प्रश्न - *दी, क्या तुलसी के पौधे की सूखी लकड़ियों को समिधा की तरह या कूटकर हवनसामग्री में मिलाकर हवन कर सकते हैं? एक पण्डित जी ने तुलसी की सूखी लकड़ी को हवन में जलाने से मना किया है। बोले कि पाप लगता है।*
उत्तर - आत्मीय दी, पण्डित जी यज्ञ विज्ञान से और तुलसी के औषधीय लाभ से अपरिचित मालूम पड़ते हैं।
देश विदेश के वैज्ञानिक प्राचीन ऋषियों द्वारा प्रतिपादित तुलसी के औषधीय लाभ को विभिन्न लैब प्रयोगों द्वारा जांच कर सिद्ध कर चुके हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली और कफ, कोल्ड, बुखार, खाँसी, चर्म रोग इत्यादि का सर्वोत्तम इलाज़ तुलसी है।
पुस्तक यज्ञ के ज्ञान विज्ञान में तुलसी के सुखी लकड़ियों को अन्य विभिन्न औषधियों में मिलाकर विभिन्न रोगोपचार में उपयोग करने की सलाह दी गयी है।
तुलसी, नीम एवं गिलोय इन तीनों को जलाने से एंटी बैक्टीरियल/रोगाणु नाशक धुंआ निकलता है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
जिस तुलसी के पेड़ में रोज जल चढ़ाते हों या अन्य तुलसी के पौधे की , सबके पत्ते व लकड़ी रविवार के दिन नहीं तोड़ने चाहिए। अन्य दिनों में उस पौधे की भी मञ्जरी, पत्ते व सूखी लकड़ियां पहले उन्हें प्रणाम कर मन ही मन उनसे आदेश लेकर तोड़ी जा सकती हैं। आवश्यक रोगोपचार हेतु यग्योपैथी में उपयोग हेतु समिधा या सामग्री में मिक्स करके उपयोग ली जा सकती है। कोई पाप नहीं लगता, तुलसी माता स्वयं बच्चो के स्वास्थ्य के लिए अपने पत्ते, मञ्जरी व लकड़ियों को उपयोग करने की अनुमति देती हैं।
संदर्भ के लिए निम्नलिखित आर्टिकल *अखण्डज्योति* के और *यज्ञ का ज्ञान विज्ञान* पुस्तक के पढें।
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1946/July/v2.11
http://literature.awgp.org/book/yagya_ka_gyan_vigyan/v1.64
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - आत्मीय दी, पण्डित जी यज्ञ विज्ञान से और तुलसी के औषधीय लाभ से अपरिचित मालूम पड़ते हैं।
देश विदेश के वैज्ञानिक प्राचीन ऋषियों द्वारा प्रतिपादित तुलसी के औषधीय लाभ को विभिन्न लैब प्रयोगों द्वारा जांच कर सिद्ध कर चुके हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली और कफ, कोल्ड, बुखार, खाँसी, चर्म रोग इत्यादि का सर्वोत्तम इलाज़ तुलसी है।
पुस्तक यज्ञ के ज्ञान विज्ञान में तुलसी के सुखी लकड़ियों को अन्य विभिन्न औषधियों में मिलाकर विभिन्न रोगोपचार में उपयोग करने की सलाह दी गयी है।
तुलसी, नीम एवं गिलोय इन तीनों को जलाने से एंटी बैक्टीरियल/रोगाणु नाशक धुंआ निकलता है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
जिस तुलसी के पेड़ में रोज जल चढ़ाते हों या अन्य तुलसी के पौधे की , सबके पत्ते व लकड़ी रविवार के दिन नहीं तोड़ने चाहिए। अन्य दिनों में उस पौधे की भी मञ्जरी, पत्ते व सूखी लकड़ियां पहले उन्हें प्रणाम कर मन ही मन उनसे आदेश लेकर तोड़ी जा सकती हैं। आवश्यक रोगोपचार हेतु यग्योपैथी में उपयोग हेतु समिधा या सामग्री में मिक्स करके उपयोग ली जा सकती है। कोई पाप नहीं लगता, तुलसी माता स्वयं बच्चो के स्वास्थ्य के लिए अपने पत्ते, मञ्जरी व लकड़ियों को उपयोग करने की अनुमति देती हैं।
संदर्भ के लिए निम्नलिखित आर्टिकल *अखण्डज्योति* के और *यज्ञ का ज्ञान विज्ञान* पुस्तक के पढें।
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1946/July/v2.11
http://literature.awgp.org/book/yagya_ka_gyan_vigyan/v1.64
🙏🏻श्वेता, DIYA
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