Monday 23 May 2022

यदि आप सृजन सैनिक बनना चाहते हैं तो...

 यदि आप सृजन सैनिक बनना चाहते हैं तो...नित्य कम से कम 3 माला ग़ायत्री और एक माला महामृत्युंजय मंत्र की जपें। सुबह की साधना में उगते सूर्य का ध्यान और शाम की साधना में पूर्ण चन्द्रमा का ध्यान करें। 5 बार नाड़ी शोधन प्राणायाम अवश्य करें साथ ही...


निम्नलिखित क्रम में स्वाध्याय करें


1- प्रत्येक ग़ायत्री परिवार के व्यक्ति को कम से कम तीन बार *अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार* पुस्तक पढ़नी चाहिए


2- *उपासना के दो चरण जप और ध्यान* और *सर्व समर्थ ग़ायत्री की सफल साधना* यह दोनो पुस्तक पढ़नी चाहिए


3- *गहना कर्मणो गति:*  तीसरे नम्बर पर पढ़े


4- *श्रीमद्भगवद्गीता* यह चतुर्थ क्रम में पढ़े, भगवान कृष्ण का संदेश अर्जुन बनकर सुने।


5- *प्रबंध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल* और *व्यवस्था बुद्धि की गरिमा* यह दोनो पुस्तक पांचवे नम्बर पर पढ़े।


6- *भाव संवेदना की गंगोत्री* , *परिवर्तन के महान क्षण* और *प्रार्थना जीवंत कैसे बनाएं?* पढ़िए


7- *शक्ति संचय के पथ पर* और *आगे बढ़ने की तैयारी* पढ़े


8- आठवें नम्बर पर पुस्तक पढ़े - *मैं क्या हूँ?* और *ईश्वर कौन है कहाँ है कैसा है?*


9- नवें नम्बर पर पढ़े हमारे सात आंदोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम


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कल्पना में सोचिए स्कूल में प्राइमरी तक के बच्चों के बीच बोलना हो तो आकर्षक ढंग से अध्यात्म कैसे सिखाएंगे? इस पर बोलिये और उसे लिख डालिये 


कल्पना में सोचिए स्कूल में मिडल स्कूल तक के बच्चों के बीच बोलना हो तो आकर्षक ढंग से अध्यात्म कैसे सिखाएंगे? इस पर बोलिये और उसे लिख डालिये 



कल्पना में सोचिए स्कूल में 8 से 12थ  तक के बच्चों के बीच बोलना हो तो आकर्षक ढंग से अध्यात्म कैसे सिखाएंगे, इसका मनोविज्ञान कैसे समझाएंगे? इस पर बोलिये और उसे लिख डालिये 


कल्पना में सोचिए कॉलेज के बच्चों के बीच बोलना हो तो आकर्षक ढंग से अध्यात्म कैसे सिखाएंगे, तर्क तथ्य प्रमाण कैंसे देंगे? इस पर बोलिये और उसे लिख डालिये 


कल्पना में सोचिए कॉरपोरेट के बीच बोलना हो तो आकर्षक ढंग से अध्यात्म कैसे सिखाएंगे, तर्क तथ्य प्रमाण कैसे देंगे? उन्हें अध्यात्म के लाभ कैसे सिखाएंगे? इस पर बोलिये और उसे लिख डालिये 


कल्पना में सोचिए सरल और आम लोगों बीच बोलना हो तो आकर्षक ढंग से अध्यात्म कैसे सिखाएंगे, भक्ति मार्ग पर उन्हें कैसे लाएंगे? इस पर बोलिये और उसे लिख डालिये 


खिलाड़ी मुख्य मैच खेलने से पहले ग्राउंड में नेट प्रैक्टिस करता है। ऐसे ही सृजन सैनिक को मुख्य कार्यक्रम में बोलने से पहले कई बार अकेले में और अपनो के बीच प्रैक्टिस करनी चाहिए।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

प्रायश्चित निष्काशन तप* जाने व अनजाने में अनियंत्रित मन की वजह से हुई गलती के लिए निष्कासन तप किया जाता है।

 *प्रायश्चित निष्काशन तप*


 जाने व अनजाने में अनियंत्रित मन की वजह से हुई गलती के लिए निष्कासन तप किया जाता है।


1- इस तप में 60 दिन शुद्ध सात्विक व्रत किया जाता है। सिंपल सेंधा नमक उपयोग कर बनी दाल(इसमें सब्जी भी डाल सकते हैं) और गेहूँ की रोटी। पेट भरना है जिह्वा को स्वाद नहीं देना है।


2- सवा लाख ग़ायत्री मन्त्र का जप और उगते सूर्य का ध्यान। जॉब करने वाले सूर्यास्त के बाद भी जप कर सकते हैं।


3- नाड़ी शोधन प्राणायाम


4- रविवार को यज्ञ और रविवार को व्रत, रविवार सफेद या पीला वस्त्र पहने


5- रात को सोते वक़्त चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र जप और पूर्णिमा के चन्द्रमा का ध्यान


6- प्रत्येक रविवार को अपने समस्त गुनाह, पाप और कड़वी यादें लिख दें, उसे भगवान के चरण में फोटो में स्पर्श करा दें, और उसे बाद में उसी समय जलाकर नष्ट कर दें। भगवान से माफ़ी मांगे।


7- प्रतिदिन 40 दिन स्वयं को पत्र लिखें, जो अच्छी आदत व विचार अपने अंदर चाहते है उसे लिखें। स्वयं का मार्गदर्शन स्वयं गुरु के प्रतिनिधि बनकर करें।


8- सोने से पूर्व निम्नलिखित प्रार्थना भगवान से करें


मां से शुभ रात्रि प्रार्थना

मां ! आप मेरी आत्मा में सदा सर्वदा से निवास करती हैं।


मेरा हाथ पकड़कर सदैव मुझको सुरक्षित रखती हैं।


*माँ मुझे अपने जैसा बना दीजिये, मुझमें भी करुणा और भाव संवेदना भर दीजिये। आप प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप है, माँ मुझे भी आप प्राणवान, दुःखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप बना दीजिये। मुझे बल पूर्वक सन्मार्ग पर चला दीजिये। मुझे भी अपने जैसा दैवीय गुण कर्म से ओतप्रोत कर दीजिए। मुझसे भी अपना कार्य करवा लीजिए।*


