस्या से जुड़े नकारात्मक विचार आकर्षित करते हैं। नकारात्मक विचार दिमाग़ की नसों में खिंचाव/तनाव उतपन्न करके कार्टिसोल जैसे ज़हरीले हार्मोन्स रिलीज़ करवाता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में बिखराव उतपन्न होता है और अंदर ही अंदर टूटने लगता है।


*तनाव का वास्तव में मतलब है कि समस्या से मानसिक प्रबंधन छोटा होना*


*तनावमुक्त होने का वास्तव में मतलब है कि समस्या से मानसिक प्रबन्धन बड़ा होना*


मानसिक प्रबंधन ही तनाव प्रबंधन है।  वास्तव में विचारो का प्रबंधन है- जिसके अंतर्गत हमें विचारो की सृजनात्मक शक्ति का प्रयोग करना आता है। हमें कौन से विचारो को रखना है और कौन से विचारो को छोड़ना है।


हमें विचारो को ऑन और ऑफ करने के साथ साथ, कौन से विचार को किस तरह सोचना है यह भी आना चाहिए।


👉🏼उदाहरण- जिस विद्यार्थी को पढ़ें तो कैसे पढ़े और सोचें तो कैसे सोचें का ज्ञान होगा, वो भला पढ़ाई को लेकर तनावग्रस्त क्यूं होगा भला?


👉🏼जिस कर्मचारी को यह पता हो कि भाई समस्या झेलने के लिए ही नौकरी मिली है, समस्या ही न होगी तो हमारी जॉब ही चली जायेगी। तो वो तो समस्या देख के कुछ कर गुजरने का सुअवसर, चुनौती रूप में स्वीकारेगा। जिसे समस्या को ठीक कैसे करना आता होगा, समस्या को पहचानना आता होगा, कैसे उस पर चिंतन करना है आता होगा वो भला समस्या के आने पर तनावग्रस्त क्यों होगा भला?


👉🏻 जिस शेयर बाजार इन्वेस्टर को पता है व समझ है कि शेयर बाजार में जितनी तेजी से पैसा बढ़ता है वैसे ही तेजी से घटता भी है। अतः पैसे बढ़ने की ख़ुशी भी बेमानी है व पैसे खोने का गम भी बेमानी है। 


👉🏻वीडियो गेम में कठिनाई न हो और सांप सीढ़ी के गेम में सांप न हो तो बच्चो को खेलने में मज़ा नहीं आता। लेक़िन बड़े होने पर जिंदगी के खेल में कठिनाई पड़ती है तो हम डिप्रेशन में क्यों चले जाते हैं? जिंदगी को बेहतरीन जीना है तो यहां भी खेल भावना की आवश्यकता है। बस जी जान से खेलो। जब सीढ़ी किस्मत की है तो सांप भी तो क़िस्मत का ही अंग है। बस खेलो। शेयर बाज़ार में जब मुनाफे की सीढ़ी चढ़े या शेयर बाजार में जब घाटे का सांप डसे। तो दोनो ही परिस्थितियों में मानसिक संतुलन बनाये रखें। नो रिस्क नो गेन, मोर रिस्क मोर गेन।


एक और सरल उदाहरण समझते हैं, टीवी घर की बिगड़ गयी, आपको ठीक करना नहीं आता आप तनावग्रस्त हो गए। अब बिगड़ी टीवी लेकर आप कुशल मैकेनिक के पास गए, तो वो क्या टेंशन लेगा? नहीं न...वो बड़े आराम से टीवी खोलेगा, उसे ठीक करेगा और आपको हैंडओवर कर देगा। क्योंकि उसे पता है टीवी कैसे ठीक करना है।

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अतः यह सिद्ध होता है कि तनाव का अर्थ हमारी प्रबंधन क्षमता में अकुशलता है, जिस पर तुरन्त काम करने की आवश्यकता है। विचार प्रबंधन और अपने कार्य क्षेत्र में कुशलता से हम तनाव के अस्तित्व को ही मिटा सकते है। तनाव न हो यह सुनिश्चित कर सकते हैं।


नासमझ बच्चों की तरह शेयर बाजार की सांप सीढ़ी के खेल में रोना मत रोइये। अपितु पुनः खेल की बारीकी समझ के यदि साहस है तो खेले नहीं तो खेल बन्द कर दें। यह मकड़जाल लालच से उतपन्न हुआ था, इसे लालच त्याग के समेट लें।


