Saturday 21 January 2023

मानसिक प्रोग्रामिंग - पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी)* - Post-traumatic stress disorder (PTSD)

 *मानसिक प्रोग्रामिंग - पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी)* - Post-traumatic stress disorder (PTSD)


जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, कि जीवन में दुःखद घटना घटने के बाद मन में उपजा यह विकार है।


पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) प्रतिक्रियाओं का एक समूह है जो उन लोगों में विकसित हो सकता है जिन्होंने किसी दर्दनाक घटना का अनुभव किया है या उसे देखा है तथा जो उनके जीवन या सुरक्षा (या उनके आसपास के अन्य लोगों के जीवन और सुरक्षा) के लिए खतरा है। यह कार की या अन्य गंभीर दुर्घटना, शारीरिक या यौन उत्पीड़न, आपराधिक, युद्ध से संबंधित घटनाएं या यातना, या प्राकृतिक आपदा जैसे बुशफायर या बाढ़ हो सकती है। अभिघात (ट्रॉमा) का अनुभव करने वाले लगभग सभी लोगों में पोस्ट-ट्रॉमैटिक प्रतिक्रियाएं होती हैं। हालांकि कुछ लोगों के लिए, ये प्रतिक्रियाएं कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर कम नहीं होती हैं, परंतु जारी रहती हैं और उनके जीवन को बाधित करती हैं - तब इन प्रतिक्रियाओं को पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर कहा जाता है।


*पीटीएसडी के लक्षण*


पीटीएसडी वाले व्यक्ति को चार मुख्य प्रकार की कठिनाइयाँ होती हैं:


1- अवांछित और आवर्ती यादों, फ्लैशबैक या ज्वलंत दुःस्वप्नों के माध्यम से दर्दनाक घटना को फिर से जीना। घटना की याद दिलाने पर तीव्र भावनात्मक या शारीरिक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं, जैसे पसीना आना, दिलकीधड़कनेंबढ़जाना या घबराहट होना।


2- घटना की याद दिलाने वाली बातों जैसे कि विचारों, भावनाओं, लोगों, स्थानों, गतिविधियों या स्थितियों से बचना जिनसे कि घटना की यादें ताजा होती हों।


3- भावनाओं और विचारों में नकारात्मक परिवर्तनों, जैसे गुस्सा, डर, दोषी, सपाट या सुन्न महसूस करना, "मैं बुरा/बुरी हूँ" या "दुनिया असुरक्षित है" जैसी धारणाएँ विकसित करना और दूसरों से कटा हुआ महसूस करना।


4- नींद आने में कठिनाइयाँ, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की कमी, आसानी से चौंक जाना और लगातार खतरे के संकेतों की तलाश में रहना, अत्यधिक सतर्क होने या 'तनावग्रस्त होने' के संकेत हैं।


यदि किसी ने अपने जीवन में पहले अन्य दर्दनाक घटनाओं का अनुभव किया है, तो कभी-कभी वे पाते हैं कि ये पिछले अनुभव सामने आते हैं और इनसे निपटने की भी आवश्यकता होती है।


एक स्वास्थ्य चिकित्सक पीटीएसडी का निदान कर सकता है यदि किसी व्यक्ति में इन चार क्षेत्रों में से प्रत्येक में एक महीने या उससे अधिक समय के लिए लक्षण हैं, जो बड़ी परेशानी का कारण बनते हैं, या काम करने और पढ़ाई करने की उनकी क्षमता, उनके रिश्तों तथा दिन-प्रतिदिन के जीवन पर प्रभाव डालते हैं।


पीटीएसडी वाले लोगों को 'विघटनकारी अनुभव' भी हो सकते हैं, जिन्हें अक्सर निम्न प्रकार से वर्णित किया जाता है:


"ऐसा लगता था जैसे मैं वहाँ था/थी ही नहीं।"


"समय थम गया था।"


"मुझे लगा जैसे मैं चीजों को होते हुए ऊपर से देख रहा/रही था/थी।"


*पीटीएसडी के लिए सहायता कब लेनी है*


वह व्यक्ति जिसने एक दर्दनाक घटना का अनुभव किया है, उसे मनोचिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए यदि वे:


1- यह महसूस नहीं करते हैं कि वे दो सप्ताह के बाद बेहतर महसूस करना शुरू कर रहे हैं


