Wednesday 28 September 2022

फिल्मों ने प्रेम के अस्तित्व को मिटा दिया...

 सोचा प्रेम पर कुछ लिखूँ,

प्रेम को परिभाषित करूँ,

प्रेम और मोह में अंतर लिखूँ,

मोह के माया जाल को तोड दूँ..


स्वयं की खुशी को सर्वोपरि बता दिया,

दूसरे की खुशी को छिनने को सही ठहरा दिया,

कैसे फिल्मों ने प्रेम के अस्तित्व को मिटा दिया,

कैसे फिल्मों ने वासना और मोह को प्रेम का नाम दे दिया..


आज वासना को फ़िल्मों ने प्रेम बता दिया,

फिल्मों में छीनने को जायज ठहरा दिया,

प्रेम में सब अनैतिक कर्म जायज है यह बतला दिया..

फिल्मों ने प्रेम के अस्तित्व को मिटा दिया...


आधुनिक पीढ़ी को बर्गला दिया,

जिम्मेदारी से भागना सिखा दिया,

लिव इन रिलेशनशिप को सही ठहरा दिया,

फिल्मों ने प्रेम के अस्तित्व को मिटा दिया...


जानते हो असली प्रेम में क्या होता है?

प्रेम का अस्तित्व कैसा होता है?


प्रेम में मिटाया नहीं, मिटा जाता है,

प्रेम में छीना नहीं, सिर्फ दिया जाता है,

स्वयं की ख़ुशी के ऊपर दुसरे की खुशी को रखा जाता है,

प्रेम में त्याग और बलिदान दिया जाता है...


प्रेम निःश्वार्थ होता है, प्रेम में बंधन स्वीकार्य होता है,

पति पत्नी बनकर साथ चलने का भाव होता है,

प्रेम जो जैसा है उसे वैसा स्वीकार लेता है,

एक दूसरे की जिम्मेदारी उठाने को तैयार होता है...


प्रेम हर रिश्ते को महत्त्व देता है,

माता पिता और संतान का भी प्रेम अटूट होता है,

प्रेम में संतुलन होता है, प्रेम में आनन्द होता है,

प्रेम तो कण कण में आनन्द बिखेर देता है...


मोह और वासना अंधी होती है,

प्रेम में विवेक की दृष्टि होती है,

मोह वासना अनैतिक करवाता है,

प्रेम में नैतिकता का सदा भान होता है...


भाइयों बहनों,

श्वेता अनुरोध करती है,

प्रेम के सही अर्थ को समझो,

फ़िल्मों के झूठे माया जाल से बचो,

प्रेम सच्चा करो, मोह वासना से बचो,

प्रेम को अनुभव करो और प्रेम मय बनो,

विवेक दृष्टि हेतु ध्यान और स्वाध्याय करो,

प्रेम में मनुष्य जीवन की गौरव गरिमा बनाये रखो...


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Tuesday 27 September 2022

नवरात्रि का ध्यान

  *मां के नवगुण धारण करने की प्रार्थना*

https://youtu.be/YjXDBsyENE4


प्रथमं शैलपुत्री का ध्यान 

https://youtu.be/4LX7wq-FUNU


च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी का ध्यान

https://youtu.be/595QzOra-zs


तृतीयं चन्द्रघण्टेति का ध्यान

https://youtu.be/9rTX3JNopXM


कूष्माण्डेति चतुर्थकम् का ध्यान

https://youtu.be/-UxvAAE2oFo


पंचमं स्कन्दमातेति का ध्यान

https://youtu.be/YjXDBsyENE4


षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।


सभी ध्यान वीडियो देखने के लिए निम्नलिखित यूट्यूब प्लेलिस्ट पर क्लिक करें, कृपया वीडियो लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें🙏


Meditation Video - ध्यान के विडियो: https://www.youtube.com/playlist?list=PLGhUewbgDcmHn4ryDWYg6bfpJn0aGSqEJ


नवरात्रि में माता मुझमें,

अपने जैसे गुणों का भंडार दो,

मां जैसी सन्तान वैसी,

यह कथन चरितार्थ करो...


मां तुम शैलपुत्री हो,

मुझमें भी पर्वत सी दृढ़ता दो,

मां तुम ब्रह्मचारिणी हो,

मेरा मन भी तपलीन ब्रह्मलीन करो...


मां तुम चन्द्रघण्टा हो,

मेरे मन में भी चन्द्र सी शीतलता दो,

माँ तुम कुष्मांडा हो,

मुझमें भी सृजन की क्षमता भरो...


