Monday 30 October 2023

लोभमुक्त होंगे, तभी जीवन के सही निर्णय ले सकोगे...

 कभी कमी चेहरे पर होती है,

गुस्सा हम दर्पण पर निकालते हैं,

कभी धूल दर्पण पर होती है,

धब्बे हम चेहरे के छुड़ा रहे होते हैं...

कभी दर्पण तो कभी चेहरे में कमी हो सकती है,

मात्र विवेकदृष्टि से ही समस्या हल हो सकती है...


स्कूल हमें सही और ग़लत में,

सही चुनने की सीख देता है,

किस्मत हमें,

कभी सही और गलत में कुछ चुनने का अवसर नहीं देता..

वो तो...

दो ग़लत में से किसी एक को चुनने को कहता है,

दो सही में से किसी एक को चुनने को कहता है...


सद्गुरु ही बताते हैं कि यदि विवशता पड़े तो..

दो ग़लत में से कम ग़लत को चुनो,

दो सही में से ज्यादा सही को चुनो...


लोभ पाप का पिता है,

लोभ को छोड़ोगे,

तभी रोग शोक से मुक्त हो सकोगे

तभी पाप से मुक्त हो सकोगे...

लोभमुक्त होंगे,

तभी जीवन के सही निर्णय ले सकोगे...


मन के दर्पण में,

स्वयं के अस्तित्व को देखते चलो,

दूसरे को जीतने से पहले,

ख़ुद के मन को जीत लो,

दूसरों को सुधारने से पहले,

ख़ुद को सुधार लो...

बदलाव चाहते हो तो,

तो उसकी शुरुआत स्वयं बदल के कर लो..


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत

बारिश की बूंदें

 बारिश की बूंदें,

आशिकों में रोमांस जगा देती हैं,

एक दूसरे के साथ में,

प्यार का अहसास जगा देती हैं...


वही बारिश की बूंदें,

ग़रीब को और ज्यादा रुला देती हैं,

टपकती छत और उड़ते खप्पर,

बेबसी का अहसास जगा देती हैं...


वही बारिश की बूंदें,

सन्तो को ध्यानस्थ बना देती है,

प्रत्येक बूंद और कण-कण में

ईश्वर के होने का अहसास जगा देती हैं... 


वही बारिश की बूंदे,

किसान में खुशी की लहर दौड़ा देती है,

मिट्टी में पड़ती बूंदे,

फ़सल अच्छी होने का अहसास करा देती है...


वही बारिश की बूंदे,

कुम्हार को निराश कर देती हैं,

कच्चे मिट्टी के बर्तन न सूखेंगे,

यह अहसास करा देती हैं....


बूंदे तो वही हैं,

किंतु मनःस्थिति और स्थिति सबकी भिन्न है,

इसलिए सबके अनुभव भिन्न भिन्न है,

बूंदों की तरह यह दुनियां भी है,

मनःस्थिति और परिस्थिति अनुसार,

किसी को अच्छी और किसी बुरी लगती है।


मनःस्थिति बदलो और मन में साहस का संचार करो, 

परिस्थिति को बदलने के लिए अपेक्षित पुरुषार्थ करो,

इस दुनियां को दोष मत दो,

खुद को बदलने की ओर ध्यान दो....


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत

Sunday 29 October 2023

मेरा सुपरहीरो कौन? हनुमानजी

 मेरा सुपरहीरो कौन?


