Wednesday 8 November 2023

ख़ुद को तलाशने में व्यस्त हूँ।

 मदहोशी में जी रहा था,

क्योंकि दुसरो को देखने मे व्यस्त था,

होश में जब से आया हूँ,

तब से ख़ुद को तलाशने में व्यस्त हूँ।


मैं कौन हूँ? कहाँ से आया हूँ? 

अन्न से बने इस शरीर में कैसे समाया हूँ?

घटते बढ़ते, जवान से बूढ़े होते इस नश्वर शरीर में,

कितने समय के लिये रहने आया हूँ?


यह नश्वर शरीर मैँ नहीं हूँ,

मगर यह शरीर मुझसे ही जीवित है,

यह मन मैं नहीं हूँ,

पर यह मन मेरी ही ऊर्जा से चलित है।


बड़ा आश्चर्य है कि मुझे मेरा ही परिचय पता नहीं है,

शरीर रूपी वस्त्र के नामकरण से जाना जाता हूँ,

जब तक मेरा नामकरण नहीं हुआ था,

तब भी मेरा अस्तित्व था और नामकरण के बाद भी है...


हाँ अब मैं खुद की तलाश में हूँ,

अब मैं ख़ुद को ही शरीर से परे देख रहा हूँ,

शरीर से भिन्न अपनी सत्ता महसूस कर रहा हूँ,

हाँ मैं मेरा परिचय जानने में धीरे धीरे कुछ सफ़ल हो रहा हूँ..


💐श्वेता चक्रवर्ती, 

गायत्री परिवार, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत

Sunday 5 November 2023

विषय - युग साहित्य की बढ़ी हुई कीमत,

 विषय - युग साहित्य की बढ़ी हुई कीमत,


आत्मीय भाइयों एवं बहनों,

आप सभी को सादर प्रणाम

युग साहित्य और मंत्र लेखन की बढ़ी हुई कीमत से काफ़ी परिजन व्यथित हैं, किंतु उनके उत्साह और उमंग में कमी नहीं आई है। 

भाईयो बहनों यदि आप किसी प्रिटिंग प्रेस के बंदे और कागज व्यवसायी से बात करेंगे तो आपको पता चलेगा कि कागज के रिम की कीमत बहुत बढ़ गई है, इसलिए इंक और उससे जुड़े सामान भी महंगे हो गए हैं। अतः गायत्री तपोभूमि मथुरा और युगतीर्थ शांतिकुंज आज भी प्रकाशन के मूल्य पर कोई भी लाभ नहीं ले रहे हैं, जो पुस्तक का प्रिंटिंग खर्च है बस वही किताबों का मूल्य है। 


हमने अभी बाहर से दिल्ली से अपनी लिखी दो पुस्तक(यज्ञ विषयक शंका समाधान और गर्भस्थ शिशु की इनर इंजीनियरिंग) प्रिंट करवाई हैं अतः मुझे मार्किट में प्रिंटिंग खर्च कितना चल रहा है पता किया है, बहुत महंगा हो गया है। साथ ही गायत्री परिजन जिनके शहर और ग्राम में प्रिंटिग का काम है उनसे पता किया है, कागज, इंक, पिन, ग्लू इत्यादि सब प्रिटिंग के सामान का मूल्य डबल महंगा हो चुका है। अतः इस सत्य से आपको हम अवगत करवा रहे हैं।


 महंगाई आप सब जानते हैं बहुत बढ़ गई है। खाने पीने की वस्तु से लेकर घर के सभी सामानों के बढ़े हुए मूल्य, बस ट्रेन और ऑटो के बढ़े हुए किराए, डीजल पेट्रोल इत्यादि के बढ़े हुए दाम के आप सभी स्वयं साक्षी हैं।


हम सभी क्षेत्रों में कार्य कर रहे भाई बहनों को युग साहित्य विस्तार में नए उत्साह उमंग से तेजी से कार्य करना है। यह अनमोल युग साहित्य खज़ाना घर घर पहुंचाना है। यह मूल्य बढ़ने से व्यथित होने का समय नहीं है, अपितु इस परिवर्तन को स्वीकार करके और अधिक उत्साह उमंग से युग साहित्य विस्तार में काम करने का समय है। आप सभी समझदार हैं, आप सबका गुरु के प्रति श्रद्धा समर्पण हमसे कहीं अधिक है। आप सब ज्ञान के सूर्य हैं और हम आपको दीपक दिखाने की धृष्टता कर रहे हैं। आप सभी समझदार भाई बहनों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। उसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।


🙏आपकी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

+91 9810893335

गायत्री परिवार, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत

हम सब वैचारिक गुलाम बन गए हैं, दूसरों के हाथ में अपना रिमोट सौंप दिए

 हम सब वैचारिक गुलाम बन गए हैं,

दूसरों के हाथ में अपना रिमोट सौंप दिए हैं,

हां हम सब वैचारिक गुलाम बन गए हैं,

दूसरों के हाथ अपना रिमोट सौंप दिए हैं..


जो भी मन में विचार चल रहा हैं,

ज़रा ध्यान से देखो, वह बाहर से मन के भीतर आ रहा है,

कोई भी विचार अपना कहां हैं?

कोई भी चिंतन ख़ुद में पनपा कहां है?


त्यौहार कैसे मनेगा? यह विज्ञापन बता रहे हैं,

घर में क्या खरीदें? ये दूसरे बता रहे हैं,

कपड़े क्या पहने? यह भी विज्ञापन टीवी सीरियल बता रहे हैं,

परिवार कैसे तोड़े? इसके गुण टीवी सीरियल सिखा रहे हैं?


हमारे हाव भाव चलन को, 

फ़िल्म के एक्टर एक्ट्रेस प्रभावित कर रहे हैं...

