*योग चरित्र-चिंतन-व्यवहार से सुदृढ और श्रेष्ठ बनने का ज्ञान विज्ञान है। भीतर से प्रकाशित होने की प्रक्रिया है।*
हमारे आत्मीय भाइयो एवं बहनों,
वर्षों के बाद एक ऐसा अवसर आया है कि हम योगदिवस के माध्यम से भारतीय विरासत का गौरव अनुभव कर रहे हैं। घर घर योग पहुंचे यही शुभकामनाएं है, विश्व स्तर पर योग की पहचान हो गयी है अब घर घर भी पहुंचे, एक नित्य अभ्यास में आ जाये।
भारतीय संस्कृति की दृष्टि में हम युवा किसे कहते हैं? संघर्षो के सौपानो पर चढ़कर सफ़लता प्राप्त करने वाले युवा कहलाते है। लाखों वर्षों तक कोयला घिसा जाता है तब हीरा बनता है, सोना भी भट्टी में पिघलकर तपकर ही निखरता है। पेंसिल भी कटर के दर्द को सहकर ही लिखने योग्य बनती है। धाराओं की चीरने वाला ही तैराक बन पाता है। ये सारे उदाहरण युवा व्यक्तित्व और युवा सोच के उदाहरण हैं।
*संघर्षो को सौभाग्य की तरह वरण करने वाले युवा कहलाते हैं। क्योंकि हमारे देश मे युवा उम्र से नहीं दृष्टिकोण(attitude) से तौले जाते हैं। हमारा देश अद्भुत देश है।*
जिनका जीवन ठहर गया है, जिनका उत्साह ठंडा हो गया है।जिनके अंदर क्रांति की सम्भावनाये जन्म नहीं लेती , जिनके मन मे समाज को बदलने की, संस्कृति को उठाने की, राष्ट्र को बढ़ाने की सोच करवटे नहीं लेती, जिनकी सोच ठहर गयी है। वो युवा नहीं हैं।
युवा वो हैं जिनके मन में उमंग उल्लास और कुछ कर गुजरने की चाह है, जो संस्कृति को उठाने, समाज को बनाने और राष्ट्र को आगे बढ़ाने में प्रयासरत हैं, वो चाहे किसी भी उम्र के हों युवा हैं।
*देश का सौभाग्य है कि हमारे देश के 65 से 70% युवा हैं। लेकिन इस सौभाग्य को दुर्भाग्य बनते देर न लगेगी यदि इस यौवन को सही दिशा धारा न मिली।*
तो इस यौवन को सही दिशा धारा देने में सहायक योग है।
जो तिल माहीं तेल है जो चकमक में आग,
तेरा साईं तुझमें है, जाग सके तो जाग।
*अंतर की आंखों को खोलने का विज्ञान योग है, स्वयं के पूर्ण अस्तित्व को जानने का नाम योग है, अंतर से बदलने का नाम योग है, स्वयं को श्रेष्ठता से जोड़ना योग है, चेतना के परिष्कार का नाम योग है। मात्र शरीर के स्वास्थ्य हेतु योग नहीं होता वो तो मात्र एक अंग है। योग मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य प्राप्त करके पूर्णता प्राप्त करने का नाम है।*
*संसार मे हम सभी जीव चार प्रकार की यात्राएं कर रहे हैं:-*
*अंधेरे से अंधेरे की ओर* - वर्तमान में भी दुःखी हैरान परेशान है और उस पर भी नशे और बुरी प्रवृत्तियों में लिप्त है। वर्तमान तो अंधकारमय है ही लेकिन भविष्य को और गहन अंधकारमय बना रहे हैं।
*प्रकाश से अंधेरे की ओर* - वर्तमान प्रकाशित है, सब सुख सुविधा और स्वास्थ्य मिला है लेकिन नशे और बुरी प्रवृत्तियों को अपनाया हुआ है। तो भविष्य को अंधकारमय बनाने की पूरी तैयारी है।
*अंधेरे से प्रकाश की ओर* - वर्तमान में भी दुःखी हैरान परेशान है। अतः योग के द्वारा अपनी आत्मचेतना के विकास द्वारा और अच्छी प्रवृत्तियों और अच्छे कार्य द्वारा अच्छे भविष्य के निर्माण में सक्रिय हैं। वर्तमान तो अंधकारमय है ही लेकिन भविष्य को प्रकाशमय और उज्ज्वल बनाने हेतु प्रयत्नशील हैं।
*प्रकाश से अंधेरे की ओर* - वर्तमान प्रकाशित है, सब सुख सुविधा और स्वास्थ्य मिला है । अतः योग के द्वारा अपनी आत्मचेतना के विकास द्वारा और अच्छी प्रवृत्तियों और अच्छे कार्य द्वारा अच्छे भविष्य के और बेहतर निर्माण में सक्रिय हैं। वर्तमान तो अंधकारमय है ही लेकिन भविष्य को और ज्यादा प्रकाशमय और ज्यादा उज्ज्वल बनाने हेतु प्रयत्नशील हैं।
*योग - अंधेरे से प्रकाश की ओर और प्रकाश से प्रकाश की ओर गमन है श्रेष्ठता का वरण है। भीतर से प्रकाशित होने का ज्ञान विज्ञान है। चरित्र-चिंतन-व्यवहार से सुदृढ बनने का ज्ञान विज्ञान है।*
आदरणीय चिन्मय पण्ड्या द्वारा तालकटोरा स्टेडियम में दिया वक्तव्य योग पर सुनिए:-
https://youtu.be/JpIFrUy_hKg
*अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं, अपनाए योग रहें निरोग, भगाएं अंतर का अंधकार और लाएं ज्ञान का प्रकाश।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
