Sunday 25 February 2024

नशा भारत छोड़ो

 ***नशा भारत छोड़ो, मुंबई अश्वमेध यज्ञ का संकल्प***


जीवन को अमृत रहने दो,

इसमें नशे का विष मत घोलो,

खुद को होश में अपने पैरों पर खड़ा रहने दो,

नशें में मदहोश हो मत लड़खड़ाने दो...


फिल्म टीवी सीरियल विज्ञापन एजेंसी को,

नशे के व्यापारी पैसे देते हैं,

प्रत्येक फिल्म हो या सीरियल,

नशा करते हुए हीरो हिरोइन को दिखाते हैं...


बड़े बड़े क्रिकेटर और फिल्म के एक्टर,

जो अपने बच्चों की फिटनेस पर ध्यान देते हैं,

वह पैसे लेकर ईमान अपना बेंच देते हैं,

दूसरों के बच्चों को,

नशा हेतु उकसाने वाले विज्ञापन करते हैं...


जो नशा का विज्ञापन करे,

उन क्रिकेटर और फिल्म एक्टर का बहिष्कार करें,

इनके भ्रामक मिस लीडिंग विज्ञापन से बचें,

सद्बुद्धि जागृत कर नशे का सार्वजनिक तिरस्कार करें...


आओ मिलकर संकल्प लें,

खुद को नशे से दूर रखेंगे ही,

कम से कम पांच और नशे में फंसे लोगों को भी,

नशामुक्त करने का हर संभव प्रयास करेंगे..


~विचारक्रांति, 

गायत्री परिवार गुरुग्राम हरियाणा

Tuesday 20 February 2024

स्वयं में देवत्व जगा के धरती को स्वर्ग सा सुंदर बनाओ

 **स्वयं में देवत्व जगा के धरती को स्वर्ग सा सुंदर बनाओ**


दृश्य का महत्त्व तभी है,

जब मनुष्य के पास दृष्टि हो..

जीवन में व्यवस्था तभी है,

जब मनुष्य के पास सद्बुद्धि हो..

सांसारिक जंगल में भी मंगल तभी है,

जब हृदय में आनंद और असीम शांति हो...


अंतर्दृष्टि विकसित करो,

जीवन देवता की साधना करो,

जप-स्वाध्याय से सद्बुद्धि बढ़ाओ,

ध्यान-तप से हृदय में आनंद और शांति पाओ...


एक कदम तपोमय जीवन की ओर बढ़ाओ,

स्वयं में सुधार और सकारात्मक बदलाव लाओ,

सतयुग की वापसी में अहम भूमिका निभाओ,

स्वयं में देवत्व जगा के धरती को स्वर्ग सा सुंदर बनाओ..


*विचारक्रांति, गुरुग्राम गायत्री परिवार

तू परमात्मा है, मैं शाश्वत आत्मा हूं, यही सत्य है, हां यही संबंध है अटूट.

 तू मेरा है, मैं तेरा हूं,

यही सत्य है, बाकी सब है झूठ,

तू परमात्मा है, मैं शाश्वत आत्मा हूं,

यही सत्य है, हां यही संबंध है अटूट...


मछली जल में, जल मछली में,

फिर मछली कैसे प्यासी हो सकती है?

परब्रह्म मुझमें, मैं परब्रह्म में,

फिर मैं उसकी अनुभूति से अभी भी वंचित क्यों हूं?


माया के परदे को गिराना है,

उसे स्वयं के भीतर ही पाना है,

जागना है स्व चेतना को जगाना है,

बूंद हूं अब उस सागर में ही मिल जाना है...


बाहर नश्वर है भ्रम का मायाजाल है,

भीतर शाश्वत है, सत चित आनंद का वास है,

नेत्र बंद कर ध्यान मुद्रा में बैठना,

सतत ध्यान अभ्यास से अब उसे स्वयं के भीतर ही पाना है...


**विचारक्रांति,  गायत्री परिवार गुरुग्राम

जीवन एक संग्राम है

 ***जीवन एक संग्राम है***


जीवन एक संग्राम है,

यहां आराम हराम है,

प्रतिपल सतर्कता अनिवार्य है,

यहां संगठन अनुशासन अनिवार्य है...


सावधानी हटने से,

दुर्घटना घट जाएगी,

जीवन की पटरी से,

गाड़ी उतर जाएगी...


स्वाद संयम यदि बिगड़ गया,

ध्यान योग यदि नियमित न रहा,

रोग दुर्गुण से शरीर भर जाएगा,

जीवन से जीवंतता बिखर जायेगा...


यह युद्ध देवत्व और असुरत्व का है,

युद्ध भीतर उठ रही विचारधारा का है,

कोई बाहर से प्रलोभन जब देगा,

उस प्रलोभन का अस्वीकरण मनोबल से ही हो सकेगा..


युद्ध प्रतिपल चल रहा है,

टीवी विज्ञापन सोशल मीडिया में,

असुरत्व विचारधारा हावी है,

असुरत्व का सर्वत्र मायाजाल है,

क्या ज्ञान की मशाल हमारे पास है?

क्या तपवल ज्ञानबल हमारे पास है?


युद्ध को जीतना है तो तैयारी करो,

चैतन्य होशपूर्वक रहने का अभ्यास करो,

नित्य स्वाध्याय करके ज्ञान की मशाल प्रज्वलित करो,

इस युद्ध को अपने ज्ञानबल तपबल से नित्य जीतते रहो..


इस युद्ध में कभी विराम न होगा,

जब तक सांस है तब तक लड़ना पड़ेगा,

योगी योद्धा हम सबको बनना पड़ेगा,

सृजन सैनिक बन अनवरत लड़ना पड़ेगा...


* विचारक्रांति, गायत्री परिवार गुरुग्राम हरियाणा

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...