Friday, 16 March 2018

माँ शैलपुत्री का ध्यान-प्रथम दिन

*माँ शैलपुत्री का ध्यान-प्रथम दिन*

भावना कीजिए कि आपका शरीर एक सुन्दर रथ है। उसमें मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार रूपी घोड़े जुते हैं। इस रथ में दिव्य तेजोमयी माता शैलपुत्री विराजमान हैं और घोड़ों की लगाम उसने अपने हाथ में थाम रखी है। जो घोड़ा बिचकता है वह चाबुक से उसका अनुशासन करती है और लगाम झटककर उसको सीधे मार्ग पर ठीक रीति से चलने में सफल पथ-प्रदर्शन करती है। घोड़े भी माता से आतंकित होकर उसके अंकुश को स्वीकार करते हैं।

आपका मन माता के अनुशासन में शांत हो गया है, हृदय में निर्मल भक्ति का सागर हिलोरे ले रहा है। आप नीले आकाश में सफ़ेद बादलो पर माँ शैलपुत्री के साथ विचरण कर रहे हैं। माँ आपको हिमालय की ऊंची चोटियों का दर्शन आसमान से करवा रही हैं। बड़े प्यार से अपना स्नेह आप पर लुटा रही हैं। आप बालक की तरह माँ का आँचल थामे हैं।

मानो तो माँ माँ है न मानो तो स्थूल स्त्री का शरीर मात्र है। इसी तरह जब तक भावना और ध्यान मातृशक्ति से एकाकर नहीं होगा, तब तक वह शक्ति चेतना में प्रवेश कर अपना प्रभाव नहीं दिखाएगी। माँ का गहन ध्यान ही माँ की शक्ति को हमारी चेतना में प्रवेश करवाएगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन

No comments:

Post a Comment

Engage your self to pursue your true desire

 "Engage your self to pursue your true desire" Written by Sweta Chakraborty, AWGP Where there's a will, a way unfolds, Determi...