हमारे आत्मीय भाइयो एवं बहनों,
वर्षों के बाद एक ऐसा अवसर आया है कि हम योगदिवस के माध्यम से भारतीय विरासत का गौरव अनुभव कर रहे हैं। घर घर योग पहुंचे यही शुभकामनाएं है, विश्व स्तर पर योग की पहचान हो गयी है अब घर घर भी पहुंचे, एक नित्य अभ्यास में आ जाये।
भारतीय संस्कृति की दृष्टि में हम युवा किसे कहते हैं? संघर्षो के सौपानो पर चढ़कर सफ़लता प्राप्त करने वाले युवा कहलाते है। लाखों वर्षों तक कोयला घिसा जाता है तब हीरा बनता है, सोना भी भट्टी में पिघलकर तपकर ही निखरता है। पेंसिल भी कटर के दर्द को सहकर ही लिखने योग्य बनती है। धाराओं की चीरने वाला ही तैराक बन पाता है। ये सारे उदाहरण युवा व्यक्तित्व और युवा सोच के उदाहरण हैं।
*संघर्षो को सौभाग्य की तरह वरण करने वाले युवा कहलाते हैं। क्योंकि हमारे देश मे युवा उम्र से नहीं दृष्टिकोण(attitude) से तौले जाते हैं। हमारा देश अद्भुत देश है।*
जिनका जीवन ठहर गया है, जिनका उत्साह ठंडा हो गया है।जिनके अंदर क्रांति की सम्भावनाये जन्म नहीं लेती , जिनके मन मे समाज को बदलने की, संस्कृति को उठाने की, राष्ट्र को बढ़ाने की सोच करवटे नहीं लेती, जिनकी सोच ठहर गयी है। वो युवा नहीं हैं।
युवा वो हैं जिनके मन में उमंग उल्लास और कुछ कर गुजरने की चाह है, जो संस्कृति को उठाने, समाज को बनाने और राष्ट्र को आगे बढ़ाने में प्रयासरत हैं, वो चाहे किसी भी उम्र के हों युवा हैं।
*देश का सौभाग्य है कि हमारे देश के 65 से 70% युवा हैं। लेकिन इस सौभाग्य को दुर्भाग्य बनते देर न लगेगी यदि इस यौवन को सही दिशा धारा न मिली।*
तो इस यौवन को सही दिशा धारा देने में सहायक योग है।
जो तिल माहीं तेल है जो चकमक में आग,
तेरा साईं तुझमें है, जाग सके तो जाग।
*अंतर की आंखों को खोलने का विज्ञान योग है, स्वयं के पूर्ण अस्तित्व को जानने का नाम योग है, अंतर से बदलने का नाम योग है, स्वयं को श्रेष्ठता से जोड़ना योग है, चेतना के परिष्कार का नाम योग है। मात्र शरीर के स्वास्थ्य हेतु योग नहीं होता वो तो मात्र एक अंग है। योग मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य प्राप्त करके पूर्णता प्राप्त करने का नाम है।*
*संसार मे हम सभी जीव चार प्रकार की यात्राएं कर रहे हैं:-*
*अंधेरे से अंधेरे की ओर* - वर्तमान में भी दुःखी हैरान परेशान है और उस पर भी नशे और बुरी प्रवृत्तियों में लिप्त है। वर्तमान तो अंधकारमय है ही लेकिन भविष्य को और गहन अंधकारमय बना रहे हैं।
*प्रकाश से अंधेरे की ओर* - वर्तमान प्रकाशित है, सब सुख सुविधा और स्वास्थ्य मिला है लेकिन नशे और बुरी प्रवृत्तियों को अपनाया हुआ है। तो भविष्य को अंधकारमय बनाने की पूरी तैयारी है।
*अंधेरे से प्रकाश की ओर* - वर्तमान में भी दुःखी हैरान परेशान है। अतः योग के द्वारा अपनी आत्मचेतना के विकास द्वारा और अच्छी प्रवृत्तियों और अच्छे कार्य द्वारा अच्छे भविष्य के निर्माण में सक्रिय हैं। वर्तमान तो अंधकारमय है ही लेकिन भविष्य को प्रकाशमय और उज्ज्वल बनाने हेतु प्रयत्नशील हैं।
*प्रकाश से अंधेरे की ओर* - वर्तमान प्रकाशित है, सब सुख सुविधा और स्वास्थ्य मिला है । अतः योग के द्वारा अपनी आत्मचेतना के विकास द्वारा और अच्छी प्रवृत्तियों और अच्छे कार्य द्वारा अच्छे भविष्य के और बेहतर निर्माण में सक्रिय हैं। वर्तमान तो अंधकारमय है ही लेकिन भविष्य को और ज्यादा प्रकाशमय और ज्यादा उज्ज्वल बनाने हेतु प्रयत्नशील हैं।
*योग - अंधेरे से प्रकाश की ओर और प्रकाश से प्रकाश की ओर गमन है श्रेष्ठता का वरण है। भीतर से प्रकाशित होने का ज्ञान विज्ञान है। चरित्र-चिंतन-व्यवहार से सुदृढ बनने का ज्ञान विज्ञान है।*
आदरणीय चिन्मय पण्ड्या द्वारा तालकटोरा स्टेडियम में दिया वक्तव्य योग पर सुनिए:-
https://youtu.be/JpIFrUy_hKg
*अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं, अपनाए योग रहें निरोग, भगाएं अंतर का अंधकार और लाएं ज्ञान का प्रकाश।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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