*कॉरपोरेट पार्टी या विदेशों में रहने वाले भारतीयों के घर में या किसी हाई फाई सोसायटी में अल्कोहल को ना कैसे बोलें? स्वयं को उनसे प्रभावित होने से कैसे बचाएं?*
सेक्टर 17 में एक रिटायर्ड ऑफिसर के घर में किराए पर रहती थी, सन सिटी सेक्टर 54 में मेरा ऑफ़िस था। उनके घर किटी पार्टी के आयोजन हुआ। मुझे बुलाया गया, हतप्रभ सबके हाथ में व्हिस्की का ग्लास और तम्बोला पैसे वाला चल रहा था।
मेरी हमउम्र उनके बेटी के बच्चे थे जिनमे से एक तृप्ति मेरी ही कम्पनी में जॉब करती थी। उन्होंने मुझे पहले व्हिस्की सर्व की, मेरे मना करने पर बीयर सर्व कर दी। इसे मना करने पर जैसे मैंने कोई गुनाह कर दिया हो। सब मुझे इस गुनाह से उबारने और नशे का ज्ञान देने खेल रोक के पहुंच गए।
आंटी और अंकल बोले - देखो बेटा, तुम कॉरपोरेट में जॉब करती हो। ये सब तो करना पड़ेगा। हाई फाई सोसायटी और कॉरपोरेट की कोई पार्टी इसके बिना नहीं होती। यदि तुमने इसे नहीं पिया तो तुम जिंदगी के आनन्द को समझ नहीं पाओगी। तुम हाई फाई सोसायटी का हिस्सा न बन पाओगी। तुम्हें उनके कमेंट सुनकर शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी, लोग तुम्हेँ ओल्ड फ़ैशन, बहनजी टाइप बोलेंगे तो क्या तुम्हें अच्छा लगेगा? इसलिए हमारे साथ थोड़ा ट्राई करो ,मस्ती करो और जिंदगी का आनन्द लो।
मैंने सम्मान से कहा, यदि आप मेरी कुछ जिज्ञासा है उसे शांत कर दें,मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दें तो उसके बाद सन्तुष्ट होने पर मैं इसे जरूर पियूंगी।
उन्होंने कहा पूंछो?
जो हम यह अल्कोहल लेंगे इसका आनन्द कितनी देर तक रहेगा? कुछ क्षण या रात भर या कुछ दिन या जीवनभर?
*तृप्ति*- भला ये कैसा सवाल हुआ? जहां तक मेरा अनुभव है जब तक नशा दिमाग़ में चढ़ा रहेगा तब तक एक झनझनाहट रहती हैं, मज़ा आता है।
*श्वेता* - ओके, तो नशा उतरने पर कैसा अनुभव होता है?
*तृप्ति* - हैंगओवर रहता है, कभी कभी सर में दर्द भी होता है।
*श्वेता* - कितने दिन से अल्कोहल ले रही हो?
*तृप्ति* - क़रीब 6 साल हो गए, इसके बिना तो हमारी कोई पार्टी ही नहीं होती।
*श्वेता* - मैं भी मस्ती करती हूँ, और आनंद लेती हूँ। लेकिन उसका नशा कभी उतरता नहीं और न ही हैंगओवर होता है। और न ही मुझे किसी को सम्हालने की जरूरत पड़ती है। यह आनन्द का तरीका बहुत पुराना है।
*तृप्ति* - ओके तो तुम भांग या गोली खाती हो?
*श्वेता* - नहीं, मैं मेडिटेशन करती हूँ। आनन्द दो प्रकार का होता है, एक धमाल आनंद जो उछल कूद और नशे से मिलता है। दूसरे प्रकार का आनंद शांत सुकून दायीं आनन्द होता है जो जप और मेडिटेशन से मिलता है। दिमाग़ में डोपामिन दोनों रिलीज़ करते हैं,
*धमाल आनन्द- नशे* में डोपामिन अनियंत्रित रिलीज़ होते है और अति उत्तेजना में यह टूटते भी हैं, सिर्फ़ मन ख़ुश होता है और शरीर विशेष कर आंतो को नुकसान झेलना पड़ता है। शरीर पर दिमाग नियंत्रण ख़त्म हो जाता है। यह क्षणिक है।
*शांत आनन्द-मेडिटेशन* में डोपामिन नियंत्रित रिलीज़ होते हैं और आनन्द स्थायी होता है। पूरा शरीर मन के साथ आनन्दित होता है। शरीर पर दिमाग का पूर्ण नियंत्रण बना रहता है। यह स्थायी है।
मज़े और आनंद में फर्क है, इंसान मज़ा और मस्ती जो करने लगता है उसमें ढूढ़ लेता है। भक्त ईश्वर की भक्ति में मस्त रहता है, आतंकी आतंकवाद में मज़ा-मस्ती लेते है। कोई समाज सेवक दीन-दुखियों की पीड़ा दूर करने में मस्त है तो कोई दूसरों को पीड़ा देने में मस्त है।
