Thursday 11 November 2021

अक्षय आंवला नवमी इस बार 12 नवंबर 2021 को है

 *आंवला नवमी या अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। यह अक्षय आंवला नवमी इस बार 12 नवंबर 2021 को है।*


ऋषिसत्ताएँ मनुष्य को सुखी देखना चाहती हैं, इसलिए वो भगवान द्वारा प्रदत्त औषधि के लाभ से और उस औषधीय पौधे की चेतना से जनसामान्य को जोड़कर उन्हें स्वस्थ सुंदर बनाने का उपक्रम बनाते थे। इसलिए अक्षय नवमी को चुना गया। एक आँवला रोज सौ से ज्यादा बीमारी को ठीक करता है। हमारे देश मे उन समस्त वृक्षों और पशुओं की पूजा की जाती है जिसके माध्यम से भगवान हम तक जीवन और स्वास्थ्य पहुंचाता है। आध्यात्मिकता जुड़ने से जनसाधारण इनकी उपयोगिता को याद करके इन्हें संरक्षित करता है।


*आंवला नवमी पूजा विधि*


-आंवला नवमी का व्रत और पूजन परिवार सहित किया जा सकता है। इन दिन व्रतधारी स्नान करने के बाद आंवला वृक्ष को जल अर्पित कर उसकी पूजा करें। साथ ही इस वृक्ष को कच्चा दूध अर्पित करें। वृक्ष के नीचे ही भोजन पकाया औऱ खाया जाता है। वृक्ष के साथ अधिक से अधिक समय सपरिवार बिताया जाता है।


-रोली-अक्षत और भोग से देवस्वरूप मानकर आंवाला वृक्ष की पूजा करने के बाद इसकी 8 परिक्रमा करते हुए इसके तने पर मोली, कलावा या सूत लपेटकर गांठ लगा दें। इस औषधीय वृक्ष की रक्षा करने और अधिक से अधिक इसका वृक्षारोपण का संकल्प लेते हैं।


-108 गायत्री मंत्र, 24 महामृत्युंजय मंत्र इस वृक्ष के नीचे बैठकर जप करें। 5 दीपक जलाकर या गाय के गोबर के कंडे में हवन करें। योग प्राणायाम करें। पूजा-पाठ के बाद परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करें।


-अब परिवार सहित इस वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करें और इसकी झड़ती पत्तियों को प्रसाद समझकर ग्रहण करें।


👉🏼 *आंवला खाने के अनेक फायदे है, उनमें से कुछ मुख्य यहां दे रहे हैं।*:


1. *कैंसर से बचाव* में

आंवले में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं. इसके साथ ही इसमें एंटी-कैंसर गुण भी होता है. एक शोध के अनुसार, आंवला कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है. ये कैंसर से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है.


2. *अल्सर की रोकथाम* में

आंवले का जूस पेप्ट‍िक अल्सर में बहुत कारगर साबित होता है. हर सुबह इसके सेवन से आराम मिलता है.


3. *वजन कम करने* में

आंवला शरीर में मौजूद गंदगी को साफ करने और वजन कम करने में भी फायदेमंद होता है. रोजाना इसके सेवन से शरीर में गंदगी जमने नहीं पाती है.


4. *दस्त में आराम* के लिए

आंवले में भरपूर मात्रा में डाइट्री फाइबर मौजूद होते हैं. इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होने पाती है और पाचन क्रिया में भी ये काफी फायदेमंद होता है.


5. *हाई ब्लड प्रेशर* में

आंवला उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में कारगर होता है. इसके साथ ही ये दिमाग और शरीर दोनों को राहत देने का काम करता है. आंवला पाउडर, शहद के साथ मिलाकर खाना बहुत फायदेमंद होता है.


6. *आंख की रौशनी* में

आंवले में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण रेटीना के लिए काफी फायदेमंद होता है. ये विटामिन सी का बहुत अच्छा माध्यम होता है. ये आंखों में होने वाली जलन को कम करता है साथ ही रौशनी बढ़ाने में भी कारगर होता है.


7- *गर्भाशय सम्बन्धी विभिन्न रोगों* के उपचार में सहायक है। खून साफ करता है।


सौ से अधिक बीमारियों से जो दैवीय वृक्ष मुक्ति दिलाये, ऐसे महान वृक्ष की *अक्षय नवमी* में पूजन करने से भगवान विष्णु बहुत प्रशन्न होते है। कहते है जगत के कल्याण के लिए जैसे तुलसी माँ लक्ष्मी का औषधीय पौधा रूप है, वैसे ही आँवला भगवान विष्णु का पौधा स्वरूप है। जीवन में जो भी आंवला का वृक्ष लगाता है, उसका पूजन करता है, आंवला खाता है उस पर भगवान प्रशन्न होते है।


अक्षय स्वास्थ्य देने के कारण इसका नाम अक्षय और तिथि नवमी के कारण नवमी पड़ा। अक्षय स्वास्थ्य प्रदाता व्रत - अक्षय नवमी।


*इन मन्त्र और विधि से करें आंवला वृक्ष की पूजा*

-आंवला नवमी को सुबह स्नान कर दाहिने हाथ में जल, चावल, फूल आदि लेकर इस तरह व्रत का संकल्प लें-

अद्येत्यादि अमुकगोत्रोमुक (अपना गोत्र बोलें)

 ममाखिलपापक्षयपूर्वकधर्मार्थकाममोक्षसिद्धिद्वारा

श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं धात्रीमूले विष्णुपूजनं धात्रीपूजनं च करिष्ये।


-ऐसा संकल्प कर आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके ऊं धात्र्यै नम: मंत्र से आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करके इन मंत्रों से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें-


पिता पितामहाश्चान्ये अपुत्रा ये च गोत्रिण:।

ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।।

आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवा:।

ते पिवन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।।


-इसके बाद आंवले के पेड़ के तने में यह मंत्र बोलते हुए सूत लपेटें-


दामोदरनिवासायै धात्र्यै देव्यै नमो नम:।

सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोस्तु ते।।


-इसके बाद कर्पूर या शुद्ध घी के दिए से आंवले के वृक्ष की आरती करें तथा निम्न मंत्र से उसकी प्रदक्षिणा करें -


यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।

तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।


ॐ शांति: शान्ति: शांति:


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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