आप मुझे कृपा करके विवेक और भक्ति के मार्ग पर ले चलिए।


आप मुझे  काल्पनिक से  वास्तविक मार्ग पर,क्षणभंगुरता से स्थायित्व के मार्ग पर, तथा नश्वरता से अमरता के मार्ग पर ले चलिए। 


मां, मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं अपने आपको सांसारिक आसक्तियों से अलग करके अपने परम लक्ष्य तक पहुंच सकूं, तथा आपके परम प्रेममय राज्य में हमेशा- हमेशा के लिए आपके साथ रह सकूं, और निरंतर आपकी भक्ति और आशीर्वाद को प्राप्त करते हुए अपना जीवन धन्य कर सकूं।


9- प्रत्येक रात मृत्यु और प्रत्येक नया दिन एक नया जन्म माने।


सुबह उठकर निम्नलिखित सङ्कल्प लें


मैं भगवान की प्रतिनिधि बनकर यह जीवन जियूंगी


वही कार्य करूंगी जो ईश्वर को पसन्द हो


मैं आत्म कल्याण के साथ लोककल्याण भी करूंगी


अपनी योग्यता पात्रता बढ़ाकर स्वयं के जीवन और इस संसार को सुंदर व्यवस्थित बनाने का प्रयत्न करूंगी।


हे परमात्मा मुझे शक्ति सामर्थ्य दो, कि स्वयं को सुधार सकूं और आपके योग्य बना सकूं।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Tuesday 17 May 2022

50% डिस्काउंट - अमृत व जीवनोपयोगी साहित्य पर

 50% डिस्काउंट - अमृत व जीवनोपयोगी साहित्य पर


गुरु की सच्ची सेवा उनके विचार व उनके लिए युगसाहित्य को जन जन तक पहुंचाना है। आइए आप और हम मिलकर एक और एक ग्यारह हो जाएं, मिलकर यह अमृत व जीवनोपयोगी साहित्य जन जन तक पहुंचाएं। 


आपको मात्र 50% अमाउंट देना है और 50% अमाउंट और डाक खर्च हम और हमारे जैसे भाई बहन वहन करेंगे। 50% साहित्य मूल्य आपको ग़ायत्री तपोभूमि मथुरा के अकाउंट में ही जमा करना है।


साहित्य वह सभी आप खरीद सकते हैं जो भी ग़ायत्री तपोभूमि मथुरा से प्रकाशित होता है। साहित्य वही से भेजा जाएगा। कम साहित्य रजिस्टर्ड डाक से जाएगा और अधिक साहित्य ट्रांसपोर्ट से भेजा जाएगा। ऑर्डर देने के बाद 15 से 20 दिन लगते है मथुरा से आप तक साहित्य पहुंचने में लगेंगे।


साहित्य कम से कम 2,000(दो हज़ार) और अधिकतम 50,000(पचास हज़ार) तक का एक बार में ऑर्डर दे सकते हैं।


नोट:- मन्त्रलेखन पर 50% डिस्काउंट ऑफर उपलब्ध नहीं है, अतः मन्त्रलेखन पर मात्र 20% डिस्काउंट मिलेगा। किसी अन्य सामान जैसे कैलेंडर इत्यादि पर कोई डिस्काउंट नहीं है।


साहित्य खरीदने के लिए हमें whatsapp (श्वेता चक्रवर्ती - 9810893335) पर सम्पर्क करें।


आप 50% अमाउंट निम्नलिखित ग़ायत्री तपोभूमि के अकाउंट में ट्रांसफर कर दीजिये।


BANK NAME-I.O.B.BANK,

BRANCH NAME-YUG NIRMAN YOJANA  TRUST MATHURA,

A/C -144102000002021,

A/C NAME- YUG NIRMAN YOJANA  VISTAR TRUST, MATHURA

I.F.S.CODE NO.- IOBA0001441,


डोनेशन के बाद ऑनलाईन/ऑफलाइन स्लिप स्क्रीनशॉट के साथ निम्नलिखित ईमेल के साथ मथुरा में करें


मेरे द्वारा जमा किये अमाउंट से मैं श्वेता चक्रवर्ती (9810893335) को साहित्य खरीदने का अधिकार देता हूँ। जमा पर्ची इस ईमेल के साथ सलग्न है।


To -

Yug Nirma Yojna Mathura <yugnirman@yugnirmanyojna.org>

Cc- sweta.awgp@gmail.com

Monday 16 May 2022

कुंडली में गुरु ग्रह कमज़ोर हो तो घर गृहस्थी में अशांति और धन में घाटा होता है। सद्बुद्धि की कमी होंने लगती है।

 कुंडली में गुरु ग्रह कमज़ोर हो तो घर गृहस्थी में अशांति और धन में घाटा होता है। सद्बुद्धि की कमी होंने लगती है।


गुरुवार को यदि व्रत रहना सम्भव हो तो व्रत करे, यदि व्रत सम्भव न भी हो तो यह उपाय व्रत करने वाले व व्रत नहीं करने वाले दोनो करें।


कम से कम दो घण्टे का मौन व्रत रखें। गुरुवार के दिन महंगा सामान भी कोई तोड़ दे तो भी क्रोध न करें। क्रोध रूपी हिंसा नहीं करनी है। कड़वे वचन नहीं बोलने हैं।


 पीले वस्त्र पहन कर ग़ायत्री मन्त्र साधना, गुरुदेव का ध्यान और यज्ञ करें,  लाभ अवश्य होगा। उस दिन हल्दी दूध अवश्य पियो, और थोड़ी हल्दी व मलाई से चेहरे व हाथ पैर में लगाकर थोड़ी देर रखकर धो लो। 


चने की दाल व गुड़ गाय को खिलाओ। 


भुना चना और गुड़ भगवान को भोग लगाओ और स्वयं भी भुना चना गुड़ अच्छे से चबा चबा कर खाओ।


शाम को बेसन की रोटी खाओ तो उत्तम होगा। चावल भोजन में न लें।


कुछ अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय करो। मन्त्रलेखन करो।


निष्कासन तप करो, मन में परेशान करने वाली बातों को लिखो और उन्हें पढ़कर जलाकर नष्ट कर दो।


घर के प्रत्येक सदस्य के भीतर बैठे परमात्मा को मन ही मन प्रणाम करें। मन ही मन बोले परमात्मा मुझे और इन्हें सद्बुद्धि दें। हम सब मित्रवत रहें।