माँ तुम स्कंदमाता हो,

मुझमें भी भगवान कार्तिकेय से गुण भरो,

माँ तुम कात्यायनी हो,

मुझमें भी शोधकर्ता बनने की क्षमता दो...


माँ तुम कालरात्रि हो,

मुझमें भी दुष्टदमन की क्षमता दो,

माँ तुम महागौरी हो,

मुझमें भी सेवाभाव भरो...


मां तुम सिद्धिदात्री हो,

मुझमें भी कार्यसिद्धि की क्षमता दो,

माँ तुम नवगुण नवरुपा हो,

मुझे भी नवगुण सम्पन्न करो...


नवरात्रि में माता मुझमें,

अपने जैसे गुणों का भंडार दो,

मां जैसी सन्तान वैसी,

यह कथन चरितार्थ करो...


मुझे अपनी सन्तान होने का गौरव दो,

मुझे अपने चरणों की सेवा का सौभाग्य दो,

तुम्हारे दिखाए मार्गपर चलकर तुम तक पहुंच सकूं,

ऐसी शक्ति सामर्थ्य मनोबल दो...


लेखिका - श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया असोसिएशन

Saturday 10 September 2022

प्रश्न - पति देव वैसे तो खूब बात करेंगे लेकिन जैसे ही फैमिली इश्यू पर बात करो तो पहले तो सुनेंगे नहीं, यदि सुना तो उसे इग्नोर कर देंगे। उसे समाधान करने में न रुचि है और न ही फैमिली इश्यू के कारण जो मेरी परेशानी है उसकी उन्हे कोई परवाह है। क्या करूं?

 प्रश्न - पति देव वैसे तो खूब बात करेंगे लेकिन जैसे ही फैमिली इश्यू पर बात करो तो पहले तो सुनेंगे नहीं, यदि सुना तो उसे इग्नोर कर देंगे। उसे समाधान करने में न रुचि है और न ही फैमिली इश्यू के कारण जो मेरी परेशानी है उसकी उन्हे कोई परवाह है। क्या करूं?


उत्तर - जिस युद्ध में दोनो तरफ अपने हों, दोनो के आंसू से फर्क पड़ता हो तो किसके पक्ष में बोलें यह निर्णय बहुत कठिन होता है। एक तरफ खुद को जन्म देने वाली मां हो और दूसरी तरफ खुद के संतान की मां पत्नी हो तो किसका साथ दें कठिन निर्णय है।


अब स्त्रियां बहुत भावुक होती हैं और छोटी छोटी बातें उनके लिए बहुत मैटर करती हैं। वह बातें पुरुष जाति जो कि बहुत प्रैक्टिकल है और ऑफिस और जॉब में बड़ी बड़ी समस्या झेल रहा है, उसकी नजर में घर की छोटी समस्या उसे नजर ही नहीं आती इसलिए वह उसे इग्नोर कर देता है।


घर के झगड़ो का मुख्य कारण गृह में वर्चस्व और सत्ता की लड़ाई होती है। सास जी स्वयं को राजा और बहु को गुलाम समझती हैं। बहु सास की सत्ता को ध्वस्त कर स्वयं राज्य की इच्छुक हैं।


समझ की कमी और अहम युद्ध का कारण होता है। यदि आप निष्पक्ष और बुद्धि प्रयोग से घर के झगड़ो को देखेंगे तो पाएंगे कि बेवजह जबरन युद्ध रचा गया है।


बहु खाना बना रही है, सास आकर बस ताने मार दें कि खाना अब तक क्यों नहीं बना या अमुक बनना चाहिए था ये क्या बना दिया। बस युद्ध शुरू...


बहु को बाजार जाना है और सास ने मना कर दिया युद्ध शुरू...


बहु के मायके वालों के आगमन, उनसे फोन पर बात, बच्चे के पढ़ाई में कम नम्बर हो तो युद्ध शुरू..


बेटे ने मां के लिए कुछ लाया तो युद्ध शुरू...


बेटे ने पत्नी के लिए कुछ लाया तो युद्ध शुरू...


बहु के विवाह में 99 अच्छी व्यवस्था हो लेकिन यदि 1 कमी रही तो उसके ताने उम्रभर..युद्ध अनवरत चालू विवाह और दहेज पर...


बेटी की लाख बुराई माफ और बहु की एक बुराई का भी बखेड़ा बनाना... झगड़ा शुरू...


किसी रिश्तेदार के विवाह में क्या गिफ्ट देना है, सास और बहु में मतभेद और झगड़ा शुरू...