2- अत्यधिक चिंतित या व्यथित महसूस करते/करती हैं


3- घर, काम और/या रिश्तों में हस्तक्षेप करने वाली दर्दनाक घटना पर प्रतिक्रिया दें


4- स्वयं को या किसी और को नुकसान पहुँचाने की सोच रहे हैं।


*इस बात के कुछ संकेत निम्नलिखित हैं कि समस्या सम्भवत: विकसित हो रही है*:


लगातार गुस्से में या चिड़चिड़े रहना


घर या काम पर कार्य करने में कठिनाई होना


दूसरों को भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देने में असमर्थ होना


मुद्दों से बचने के लिए असामान्य रूप से व्यस्त रहना


सामना करने के लिए ऐल्कोहल, ड्रग्स या जुए का उपयोग करना


सोने में गंभीर कठिनाइयों का होना।


*स्वास्थ्य लाभ (रिकवरी) के लिए समर्थन जरूरी है, जो घट गया उसे स्वीकारना जरूरी है। अब वह बदल नहीं सकता।*


बहुत से लोग दर्दनाक घटना के बाद पहले दो हफ्तों में पीटीएसडी के कुछ लक्षणों का अनुभव करते हैं, लेकिन अधिकांश अपने आप या परिवार और दोस्तों की सहायता से ठीक हो जाते हैं। इस कारण से, पीटीएसडी के लिए औपचारिक उपचार, जब तक कि व्यक्ति घटना से गंभीर रूप से व्यथित न हो, आमतौर पर दर्दनाक अनुभव के बाद कम से कम दो या अधिक सप्ताह तक शुरू नहीं होता है।

किसी दर्दनाक घटना के बाद पहले कुछ दिनों और हफ्तों के दौरान जो भी सहायता की आवश्यकता हो उसे प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। इसमें प्रशिक्षित पेशेवरों सहित जानकारी, लोगों और संसाधनों तक पहुँच प्राप्त करना शामिल हो सकता है, जो आपको ठीक होने में सहायता कर सकते हैं। परिवार और दोस्तों का समर्थन वह सब हो सकता है जिसकी आवश्यकता है। अन्यथा, आगे सहायता प्राप्त करने के लिए डॉक्टर के पास जाना सबसे अच्छी जगह है। कुछ और जो सहायता कर सकता है वह है घटना में शामिल अन्य लोगों के साथ बात करना या जिन्होंने इसी तरह की चीजों का अनुभव किया है।


*पीटीएसडी का उपचार* -


यदि आप दो सप्ताह के बाद भी समस्याओं का सामना कर रहे/रही हैं, तो डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर उपचार पर चर्चा कर सकते हैं। पीटीएसडी के लिए प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं। अधिकांश में मनोवैज्ञानिक उपचार जैसे परामर्श शामिल है, लेकिन दवा भी सहायक हो सकती है। आम तौर पर, समस्या के पहले और एकमात्र समाधान के रूप में दवा का उपयोग करने के बजाय मनोवैज्ञानिक उपचार से शुरुआत करना सबसे अच्छा है।


पीटीएसडी के उपचार में संभवतः दर्दनाक स्मृति का सामना करना और उस अनुभव से जुड़े विचारों और विश्वासों के माध्यम से काम करना शामिल होगा। अभिघात-केंद्रित उपचार निम्न कर सकते हैं:


*पीटीएसडी के लक्षणों को कम करना*


चिंता और अवसाद को कम करना


किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना


ये लंबे समय तक या बार-बार होने वाली दर्दनाक घटनाओं का अनुभव करने वाले लोगों के लिए प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि के लिए उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

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*आध्यात्मिक उपचार* - 


सबसे पहले शांति से बैठें और सोचें मैं शरीर नहीं, मन नहीं अपितु एक आत्मा हूँ। बचपन की तस्वीर और वर्तमान की तस्वीर से पता चलता है कि अन्न-जल से पोषित शरीर तो बदल गया पर मैं वही हूँ। बचपन के खिलौने की इच्छा और वर्तमान की चाहतों और मन की स्थिति समझने पर पता चलता है, मन तो बदल गया। मगर मैं वही हूँ।मेरा मन मात्र मेरी यादों, अनुभवों का पुलिंदा है। 


शाकाहारी घर का बच्चा जो अनुभव संस्कार लेता है, उससे वह जीव पर दया करता है। मांसाहारी घर का बच्चा जो अनुभव संस्कार लेता है, उससे जीव को देखकर उसे खाने की इच्छा करता है। अर्थात मन तो बनता बिगड़ता है।


जो अनुभव पीटीएसडी के परेशान कर रहे हैं वह वस्तुतः मन की मेमोरी कार्ड से बार बार प्ले हो रहे हैं। अब जो घट गया वह घट गया, समय यंत्र से पीछे जाकर उसे बदला नहीं जा सकता। तो फिर उसे सोच सोच के दुःखी क्यों होना?