भगवान के सामने मन ही मन बोलें, जिन्होंने मेरे साथ बुरा किया मैं उन्हें माफ करता हूँ। मैंने जाने अनजाने में जिसके साथ बुरा किया उससे माफी मांगता हूं। हे ईश्वर उसकी माफी मुझे दिला दो। मेरे मन मे किसी के लिए वैर नही। मैं सबका मित्र हूँ और सब मेरे मित्र हैं।


गुरु की कृपा अवश्य होगी। घर गृहस्थी में शांति होगी। धन लाभ होगा।


💐ज्योतिषाचार्य श्वेता चक्रवर्ती (9810893335)

तनाव का आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक उपचार:-

 तनाव का आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक उपचार:-


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र एवं सूर्य के कमजोर होने पर व्यक्ति समस्याओं को हैंडल करने हेतु जरूरी मनोबल एवं आत्मबल नहीं एकत्रित कर पाता है। आत्मबल का कारक - सूर्य है और मनोबल का कारक - चन्द्र है। यदि सूर्य एवं चन्द्र को मजबूत कर लिया जाय तो तनाव को व्यक्ति बड़ी आसानी से सम्हाल सकेगा। उससे मुक्त हो सकेगा।


तनाव को मिटाने के लिए तनाव की गाँठो को समझकर उसका उपचार  करना होगा उसे खोलना होगा। तनाव उपचार में नाड़ी शोधन प्राणायाम, श्रीमद्भागवत गीता का स्वाध्याय एवं चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र जप व पूर्णिमा का ध्यान सहायक है।


जिन्हें तनाव की समस्या हो वह निम्नलिखित उपचार अपनाएं:-


40 दिन का उपचार क्रम -


सुबह - 

1- तीन माला ग़ायत्री मन्त्र की

2- एक महामृत्युंजय मंत्र की

3- उगते सूर्य का ध्यान

4- अर्घ्यदान तांबे का बर्तन 

5- नाड़ी शोधन प्राणयाम


शाम को बिस्तर पर

1- चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र 108 बार मौन मानसिक जप


श्रीमद्भागवत गीता नित्य पढ़नी है। सुबह या शाम सुविधा अनुसार पढ़ लें। युगसाहित्य में पुस्तक "हमारी वसीयत विरासत", "मानसिक संतुलन" , "हारिये न हिम्मत", "शक्ति संचय के पथ पर" और "अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार" भी थोड़ा थोड़ा पढ़ें।


साप्ताहिक -

1- गुरुवार व्रत (एक समय फलाहार और सूर्यास्त के बाद केवल सेंधा नमक भोजन शाम को)

2- गाय को चने की दाल और गुड़ का दान

3- निष्कासन तप - मन जो बातें तनाव दे रही हैं उन्हें कागज़ में विस्तार से लिखें फिर तीन बार गहरी श्वांस लेकर उसे जलाकर या फाड़कर नष्ट कर दें।

4- विलोम शब्द जैसे बच्चों में पढ़ा था वैसे ही एक पेज में स्वतः नकारात्मक विचारों के विलोम शब्द सकारात्मक विचार लिखें। उदाहरण - यदि मन में वासना जगे तो ब्रह्मचर्य कैसे पाएं के कुछ पॉइंट्स लिखे और मन मे बीमारी का भय उठे तो स्वास्थ्य लाभ कैसे मिले उसे लिखें।

5- गुरुवार को पीला वस्त्र ही पहनना है।

6- साप्ताहिक यज्ञ में आहुति


पाँच ग़ायत्री मन्त्र

एक चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र

एक सूर्य ग़ायत्री मन्त्र

एक पितृ ग़ायत्री मन्त्र

तीन महामृत्युंजय मंत्र


यज्ञ में हवन सामग्री में थोड़ा गुड़ और घी अवश्य मिला ले आहुति के लिए


यज्ञ में आहुति मन्त्र -


5 आहुति *ग़ायत्री मन्त्र* - ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात स्वाहा इदं *गायत्र्यै* इदं न मम


1 आहुति *पितृ ग़ायत्री मन्त्र आहुति*


ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात स्वाहा इदं पितर देवताभ्यो इदं न मम


1 आहुति *सूर्य ग़ायत्री मन्त्र*


ॐ भाष्करायै विद्महे, दिवाकराय धीमहि। तन्न: सूर्य: प्रचोदयात स्वाहा इदं सूर्य: इदं न मम


1 आहुति *चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र*


ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे, अमृत तत्वाय धीमहि। तन्न: चंद्र: प्रचोदयात स्वाहा इदं चन्द्राय इदं न मम


3 आहुति *महामृत्युंजय मंत्र* - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम पुष्टि वर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात स्वाहा इदं महामृत्युंजयाय इदं न मम


कोई छोटी सुपारी या किशमिश पूर्णाहुति में डाल दें


इस यज्ञ के लिए गोमय दीपक या सूखे नारियल के गिरी के छोटे टुकड़ों का प्रयोग करें।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को तनाव की समस्या है तो उनके लिए चांदी के आभूषण धारण करना लाभदायक रहता है। चांदी को चंद्रमा की धातु माना गया है और चंद्रमा मन का कारक होता है। चांदी की चीजें पहनने से शीतलता प्राप्त होती है। माना जाता है कि इससे धीरे-धीरे तनाव दूर होने लगता है और शांति प्राप्त होती है।


💐ज्योतिषाचार्य श्वेता चक्रवर्ती 


आप साहित्य ऑनलाइन निःशुल्क पढ़ सकते हैं। http://literature.awgp.org


साहित्य एवं अन्य सामग्री ऑनलाइन निम्नलिखित साइट से खरीद सकते हैं।

https://www.awgpstore.com/


साहित्य 50% डिस्काउंट पर ऑनलाइन खरीदने  के लिए  whatsapp 9810893335 पर करिए। साहित्य ऑर्डर 500 ₹ मिनिमम होना चाहिए।

Sunday 15 May 2022

जीवन सुखी चाहते हैं तो सूर्य की कृपा लेने हेतु

 ज्योतिष व सभी धर्म ग्रंथ एक स्वर में यह मानते हैं कि सूर्य ग्रहों का राजा है, आत्मा का कारक है, स्वास्थ्य कारक है, बुद्धि कारक है और जॉब-व्यवसाय के लिए भी उत्तरदायी है। अतः कुंडली व जीवन में सूर्य की स्थिति अच्छी होनी अनिवार्य है। सूर्य को कुंडली एवं जीवन में व्यवस्थित करने एवं उनकी कृपा माने का सरल सहज मार्ग है - ग़ायत्री मन्त्र जप, उगते सूर्य का ध्यान, नाड़ी शोधन प्राणायाम और सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य दान(जल चढ़ाना)।


जीवन सुखी चाहते हैं तो सूर्य की कृपा लेने हेतु उपरोक्त उपाय अपनाएं। आप किसी भी गुरु या धर्म से सम्बंध रखते हैं सभी उपरोक्त उपाय अपनाकर लाभ ले सकते हैं।


ज्योतिषाचार्य श्वेता चक्रवर्ती

प्रश्न - "अभिजीत मुहूर्त किसे कहते हैं?"