जो हुआ वह बदला नहीं जा सकता, लेकिन हैंडल किया जा सकता है।एक नई शुरुआत की जा सकती है। जहाँ समस्या है समाधान वहीं है।


आधी ग्लास भरी व आधी खाली है। अतः आधी खाली का रोना रोना छोड़कर जो आधी बची है उसे लेकर जीवन मे आगे कैसे बढ़ना है उस पर विचार करें।


अपनी किस्मत के ग्रह नक्षत्र ठीक करने के लिए सवा लाख ग़ायत्री मन्त्र का अनुष्ठान करें।


चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र की एक माला नित्य जप के साथ पूर्णिमा के चन्द्रमा का ध्यान करें।


स्वयं की परिस्थिति से उबरने के लिए चिंतन करें।


एक कहानी - एक राजा अपनी हार से हताश गुफा में छुपा था। उसने देखा मकड़ी बार बार दीवार पर चढ़ती गिर जाती मग़र वह हार नहीं मानती। कम से कम 14 से 15 वें प्रयास में वह सफल हो गयी। राजा ने सोचा जब इतने छोटे जीव ने हार नहीं मानी तो मैं  क्यों हार मानू। वह उठा पुनः कई महीनों के प्रयास के बाद अपने राज्य को पुनः पा सका।


आप भी इससे शिक्षा लेकर पुनः स्वयं पर विश्वास करके योजना बनाइये। सफलता अवश्य मिलेगी।


थोड़ा धैर्य रखिये व सकारात्मक चिंतन कीजिये।


👉🏼 विचारों का प्रबंधन सीखने हेतु निम्नलिखित पुस्तक पढ़िये(http:// literature. awgp. org):-


1- विचारों की सृजनात्मक शक्ति

2- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल

3- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा

4- दृष्टिकोण ठीक रखें

5- निराशा को पाद न फटकने दें

6- मानसिक संतुलन

7- शक्तिवान बनिये


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Friday 12 November 2021

देवोत्थान-देवप्रबोधनी एकादशी - माता तुलसी व भगवान शालिग्राम का विवाह

 *देवोत्थान-देवप्रबोधनी एकादशी - माता तुलसी व भगवान शालिग्राम का विवाह*


देव उठानी एकादशी शुभ मुहूर्त


एकादशी तिथि का प्रारम्भ: 14 नवम्बर, 2021 को सुबह 5 बजकर 48 मिनट से


एकादशी तिथि का समाप्त: 15 नवम्बर, 2021 को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर



15 नवम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय-1 बजकर 10 बजे से 3.19 बजे


चार माह के गहन ध्यान समाधि से सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु आज के दिन उठेंगे। देवशयनी एकादशी के दिन व गहन समाधि में लीन हो जाते हैं।


*माता तुलसी की और पिता विष्णु भगवान की जय*


भगवान विष्णु ने,

सृष्टि का भार उठाया,

माता तुलसी ने,

सृष्टि के स्वास्थ्य का आधार सम्हाला।


जो भी श्रद्धा भक्ति से,

माँ तुलसी की शरण में आएगा,

बिना किसी भेदभाव के,

आरोग्य लाभ पायेगा।


माता तुलसी,

एक चिकित्सक की भी,

अहम भूमिका निभाती है,

एक दिन पहले,

जिस रोग के लिए प्रार्थना करोगे,

सुबह उसी रोग की,

औषधि का रस पत्तियों में डालती है।


जिस आंगन में,

श्री तुलसी जी विराजती है,

स्वस्थ शरीर में,

उनके चेहरे में सहज़ मुस्कान सजती है।


*पूजन तुलसी गायत्री मंत्र*:-


*ॐ श्री तुलस्यै विद्महे, विष्णुप्रियायै धीमहि, तन्नो वृंदा प्रचोदयात।*


*पूजन विष्णु गायत्री मंत्र*:-


*ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो नारायणः प्रचोदयात।*


युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने अपनी पुस्तक - *तुलसी के चमत्कारिक गुण* में माता तुलसी के आरोग्यवर्धक गुणों को विस्तार से बताया है, उसे पढ़े, लाभों को जानें और लाभ लें। यूट्यूब और गूगल पर भी माता तुलसी के औषधीय लाभ की विस्तृत जानकारी मिल जाएगी।