जब एक चुटकुले पर बार बार हंस नहीं सकते, तो फिर एक ही दर्दनाक घटना पर बार बार रोना और दुःखी होना कहाँ तक जायज है?


तूफ़ान जब चिड़िया का घोसला तोड़ देता है, तो दूसरे दिन चिड़िया टूटे घोंसले का शोक नहीं मनाती। वह चहचहाते हुए नए घोंसले को बनाने में जुट जाती है।


पुरानी यादों के खंडहर से बाहर आकर नई यादें बनाने में जुट जाएं। एक सकारात्मक ज्ञान का दीपक मन में जलाएं और मन के अंधेरे को दूर भगाएं।


जो हुआ वह हो गया, इसे स्वीकार लें। अब आगे क्या करना है उसकी प्लानिंग करें।


नित्य 10 मिनट सुबह खड़े होकर ध्यान करें और शरीर पर नियंत्रण स्थापित करे, धीरे धीरे मन को साधें। नित्य शाम को विस्तर पर बैठकर कमर सीधी करके ध्यान करें और शरीर-मन साधें।


रोज 40 दिन तक स्वयं को पत्र लिखो, स्वयं के दुःखों को लिखो और स्वयं को इस दुःख से बाहर आने के लिए सुझाव दो। दुःख वाले पत्र को जलाकर या फाड़कर नष्ट नित्य कर दें।



एक डायरी में 5 लाइन लिखो मैं विजेता हूँ इस दुःख से बाहर आ सकती/सकता हूँ। मैं अपने जीवन को सम्हाल सकती/सकता हूँ। मैं सफल व्यक्ति हूँ, मैं सफल जीवन भर रहूंगा। अच्छे अच्छे आशीर्वाद स्वयं को दो और उसे लिखो।


स्वास्तिक नित्य 5 बार कागज पर बनाएं, नित्य कुछ लाइन गायत्री मन्त्रलेखन करें। अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय करें और महापुरुषों के जीवन के संघर्ष को पढ़ें। विजेता बने।


गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित जल नित्य पिये और ब्रेन को मजबूत करने वाली ब्राह्मी और अश्वगंधा का कुछ महीने सेवन करें। हो सके तो किसी देवस्थान पर आश्रम में 9 दिन की साधना करके आ जाएं। स्थान परिवर्तन और तीर्थ सेवन लाभकारी होता है।


OCD, PSDT, Overthinking, Depression, Anxiety, पारिवारिक उलझन, दिल टूटने की समस्या, धोखा किसी से मिलने की समस्या etc, या आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए पूर्व अपॉइंटमेंट व्हाट्सएप पर लेकर सुबह 11 से 1 के बीच सोमवार से शुक्रवार फोन कर सकते हैं। - Sweta Chakraborty, Spiritual Psychologist - 9810893335


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Wednesday 18 January 2023

मानसिक प्रोग्रामिंग - मन का द्वंद्व समाप्त करने और उसे व्यवस्थित करने हेतु

 *मानसिक प्रोग्रामिंग - मन का द्वंद्व समाप्त करने और उसे व्यवस्थित करने हेतु*


लोहा लोहे को काटता है ( iron cuts iron) यह हम सब जानते हैं, ऐसे ही विचार से ही विचार कटते/मिटते हैं (Thoughts cuts thought)।


विचारों की सृजनात्मक शक्ति में परम पूज्य गुरुदेव लिखते हैं कि विध्वंसात्मक/नकारात्मक विचार से मनुष्य स्वयं का विनाश कर सकता है और सृजनात्मक/सकारात्मक विचार से मनुष्य स्वयं का विकास कर सकता है। मनुष्य यदि जीवन को व्यवस्थित और सफल चाहता है तो मनुष्य को विचारों की सृजनात्मक शक्ति को समझना और अपनाना होगा।