 प्रश्न - "अभिजीत मुहूर्त किसे कहते हैं?"


उत्तर- हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य शुरू करने के लिए मुहूर्त ढूढ़ते हैं। प्रत्येक दिन अभिजीत मुहूर्त सर्वसिद्ध मुहूर्त होता है। मान्यताओं के मुताबिक हर दिन का कुछ समय अति शुभ माना गया है। इस समय कोई भी कार्य करने पर विजय प्राप्त होती है। आमतौर पर वर्ष के 365 दिन में 11.45 से 12.45 तक का समय अभिजीत मुहूर्त कह सकते हैं। प्रत्येक दिन का मध्य-भाग (अनुमान से 12 बजे) अभिजीत मुहूर्त कहलाता है, जो मध्य से पहले और बाद में 2 घड़ी अर्थात 48 मिनट का होता है। दिनमान के आधे समय को स्थानीय सूर्योदय के समय में जोड़ दें तो मध्य काल स्पष्ट हो जाता है। इसमें 24 मिनट घटाने और 24 मिनट जोड़ने पर अभिजीत का प्रारंभ काल और समाप्ति काल निकट आता है।

यह मुहूर्त प्रत्येक दिन के सूर्योदय के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। अर्थात यदि सूर्योदय ठीक 6 बजे हो तो दोपहर 12 बजे से ठीक 24 मिनट पहले प्रारम्भ होकर यह दोपहर 12:24 पर समाप्त होगी। इस मुहूर्त को आठवां मुहूर्त भी कहा जाता है। अभिजीत मुहूर्त और अभिजीत नक्षत्र एक साथ पड़ जाएं तो अत्यंत ही शुभ माना जाता है।


नोट- प्रत्येक बुधवार को अभिजीत मुहूर्त और राहुकाल का लगभग समय एक सा होता है। अतः सलाह दी जाती है कि बुधवार के अभिजीत मुहूर्त का प्रयोग न करें। 


अन्य सभी दिनों के लिए रवि,सोम, मङ्गल, गुरु, शुक्र और शनि के अभिजीत मुहूर्त को प्रयोग कर लें। 


💐ज्योतिषाचार्य श्वेता चक्रवर्ती

प्रश्न - चौघडिया क्या है?

 प्रश्न - चौघडिया क्या है?


उत्तर- चौघडिया भारत के पश्चिम राज्यों में किया जाता है। क्रय-विक्रय करने के लिये इस मुहुर्त का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत समय को रोग, उद्धोग, चर, लाभ, अमृत, काल, शुभ, चाल आदि में बांटा जाता है। चौघडिया मुहूर्त क्योंकि सूर्योदय पर आधारित है, इसलिये प्रत्येक शहर के लिये इसके समय में बदलाव आता रहता है।


चौघडिया में 24 घण्टों को 16 घटियों में बांटां जाता है। एक घटी (घडी) लगभग 22 मिनट 20 सैकेन्ड की होती है। एक मुहूर्त में चार घटियां (घडियां) ली जाती है। चार घटियों से ही इसका नाम "चौघडी" पड़ा है। इस प्रकार के 08 मुहूर्त दिन में तथा 08 मुहूर्त रात्रि में आते हैं। इसमें प्रत्येक मुहुर्त लगभग 1.30 घण्टे का होता है। यह मुहूर्त निकालने का सबसे आसान तरीका है। प्रत्येक सप्ताह में दिन -रात्रि के मिलाकर कुल 112 मुहूर्त बनते हैं।


जैसे: मंगलवार के दिन - रोग, उद्दोग, चर, लाभ, अम्रत, काल, शुभ इस क्रम में ये मुहूर्त आते हैं। ये सात प्रकार के होते हैं।


चौघडिया का प्रयोग कब करें?


इन मुहूर्त का प्रयोग, दिन - रात्रि में पूजा का शुभ समय जानने के लिये किया जाता है। विशेष उद्धेश्य के लिये यात्रा का आरम्भ करने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है। पारिवारिक समारोह व उत्सव मनाने के लिये भी चौघडिया का प्रयोग होने के कारण आज यह विशेष मूहूर्तों की श्रेणी में आ गया है।


चौघडिया में कौन सा मुहुर्त शुभ/ अशुभ होता है?


चौघडिया मुहूर्त में सबसे अधिक अमृ्त, लाभ, शुभ, चर को मध्यम स्तर तक शुभ माना जाता है। तथा उद्धोग, रोग व काल को अशुभ माना जाता है। इसमें भी अमृ्त समय में पूजा, समारोह करना विशेष शुभता देता है। लाभ समय में क्रय-विक्रय के कार्य, तथा गतिशील वस्तुओं को क्रय करने के लिये चर व शुभ मुहुर्त को प्रयोग किया जा सकता है। इसी प्रकार रोग समय में यात्रा आरम्भ करना इसके नाम के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है।


💐ज्योतिषाचार्य श्वेता चक्रवर्ती

सकल पदारथ है जग माहीं करमहीन नर पावत नाहीं..

 सकल पदारथ है जग माहीं करमहीन नर पावत नाहीं..


