Saturday 20 January 2018

*मन का पार्लर -* *अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय*

*मन का पार्लर -*
*अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय*
*मन की सुंदरता का राज़ -*,
*अच्छे विचारों का स्वाध्याय*

घर में झाड़ू लगता है,
साफ़-सफ़ाई नित्य होती है,
घर की चीज़ों को रोज़,
व्यवस्थित रखने की होड़ होती है।

दिमाग़ में न कभी झाड़ू लगता है,
न कभी साफ़-सफ़ाई होती है,
न विचारों को व्यवस्थित रखने की,
और न ही जीवन लक्ष्य तक पहुंचने की,
किसी के जीवन में होड़ होती है।

शरीर के पार्लर में,
घण्टों समय व्यतीत करते हैं,
विचारों के पार्लर स्वाध्याय के लिए,
फ़ुर्सत नहीं होती है।

परिस्थिति की उलझनों को सुलझाने में,
व्यस्त रहते हैं,
मनःस्थिति की उलझनों को सुलझाने में,
ध्यान नहीं देते हैं।

दृष्टि के लिए जतन होते हैं,
दृष्टिकोण को समझते नहीं,
विचारों को व्यवस्थित करते नहीं,
मनःस्थिति बदलते नहीं।

फ़िर दुःखी फ़िरते है,
ईश्वर को कोसते रहते है,
मनःस्थिति सुधारते नहीं,
और परिस्थिति को कोसते फ़िरते हैं।

मन और विचारों की कुरूपता,
सर्वत्र झलकती है,
दुर्भाव द्वेष से ग्रस्त मन से,
निराशा-उदासी झलकती है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन

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