युद्ध के मैदान को जीतने के लिए रणनीति बनानी पड़ती है, सेना और हथियार जुटाने पड़ते हैं। ऐसे ही मानसिक द्वंद्व/युद्ध को जीतने के लिए भी सृजनात्मक विचारो की सेना और तप-पुण्य रूपी हथियार इकट्ठे करने पड़ते हैं। 


सृजनात्मक विचार की सेना को मन में तैयार करने हेतु अच्छी पुस्तकों का नित्य स्वाध्याय और तप-पुण्य के हथियार की व्यवस्था हेतु साधना(जप-ध्यान-प्राणायाम) और आराधना(सेवा कार्य हेतु समय दान और अंशदान) करना होता है।


नित्य उपरोक्त विधि से जितना अधिक सृजनात्मक विचारों के संग्रह आपके दिमाग मे होंगे आप उतना बेहतर तरीके से अपने नकारात्मक विचारों को हैंडल कर सकेंगे। अपने दिमाग़ की प्रोग्रामिंग इनर इंजीनियरिंग कर सकेंगे।


कठिन है अपनी रूढ़िवादी मान्यताओं और ज़िद्दी मन को हैंडल करना और नए सिरे से उसे सृजनात्मक गढ़ना, किंतु असम्भव नहीं है। अभ्यास और वैराग्य से असम्भव भी सम्भव होते हैं।


एक छोटा प्रयोग गायत्री मंत्र के साथ छः महीने करके देखें, और अपने दिमाग़ में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन को स्वयं अनुभव करें:-


गायत्री मंत्र - ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं, भर्गोदेवस्य धीमहि, धियो यो न: प्रचोदयात्।


भावार्थ - उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।


आपको सुबह बिस्तर से उठते वक़्त 7 बार और सोने से पूर्व 7 बार गायत्री मंत्र जपना है और 7 बार उसके भावार्थ के साथ यह प्रार्थना करनी हैं।


शेर का बच्चा शेर होता है, हे माता गायत्री वैसे ही हम आपके बच्चे हैं और आपके जैसे ही बनना चाहते हैं।


हम आपकी कृपा से प्राणस्वरूप बन रहे हैं, दुःखनाशक बन रहे हैं, सुखस्वरूप बन रहे हैं, श्रेष्ठ व तेजस्वी बन रहे हैं, पापनाशक और देवस्वरूप बन रहे हैं।

हमारे अंदर ज्योतिस्वरूप परमात्मा विराजमान है, हमारा मन और हमारी आत्मा प्रकाशित हो रहे हैं, मैं स्वस्थ और प्रशन्नचित्त हूँ और प्राण ऊर्जा से ओतप्रोत हूँ। मेरी बुद्धि रथ की सारथी माता गायत्री हैं जो मुझे सन्मार्ग में श्रेष्ठ जीवन मार्ग में अनवरत लेकर चलेंगी।


निःशुल्क ऑनलाइन निम्नलिखित साइट से स्वाध्याय करें

http:// literature. awgp. org/


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हमारी काउंसलिंग सेवा निःशुल्क है, आप स्वेच्छा से दान गायत्रीमंत्र लेखन,  गायत्री चालीसा या अनाथालय में अन्नदान हेतु कुछ दान कर सकते हैं, कोई बाध्यता नहीं है।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

मन पर नियंत्रण और उसकी प्रोग्रामिंग करने की विधि - छः महीने का अभ्यास

 मन पर नियंत्रण और उसकी प्रोग्रामिंग करने की विधि - छः महीने का अभ्यास


1- सुबह उठो तो स्वयं से बोलो


हे, ईश्वर यह जीवन देने के लिए धन्यवाद, आपके अनुशासन में यह जीवन जियूँ ऐसा आशीर्वाद दीजिये।


मैं संसार का महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हूँ, 

मैं मेरे मन को सम्हाल सकता हूँ

मैं साहसी और पुरुषार्थी हूँ

मेरा आज का दिन शुभ है।


2- दिन में दो बार गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र से अभिमंत्रित करके जल पियें, भावना करें यह जल ब्रेन टॉनिक है, ब्रेन को मजबूत कर रहा है।


3- अनुलोमविलोम 5 बार प्राणायाम करें। गणेश योग करें, दोनो हाथ को क्रॉस करके कान पकड़ के उठक बैठक 5 बार करें। 