(पिकनिक में मिडिल स्कूल के बच्चों का ग्रुप एक हिल स्टेशन जाता है, वहां पर मैडम पूँछती हैं कि किस बच्चे का सुपर हीरो कौन है और आप किसके फैन हो? कुछ बच्चे सुपर मैन, कुछ बैट्समैन, कुछ स्पाईडर मैन और कुछ अन्य का नाम लेते हैं। एक बच्चा रवि कहता है कि मेरे सुपर हीरो - हनुमानजी हैं और मैं उनका सबसे बड़ा फैन हूँ। सभी अपने अपने तर्क देते हैं कि मेरा सुपर हीरो सबसे ताकतवर है, तब रवि अपना तर्क देता है)


रवि -  ने कहा


1- मैडम जी इन सबके सुपर हीरो काल्पनिक हैं, मगर मेरे सुपर हीरो हनुमानजी जी रियल हैं। प्राचीन समय का इतिहास काव्य के रूप में लिखा जाता था। रामायण और राम चरित्र मानस इत्यादि में हनुमानजी का विवरण हैं।


2- इनके सुपर हीरो को याद करके डर इनका दूर नहीं भागता और मन में साहस नहीं जगता। हमारे सुपर हीरो हनुमानजी को आप याद करो डर भी दूर भागता है और साहस भी जागता है।


3- हमारे हनुमानजी की चालीसा है, जिसमें सूर्य और पृथ्वी की सटीक दूरी वर्णित है। 


4- हमारे हनुमानजी सुमद्र पार किया, संजीवनी के लिए पहाड़ उखाड़ लिया, पाताल में अहिरावण राक्षस को मारा और धरती में तो अनेकों दुष्ट राक्षसों को मारा।


5- हमारे सुपर हीरो हनुमानजी के हज़ारों मंदिर हैं। करोड़ो फैन अर्थात भक्त हैं।


6- हनुमानजी के भक्त अर्थात हम जैसे फैन को समर्थ गुरु रामदास जी ने कहा है कि ध्यान-स्वाध्याय से बुद्धि बढ़ाओ और योग व्यायाम से शरीर को बलवान बनाओ। क्योंकि हनुमानजी के फैन अर्थात भक्त को उनकी तरह अतुलितबलधामं और गुणों की खान होना चाहिए।


7- हमारे सुपर हीरो हनुमानजी की 100 बार चालीसा को यदि आप सच्चे मन से पढ़ोगे या सुनोगे तो आप हनुमान जी की शक्तियों और उनकी उपस्थिति को महसूस भी कर सकोगे।


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत

हनुमानजी, हम बच्चों के तुम ही सुपर हीरो हो,

 हम बच्चों के तुम ही सुपर हीरो हो, 

सर्व शक्तिशाली हनुमान! तुम ही असली हीरो हो,

हम बच्चों के तुम ही आईडल हो,

तुम सा बनने की ही हमारी चाहत है ...


समुद्र को लांघ कर तुमने पार किया,

रावण की लंका को जला कर तुमने खाक किया,

संजीवनी लाकर लक्ष्मण जी के प्राण तुमने बचाये,

पूंछ में लपेटकर राक्षसों का नाश तुमने किया...


कभी गदा से कभी मुट्ठी से,

कभी पूंछ से कभी रस्सी से,

दुष्ट राक्षसों को तुमने अच्छा सबक सिखाया,

राक्षसों को मार मार कर धरती से भगाया...


गुणों के सागर तुम पवनपुत्र हनुमान हो,

असम्भव को सम्भव तुम ही करते हो,

तुम्हारा नाम लेने से सारा डर भाग जाता है,

मन में ढेर सारा साहस जाग जाता है...


हे हनुमानजी! हम पर भी कृपा कर दो,

हमें भी अपने जैसा बुद्धिमान बना दो,

ढेर सारा साहस हममें भर दो,

हमें भी पुरुषार्थी अपने समान बना दो...


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत

सुपर हीरो हैं, मेरे हनुमानजी

 सुपर हीरो हैं, मेरे हनुमानजी,

चुटकियों में करते वो, असम्भव को संभव जी...

सुपर हीरो हैं मेरे हनुमानजी...

अतुलित बल के धाम हैं मेरे हनुमानजी,

गुणों और बुद्धि के खान हैं मेरे हनुमानजी...

सुपर हीरो हैं मेरे हनुमानजी...