जब हाथ सधे हो, होश में हो और बुद्धि हो तो आग एवं चाकू भोजन हेतु उपयोगी हैं। लेकिन हाथ सधे न हो, लापरवाही हो एवं बुद्धि न हो तो आग एवं चाकू अनुपयोगी एवं घातक हैं।


इसी तरह जब आपमें विवेक एवं पुरूषार्थ है तब आध्यात्म एवं ज्योतिष आपके जीवन मे उपयोगी हैं, यदि आप अविवेकी और अंधविश्वास युक्त हैं तब यह अध्यात्म एवं ज्योतिष आपके पैरों की बेड़ी है, अनुपयोगी है।


इस संसार में सब की उपयोगिता या अनुपयोगिता व्यक्ति के विवेक एवं पुरुषार्थ पर निर्भर करती है।


ज्योतिष एक गूढ़ आध्यात्मिक विज्ञान है, जिसका कुछ लोगो ने दुरुपयोग करके उसे बदनाम कर दिया है। ज्योतिष का यदि जिसे सही ज्ञान हो और उसे जनसेवा की भाव से करे तो वह लोगों की काफ़ी मदद कर सकता है।


जैसे मौसम विज्ञान की मदद से हम मौसम की जानकारी लेकर अपने जीवन मे उपयोग कर सकते हैं वैसे ही ज्योतिष के द्वारा जीवन के मौसम का विज्ञान जाकर उसका लाभ उठाया जा सकता है।


💐ज्योतिषाचार्य श्वेता चक्रवर्ती

Saturday 14 May 2022

प्रश्न - मेरे पति ने ही मेरे साथ धोखाधड़ी की एवं सम्पत्ति बेंच दिया, मुझे और मेरे बच्चों के लिए एक बार सोचा तक नहीं। इतने साल के रिश्ते में मुझे दुसरो से पता चला कि सम्पत्ति बिक गई एवं पैसा ससुर जी को दे आये। समझ नहीं आ रहा क्या करूँ? मेरा रोकर बुरा हाल है वह मैं इस धोखे से टूटकर बिखर गई हूं।

 प्रश्न - मेरे पति ने ही मेरे साथ धोखाधड़ी की एवं सम्पत्ति बेंच दिया, मुझे और मेरे बच्चों के लिए एक बार सोचा तक नहीं। इतने साल के रिश्ते में मुझे दुसरो से पता चला कि सम्पत्ति बिक गई एवं पैसा ससुर जी को दे आये। समझ नहीं आ रहा क्या करूँ? मेरा रोकर बुरा हाल है वह मैं इस धोखे से टूटकर बिखर गई हूं।


उत्तर- मुझे दुःख हुआ सुनकर कि तुम्हारे साथ ऐसा धोखा हुआ। लेकिन डियर एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, तुमने वह पहलू बताया जो पति न किया। वह पहलू नहीं बताया कि तुमने उसके साथ क्या किया?


 तुम दोनो विवाह के इतने वर्षों बाद अच्छे मित्र नहीं बन सके एवं एक दूसरे का दिल नहीं जीत सके।


यंत्रवत विवाह किया यंत्रवत शारीरिक सम्बंध बनाकर बच्चे पैदा हो गए। आपके पति बायलोजिकल पति व पिता हैं लेकिन भावनात्मक व आत्मीयता के स्तर पर उनका आपसे व आपके बच्चों से जुड़ाव नहीं हक़।


 भावनात्मक सम्बन्ध एवं एक दूसरे के हृदय में सम्मान एवं विश्वास का अकाउंट खुला ही नहीं।


 जब जिस रिश्ते में प्रेम,विश्वास और सम्मान ही नहीं वह फ़िर बाहर से भले अपना हो अंदर से तो टूटकर बिखर गया है।


 अतः सबसे पहली चीज कि आपका पति कभी भावनात्मक रूप से आपका अपना था ही नहीं, जो अपना ही नही वह धोखाधड़ी करे तो बुरा नहीं मानना चाहिए। शोक नहीं मनाना चाहिए।


स्वयं व बच्चे की सुरक्षा व धन हेतु भावनात्मक होकर सोचने से कोई लाभ नहीं, अपितु बुद्धि चलाकर कार्य करें।


जहां समस्या है वहीं समाधान है, समस्या मत गिनों समाधान ढूँढो


आम मूर्ख जनता - व्यक्ति के बारे में बात करती है, वह व्यक्ति ऐसा है वैसा है।


सामान्य जनता - घटना के बारे में बात करती है कि मेरे साथ ऐसा हुआ वैसा हुआ..मेरे साथ ही क्यूँ हुआ


बुद्धिमान व्यक्ति - जो हो गया वह क्यूँ व किस कारण हुआ..इसके समाधान हेतु मैं क्या करूँ। इस व्यक्ति व घटना को कैसे हैंडल करूँ?


 समाधान मांगने व निज समझ को विकसित करने के लिए माता से बुद्धि मांगो सामर्थ्य मांगो। योद्धा की तरह इस घटना को हैंडल करो।


शोकग्रस्त अर्जुन की तरह भावनात्मक रूप से सोचकर रोकर चिंता करके समाधान कभी नहीं मिलता। कृष्ण की श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ो और अपने युद्ध के लिए गीता के ज्ञान से आलोकित अर्जुन की तरह अपनी बुद्धि का गांडीव उठाओ और अपना युद्ध धर्म से लड़ो। बच्चों के अधिकार के लिए लड़ो।


बुद्धि प्रयोग से गहन चिंतन से समाधान ढूढने पर समाधान अवश्य मिलता है। जिन खोजा तिन पाईंया गहरे पानी पैठ...जो खोजेगा उसे समाधान अवश्य मिलेगा।


तुम्हारा पति तो मात्र सम्पत्ति बेचा है, मैं ऐसे ऐसे पति को जानती हूँ जिन्होंने अपनी पत्नी को ही बेंच डाला है या उसे झूठे आरोप में जेल में डाल दिया इत्यादि अनेक अत्याचार किये है। ऐसे ऐसे पत्नियों को जानती हूँ जिन्होंने अपने पति को पागल बनाकर पागलखाने में भेज दिया या झूठे आरोप में जेल भेज दिया।


स्वार्थ में जीवनसाथी की हत्या करने के अनेक उदाहरण हैं। अतः आवश्यक समझदारी रखें।


आप दिल के अच्छे हिरण की तरह हैं तो यह न सोचें कि जंगल मे आपका शिकार न होगा।  हिरन को हिरन मिला या गाय तो ठीक है, जीवनसाथी के रूप में मांसाहारी जीवन मिला तो समस्या होगी ही।


अतः कलियुग है, अपने जीवनसाथी पर अंधी श्रद्धा व विश्वास न करें और बेहोश जीवन न जियें। समझदारी से आंख खोलकर रिश्ता निभाएं, जागरूक व चैतन्य रहें। इमोशन फूल न बने।


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Thursday 12 May 2022

स्वयं की कार्यक्षमता बढ़ाने और जीवन में आनन्द भरने का आत्म प्रार्थना गीत...

