Thursday, 8 August 2024

प्रश्न - *मैं गायत्री परिवार से जुड़ना चाहती/चाहता हूँ, यहां की एक्टिविटी में भाग लेना चाहती/चाहता हूँ। कृपया मार्गदर्शन करें कि गायत्री परिवार से कैसे जुड़े? जुड़ने के लिए योग्यता क्या चाहिए*

 प्रश्न - *मैं गायत्री परिवार से जुड़ना चाहती/चाहता हूँ, यहां की एक्टिविटी में भाग लेना चाहती/चाहता हूँ। कृपया मार्गदर्शन करें कि गायत्री परिवार से कैसे जुड़े? जुड़ने के लिए योग्यता क्या चाहिए*


उत्तर- हमारे *परम पूज्य गुरुदेव युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी* ने युगनिर्माण योजना का उद्घघोष किया और युगनिर्माण के कार्य को गति देने के लिए गायत्री परिवार को बनाया। *गुण, कर्म, स्वभाव की दृष्टि से मानवीय विशेषताओं से परिपूर्ण व्यक्तित्व का विकास हो सके यह गायत्री परिवार की मूल विचार धारा है। मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण।*


वसुधैव कुटुम्बकम का भाव है, श्रेष्ठ उद्देश्य के लिए अच्छी सोच भली नीयत के आध्यात्मिक लोगों का आत्मीयता से भरा समूह गायत्री परिवार है।


अब मूलतः गायत्री परिवार से जुड़ने के लिए कोई कॉरपोरेट मेंबरशिप नहीं होती उसके स्थान पर वैदिक ऋषि परंपरा अनुसार युगऋषि से गुरु दीक्षा का अवलंबन लिया जाता है। गुरुदेव का प्रतिनिधि कोई शिष्य ही गुरुदीक्षा का क्रम पूरा करवाता है और मार्गदर्शन देता है, लेकिन गुरु हम सबके युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ही होते हैं हम सब उन्हीं से दीक्षित माने जाते हैं। प्रारंभ में दीक्षा न भी हो पाए तो, गायत्री मंत्र का नियमित न्यूनतम 15 मिनट का जप हर सदस्य के लिए अनिवार्य है।


तीन छोटी पुस्तक पढ़कर गायत्री परिवार से जुड़कर अध्यात्म की यात्रा प्रारम्भ की जा सकती है:-

1- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार

2- आत्मिक प्रगति के लिए अवलम्बन की आवश्यकता

3- आद्य शक्ति गायत्री की समर्थ साधना


आध्यात्मिक व्यक्ति परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए बहुमूल्य योगदान दे सकता है, स्वयं के उत्थान के साथ साथ समाज का कल्याण कर सकता है।


नज़दीक शक्तिपीठ, प्रज्ञा पीठ या चेतना केंद्र से जुड़कर लोककल्याण की गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं।


गायत्री परिवार औऱ युगनिर्माण योजना को संक्षिप्त एक दृष्टि में समझने के लिए निम्नलिखित पढ़िए:-


युग निर्माण योजना- एक दृष्टि में 


*हमारे लक्ष्य एवं उद्देश्य* :: 


मनुष्य में देवत्व का उदय, धरती पर स्वर्ग का अवतरण। 

स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन, सभ्य समाज। 

आत्मवत् सर्वभूतेषु वसुधैव कुटुंबकम्।

एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म, एक शासन।

जनमानस का  भावनात्मक परिष्कार 


*हमारे आधार* :: 


व्यक्ति निर्माण, 

परिवार निर्माण,

समाज निर्माण।

नैतिक क्रांति, 

बौद्धिक क्रांति, 

सामाजिक क्रांति। 

धर्मतंत्र से लोकशिक्षण (विचार क्रांति)। 


*हमारा उद्घोष* :: 

हम बदलेंगे- युग बदलेगा, हम सुधरेंगे- युग सुधरेगा। 


*हमारा प्रतीक* :: लाल मशाल- ज्ञान यज्ञ ( आलोक वितरण) का सामूहिक सशक्त प्रयास। 


*हमारा संविधान* :: 

युग निर्माण सत्संकल्प। 


मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है। जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है। 


*आत्मनिर्माण के दो सूत्र* :: 

उत्कृष्ट चिंतन, आदर्श कर्तृत्व। 


*जीवन निर्माण के चार स्तंभ* :: 

साधना, स्वाध्याय, संयम, सेवा। 


*आध्यात्मिक जीवन के तीन आधार* :: 

उपासना, साधना, आराधना। 


*प्रगतिशील जीवन के चार चरण* :: 

समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, बहादुरी। 


*संयमशीलता के चार स्तंभ* :: 

इंद्रिय संयम, अर्थ संयम, समय संयम, विचार संयम।


whats up +91-8439014110

Email - shantikunjyouthcell@gmail.com



#विचारक्रांति #AWGP

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