*स्वतंत्रता आंदोलन - जीभ की ग़ुलामी से जिसकी औसत लम्बाई मात्र 10 सेंटीमीटर होती है।*
स्वाद सिर्फ़ जीभ कुछ क्षण लेती है, गले को कोई स्वाद अनुभूती नहीं होती। आंतो और पेट के पाचन तन्त्र में सम्मिलित किसी भी अंग को स्वाद की अनुभूति नहीं होती। कितना भी स्वादिष्ट खाइये, उसका अंत बदबूदार पॉटी ही होता है।
फ़िर भी जीभ की ग़ुलामी क्यूँ? क्यूँ हम स्वास्थ्य को नहीं चुनते? क्यूँ स्वाद को चुनते हैं?
स्वयं से प्रश्न कीजिये- *जीने के लिए खा रहे हैं? या खाने के लिए जी रहे हैं?*
जीभ के ग़ुलाम दिन रात जीभ के तुष्टिकरण में लगे रहते हैं। रात को चिंता होती है क़ि सुबह खाने में क्या बनेगा? सुबह दोपहर के खाने में क्या बनेगा? फ़िर दोपहर को रात के खाने की चिंता।
*प्रधानमन्त्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प को अपने-अपने देश चलाने की जितनी चिंता होती होगी उससे ज्यादा चिंता लोगों को अपने किचन चलाने में होती है।*
ओवर वेट, पेट की तरह तरह की बीमारियां, पेट में गैस कब्ज़ इत्यादि सहते हुए भी जीभ की ग़ुलामी नहीं छोड़ते।
जीभ की तुष्टिकरण हेतु बड़े बड़े होटल, रेस्टोरेंट, मिठाई की दुकान, दुकाने, फ़ूड आईटम पूरा विश्व बाज़ार लगा हुआ है।
अंग्रेजों ने हमें उतना नहीं सताया जितना जीभ सता रही हैं। अंग्रेज़ों के एजेंट की तरह बेवज़ह दवाईयों की फ़ीस के रूप में मनमाना टैक्स जीभ के कारण डॉक्टरों को दे रहे हैं। *उभरा हुआ पेट लेकर चलने में प्रत्येक भाई बहनों को तकलीफ़ होती है, शर्म भी आती है।* पेट की बीमारियों ने तबाही मचा रखी है लेकिन मज़ाल है क़ि जीभ को वश में करने की कोशिश किसी की भी कामयाब हुई हो।
*युगऋषि कहते हैं क़ि अभ्यास और वैराग्य से जिह्वा पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि किसी वस्तु को खाने की तीव्र ईच्छा हो रही हो तो उसे 8 घण्टे के लिए टाल दो। 8 घण्टे के लिए उसे Rethink mode में डाल दो। तुरन्त अपनी इच्छाएं पूर्ण मत कीजिये। कुछ अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय करते हुए साथ में घूँट घूँट जल पीजिये।*
हरी धनियां, अदरक और नींबू का पेस्ट बना के सुबह शाम गुनगुने गर्म पानी से पीजिये। पेट को छति जीभ ने पहुंचाई है पेट का इलाज़ कीजिये। दिन में कम से कम एक बार ईच्छा हो या न हो एक फ़ल में सेव जरूर खा लीजिये।
असहयोग आंदोलन जीभ के लिए वैसे ही चलाइये जैसे अंग्रेज़ो के विरुद्ध गांधी जी ने चलाया था। भगत सिंह की तरह स्वाध्याय का धमाका मन मस्तिष्क में कीजिये। जीभ की ग़ुलामी से आज़ादी पाइए।
जिस दिन जिह्वा पर विजय प्राप्त कर लिया उस दिन धरती पर ही स्वर्ग से सुख की अनुभूति होगी। शरीर हल्का होगा तो मन हल्का रहेगा। स्वाध्याय से बुद्धि शुद्ध होगी। इस तरह अग्रेजों से भी कठिन ग़ुलामी जिह्वा की ग़ुलामी से मुक्ति मिलेगी।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
स्वाद सिर्फ़ जीभ कुछ क्षण लेती है, गले को कोई स्वाद अनुभूती नहीं होती। आंतो और पेट के पाचन तन्त्र में सम्मिलित किसी भी अंग को स्वाद की अनुभूति नहीं होती। कितना भी स्वादिष्ट खाइये, उसका अंत बदबूदार पॉटी ही होता है।
फ़िर भी जीभ की ग़ुलामी क्यूँ? क्यूँ हम स्वास्थ्य को नहीं चुनते? क्यूँ स्वाद को चुनते हैं?