एक छोटा सा घर और उसका छोटा सा रसोईघर, मगर वह रसोईघर बड़े युद्ध का कारण बनता है, रोज खाना बनाने में किचकिच... अरे सास स्टाइल सेंडविच और बहु स्टाइल सेंडविच में क्या बनेगा यह भी युद्ध का कारण है...


रोज खाकर मल विसर्जन होना है, फिर भी जिह्वा का स्वाद पसंद भिन्न भिन्न युद्ध का कारण होगा ही...


एक कंपनी सम्हालने में जितना युद्ध नहीं होता उससे ज्यादा युद्ध एक चार कमरे के घर के कार्य को सम्हालने में युद्ध होता है। 


एक दूसरे को नीचा दिखाने का युद्ध वस्तुत: नकारात्मक सोच और एक दूसरे के प्रति घृणा युद्ध का कारण है।


पुत्र पैदा करने का अहंकार इतना बड़ा होता है जितना बड़ा एक बहुत बड़ी कंपनी का मालिक होना होता है। इसको समझना और उन्हे समझाना बहुत कठिन है।


पत्नी बनने के बात पति पर एकाधिकार करना और पति की माता के पति पर अधिकार समाप्त करने की चाह युद्ध का कारण है।


सास का अपनी मां से तुलना करना, बेटी और बहु की तुलना युद्ध का कारण है।


पुरुष प्रधान समाज और स्त्री को हेय समझना युद्ध का कारण है।


समझ की कमी और अत्यधिक भावुक होकर दिनभर के गृह युद्ध की रिपोर्ट जब ऑफिस से थके हारे पति के समक्ष करते हैं तो वह निर्णय नहीं कर पाता कि वह क्या करे और कैसे इन झगड़ो का अंत करे। क्योंकि दोनो पार्टी उसे निष्पक्ष जज बनाने की इच्छुक नहीं है अपितु स्वयं के पक्ष पर पक्षपाती निर्णय चाहती हैं।


इन समस्याओं का समाधान स्वयं का सुधार करते हुए, एक दूसरे से बातचीत करके और सद्बुद्धि के प्रयोग से गृह युद्ध के अंत की आशा की जा सकती है।


पत्नी को पति को सैंडविच बनने से बचाना होगा। माता को बेटे को सैंडविच बनने से बचाना होगा। एक दूसरे को सास बहू को जो जैसा है वैसा स्वीकार करना होगा। बेटे को मां और पत्नी को साथ बिठाकर यह समझाने का प्रयास सप्ताह में एक बार करना होगा। 


घर में अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय इस समस्या को सुलझाने में मदद करेगा। सभी योग प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें तो भी समस्या सुलझेगी।


दूसरे की प्रकृति समझ उसे सुधारने की जगह उसे हैंडल करने की कोशिश करें तो भी समस्या सुलझेगी।


घर में छोटी छोटी खुशियों को सप्ताह में एक बार जरूर उत्साह से मनाए।


यदि मां और बहु की नहीं बनती, तो बेटे को एक बार मां को अकेले रेस्टोरेंट में भोजन करवाते हुए समझाएं। पत्नी को अलग से रेस्टोरेंट ले जाकर बाहर समझाएं। फिर घर में एकता स्थापित करने का प्रयास वैसे ही करें जैसे कंपनी में कस्टमर को सम्हालने हेतु प्रयास करते हैं।


घर को चलाने में बुद्धि प्रयोग करें, भावुकता में रोना रोकर समय नष्ट न करें। प्रेम सेवा और सहकार से घर सम्हाले।


🙏श्वेता चक्रवर्ती 

डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन

Friday 9 September 2022

कन्या भोज साहित्य सेट(कुल मूल्य 200₹ 👉🏻 50% डिस्काउंट 100₹) शुभ नवरात्री

 कन्या भोज साहित्य सेट(कुल मूल्य 200₹ 👉🏻 50% डिस्काउंट 100₹) शुभ नवरात्री

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SV 50 - खाते समय इन बातों का ध्यान रखें - 10₹