दुनियां भर के शकुनी,

हमारी युवा पीढ़ी को नशे में जकड़ रहे हैं...


जागो! ज़रा होशपूर्वक विचार करो,

वैचारिक गुलामी से स्वयं को आजाद करो,

नित्य ध्यान स्वाध्याय का अभ्यास करो,

खुद में सही चिंतन और विवेक का जागरण करो..


भेड़ चाल फ़ैशन और व्यसन की मत चलो,

दूसरे के बहकावे में यूं ही मत बहको,

जो भी करो ज़रा सोच विचार करो,

अपने मन और विचार पर स्वयं का ही नियंत्रण स्थापित करो।


🙏श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत

Thursday 2 November 2023

हम पैसे को अहमियत दें या न दें, कलियुगी समाज में हमारी हैसियत पैसा ही तय करता है,

 हम पैसे को अहमियत दें या न दें,

कलियुगी समाज में हमारी हैसियत पैसा ही तय करता है,

भौतिक सुख साधन भी पैसे से मिलता है,

ज़रूरत का इलाज़ और दवा भी पैसे से ही मिलता है।


कलियुग में यज्ञ और पूजन में भी पैसा लगता है,

परोकार का कार्य भी बिन पैसे नहीं होता है,

पैसे का तिरस्कार न करें,

अपितु सदबुद्धि अपनाकर पैसे का सदुपयोग करें।


संतों ने पैसे का तिरस्कार किया,

तो पैसा दुर्जनों के पास चला गया,

दुर्जनों ने उसी पैसे के बल पर,

संतों पर अत्याचार किया।


स्वावलंबी लोकसेवी साधक बनें,

पैसे खूब कमाएं और लोकहित खर्च करें,

सनातन संस्कृति के रक्षार्थ,

अध्यात्म और आधुनिक शिक्षा वाले,

युगानुकूल गुरुकुल खोलें।


भारत को विश्वगुरु बनाना है तो,

भारत को आर्थिक सुदृढ़ता भी देनी होगी,

भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनाना होगा,

भारत में पुनः सनातन संस्कृति लौटाना होगा।


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत

गौ गंगा गीता गायत्री, इन्हीं से बनी है भारतीय सनातन संस्कृति,

 गौ गंगा गीता गायत्री,

इन्हीं से बनी है भारतीय सनातन संस्कृति,

धर्म अर्थ काम मोक्ष,

यही है भारतीय संस्कृति का स्तम्भ...


भारत को विश्व गुरु बनाना है तो,

घर घर गीता पाठ और त्रिसंध्या में गायत्री जप करना होगा,

भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनाना है तो,

गौ संवर्धन, गंगा संरक्षण और कृषि को समृद्ध बनाना होगा..


युवाओं की आधुनिक शिक्षा में,

अध्यात्म का मर्म सम्मिलित हो,

ब्रह्मचर्य और संयम की महत्ता,

प्रत्येक युवा को हृदय से स्वीकृत हो...


धर्म और अर्थ दोनों आवश्यक हैं,

यह समझ प्रत्येक जन जन में हो,

धर्म का पालन घर घर में हो,

अर्थ अर्जन में भी प्रत्येक स्वावलंबी हो...


गृहस्थ आश्रम प्रेम और सहकार भरा हो,

वानप्रस्थ आश्रम भी सेवा भावी हो,

सन्यास आश्रम मोक्षदायिनी हो,

जन जन सनातन संस्कृति प्रेमी हो...


वर्ण व्यवस्था कर्म आधारित हो,

जन्मजात जाति व्यवस्था अमान्य-अस्वीकृत हो,

जन जन को और उनके काम को सम्मान मिले,

प्रत्येक व्यक्ति को कमाने और जीने का अवसर मिले..


यही प्रार्थना है ईश्वर से....

स्वर्णिम भारत की पुनः स्थापना हो,

भारत पुनः विश्वगुरु के पद पर आसीन हो,

विश्व व्यापार में पुनः भारत का बोलबाला हो,

पुनः भारत सुखी समृद्ध वैभवशाली हो...


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत

कल के भुलावे में मत जियो,

 कल के भुलावे में मत जियो,

इस क्षण और इस पल में जियो,

बीते कल का रोना मत रोवो,

वो तो गुजर गया वापस न आएगा,

आने वाले कल की चिंता में मत जियो,

वो तो अभी आया ही नहीं है...


आज इस क्षण में जो कर रहे हो,

वही तुम्हारा बीता हुआ कल बनेगा,

आज इस क्षण में जो कर रहे हो,

वहीं तुम्हारे आने वाले कल का आधार बनेगा...


न बीते कल में सुख है, न हीं आने वाले कल में सुख है,

सुख तो इसी पल इसी क्षण में है,

यदि तुम होशपूर्वक जी रहे हो, स्थितप्रज्ञ हो,

तो तुम आनन्द में हो, क्योंकि तुम इस पल में चैतन्य हो..


तुम यदि किसी से कुछ पाने की अपेक्षा में हो,

तो तुम कल भी दुःखी थे, आज भी दुःखी हो 

और आने वाले कल में भी दुःखी ही रहोगे...

यदि तुम किसी से कुछ भी अपेक्षा नहीं रखते,

स्वयं पर और उस परम् पिता पर विश्वास रखते हो तो,

तो तुम कल भी सुखी थे, आज भी सुखी हो 

और आने वाले कल में भी सुखी ही रहोगे...


क्रोध मोह और लोभ के बंधन में तुम नहीं हो,

साथ ही इच्छाओं वासनाओं से परे हो तो,

जीवित रहते हुए ही तुम स्वर्ग में हो,

तुम बंधन मुक्त हो और तुम मोक्ष को प्राप्त हो..


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...