स्वयं से प्रश्न कीजिये- *जीने के लिए खा रहे हैं? या खाने के लिए जी रहे हैं?*
जीभ के ग़ुलाम दिन रात जीभ के तुष्टिकरण में लगे रहते हैं। रात को चिंता होती है क़ि सुबह खाने में क्या बनेगा? सुबह दोपहर के खाने में क्या बनेगा? फ़िर दोपहर को रात के खाने की चिंता।
*प्रधानमन्त्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प को अपने-अपने देश चलाने की जितनी चिंता होती होगी उससे ज्यादा चिंता लोगों को अपने किचन चलाने में होती है।*
ओवर वेट, पेट की तरह तरह की बीमारियां, पेट में गैस कब्ज़ इत्यादि सहते हुए भी जीभ की ग़ुलामी नहीं छोड़ते।
जीभ की तुष्टिकरण हेतु बड़े बड़े होटल, रेस्टोरेंट, मिठाई की दुकान, दुकाने, फ़ूड आईटम पूरा विश्व बाज़ार लगा हुआ है।
अंग्रेजों ने हमें उतना नहीं सताया जितना जीभ सता रही हैं। अंग्रेज़ों के एजेंट की तरह बेवज़ह दवाईयों की फ़ीस के रूप में मनमाना टैक्स जीभ के कारण डॉक्टरों को दे रहे हैं। *उभरा हुआ पेट लेकर चलने में प्रत्येक भाई बहनों को तकलीफ़ होती है, शर्म भी आती है।* पेट की बीमारियों ने तबाही मचा रखी है लेकिन मज़ाल है क़ि जीभ को वश में करने की कोशिश किसी की भी कामयाब हुई हो।
*युगऋषि कहते हैं क़ि अभ्यास और वैराग्य से जिह्वा पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि किसी वस्तु को खाने की तीव्र ईच्छा हो रही हो तो उसे 8 घण्टे के लिए टाल दो। 8 घण्टे के लिए उसे Rethink mode में डाल दो। तुरन्त अपनी इच्छाएं पूर्ण मत कीजिये। कुछ अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय करते हुए साथ में घूँट घूँट जल पीजिये।*
हरी धनियां, अदरक और नींबू का पेस्ट बना के सुबह शाम गुनगुने गर्म पानी से पीजिये। पेट को छति जीभ ने पहुंचाई है पेट का इलाज़ कीजिये। दिन में कम से कम एक बार ईच्छा हो या न हो एक फ़ल में सेव जरूर खा लीजिये।
असहयोग आंदोलन जीभ के लिए वैसे ही चलाइये जैसे अंग्रेज़ो के विरुद्ध गांधी जी ने चलाया था। भगत सिंह की तरह स्वाध्याय का धमाका मन मस्तिष्क में कीजिये। जीभ की ग़ुलामी से आज़ादी पाइए।
जिस दिन जिह्वा पर विजय प्राप्त कर लिया उस दिन धरती पर ही स्वर्ग से सुख की अनुभूति होगी। शरीर हल्का होगा तो मन हल्का रहेगा। स्वाध्याय से बुद्धि शुद्ध होगी। इस तरह अग्रेजों से भी कठिन ग़ुलामी जिह्वा की ग़ुलामी से मुक्ति मिलेगी।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
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