देवों के देव महादेव के हैं वो अवतार जी,

श्रीराम के भक्त हैं पवनपुत्र हनुमानजी जी,

माता अंजनी के पुत्र हैं केसरी नंदन जी,

सदा सन्तो की रक्षा करते हैं मेरे हनुमान जी..

सुपर हीरो हैं मेरे हनुमानजी...


समुद्र पार कर, माता सीता की खोज कर लाये हनुमानजी जी,

लंका को जलाकर, ख़ाक कर आये हनुमानजी जी,

संजीवनी बूटी का पहाड़, उठा लाये हनुमानजी,

मूर्छित लक्ष्मण जी का प्राण, बचाये हनुमानजी...

सुपर हीरो हैं मेरे हनुमानजी..


एक हाथ से दुष्ट राक्षसों को मारते हैं हनुमानजी,

दूसरे हाथ से सन्त जनों को तारते हैं हनुमानजी,

अतुलित बल के धाम हैं मेरे हनुमानजी,

गुणों और बुद्धि के खान हैं मेरे हनुमानजी...

सुपर हीरो हैं मेरे हनुमानजी...


हनुमानजी की चालीसा जब पाठ करते हैं,

सच्चे मन से जब हनुमानजी का ध्यान करते है,

तब वीरता साहस से मन भर जाता है,

जीवन का सारा डर चुटकियों में भाग जाता है,

जीवन युद्ध लड़ने की हिम्मत मिलती है,

हनुमानजी की भक्ति से बहुत शक्ति मिलती है...


सुपर हीरो हैं मेरे हनुमानजी,

अतुलित बल के धाम हैं मेरे हनुमानजी,

गुणों और बुद्धि के खान हैं मेरे हनुमानजी...

सुपर हीरो हैं मेरे हनुमानजी...


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत

Saturday 28 October 2023

हे राम! जय श्रीराम! तुम से ही है, सनातन संस्कृति की शान,

 हे राम! जय श्रीराम!

तुम से ही है, सनातन संस्कृति की शान,

तुम ही हो मर्यादा पुरुषोत्तम, हे श्रीराम,

तुम ही हो देवों में उत्तम, हे जानकी नाथ..


हे राम! जय श्रीराम!

तुम से ही है सनातन संस्कृति की शान...


भक्ति तुम्हारी, शक्ति से भर देती है,

भक्ति तुम्हारी, दुःख दर्द हर लेती है,

नाम तुम्हारा, बिगड़े काम बना देता है,

नाम तुम्हारा, सारे डर भगा देता है...


हे राम! जय श्रीराम!

तुम से ही है सनातन संस्कृति की शान...


हमें अपनी शरण में ले लो,

मर्यादा - साहस के गुण दे दो,

रावण राज मिटा के, 

राम राज्य स्थापित करने का बल दे दो..


हे राम! जय श्रीराम!

तुम से ही है सनातन संस्कृति की शान..


हे राम! तेरा चरित्र मेरे मानस में उतर जाए,

हे राम! मेरे व्यक्तित्व में, बस तू ही तू नज़र आये,

राम भक्त मेरी पहचान बन जाये,

राम नाम की मणि से मेरा जीवन रौशन हो जाये..


हे राम! जय श्रीराम!

तुम से ही है सनातन संस्कृति की शान..


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत

Friday 27 October 2023

फ़ैशन, व्यसन और नशे में, देश का युवा तबाह हो रहा,

 फ़ैशन, व्यसन और नशे में,

देश का युवा तबाह हो रहा,

देश का युवा बर्बाद हो रहा है...

भारतीय संस्कृति नष्ट हो रही है,

परिवार व्यवस्था ध्वस्त हो रही है..


आँख की शर्म मर गई है,

लज्जा हया कहीं गुम सी गई है,

संस्कारों की चिता जल गई है,

संस्कृति की अर्थी निकल गई है...