भारतीय सनातन धर्म एक वैज्ञानिक धर्म है। आंगन में तुलसी को प्रत्येक माह नित्य 21 दिन जल चढ़ाने वाली स्त्री को कभी भी गर्भाशय सम्बन्धी रोग नहीं होते, और कम से कम 9 दिन प्रत्येक माह पुरुष द्वारा तुलसी को जल चढ़ाने से उन्हें प्रजनन अंग सम्बन्धी रोग नहीं होते। तुलसी के पत्ते दांतो से डायरेक्ट नहीं चबाना चाहिए उन्हें निगलना चाहिए, या मिश्री में मिलाकर खाना चाहिए। हज़ारो रोगों की एक दवा तुलसी है। तुलसी प्रत्येक समयांतराल में अपना औषधीय अर्क हवा में छोड़ती है, लेकिन ज्यों ही हम झुककर उनकी जड़ो में जल डालते है वो तेज़ी से वो औषधीय अर्क छोड़ती है, जो प्राणवायु में मिलकर हमारी श्वांसों में प्रवेश करता है, और फेफड़े से हृदय तक पहुंचकर, रक्त में मिलकर पूरे शरीर मे पहुंच जाता है। तुलसी के पास घी का दीपक रखने से यही औषधि कम से कम पाँचमीटर के क्षेत्र में विस्तार ले लेती है।  तुलसी का अर्क रोगाणु मारता है, और शरीर के जरूरी जीवाणु को पोषण देता है। इम्म्युनिटी बढ़ाता है।


अगर ध्यान दें तो आप पाएंगे कि प्राचीन समय में तुलसी के पौधे को आंगन के बीच में ऊंचे मिट्टी के आधार पर रोपा जाता था। जिससे जल चढ़ाने पर चेहरा तुलसी के ज्यादा नजदीक रहे। स्त्रियों के चेहरे की चमक, झुर्रियों और स्वास्थ्य का ख़्याल माता तुलसी रखती थीं, एक मित्र की तरह स्त्री अपने सुख दुःख सब उनसे कहती थी। डिप्रेशन कभी नहीं होता था। तुलसी सहज तनाव हर लेती थी।


तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और लोग इसे अपने घर के आँगन या दरवाजे पर या बाग में लगाते हैं। भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त ऐलोपैथी, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है। प्राचीन समय में फ़ैमिली डॉक्टर तुलसी ही होती थी, जो मौसमी सर्दी, जुकाम व बुखार इत्यादि अनेक रोगों से सहज ही मुक्ति दिलाती थी।


घर में गमलों में केवल रामा या श्यामा तुलसी ही लगाएं। तुलसी के औषधीय लाभ जानने के लिए पढ़ें पुस्तक:-


📖 *तुलसी के चमत्कारिक गुण*


*Book URL* - http://literature.awgp.org/book/Tulsi_Ke_Chamatkari_Gun/v2


तुलसी की खेती कैसे करें और व्यवसाय के रूप में कैसे अपनाएं?


*Youtube URL* -

https://youtu.be/aGS8H1nS_PQ


तुलसी के सभी प्रजातियों के बारे में और जानकारी के निम्नलिखित लिंक विजिट करें:-


http://hi.vikaspedia.in/agriculture/crop-production/91593e93094d92f92a94d93092393e93293f92f94b902-91593e-938902915941932/91493792794092f-92a94c92794b902-915940-916947924940/924941932938940



🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Thursday 11 November 2021

अक्षय आंवला नवमी इस बार 12 नवंबर 2021 को है

 *आंवला नवमी या अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। यह अक्षय आंवला नवमी इस बार 12 नवंबर 2021 को है।*


ऋषिसत्ताएँ मनुष्य को सुखी देखना चाहती हैं, इसलिए वो भगवान द्वारा प्रदत्त औषधि के लाभ से और उस औषधीय पौधे की चेतना से जनसामान्य को जोड़कर उन्हें स्वस्थ सुंदर बनाने का उपक्रम बनाते थे। इसलिए अक्षय नवमी को चुना गया। एक आँवला रोज सौ से ज्यादा बीमारी को ठीक करता है। हमारे देश मे उन समस्त वृक्षों और पशुओं की पूजा की जाती है जिसके माध्यम से भगवान हम तक जीवन और स्वास्थ्य पहुंचाता है। आध्यात्मिकता जुड़ने से जनसाधारण इनकी उपयोगिता को याद करके इन्हें संरक्षित करता है।


