*नववर्ष विक्रम सम्वत 2075 और अंग्रेजी नववर्ष 2018 में हम सभी के हृदय में सुकून शांति और आनंद विराजमान हो। हम सबका जीवन श्रेष्ठ उद्देश्य से जुड़े और धरती ही स्वर्ग सी सुन्दर बनें*।
*अन्तःकरण तक विज्ञान की पहुंच नहीं है?*
तप और सिद्धियों से प्राप्त ऋद्धि-सिद्धि आज पदार्थ विज्ञान के कारण सहज़ चन्द रुपयो में उपलब्ध है-
😊☺👉🏻उदाहरण - दूरदर्शन(टीवी), दूरश्रवण(फ़ोन), दूरयात्रा जल-थल-नभ (जलयान, मोटरयान, वायुयान), शीतल और गर्म की सिद्धि ( Air Conditioner) इत्यादि।
लेकिन पदार्थ विज्ञानं उन्हीं सिद्धियों को पदार्थ विज्ञानं की सहायता से दे पाया जो स्थूल और बाह्य थी।
🤔🙄👉🏻😇 *अन्तः क्षेत्र की सिद्धियां आज भी तपस्या करने पर, अभ्यास करने पर ही मिलती है। अन्तःकरण में सुकून, शांति, सद्बुद्धि, एकाग्रता इत्यादि विज्ञानं की सहायता से प्राप्त नही किया जा सकता।*
आप किसी को बुद्ध का परिधान या विवेकानंद का परिधान देकर बुद्धत्व नहीं दे सकते, विवेकानंद नही बना सकते। विज्ञान की सहायता से बाह्य आकृति बदली जा सकती है, अतः प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।
विराट कोहली की ड्रेस, जूता और बैट लेकर भी कोई विराट जैसा नहीं खेल सकता। बैट के साथ उसके जैसा अभ्यास जरूरी है। क्रिकेट के मैदान में खिलाडियों के अंतर्मन की कुशलता शरीर की कुशलता से ज्यादा जरूरी है।
सर्वत्र अभ्यास चाहिए, यज्ञ की समस्त सामग्री, कुण्ड और मन्त्र से मात्र यज्ञ का वो प्रभाव उत्प्न्न नहीं किया जा सकता जो युगऋषि कर सकते थे। अन्तःकरण और व्यक्तित्व में मन्त्र सिद्धि यज्ञ पर प्रभाव् उत्प्न्न करता है।
चरित्र चिंतन और अन्तःकरण तो सबको स्वयं ही साधना पड़ेगा, जीवन यज्ञ के पूर्ण लाभ हेतु जीवन को श्रेष्ठ उद्देश्यों से जोड़ना होगा । विज्ञान की सहायता से कुछ प्राप्त कर सकेंगे लेकिन आज भी विज्ञान सबकुछ नही दे सकतां।
प्रत्येक व्यक्ति यूनिक है अपने आप में एक अनूठा व्यक्तित्व है। जीवन इम्तिहान में सबको पेपर अलग अलग दिया गया है। नकल करना सम्भव नही है। सबको अपने अपने प्रश्न पत्र स्वयं सॉल्व/हल करने पड़ेंगे।
अंग्रेजी नववर्ष 2018 हो या भारतीय नववर्ष चैत्र विक्रम सम्वत 2075 हो। यदि स्वयं को दिव्य सम्भावनाओं और श्रेष्ठ जीवन उद्देश्य से जोड़ेंगे तभी नववर्ष मंगलमय होगा। सुकून शांति और हृदय में परमानन्द से ही हर क्षण हर पल मंगलमय हो सकता है।
हम सभी स्वयं को श्रेष्ठ जीवन उद्देश्य से जोड़कर सुखी रहें यही नववर्ष में प्रार्थना है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
*अन्तःकरण तक विज्ञान की पहुंच नहीं है?*
तप और सिद्धियों से प्राप्त ऋद्धि-सिद्धि आज पदार्थ विज्ञान के कारण सहज़ चन्द रुपयो में उपलब्ध है-
😊☺👉🏻उदाहरण - दूरदर्शन(टीवी), दूरश्रवण(फ़ोन), दूरयात्रा जल-थल-नभ (जलयान, मोटरयान, वायुयान), शीतल और गर्म की सिद्धि ( Air Conditioner) इत्यादि।
लेकिन पदार्थ विज्ञानं उन्हीं सिद्धियों को पदार्थ विज्ञानं की सहायता से दे पाया जो स्थूल और बाह्य थी।
🤔🙄👉🏻😇 *अन्तः क्षेत्र की सिद्धियां आज भी तपस्या करने पर, अभ्यास करने पर ही मिलती है। अन्तःकरण में सुकून, शांति, सद्बुद्धि, एकाग्रता इत्यादि विज्ञानं की सहायता से प्राप्त नही किया जा सकता।*
आप किसी को बुद्ध का परिधान या विवेकानंद का परिधान देकर बुद्धत्व नहीं दे सकते, विवेकानंद नही बना सकते। विज्ञान की सहायता से बाह्य आकृति बदली जा सकती है, अतः प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।
विराट कोहली की ड्रेस, जूता और बैट लेकर भी कोई विराट जैसा नहीं खेल सकता। बैट के साथ उसके जैसा अभ्यास जरूरी है। क्रिकेट के मैदान में खिलाडियों के अंतर्मन की कुशलता शरीर की कुशलता से ज्यादा जरूरी है।
सर्वत्र अभ्यास चाहिए, यज्ञ की समस्त सामग्री, कुण्ड और मन्त्र से मात्र यज्ञ का वो प्रभाव उत्प्न्न नहीं किया जा सकता जो युगऋषि कर सकते थे। अन्तःकरण और व्यक्तित्व में मन्त्र सिद्धि यज्ञ पर प्रभाव् उत्प्न्न करता है।
चरित्र चिंतन और अन्तःकरण तो सबको स्वयं ही साधना पड़ेगा, जीवन यज्ञ के पूर्ण लाभ हेतु जीवन को श्रेष्ठ उद्देश्यों से जोड़ना होगा । विज्ञान की सहायता से कुछ प्राप्त कर सकेंगे लेकिन आज भी विज्ञान सबकुछ नही दे सकतां।
प्रत्येक व्यक्ति यूनिक है अपने आप में एक अनूठा व्यक्तित्व है। जीवन इम्तिहान में सबको पेपर अलग अलग दिया गया है। नकल करना सम्भव नही है। सबको अपने अपने प्रश्न पत्र स्वयं सॉल्व/हल करने पड़ेंगे।
अंग्रेजी नववर्ष 2018 हो या भारतीय नववर्ष चैत्र विक्रम सम्वत 2075 हो। यदि स्वयं को दिव्य सम्भावनाओं और श्रेष्ठ जीवन उद्देश्य से जोड़ेंगे तभी नववर्ष मंगलमय होगा। सुकून शांति और हृदय में परमानन्द से ही हर क्षण हर पल मंगलमय हो सकता है।
हम सभी स्वयं को श्रेष्ठ जीवन उद्देश्य से जोड़कर सुखी रहें यही नववर्ष में प्रार्थना है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
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