पाश्चात्य के अंधानुकरण में,

लड़कियां अर्ध नग्न घूम रहीं हैं,

फ़िल्म विज्ञापन के अंधानुकरण में,

युवा पीढ़ी नशे में मदहोश हो रही है...


वह देश विश्वगुरु कैसे बनेगा,

जिस देश का युवा नशे में बदहवास घूमेगा,

वह देश शशक्त कैसे बनेगा,

जिस देश का युवा नशे से खोखला होता रहेगा...


लव इन फर्स्ट साईट,

डिवोर्स इन फर्स्ट फाइट,

टूटते रिश्ते बिखरते परिवार,

ऐसे में बच्चे को कहां से मिलेगा आदर्श परिवार और संस्कार?


लिव इन का भूत सर चढ़ रहा है,

अनाथ नाज़ायज बच्चों के जन्म का कारण बन रहा,

युवा अब डरपोक - कायर बन रहा है,

आज़ादी के शब्द की आड़ में परिवार की जिम्मेदारी से डर रहा है...


प्यार का बंधन अब युवाओं को नहीं चाहिए,

पशुवत रहना और पशुवत इन्हें व्यभिचार चाहिए,

नशे में डूबकर स्वप्न की दुनियां में रहना चाहते हैं,

हकीकत की दुनियां से इन्हें छुटकारा चाहिए...


इनकी पाशविक प्रवृत्तियों को रोकना होगा,

देश को बर्बाद होने से बचाना होगा,

व्यसन, फैशन और नशे के विरुद्ध आंदोलन करना होगा,

सभी को मिलकर पुनः राम राज्य लाना होगा...


मर्यादा की पुनः स्थापना करनी होगी,

सद्बुद्धि हेतु स्वाध्याय सत्संग घर घर करना होगा,

सोई चेतना को जगाने हेतु,

विचार क्रांति अभियान को और भी अधिक गति देना होगा।


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत

Thursday 26 October 2023

तुम्हारे रुकने से, दुनियां नहीं रुकती

 तुम्हारे रुकने से,

दुनियां नहीं रुकती,

तुम्हारे ठहरने से,

दुनियां नहीं ठहरती...


यदि तुम आगे नहीं बढ़ रहे,

तो समझो तुम उन सबसे पीछे हो रहे हो,

जो अनवरत चल रहे हैं,

कुछ न कुछ नित्य बेहतर कर रहे हैं...


मंज़िल बड़ी हो या छोटी,

छोटे छोटे कदमों से अनवरत चलकर मिल ही जाती है,

दिशा सही हो, नीयत सही हो,

मेहनत अपना रंग जरूर दिखाती है...


जीवन में सफलता के लिए,

जड़ विज्ञान का तेज़ वाहन भी चाहिए,

चैतन्य अंतरात्मा द्वारा दिखाई सही दिशा धारा भी चाहिए,

अन्यथा बिन चैतन्यता के ग़लत मंजिल पर जल्दी पहुंच जाओगे,

सिर धुनोगे और बहुत पछताओगे....


जीवन की सफलता की दो कुंजी है जान लो,

एक पुरुषार्थ और दूसरा अध्यात्म ज्ञान मान लो,

जब अध्यात्म और पुरुषार्थ दोनों का जीवन मे समावेश होगा,

तभी उज्ज्वल भविष्य का सपना आपका साकार होगा...


💐लेखिका - श्वेता चक्रवर्ती

अखिल विश्व गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत

लापरवाही को भूल का नाम न दो,

 लापरवाही को भूल का नाम न दो,

हंसकर अपनी लापरवाही को टाल न दो,

बूंद बूंद से सागर बनता है,

छोटी छोटी लापरवाही से आप लापरवाह बनते हो...


घर में हो या जॉब व्यवसाय में हो,

मदहोश लापरवाह मत बनो,

होशपूर्वक जियो और जो कर रहे हो,

उसे दो बार जांच अवश्य लो...