*आंवला नवमी पूजा विधि*


-आंवला नवमी का व्रत और पूजन परिवार सहित किया जा सकता है। इन दिन व्रतधारी स्नान करने के बाद आंवला वृक्ष को जल अर्पित कर उसकी पूजा करें। साथ ही इस वृक्ष को कच्चा दूध अर्पित करें। वृक्ष के नीचे ही भोजन पकाया औऱ खाया जाता है। वृक्ष के साथ अधिक से अधिक समय सपरिवार बिताया जाता है।


-रोली-अक्षत और भोग से देवस्वरूप मानकर आंवाला वृक्ष की पूजा करने के बाद इसकी 8 परिक्रमा करते हुए इसके तने पर मोली, कलावा या सूत लपेटकर गांठ लगा दें। इस औषधीय वृक्ष की रक्षा करने और अधिक से अधिक इसका वृक्षारोपण का संकल्प लेते हैं।


-108 गायत्री मंत्र, 24 महामृत्युंजय मंत्र इस वृक्ष के नीचे बैठकर जप करें। 5 दीपक जलाकर या गाय के गोबर के कंडे में हवन करें। योग प्राणायाम करें। पूजा-पाठ के बाद परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करें।


-अब परिवार सहित इस वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करें और इसकी झड़ती पत्तियों को प्रसाद समझकर ग्रहण करें।


👉🏼 *आंवला खाने के अनेक फायदे है, उनमें से कुछ मुख्य यहां दे रहे हैं।*:


1. *कैंसर से बचाव* में

आंवले में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं. इसके साथ ही इसमें एंटी-कैंसर गुण भी होता है. एक शोध के अनुसार, आंवला कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है. ये कैंसर से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है.


2. *अल्सर की रोकथाम* में

आंवले का जूस पेप्ट‍िक अल्सर में बहुत कारगर साबित होता है. हर सुबह इसके सेवन से आराम मिलता है.


3. *वजन कम करने* में

आंवला शरीर में मौजूद गंदगी को साफ करने और वजन कम करने में भी फायदेमंद होता है. रोजाना इसके सेवन से शरीर में गंदगी जमने नहीं पाती है.


4. *दस्त में आराम* के लिए

आंवले में भरपूर मात्रा में डाइट्री फाइबर मौजूद होते हैं. इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होने पाती है और पाचन क्रिया में भी ये काफी फायदेमंद होता है.


5. *हाई ब्लड प्रेशर* में

आंवला उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में कारगर होता है. इसके साथ ही ये दिमाग और शरीर दोनों को राहत देने का काम करता है. आंवला पाउडर, शहद के साथ मिलाकर खाना बहुत फायदेमंद होता है.


6. *आंख की रौशनी* में

आंवले में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण रेटीना के लिए काफी फायदेमंद होता है. ये विटामिन सी का बहुत अच्छा माध्यम होता है. ये आंखों में होने वाली जलन को कम करता है साथ ही रौशनी बढ़ाने में भी कारगर होता है.


7- *गर्भाशय सम्बन्धी विभिन्न रोगों* के उपचार में सहायक है। खून साफ करता है।


सौ से अधिक बीमारियों से जो दैवीय वृक्ष मुक्ति दिलाये, ऐसे महान वृक्ष की *अक्षय नवमी* में पूजन करने से भगवान विष्णु बहुत प्रशन्न होते है। कहते है जगत के कल्याण के लिए जैसे तुलसी माँ लक्ष्मी का औषधीय पौधा रूप है, वैसे ही आँवला भगवान विष्णु का पौधा स्वरूप है। जीवन में जो भी आंवला का वृक्ष लगाता है, उसका पूजन करता है, आंवला खाता है उस पर भगवान प्रशन्न होते है।


अक्षय स्वास्थ्य देने के कारण इसका नाम अक्षय और तिथि नवमी के कारण नवमी पड़ा। अक्षय स्वास्थ्य प्रदाता व्रत - अक्षय नवमी।