4- कम से कम 6 महीने तक ब्रेन की मजबूती के लिए शान्तिकुञ्ज फ़ार्मेंसी ही सरस्वती पंचक वटी या अन्य विश्वसनीय ब्रांड से अश्वगंधा वटी और ब्राह्मी लेकर दिन में दो बार चिकित्सक के सलाह से लें।


5- सप्ताह में एक बार सूर्योदय से सूर्यास्त तक केवल जल और फ़ल लेकर रहें। एक ही प्रकार के फल जितने खा सकें खाये और जल पियें।


6- नित्य एक माला गायत्री और एक माला महामृत्युंजय मंत्र की जपें।


7- सुबह 10 मिनट हाथ जोड़कर खड़े होयें और पैर में थोड़ा फासला रख के खड़े होकर ध्यान करें। शाम को 10 मिनट बैठकर कमर सीधी कर ध्यान करें। एक महीने खुली आँखों से ध्यान करें, फिर दूसरे महीने से बंद आँख करके ध्यान करें।


8- ध्यान के वक़्त मन मे उठने वाले नकारात्मक हो या सकारात्मक विचार , अच्छे शुभ विचार या गंदे अश्लील विचार उन्हें मात्र देखें और इग्नोर करें जाने दें। न व्यथित हों न ही खुश हों, बस नदी में बहते जल की तरह साक्षी भाव से विचारों को देखें और जाने दें।


9- जब भी नकारात्मक विचार लगे कि आप पर हावी हो रहे हैं, तुरंत जल को अभिमंत्रित गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र से करें और घूंट घूंट से स्वाद लेकर पियें। यदि मधुमेह की बीमारी नहीं है तो अपने पास छोटी चॉकलेट रखें, और जैसे ही नकारात्मक विचार का ट्रिगर हो मुंह मे चॉकलेट रखकर स्वाद लेते हुए खाएं, जिससे ब्रेन के हैप्पी हार्मोन चाकलेट और अभिमंत्रित जल से ट्रिगर हो जाएं और तनाव के दूषित हार्मोन को कंट्रोल कर दें।


10 - नकारात्मक विचारों से घबराएं नहीं उन्हें उपेक्षित और इग्नोर करें, उनके समानांतर या उससे श्रेष्ठ विचारों को सोचने लगे। अंधेरे से लड़ने या डरने की जरूरत नहीं, अपितु प्रकाश की व्यवस्था करने की जरूरत है। 


11- कुछ दान पुण्य करें जिससे आत्म ऊर्जा बढ़े और आपकी आत्मा का प्रकाश आपको आत्मबल से मनोबल बढ़ाने में मदद करे।


12- गायत्री मन्त्रलेखन करें और अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय करें।


OCD, Overthinking, Depression, Anxiety etc के लिए पूर्व अपॉइंटमेंट व्हाट्सएप पर लेकर सुबह 11 से 1 के बीच सोमवार से शुक्रवार फोन कर सकते हैं। - Sweta Chakraborty - 9810893335

Tuesday 17 January 2023

जल को मन्त्रपूरित अभिमंत्रित करने की विधि

 *जल को मन्त्रपूरित अभिमंत्रित करने की विधि*

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मानव के अस्तित्व का मालिक आत्मा है, ड्राइवर मन है और गाड़ी तन है।


परन्तु मानव मन रूपी ड्राइवर  लगभग 90% लोगों के किसी न किसी कारण से उलझन, परेशानी, पीड़ा, मानसिक विकारों, मनोरोगों के कारण है। ऐसे में मन को ऊर्जावान, मनोबल बढ़ाने, मन की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने हेतु एक प्रयोग किया जाता है, जिसे कहते हैं नित्य सुबह शाम अभिमंत्रित जल पियें।


आधुनिक युग में वाटर मेमोरी के नाम से जाना जाता है। गूगल कीजिये और स्वयं निम्नलिखित यूट्यूब में देखिए कि कैसे भिन्न भिन्न विचार व मन्त्र पानी के भीतर के मॉलिक्यूल व उनकी आकृति को बदल देते हैं। पानी की यादाश्त होती है, पानी में मन्त्र घुलता है और असर उसका दिखता है।


मन्त्र को खाद्य या पेय पदार्थ में विचारों और दृष्टिपात द्वारा मिलाने की विधि को अध्यात्म की भाषा में अभिमंत्रित करना कहते हैं। खाद्य पदार्थ व पेय पदार्थ में मन्त्र संचरण द्वारा उसके कारण तत्व व सूक्ष्म ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है व अपेक्षित परिणाम पाया जा सकता है।