 स्वयं की कार्यक्षमता बढ़ाने

और जीवन में आनन्द भरने का आत्म प्रार्थना गीत...


मैं जिंदा हूँ जीवनीशक्ति से भरा हूँ,

खुशियों के रस में डूबा हूँ,

मैं आनन्द से सराबोर हूँ,

हाँ मैं स्वस्थ हूँ , जीवनीशक्ति से भरा हूँ..


मेरे पास आंखे है, इसमें रौशनी है,

मैं दुनियां देख सकता हूँ,

रँग बिरंगे फूलों का आनन्द ले सकता हूँ..

हाँ मैं स्वस्थ हूँ , जीवनीशक्ति से भरा हूँ..


मेरे कान मधुर सङ्गीत सुन सकते हैं,

मैं मधुर गीत गा सकता हूँ,

मेरे हाथ कुछ भी कर सकते हैं,

मैं जहाँ चाहूं वहां पैरों से जा सकता हूँ..

हाँ मैं तो हृष्ट पुष्ट स्वस्थ हूँ, जीवनीशक्ति भरा हूँ..


मेरे पास प्रखर बुद्धि है, मेरे पास सद्बुद्धि है..

मेरा रक्त ऊर्जा से भरा है, 

मेरी मांसपेशियों में प्राण संचार है,

मेरा हृदय आनन्द से भरा है,

हाँ मैं स्वस्थ हूँ , जीवनीशक्ति से भरा हूँ..


मैं ईश्वर का अंश हूँ, मैं तो वही हूँ,

उस ईश्वर के समस्त गुण मुझमें हैं,

मुझमें नर से नारायण बनने की असीम संभावना है,

मैं प्राणवान सुखस्वरूप दुःखनाशक हूँ,

मैं ही श्रेष्ठ दैवीय गुणों से युक्त आत्मा हूँ,

मैं जो चाहे वह हासिल कर सकता हूँ,

मुझमें अदम्य साहस और पुरुषार्थ है,

हाँ मैं स्वस्थ हूँ , जीवनीशक्ति से भरा हूँ..


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन


नित्य सुबह दर्पण देखते हुए और स्वयं की आंखों में आंख डालकर आत्मविश्वास के साथ यह आत्म प्रार्थना 40 दिनों तक करें, साथ ही सोने से पूर्व भी मन ही मन इसे लेटकर भी दोहराएं। इसके बाद हुए आपमे सकारात्मक परिवर्तन को मुझे 9810893335 पर बताएं। आपको लाभ हो तो दूसरों को भी फारवर्ड करें।

Tuesday 10 May 2022

मृत्यु के शोक

 सन्त जो समस्त दुःखों का अंत करता था।


एक विचित्र सन्त था, लोगों की भीड़ आती समस्या लेकर तो वह कहता, प्रकृति लेन-देन पर टिकी है। पहले कुछ दो फिर बदले में मिलेगा।


1- एक पुत्र की मृत्यु के शोक में संतप्त स्त्री आयी, बोली मेरे पुत्र को जीवित कर दो बाबा। सन्त ने कहा माँ उस घर की मिट्टी लाकर मुझे दे दे जिस घर मे कभी मृत्यु न हुई हो। स्त्री भागी घर घर गयी, निराश होकर लौटी क्योंकि प्रत्येक घर में कभी न कभी मृत्यु हुई थी। वह मृत्यु का अटल सत्य उसे समझ आ गया और वह सन्त के चरणों मे गिरकर बोली तुमने मेरे समस्त शोक का अंत कर दिया,  मुझे वह सत्य समझा दिया जो शायद कठिन तप से भी न समझ पाती। मैं जिस पुत्र की मृत्यु पर रो रही हूँ उसे तो एक न एक दिन मरना ही था, मुझे भी एक न एक दिन मरना ही है। फ़िर शोक क्यों? सन्त ने कहा, माई न तू मरेगी न तेरा बच्चा मरा है। केवल शरीर मरता है, तू व तेरा पुत्र वस्तुतः आत्मा है, जो अमर है।


2- सन्त के पास एक व्यक्ति बहुत दुःखी था आया, बोला मेरे समस्त दुःख दूर कर दो। सन्त बोला जा उस घर से एक मुट्ठी अनाज लाकर दे दे, जिस घर में सब सुखी हों। यदि इस संसार मे तुझे सुखी व्यक्ति के हाथ का अनाज मिल गया तो मैं तेरे समस्त दुःख दूर कर दूंगा। वह व्यक्ति भी पूरे नगर में भटका कोई सुखी न मिला। सबके दुःख सुनते सुनते उसे अहसास हुआ कि दुनियाँ में लोग कितने दुःखी हैं। मैं ही इनसे ज्यादा सुखी हूँ। वह सन्त के पास शान्त चित्त मग़र खाली हाथ लौटा। सन्त ने कहा - अरे तू तो बंधन मुक्त हो गया, तेरी इच्छाएं ही दुःख का कारण थी। दुसरो को सुनते सुनते स्वयं की सुख की इच्छा ही छोड़ दी, अब तू तो सुख व दुःख दोनो से परे हो गया।


इस संसार में न कुछ पाने को है, न ही कुछ खोने को है। सुख व दुःख तो तेरी इच्छाओं का माया जाल है। इन्हें समझ व इनसे परे देख। इन इच्छाओं की जड़ को समझ। व्यक्ति समझ चुका था कि इस संसार में सुख व दुःख वस्तुतः अस्तित्वहीन हैं एक माया है। एक ही परिस्थिति किसी के लिए सुख तो किसी के लिए दुःख लाती है प्रतीत होती है, जबकि परिस्थिति तो बस परिस्थिति है जिसका उससे जैसी इच्छा आकांक्षा होगी तद्नुसार सुख या दुःख उसे प्रतीत होगा, अनुभूत होगा।


क्रमशः...