*इन मन्त्र और विधि से करें आंवला वृक्ष की पूजा*

-आंवला नवमी को सुबह स्नान कर दाहिने हाथ में जल, चावल, फूल आदि लेकर इस तरह व्रत का संकल्प लें-

अद्येत्यादि अमुकगोत्रोमुक (अपना गोत्र बोलें)

 ममाखिलपापक्षयपूर्वकधर्मार्थकाममोक्षसिद्धिद्वारा

श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं धात्रीमूले विष्णुपूजनं धात्रीपूजनं च करिष्ये।


-ऐसा संकल्प कर आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके ऊं धात्र्यै नम: मंत्र से आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करके इन मंत्रों से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें-


पिता पितामहाश्चान्ये अपुत्रा ये च गोत्रिण:।

ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।।

आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवा:।

ते पिवन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।।


-इसके बाद आंवले के पेड़ के तने में यह मंत्र बोलते हुए सूत लपेटें-


दामोदरनिवासायै धात्र्यै देव्यै नमो नम:।

सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोस्तु ते।।


-इसके बाद कर्पूर या शुद्ध घी के दिए से आंवले के वृक्ष की आरती करें तथा निम्न मंत्र से उसकी प्रदक्षिणा करें -


यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।

तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।


ॐ शांति: शान्ति: शांति:


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Monday 1 November 2021

गुरुकुल में क्या पढ़ाया जाता था, यह जान लेना अति आवश्यक है।

 गुरुकुल में क्या पढ़ाया जाता था, यह जान लेना अति आवश्यक है। 📔📕📗📘📙📒📓


1.अग्नि विद्या ( metallergy )

2 वायु विद्या ( flight ) 

3 जल विद्या ( navigation ) 

4 अंतरिक्ष विद्या ( space science ) 

5 पृथ्वी विद्या ( environment )

6 सूर्य विद्या ( solar study ) 

7 चन्द्र व लोक विद्या ( lunar study ) 

8 मेघ विद्या ( weather forecast ) 

9 पदार्थ विद्युत विद्या ( battery ) 

10 सौर ऊर्जा विद्या ( solar energy ) 

11 दिन रात्रि विद्या ( day - night studies )

12 सृष्टि विद्या ( space research ) 

13 खगोल विद्या ( astronomy) 

14 भूगोल विद्या (geography ) 

15 काल विद्या ( time ) 

16 भूगर्भ विद्या (geology and mining ) 

17 रत्न व धातु विद्या ( gems and metals ) 

18 आकर्षण विद्या ( gravity ) 

19 प्रकाश विद्या ( solar energy ) 

20 तार विद्या ( communication ) 

21 विमान विद्या ( plane ) 

22 जलयान विद्या ( water vessels ) 

23 अग्नेय अस्त्र विद्या ( arms and amunition )

24 जीव जंतु विज्ञान विद्या ( zoology botany ) 

25 यज्ञ विद्या ( material Sc)


वैदिक विज्ञान

Vedic Science


वाणिज्य ( commerce ) 

कृषि (Agriculture ) 

पशुपालन ( animal husbandry ) 

पक्षिपालन ( bird keeping ) 

पशु प्रशिक्षण ( animal training ) 

यान यन्त्रकार ( mechanics) 

रथकार ( vehicle designing ) 

रतन्कार ( gems ) 

सुवर्णकार ( jewellery designing ) 

वस्त्रकार ( textile) 

कुम्भकार ( pottery) 

लोहकार ( metallergy )

तक्षक ( guarding )

रंगसाज ( dying ) 

आयुर्वेद ( Ayurveda )

रज्जुकर ( logistics )

वास्तुकार ( architect)

पाकविद्या ( cooking )

सारथ्य ( driving )

नदी प्रबन्धक ( water management )

सुचिकार ( data entry )

गोशाला प्रबन्धक ( animal husbandry )

उद्यान पाल ( horticulture )

वन पाल ( horticulture )

नापित ( paramedical )


इस प्रकार की विद्या गुरुकुल में दी जाती थीं।  


परन्तु समय के साथ गुरुकुल लुप्त होते गए और यह विद्या भी लुप्त होती गई।


वैदिक विज्ञान और शिक्षा के लिए गुरुकुल की पुनः स्थापना बहुत महत्वपूर्ण है।


गुरुकुल दुनिया की पहली शिक्षा की प्रणाली है।


🙏🚩 जय श्री राम🙏🚩

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...