*तृप्ति* - अरे यार तुमने तो मूड ख़राब कर दिया। पीना है तो पियो, नहीं तो रहने दो, पंडितो जैसे प्रवचन मत दो।
*श्वेता* - बहन प्लीज़ गुस्सा मत हो, तुमने अपने विचार रखे और मैंने अपने। कॉरपोरेट में मुझे सैलरी और प्रमोशन काम करने पर मिलेगें न कि ड्रिंक करने के लिए मिलेगा।
मेरे गुरुदेव कहते हैं, व्यसन से बचाओ और सृजन में लगाओ।
आधुनिकताक की ग़लत परिभाषा और पाश्चात्य का अंधानुकरण शराब से और कपड़ो से आधुनिकता और हाई-फाई सोसायटी की गारंटी देता है।
लेकिन हमारे देश के ही विवेकानंद जी ने विदेशियों को जवाब देते हुए कहा था कि पश्चमी देशों में दर्जी और शराब का ग्लास स्टेटस बताता है, हमारे देश में व्यक्ति की पहचान और स्टैट्स उसके गुण-कर्म-स्वभाव और ज्ञान से मिलती है।
नशे में बहकते क़दम जब स्वयं का शरीर नहीं सम्हाल सकते, तो फिर परिवार, समाज और राष्ट्र भला कैसे सम्हलेंगे।
पहले आप हमारे आनंद की तरकीब आधे घण्टे मेडिटेशन try कीजिये, तब हम भी व्हिस्की try करेंगें।
तृप्ति को कुछ उत्तर देते न बना, और वहां से उठ कर चली गयी।
कुछ दिनों बाद, धीरे धीरे मेरी तृप्ति से मेरी दोस्ती हुई। युगऋषि का साहित्य वो पढ़ने लगी। अभी वो शादी के बाद अमेरिका में है लेकिन नशा नहीं करती। उपासना-साधना-आराधना में अब तृप्त है।
*बुरे लोगों के समूह में बुराई का अनुपात स्टेटस बताता है कि कौन कितना बड़ा डॉन है? इसी तरह अच्छे लोगों के समूह में अच्छाई का अनुपात स्टेटस बताता है कि कौन कितना ज्यादा लोकसेवा कर रहा है? बुरे के समूह में एक अच्छे व्यक्ति का दम घुटता है और अच्छे लोगों के समूह में एक बुरे व्यक्ति का दम घुटता है।*
विवेकानंद की तरह निर्भीक, स्वाभिमानी और आनंदमय रहें और किसी भी सामाजिक बुराई का विरोध करें। नशे का विरोध करें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
सेक्टर 17 में एक रिटायर्ड ऑफिसर के घर में किराए पर रहती थी, सन सिटी सेक्टर 54 में मेरा ऑफ़िस था। उनके घर किटी पार्टी के आयोजन हुआ। मुझे बुलाया गया, हतप्रभ सबके हाथ में व्हिस्की का ग्लास और तम्बोला पैसे वाला चल रहा था।
मेरी हमउम्र उनके बेटी के बच्चे थे जिनमे से एक तृप्ति मेरी ही कम्पनी में जॉब करती थी। उन्होंने मुझे पहले व्हिस्की सर्व की, मेरे मना करने पर बीयर सर्व कर दी। इसे मना करने पर जैसे मैंने कोई गुनाह कर दिया हो। सब मुझे इस गुनाह से उबारने और नशे का ज्ञान देने खेल रोक के पहुंच गए।
आंटी और अंकल बोले - देखो बेटा, तुम कॉरपोरेट में जॉब करती हो। ये सब तो करना पड़ेगा। हाई फाई सोसायटी और कॉरपोरेट की कोई पार्टी इसके बिना नहीं होती। यदि तुमने इसे नहीं पिया तो तुम जिंदगी के आनन्द को समझ नहीं पाओगी। तुम हाई फाई सोसायटी का हिस्सा न बन पाओगी। तुम्हें उनके कमेंट सुनकर शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी, लोग तुम्हेँ ओल्ड फ़ैशन, बहनजी टाइप बोलेंगे तो क्या तुम्हें अच्छा लगेगा? इसलिए हमारे साथ थोड़ा ट्राई करो ,मस्ती करो और जिंदगी का आनन्द लो।
मैंने सम्मान से कहा, यदि आप मेरी कुछ जिज्ञासा है उसे शांत कर दें,मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दें तो उसके बाद सन्तुष्ट होने पर मैं इसे जरूर पियूंगी।
उन्होंने कहा पूंछो?
जो हम यह अल्कोहल लेंगे इसका आनन्द कितनी देर तक रहेगा? कुछ क्षण या रात भर या कुछ दिन या जीवनभर?
*तृप्ति*- भला ये कैसा सवाल हुआ? जहां तक मेरा अनुभव है जब तक नशा दिमाग़ में चढ़ा रहेगा तब तक एक झनझनाहट रहती हैं, मज़ा आता है।
*श्वेता* - ओके, तो नशा उतरने पर कैसा अनुभव होता है?