विचित्र सन्त जो समस्त दु:खों का अंत करता था

 "विचित्र सन्त जो समस्त दु:खों का अंत करता था- आगे की कथा (कथा नम्बर -3)"


3- एक व्यक्ति बुरी नशे की लत से परेशान था, घर में कलह होता था, व्यक्ति अक्सर बीमार रहता था। वह व्यक्ति व उसकी स्त्री सन्त के पास आये और व्यथा सुनाई। व्यक्ति बोला नशे की लत में फंस गया हूँ, नशे की गिरफ्त में जकड़ गया हूँ। सन्त ने कहा तुम्हारी व्यथा दूर मैं कर दूंगा पहले तुम मेरे शिष्य की व्यथा दूर कर दो।


सन्त का शिष्य एक चने भरे मटके से हाथ में चने की मुट्ठी बनाकर निकालने की कोशिश कर रहा था, न निकलने पर हाथ डालकर रो रहा था कि हाथ निकल नहीं रहा, चने और घड़े ने मेरा हाथ पकड़ लिया, यह छोड़ नहीं रहे। व्यक्ति गया और शिष्य से बोला भाई हाथ तुमने डाला है तो निकाल भी तुम ही सकते हो। बोला बंदर इस विधि से फंसते है इंसान नहीं, बन्दर को नहीं पता कि हाथ निकालने के लिए चने का लालच छोड़ मुट्ठी खोलनी पड़ेगी, तुम तो इंसान हो तुम्हे इतना नहीं पता कि चने और मटके ने तुम्हें नहीं पकड़ा है, वो तो निर्जीव हैं, पकड़ा तुमने है तो छोड़ोगे भी तुम ही। मुट्ठी खोलो, शिष्य ने मुट्ठी खोली और हाथ बाहर हो गया।


सन्त व शिष्य दोनो मुस्कुराये, सन्त ने उस व्यक्ति से कहा यदि चना निर्जीव है तो नशे की वस्तु भी तो निर्जीव है। यदि घड़े में हाथ जैसे डला ठीक वैसे ही विपरीत विधि से हाथ खोलकर निकाला जा सकता, तो क्या जैसे नशा करना शुरू किया था ठीक विपरीत विधि अपनाने से नशा छूट नहीं सकता क्या? क्या तुम बन्दर से गए गुजरे हो कि इतनी बात समझ नहीं आती कि नशे ने तुम्हे नहीं पकड़ा है, अपितु तुमने नशे को पकड़ा है। पकड़ने वाले तुम हो तो छोड़ने वाले भी तुम ही होगे।


व्यक्ति को समझ आ गया था, वह सोच में पड़ गया।


सन्त बोले, बुरी संगति में नशा करना शुरू किया था, मानसिक रूप से कमज़ोर बन गए, नशे के गुलाम बन गए।


अब अच्छे लोगो की संगति करो, उनकी संगति में भजन, गायत्री मंत्रजप, मन्त्रलेखन व ध्यान शुरू करो। मन को मजबूत करो। 


अंधेरे को दूर करने के लिए प्रकाश की व्यवस्था करो, बुरी आदत को छोड़ने के लिए उसके विपरीत की अच्छी आदत शुरू करो। मदहोशी-बेहोशी की इच्छा नशे की ओर आकृष्ट करती है, होशपूर्वक चैतन्यता से रहने की इच्छा मंत्रजप व ध्यान की ओर आकृष्ट करती है। 


जो भी कार्य करो होशपूर्वक करो, जो भी भक्ष्य-अभक्ष्य खाने या पीने से पहले तनिक ठहरो, उससे पूर्व 11 बार प्राणायाम करो, 11 बार गायत्री मंत्रजप करो,  व ठहरकर 11 मिनट चिंतन करो कि क्या जो खा रहे हो या पीने जा रहे हो वह उचित है या नहीं। यदि अंतरात्मा स्वीकार करे तो उसे खा-पी लो।


शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ाओ, तुम्हारा कल्याण अवश्य होगा।


क्रमशः....

Sunday 8 May 2022

प्रश्न - गर्भावस्था में योग करना कितना सुरक्षित है एवं क्यों आवश्यक है?

 प्रश्न - गर्भावस्था में योग करना कितना सुरक्षित है एवं क्यों आवश्यक है?


उत्तर - शरीर हमारा करीब 206 हड्डियों का ढाँचा है, जो करीब 600 मांसपेशियों से कसकर बांधकर व्यवस्थित किया हुआ है। इसमें करीब 37.2 ट्रिलियन कोशिकाएं(सेल्स) है। क़रीब 60,000 मील लंबी रक्त की नसें हैं। 78 मुख्य अंग इसके भीतर हैं जो शरीर के संचालन में मदद कर रहे हैं जैसे फेफड़े, हृदय, पेट, किडनी इत्यादि..


अब इतने कॉप्लेक्स मानव शरीर के सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने के लिए और इससे बेहतर आउटपुट लेने के लिए  महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग अर्थात राज योग करने को कहा..


उन्होंने कहा वस्तुतः योग  'चित्त की वृत्तियों के निरोध' (योगः चित्तवृत्तिनिरोधः) है। क्योंकि चित्तवृत्ति वस्तुतः 80% पशुवत जन्मजात होती हैं उन्हें  पेट, प्रजनन, मल-मूत्र विसर्जन, शयन के अतिरिक्त अन्य कार्य करने में आलस्य आता है।  10% इंसान का और 10% मन दैवीय गुणों से युक्त होता है।


मानवीय व दैवीय कार्य शिक्षा, ज्ञानार्जन, योग, ध्यान इत्यादि कार्य व्यक्ति के 10% चैतन्य मन को एक तरह से शुरू शुरू में रिंग मास्टर बनकर अपने 80% पशु मन को इंसान बनाने के लिए जुटना पड़ता है। फिर इंसान से दैवीय सत्ता बनाने का संघर्ष तो और भी कठिनाई से करना पड़ता है।


पतंजलि ने पशु मन को मानव और देवमानव बनाने के लिए जो फार्मूला दिया। यह 'योगसूत्र' नाम से योगसूत्रों का एक संकलन किया जिसमें उन्होंने पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए अष्टांग योग (आठ अंगों वाले योग) का एक मार्ग विस्तार से बताया है। अष्टांग योग को आठ अलग-अलग चरणों वाला मार्ग नहीं समझना चाहिए; यह आठ आयामों वाला मार्ग है जिसमें आठों आयामों का अभ्यास एक साथ किया जाता है। योग के ये आठ अंग हैं:

१) यम, २) नियम, ३) आसन, ४) प्राणायाम, ५) प्रत्याहार, ६) धारणा ७) ध्यान ८) समाधि


यह तो सबको करना ही चाहिए, लेक़िन गर्भिणी क्या क्या कर सकती है? एवं क्यों करे?