अपने कार्य में हुनर मंद बनो,

अपने जॉब व्यवसाय से सम्बन्धी कुछ नित्य पढ़ो,

रोज़ रोज़ कल से आज बेहतर बनो,

अपने को नई चुनौतियों के लिए तैयार करो...


स्वयं के द्रोणाचार्य स्वयं बनो,

अपने भीतर के अर्जुन को तैयार करो,

लक्ष्य पर जीवन केंद्रित करो,

कोयले से हीरा बनने की राह पर आगे बढ़ो...


💐लेखिका - श्वेता चक्रवर्ती

अखिल विश्व गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा

समय नदी के जल की तरह है

 समय नदी के जल की तरह है,

वह कभी अच्छा और कभी बुरा नहीं होता,

वह तो बस अनवरत बहता है,

कभी एक जगह टिकता नहीं है...


समय अच्छा हो या बुरा,

टिकेगा तो दोनो नहीं,

अच्छे पल में अहंकार मत करो,

बुरे पल में विषाद मत करो,

बस धैर्य रखो, पल तो दोनों ही ठहरेंगे नहीं...


स्थित प्रज्ञ बनो और जीवन साक्षी भाव से जियो,

निमित्त बनो और कर्ता भाव का त्याग कर दो,

जो ठीक कर सकते हो वह ठीक कर दो,

जो तुम्हारे बस का नहीं उसे सहजता से स्वीकार कर लो...


समय की नदीं में साधक कभी डूबता नहीं,

क्योंकि "मैं" डुबोता है और "तू ही तू" तिरा देता है,

कर्ता भाव रुलाता है, निमित्त भाव विषाद मुक्त करता है,

स्वयं को मालिक की कुर्सी से उतार दो,

उसमें ईश्वर को बिठा दो,

उसकी ईच्छा को स्वीकार लो,

आनन्द परमानन्द की नाव में बैठकर,

समय का भव सागर पार कर लो....


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

दिल धड़कने दो, साथ में दिमाग़ भी चलने दो

 दिल धड़कने दो,

साथ में दिमाग़ भी चलने दो,

प्यार में पड़ने से पहले,

खुद को थोड़ा सा होश में रहने दो...


क्या बैशाखी सपोर्ट पर हो,

पिता के पैसे से ऐश पर हो,

तो प्यार में पड़ने से पहले,

ख़ुद को आत्म निर्भर बनने दो...


तुम कोयला हो या हीरा,

ख़ुद को ख़ुद की पहचान करने दो,

चमड़ी के रूप रंग के आधार पर,

ख़ुद को प्यार में मत पड़ने दो...


रूप रंग का आशिक़,

तुमसे बेहतर ऑप्शन मिलने पर तुम्हें छोड़ देगा,

तुम्हारे धन की प्रेमिका,

तुमसे अधिक धनी मिलने पर तुम्हें छोड़ देगी...


उससे प्रेम करना,

जो तुम्हें तुम्हारी कमियों के साथ स्वीकार करे,

रूप रंग धन से ऊपर,

तुम्हारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व को अंगीकार करे...


असली प्यार को समझने के लिए,

पहले ख़ुद प्रबुद्ध(मैच्योर) बनो,

दुनियादारी को समझो,

ख़ुद में दूर दृष्टि विकसित करो...


बिना बुद्धि के परिपक्व हुए,

कच्चे घड़े में प्रेम-प्यार का जल मत भरो,

स्वयं होशपूर्वक बुद्धिमानी से जियो,

होशपूर्वक बुद्धि से प्रेम करो...


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

स्वार्थी नहीं अपितु परमार्थी मां बनो

 आजकल की मां...

मां स्वार्थी होती है,

अपने बच्चे के लिए...

वह नीति नियम भूल जाती है,

अपने बच्चे के लिए...


