Tuesday 10 July 2018

प्रश्न - *दी, ऑफिस की टेंशन में मन व्यथित होता है आज़कल, सुबह पूजन करने बैठती तो हूँ लेकिन मेरा मन ऑफिस में होता है क्या करूँ?*

प्रश्न - *दी, ऑफिस की टेंशन में मन व्यथित होता है आज़कल, सुबह पूजन करने बैठती तो हूँ लेकिन मेरा मन ऑफिस में होता है क्या करूँ?*

उत्तर - प्यारी आत्मीय बहन ऑफिस हमे सैलरी ही टेंशन और व्यथा सह कर काम करने की देता है। यदि घर स्वतः साफ होगा तो कोई घर मे झाड़ू पोछे की बाई क्यों रखेगा? यदि ऑफ़ीस में भसड़/टेंशन/व्यथा/संघर्ष/ढेर सारा काम न होगा तो दूसरे दिन ही ऑफिस से हमेशा के लिए विदा कर दिया जाएगा।

आत्म बोध -तत्व बोध की रोज साधना करो, हर रात मौत और हर सुबह नया जन्म मानो, कोई अच्छा भजन रात को सुनकर और कुछ अच्छा साहित्य पढ़कर सोने की आदत डालो। सुबह भगवान को जीवन के लिए धन्यवाद दो। हाथ पैर आंख मुंह सलामत है इसकी खुशी मनाओ। सुबह घर मे एक अच्छा सा भजन लगाकर सुबह का काम निपटाओ। फिर नहा धोकर जब पूजा करने बैठोगी तो भजन सहज़ ही भाव निर्मल बना देगा। आराम से पूजा कर सकोगी।

जब कभी मुझे ऑफीस के काम के चक्कर मे दिन रात जागना पड़ता है, टेंशन का माहौल बनता है। तब भजन ही एक मात्र सहारा होता है।

मेरा प्रिय भजन है:-

1- मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है

2- जीवन तुमने दिया है सम्हालोगे तुम , आशा हमें है विश्वास है

3- जब कभी हारे थके अनुभव करोगे, पीठ पर थपकी लगाता हाथ होगा।

4- ये मत कहो ख़ुदा से मेरी मुश्किलें बड़ी है, मुश्किलों से कह दो मेरा खुदा बड़ा है।

5- कंधों से कंधे जब मिलते है(लक्ष्य फ़िल्म)

ऐसे भजन मुझे रिचार्च कर देते हैं और पुनः नई ऊर्जा के साथ पूजन करती हूँ। योग प्राणायाम ध्यान जप और स्वाध्याय करती हूँ।

नए उत्साह के साथ ऑफिस के काम मे जुटती हूँ। जीवन में पुनः नयापन आ जाता है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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