206 हड्डियों और 600 मांसपेशियों को लचीला योग-व्यायाम से गर्भिणी ने नहीं बनाया तो शरीर अकड़ा रहेगा। नॉर्मल डिलीवरी के लिए गर्भाशय, गर्भ निकासी मार्ग और जांघों में जो आवश्यक लचीलापन चाहिए वह नहीं मिलेगा। इस तरह सिजेरियन डिलीवरी तय है। फिर स्त्री रोना रोयेगी.. डॉक्टर तो लुटेरे हैं..सिजेरियन ऑपरेशन कर दिया..अब यह कौन पूँछे बहन तुमने नॉर्मल डिलीवरी के लिए कितना योग व्यायाम व ध्यान किया था?


जब स्त्री योग नहीं करेगी तो स्वतः पशुवत मनःस्थिति की होगी तो एक पशु को ही जन्म देगी। जिसे पढ़ाना दुष्कर कार्य होगा क्योंकि उसके मन को मानव बनाने की जो प्रक्रिया योग व्यायाम व ध्यान से गर्भिणी को करनी चाहिए थी वह उसने किया ही नहीं। फिर बच्चे के जन्म के बाद रोती रहेगी कि मेरा बच्चा तो मेरी सुनता ही नहीं, पढ़ता ही नहीं... यह तो शैतान बन गया है..अब इन्हें कौन समझाए कि बहन शैतान व पशु तो आपने ही अपने गर्भ में गढ़ा है तो इंसानी व्यवहार आपको कैसे बच्चे मे मिलेगा?


प्रत्येक स्त्री व पुरूष को गर्भ धारण के कम से कम छः महीने पहले से योग, व्यायाम, ध्यान से तन-मन को योग्य बनाना चाहिए। 


गर्भधारण के बाद योग्य चिकित्सक से अपना चेकअप करवाते रहें और सलाह लेकर योग प्रारम्भ करें।


गर्भ धारण के बाद केवल सूक्ष्म योग और गर्भिणी के लिए सुरक्षित योग ही किसी प्रशिक्षित योग गुरु के मार्गदर्शन में सीख कर करना चाहिए।


प्रत्येक भावी माता पिता के 90% केस में यह हाथ में है कि बच्चा नॉर्मल होगा या सिजेरियन? 


90% केस में भावी माता के हाथ में ही है कि होने वाला बच्चा पशुवत मानसिकता का होगा या इंसानी मानसिकता का होगा या दैवीय गुण सम्पन्न होगा?


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Tuesday 3 May 2022

मानसिक अपाहिज़ न बनें, स्वयं के अस्तित्व को आध्यात्मिक अभ्यास से मजबूत बनायें...

 मानसिक अपाहिज़ न बनें, स्वयं के अस्तित्व को आध्यात्मिक अभ्यास से मजबूत बनायें...


बार बार आप किसी की सहायता से कुछ समय के लिए चिंतामुक्त हो सकते हैं, लेकिन हमेशा के लिए नहीं हो पाएंगे। बार बार आप परेशान होने पर एक मानसिक माता या पिता की तलाश करेंगे जो आपके इमोशन को समझें और आपको सम्हाले। छोटे बच्चे माता पिता का आश्रम ढूढ़े तो ठीक है, युवाओं को तो अपने आपको मानसिक मजबूत बनाना ही होगा।


यदि आप मानसिक अपाहिज रहेंगे तो कोई भी आपका फ़ायदा उठा लेगा और आपको ग़ुमराह कर सकता है।


अतः मानसिक अपाहिज़ कभी न बने और मानसिक मजबूती के लिए श्रीमद्भागवत गीता और रामायण जैसी पुस्तकों का कुछ पन्ने का रोज स्वाध्याय करें। घर मे उस पर चर्चा करें।


युग साहित्य पढ़ें, अच्छी मोटिवेशनल व प्रेरणा दायक पुस्तक पढ़ें, महापुरुषों के जीवन चरित्र पढ़े व प्रेरणा लें। अच्छी पुस्तक जीवंत देवता है इनके स्वाध्याय से आत्मा तत्काल प्रकाशित होती है। मानसिक मजबूती आती है।


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Monday 2 May 2022

प्रश्न - क्या ग़ायत्री मन्त्र से अभिमंत्रित जल बंजर जमीन को उपजाऊ व मुरझाए वृक्ष को हरा भरा कर सकता है?

 प्रश्न - ग़ायत्री मन्त्र से अभिमंत्रित जल बंजर जमीन को उपजाऊ व मुरझाए वृक्ष को हरा भरा कर सकता है?


उत्तर- किसी भी अनगढ़ व्यक्ति के द्वारा अभिमंत्रित ग़ायत्री मन्त्र जल से बंजर भूमि व मुर्झाया पौधा हरा भरा नहीं होता। अभिमंत्रित जल एक सिद्ध ग़ायत्री साधक द्वारा ही असर करता है। यदि सिद्ध साधक चाहे तो जल को ग़ायत्री मन्त्र जल से अभिमंत्रित कर व उसके साथ अपने ग़ायत्री तप का एक अंश डालकर सङ्कल्प बल से वह अभिमंत्रित जल छिड़क के मुरझाया मृत पौधा हरा भरा और बंजर भूमि उपजाऊ कर सकता है।


बेहतरीन तलवार के साथ साथ तलवार धारक की युध्द अभ्यास कठोर तपस्या विजय दिलाती है। 


वैसे ही सबसे बड़े ग़ायत्री मन्त्र की पूर्ण शक्तियों के प्रदर्शन के लिए मन्त्र सिद्ध साधक की गहन तपस्या लगती है।


ग़ायत्री मन्त्र उसी व्यक्ति के जीवन को बदल सकता है जो इसकी साधना गहराई से व नियमानुसार करेगा। इस मन्त्र को आचरण में उतारेगा।


तोते की तरह मन्त्र रटने से अभीष्ट परिवर्तन न घटेगा, तपस्वियों की तरह मन्त्र को आचरण में उतारने व इसे साधने पर अभीष्ट परिवर्तन अवश्य घटेगा।


यह मन्त्र कलियुग की कामधेनु है, सबकुछ मिल सकता है। मगर इस कलियुग की कामधेनु को प्रशन्न करने के लिए बड़े लाभ के लिए राजा दिलीप और विश्वामित्र की तरह तप करना होगा।


जितनी जितनी हमारी ग़ायत्री मन्त्र साधना बढ़ रही है, त्यों त्यों उतने अंशो में हम इसकी शक्तियों से जुड़ते रहेंगे।


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...