दूर रहकर भी बच्चे की भूख का आभास कर लेती है,

बिन बोले भी उसकी ज़रूरत समझ लेती है,

दुनियां से अपने बच्चे के लिए लड़ लेती है,

अपना सारा प्यार दुलार उसी पर लुटा देती है..


पास रहकर भी घर के बुजुर्ग की भूख का आभास नहीं करती,

बोलने पर भी उसकी जरूरत नहीं समझती,

थोड़ी सी सेवा भी बुजुर्गों की अखरती है,

थोड़ा सा प्यार से बोलने में भी उसकी जुबान थकती है...


कुछ भी कर गुजरती है,

अपने बच्चे के लिए...

हाँ झूठ भी बोल देती है,

अपने बच्चे के लिए...


नीति नियम तोड़ देती है,

अपने बच्चे के लिए,

खुद के अस्तित्व को भूल जाती है,

अपने बच्चे के लिए...


जब बच्चा बड़ा होता है...

वह भी अपनी मां की तरह स्वार्थी हो जाता है,

अपने बच्चे के लिए...

वह भी मां के नक्शे कदम पर चलकर,

स्वार्थी बनता है सिर्फ अपने बच्चे के लिए..

समय नहीं निकालता बड़े बुजुर्गों के लिए...


यदि माँ बच्चे के साथ साथ,

अपने माता पिता और सास ससुर पर भी,

थोड़ा प्यार और सेवा लुटायेगी,

तभी वह अपने बच्चे से भी,

बदले में प्यार और सेवा पाएगी...


परमार्थ और निःस्वार्थ सेवा के गुण,

बच्चे देखकर ही सीखते हैं,

केवल अपने बच्चों से प्रेम स्वार्थ में करोगे

और अपने बुजुर्गों की सेवा से मुंह मोड़ोगे तो...

आपके बच्चे भी बड़े होकर,

वो भी केवल अपने ही बच्चों पर प्यार लुटाएंगे,

आपको वृद्ध होने पर वृद्धाश्रम छोड़ आएंगे...


मां हो प्यार के साथ संस्कार और सेवा भी बच्चे में जगाओ,

ख़ुद भी जागो और इन्सानियत अपनाओ,

बच्चे में भी अच्छे संस्कार जगाओ,

प्रेम परमार्थ और सेवाभाव महत्त्व सिखाओ..


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Tuesday 3 October 2023

कायर बनना है या बहादुर, तुम्हारा निर्णय ही तुम्हारी नियति तय करेगी....

 *कायर बनना है या बहादुर, तुम्हारा निर्णय ही तुम्हारी नियति तय करेगी....*


असल जीवन शुरू होता है,

जब डर का अंत होता है,

दिल आज़ाद महसूस करता है,

जब डर का अंत होता है...


मौत और बीमारी से डरो नहीं,

जब तक जीवन है, मजबूती से लड़ो,

शत्रु और विपरीत परिस्थितियों से डरो नहीं,

जब तक अंतिम श्वांस है, मजबूती से लड़ो...


भीतर साहस जगाओ, 

स्वयं की शक्तियों को पहचानों,

जब तक जीवन शेष है,

योद्धा बनने की ठानो...


डर डर कर मर मर कर जीना छोड़ दो,

साहसी बनकर जीवन युद्ध लड़ना शुरू कर दो,

हार जीत की परवाह मत करो,

लोग क्या कहेंगे यह मत सोचो...


सैनिक की तरह सोचो,

योद्धा की तरह जीवन जियो,

हार जीत की परवाह किये बिना,

बेख़ौफ़ जीवन युद्ध लड़ो....


मृत्यु तो एक दिन सबको आनी है,

बस फ़र्क यह होगा,

कोई कायर की मौत मरा,

कोई बहादुरी के साथ लड़कर शहीद हुआ...


जीवन में तो संघर्ष सबके है,

बस फ़र्क यह है,

कोई कायरता में घुटने टेक दिया,

कोई बहादुरी से जीवन योद्धा बन गया...



🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...