*तृप्ति* - हैंगओवर रहता है, कभी कभी सर में दर्द भी होता है।
*श्वेता* - कितने दिन से अल्कोहल ले रही हो?
*तृप्ति* - क़रीब 6 साल हो गए, इसके बिना तो हमारी कोई पार्टी ही नहीं होती।
*श्वेता* - मैं भी मस्ती करती हूँ, और आनंद लेती हूँ। लेकिन उसका नशा कभी उतरता नहीं और न ही हैंगओवर होता है। और न ही मुझे किसी को सम्हालने की जरूरत पड़ती है। यह आनन्द का तरीका बहुत पुराना है।
*तृप्ति* - ओके तो तुम भांग या गोली खाती हो?
*श्वेता* - नहीं, मैं मेडिटेशन करती हूँ। आनन्द दो प्रकार का होता है, एक धमाल आनंद जो उछल कूद और नशे से मिलता है। दूसरे प्रकार का आनंद शांत सुकून दायीं आनन्द होता है जो जप और मेडिटेशन से मिलता है। दिमाग़ में डोपामिन दोनों रिलीज़ करते हैं,
*धमाल आनन्द- नशे* में डोपामिन अनियंत्रित रिलीज़ होते है और अति उत्तेजना में यह टूटते भी हैं, सिर्फ़ मन ख़ुश होता है और शरीर विशेष कर आंतो को नुकसान झेलना पड़ता है। शरीर पर दिमाग नियंत्रण ख़त्म हो जाता है। यह क्षणिक है।
*शांत आनन्द-मेडिटेशन* में डोपामिन नियंत्रित रिलीज़ होते हैं और आनन्द स्थायी होता है। पूरा शरीर मन के साथ आनन्दित होता है। शरीर पर दिमाग का पूर्ण नियंत्रण बना रहता है। यह स्थायी है।
मज़े और आनंद में फर्क है, इंसान मज़ा और मस्ती जो करने लगता है उसमें ढूढ़ लेता है। भक्त ईश्वर की भक्ति में मस्त रहता है, आतंकी आतंकवाद में मज़ा-मस्ती लेते है। कोई समाज सेवक दीन-दुखियों की पीड़ा दूर करने में मस्त है तो कोई दूसरों को पीड़ा देने में मस्त है।
*तृप्ति* - अरे यार तुमने तो मूड ख़राब कर दिया। पीना है तो पियो, नहीं तो रहने दो, पंडितो जैसे प्रवचन मत दो।
*श्वेता* - बहन प्लीज़ गुस्सा मत हो, तुमने अपने विचार रखे और मैंने अपने। कॉरपोरेट में मुझे सैलरी और प्रमोशन काम करने पर मिलेगें न कि ड्रिंक करने के लिए मिलेगा।
मेरे गुरुदेव कहते हैं, व्यसन से बचाओ और सृजन में लगाओ।
आधुनिकताक की ग़लत परिभाषा और पाश्चात्य का अंधानुकरण शराब से और कपड़ो से आधुनिकता और हाई-फाई सोसायटी की गारंटी देता है।
लेकिन हमारे देश के ही विवेकानंद जी ने विदेशियों को जवाब देते हुए कहा था कि पश्चमी देशों में दर्जी और शराब का ग्लास स्टेटस बताता है, हमारे देश में व्यक्ति की पहचान और स्टैट्स उसके गुण-कर्म-स्वभाव और ज्ञान से मिलती है।
नशे में बहकते क़दम जब स्वयं का शरीर नहीं सम्हाल सकते, तो फिर परिवार, समाज और राष्ट्र भला कैसे सम्हलेंगे।
पहले आप हमारे आनंद की तरकीब आधे घण्टे मेडिटेशन try कीजिये, तब हम भी व्हिस्की try करेंगें।
तृप्ति को कुछ उत्तर देते न बना, और वहां से उठ कर चली गयी।
कुछ दिनों बाद, धीरे धीरे मेरी तृप्ति से मेरी दोस्ती हुई। युगऋषि का साहित्य वो पढ़ने लगी। अभी वो शादी के बाद अमेरिका में है लेकिन नशा नहीं करती। उपासना-साधना-आराधना में अब तृप्त है।
*बुरे लोगों के समूह में बुराई का अनुपात स्टेटस बताता है कि कौन कितना बड़ा डॉन है? इसी तरह अच्छे लोगों के समूह में अच्छाई का अनुपात स्टेटस बताता है कि कौन कितना ज्यादा लोकसेवा कर रहा है? बुरे के समूह में एक अच्छे व्यक्ति का दम घुटता है और अच्छे लोगों के समूह में एक बुरे व्यक्ति का दम घुटता है।*
विवेकानंद की तरह निर्भीक, स्वाभिमानी और आनंदमय रहें और किसी भी सामाजिक बुराई का विरोध करें। नशे का विरोध करें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
No comments:
Post a Comment