💧💧💧जल अभिमंत्रित विधि💧💧💧


लंबी गहरी श्वांस नाक से लें और धीरे धीरे मुंह से छोड़ें।


जल को अभिमंत्रित करने हेतु कोशिश करें यदि तांबे या कांच की ग्लास हो तो उत्तम है, अन्यथा स्टील की भी ग्लास ले सकते हैं। ग्लास पानी भर ले,   ग्लास को हाथ में उठा लें, आंखों से जल को देखते हुए मन ही मन पांच बार गायत्री मंत्र, तीन बार महामृत्युंजय मंत्र, एक बार शांति मंत्र जपें। भावना करें कि यह जल मेरे दिमाग को रिलैक्स करेगा, तनाव दूर करेगा, मनोरोग ठीक करेगा, प्राणवान-ऊर्जावान बनाएगा, सकारात्मक बनाएगा, बुद्धि बढ़ाएगा और मनोबल बढ़ाएगा।


जल देवता वरुण देवता को मन ही मन प्रणाम करके घूंट घूंट करके जल पी लें।


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हमारे शरीर में यह अभिमंत्रित जल पहुंचकर रक्त के प्रत्येक कण में ऊर्जा का संचार करेगा और जैसी हमने भावना की थी वैसे ही मन को ऊर्जावान-प्राणवान बनाएगा। यह प्रयोग घर और ऑफिस कहीं भी कर सकते हैं। क्योंकि सब कुछ मन मे बोलना है तो किसी को पता नहीं चलने वाला कि आप ग्लास हाथ में लेकर क्या कर रहे हैं।


यह प्रयोग कम से कम छः महीने रोज सुबह और शाम करना है।


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जल अभिमंत्रित करने वाले मन्त्र निम्नलिखित हैं:-


*गायत्रीमंत्र जप* (5 बार मानसिक रूप से)


ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात


*सर्व बाधा निवारण हेतु* (एक बार बार)-


सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न शंसयः॥


*शिव सरंक्षण प्राप्ति हेतु* (एक बार)


ॐ जूं स: माम् पालय पालय स: जूं ॐ


*सुखसौभाग्य जागरण हेतु* (एक बार)


ॐ जूं स: माम् भाग्योदयम् कुरु कुरु स: जूं ॐ


*रोगमुक्ति हेतु* (तीन बार)


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥


ॐ शांति ॐ शांति ॐ शांति


🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻


OCD, Overthinking, Depression, Anxiety, पारिवारिक उलझन, दिल टूटने की समस्या, धोखा किसी से मिलने की समस्या etc के लिए पूर्व अपॉइंटमेंट व्हाट्सएप पर लेकर सुबह 11 से 1 के बीच सोमवार से शुक्रवार फोन कर सकते हैं। - Sweta Chakraborty, Spiritual Psychologist - 9810893335


उपचार युगऋषि परम् पूज्य गुरुदेव और माता गायत्री करते हैं, निमित्त केवल हम बनते हैं। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से यह नहीं कहा था कि तुम माला जपो और हम तुम्हारे बदले युद्ध  तुम्हारा लड़ेंगे, उन्होंने कहा हे अर्जुन उठो! अपना युद्ध स्वयं लड़ो। 


ऐसे ही हम आपके जीवन का युद्ध नहीं लड़ेंगे और न ही कोई दूरस्थ हीलिंग रेकी आपके लिए करेंगे। हम गुरुदेव की लिखी आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक पुस्तको से पढ़कर मंथन करके आपको आपकी समस्या का समाधान गुरु का निमित्त बनकर आपको बताएंगे। आपको अपनी हीलिंग रेकी खुद करनी है, अपना युद्ध स्वयं लड़ना होगा। बताई गई विधि से स्वयं को ठीक करने की जिम्मेदारी स्वयं उठानी होगी। हम निःशुल्क काउंसलिंग करते हैं, युगतीर्थ शान्तिकुञ्ज और गायत्री तपोभूमि मथुरा या अन्य सेवा कार्य में आप जल्दी ठीक होने हेतु पुण्य अर्जन हेतु स्वेच्छा से दान कर सकते हैं।


🙏🏻हमारी जन सेवा-मानवसेवा का कोई शुल्क नहीं हैं🙏🏻


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...