SV 47 - स्वस्थ व सुंदर बनने की रीति नीति - 12₹

SV 58 - व्यायाम हमारी अनिवार्य आवश्यकता - 10₹

SV 45 - शाकाहार (अंकुरित आहार) - 5₹

SV 55 - दूध पियें इस तरह - 8₹

VN 54-  मित्रता करें मग़र समझबूझकर - 8₹

VP 44- कठिनाइयों से डरिये नहीं, लड़िये - 10₹

VN 53- हम दुर्बल नहीं, शक्तिशाली बनें - 10₹

VN 49 - निर्भय बने, शांत रहें -8₹

VN 65- बोलिये मग़र इस तरह - 8₹

VN 14- निराशा को पास न फटकने दें - 7₹

VN 51 - जिंदगी को हंसते खेलते जियें - 5₹

MP 68- स्वामी विवेकानंद - 12₹

MP 05 - लक्ष्मीबाई - 8₹

MP 09 - भगिनी निवेदिता - 8₹

SBK04 - भले बनो - 40₹

VP01-01 - बालनिर्माण की कहानियां - 15

VP02-02 - बालनिर्माण की कहानियां - 20


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नवरात्रि का शुभ अवसर आ रहा है, कन्याओं को भोजन के साथ साथ उनका जीवन संवारने के लिए कुछ सत्साहित्य भेंट अवश्य दें।


स्कूलों में जाकर भी यह सत्साहित्य कन्याओं तक पहुंच कर पुण्य लाभ ले सकते हैं। सबसे बड़ा दान ज्ञान दान।


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श्वेता चक्रवर्ती 

9810893335


आप डायरेक्ट आदरणीय प्रमोद शर्मा जी गायत्री तपोभूमि मथुरा को भी संपर्क करके 50% डिस्काउंट पर हमारा (श्वेता चक्रवर्ती) का रिफरेंस देकर साहित्य मंगवा सकते हैं। एक ऑर्डर का अधिकतम मूल्य 10 हजार से अधिक नहीं होना चाहिए।


आदरणीय प्रमोद शर्मा जी

+91 94121 71035


आपके इस पुण्य सेवा कार्य में हम और हमारी साहित्य विस्तार टीम भी डिस्काउंट के माध्यम से सहयोगी बनने का पुण्य लाभ ले लेगी। यदि कोई कन्या भोज हेतु साहित्य डोनेट करना चाहें तो भी हमें सम्पर्क कर सकते हैं। आप भी साहित्य विस्तार टीम का हिस्सा बन सकते हैं। 


कृपया ऑर्डर देते समय पूरा नाम, पता, मोबाइल नम्बर व पिनकोड अवश्य दें, कोरियर वाला पता दें। अधूरा पता परेशानी का सबब बनता है। यदि फोन नम्बर नहीं देंगे तो डाक से पहुंचने में परेशानी होती है।


हम लोग केवल साहित्य में डिस्काउंट दिलवाते हैं, समस्त ऑर्डर गायत्री तपोभूमि मथुरा से ही भेजा जाता है। अतः यदि कुछ पूछना हो तो प्रमोद शर्मा भैया जी से संपर्क कर पूंछे।

Wednesday 7 September 2022

साहित्य आतंकवादियों से सावधान

 साहित्य आतंकवादियों से सावधान


कुटिल चालबाज वकील कोर्ट में सत्य को परास्त झूठी दलील और झूठे गवाह से कर देता है। ऐसे ही चालबाज साहित्य आतंकी तथ्य को तोड़ मरोड़कर युवा के समक्ष हिंदू धर्म की वैज्ञानिकता को महिमा खंडित करता है। मक्कारो और साहित्य आतंकियों से सावधान रहें और इनसे साहित्यिक युद्ध को तैयार रहें।


यह युवाओं के मन में सनातन धर्म संस्कृति के विरुद्ध जहर घोलता है, इतिहास के सनातन हिंदू वीरों की वीरता को इतिहास से जन सामान्य के बीच आने नहीं देता। मुगल लुटेरों को हीरो बनाकर पेश करता है, उनके छल और षड्यंत्र को सही ठहराता है। ऐसे बड़ी बड़ी कॉलेज के डिग्रीधारी साहित्य आतंकियों से सावधान रहें,  हमारे युवाओं को दिग्भ्रमित करके उन्हे भटकाने और सनातन हिंदू धर्म के गौरव को युवाओं के समक्ष न आने देने के लिए इन्हे बहुत मोटी तनख्वाह मिलती है।


जिहाद और आतंक केवल हथियारों से नहीं हो रहा, अपितु कलम से भी हो रहा है, सोशल मीडिया पर यह आतंकवाद चल रहा। हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है एक जुट हो इससे लोहा लें, सारे धर्म ग्रंथ यदि न पढ़ सकें तो कम से कम गीता का स्वाध्याय अवश्य करें, हनुमान चालीसा पढ़े और बुद्धि को गायत्री मंत्र जपकर और उगते सूर्य का ध्यान कर पैना करें। ताकि इन्हे जवाब देने के लिए आप सृजन सैनिक बन सकें।


🙏श्वेता चक्रवर्ती , DIYA

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...