Friday 29 December 2017

Stress Management & Skill Refinement Through Meditation

*Stress Management & Skill Refinement Through Meditation*

Meditation अर्थात् ध्यान

ध्यान के बारे में दो तरह से लोग बोलते है।

👉🏻1- पढ़ाई ध्यान से करो, ध्यान से काम करो, इसे ध्यान से करना इत्यादि इत्यादि, यहां पर ध्यान वास्तव में एकाग्रता को बोल रहे हैं। Do task with focused mind... तो ये एकाग्रता आपके कार्यक्षमता  को बढ़ाता है। Your skill get developed. इस वाले ध्यान शब्द के साथ बाहरी कार्य (External Work Associated) होता है।

👉🏻2- नियमित ध्यान करो और अपनी अन्तःक्षेत्र में प्रवेश कर अपनी शक्तियों को पहचानों। ये वाला गहन ध्यान है, इसमें कोई बाहरी कार्य (External Work Associated) नहीं होता। सब कुछ भीतर होता है। इस गहन ध्यान के अभ्यास से Stress Management, Personality Refinement और Skill Refinement सम्भव है।
😇😇😇😇
*अब प्रश्न आता है ध्यान कैसे करें?(How to do meditation?)*

ध्यान कोई कर नहीं सकता, ये स्वतः होने की प्रक्रिया है, हम मात्र ध्यान हो जाए वो व्यवस्था बनाते हैं, जैसे किसान खेत तैयार करता है, बीज बोता है, खाद पानी डालता है। बीज के पौधे बनने की व्यवस्था बनाता है। लेकिन कोई किसान या वैज्ञानिक किसी बीज से डायरेक्ट पौधा नहीं निकाल सकता। इसी तरह कोई भी इंसान ध्यान नहीं कर सकता, वो किसान की तरह मनोभूमि को उपजाऊ बना के, नेत्र बन्द करके, कमर सीधी करके सुखासन पर बैठता है। बीज के रूप में कोई धारणा अर्थात् कल्पना हेतु ऑब्जेक्ट चुनता है।

*उदाहरण* - आती जाती श्वांस पर ध्यान एकाग्र करना या उगते हुए सूर्य का ध्यान करना। नाद योग ध्यान में म्यूज़िक पर ध्यान केंद्रित करना।

मन को नए साधक के लिए निर्विचार करना असम्भव है। लेकिन कोई ध्यान का Object- धारणा चुन कर उस पर Focus करना आसान है।

ध्यान बीज से पौधे निकलने जैसा है और समाधि उस ध्यान का फ़ल है।

निराकार ध्यान मैने कभी किया नहीं उसका मुझे कोई अनुभव नहीं है। अतः उस पर हम चर्चा नहीं करेंगे।

नियमित ध्यान करने से तीन महीने में हम सिद्धहस्त हो जाते हैं क़ि किस विचार(Thought) को चुनना(Pick) करना है और किसे नहीं।

*तनाव(Stress-Tension) का उदाहरण*- आधा कप चाय हाथ में उठाइये, कोई दर्द महसूस नहीं होगा। लेकिन वही चाय एक घण्टे तक हाथ में रखिये या एक दिन तक हाथ अकड़ कर दर्द करने लगेगा। इसी तरह समस्या पर काम करना आसान है उसमें कोई भार या तनाव नहीं है, लेकिन उस समस्या को मन में उठाये रखना ही तनाव का कारण है। ध्यान के अभ्यास से तनाव का कप उठाना, उस पर काम करके उसे पुनः रखने की क्षमता विकसित हो जाती है। आपके मन के रेडियो पर वही  गाना बजेगा अर्थात् वही विचार घूमेंगे जिसे आप चुनेंगे। आपके मन के रेडियो का रिमोट ध्यान से ही प्राप्त किया जा सकता है।

ध्यान की मानसिक शल्य चिकित्सा से अपने व्यक्तित्व में कुछ भी नया गढ़ा जा सकता है और अनचाहा गुण अपने व्यक्तित्व से निकाला जा सकता है।

शराबियों को क्षणिक आनंद शराब पीने से मिलता है उससे करोड़ो गुना स्थायी आनंद ध्यान से मिलता है।

*विश्वास मानिए, ध्यान उतना ही आसान है जितनी खेती आसान है, इसे निरन्तर अभ्यास और वैराग्य द्वारा सिद्धहस्त किया जा सकता है।*

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इंडिया यूथ एसोसिएशन


http://literature.awgp.org/book/bhramvarchas_ki_dhyaan_dharna_/v1.4

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