Tuesday, 21 August 2018

प्रश्न - *हम पिछले कई वर्षों से आर्थिक दिवालियेपन को झेल रहे हैं, मेरे पति का व्यवसाय घाटे में चल रहा है। मेरी एक सन्तान भी है। शादी से पूर्व मैं एक बड़े ओहदे पर जॉब करती थी। लेक़िन मेरे पति को मेरा जॉब करना पसंद नहीं था इसलिए मैंने छोड़ दिया। मैं साधक हूँ नियमित साधना करती हूँ और स्वाध्याय भी। मेरे पति ज्योतिषियों के चक्कर मे पड़े है किसी ने उन्हें बताया है कि उनकी कुलदेवी उनसे नाराज़ हैं। मार्गदर्शन करें।*

प्रश्न - *हम पिछले कई वर्षों से आर्थिक दिवालियेपन को झेल रहे हैं, मेरे पति का व्यवसाय घाटे में चल रहा है। मेरी एक सन्तान भी है। शादी से पूर्व मैं एक बड़े ओहदे पर जॉब करती थी। लेक़िन मेरे पति को मेरा जॉब करना पसंद नहीं था इसलिए मैंने छोड़ दिया। मैं साधक हूँ नियमित साधना करती हूँ और स्वाध्याय भी। मेरे पति ज्योतिषियों के चक्कर मे पड़े है किसी ने उन्हें बताया है कि उनकी कुलदेवी उनसे नाराज़ हैं। मार्गदर्शन करें।*

उत्तर - आत्मीय बहन,

तुम्हारी समस्या का समाधान बताने से पहले एक कहानी सुनाती हूँ।

एक चिड़िया और एक चिड़वा प्रेम करते थे, *एक दिन चिड़वा ने पूँछा कि तुम मुझसे ईतना प्रेम करती हो कि मेरे लिए अपने खूबसूरत पंखों को काट सको। चिड़िया ने पूँछा कि फिर मेरे भोजन की व्यवस्था कैसे होगी?।चिड़वा ने कहा वो हम करेंगे। चिड़िया ने पंख प्रेम में और चिडवे के लिए कुर्बान कर दिए*। चिड़वा जो भी भोजन लाता उसे वो चुपचाप खा लेती। पहले घोसला दोनों मिलकर बनाते थे मरम्मत करते थे। लेकिन चिड़िया उड़ न सकने के कारण बाहर से मरम्मत भी न कर पाती। पहले दोनों मिलकर लाते तो तरह तरह के अनाज आता था। अब एक के कमाने से आमदनी आधी हो गयी। फिर भी किसी तरह सबकुछ सही चल रहा था। *एक दिन जंगल मे आग लग गयी। सब अपनी जान बचाने को भागने लगे। घोसले में चिड़िया और उसका बच्चा जल गया। क्योंकि वो दोनों उड़ न सके।*

*ऐसे ही हमारे भारत देश के कई मर्द हैं जो पढ़ी लिखी लड़कियों की जॉब उनके सुंदर पंखों को उनके स्वप्नों को प्रेम के नाम पर कटवा देते हैं। उन्हें प्रेम के नाम पर अपाहिज बनाकर घर बिठा देते हैं।* विपरीत परिस्थिति आने पर भी सुधरते नहीं और पूरे घर को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। युगऋषि कहते हैं- *जो पति अपनी पत्नी से प्रेम करते हैं वो उन्हें कमाने योग्य अवश्य बनाएं। जीवन मे कब किस क्षण क्या अनहोनी घट जाए कोई गारंटी वारण्टी नहीं। कभी आग लगे तो जीवन साथ स्वयं उड़कर जान तो बचा सके।*

*तुम्हारे पति से कुलदेवी नहीं बल्कि उनकी गृहलक्ष्मी यानि तुम नाराज़ हो, तुम्हे घर मे दुःखी रखकर वो कभी धन नहीं प्राप्त कर सकेंगे। तो यदि वो पुनः सफल होना चाहते हैं तो अपनी पुरुषत्व के अहंकार को त्यागकर आपको अपने जीवन का सलाहकार बनाये और आपको सम्मान के साथ स्वतंत्रता दें।*

लड़कियों को योग्य होने पर जॉब जरूर करनी चाहिए, घर और बाहर दोनों सम्हालना चाहिए। प्रेम पति से करें, लेकिन अंधा प्रेम चिड़िया की तरह न करें कि विपत्ति आने पर उड़ भी न सकें। *प्रेम और अन्धप्रेम में फर्क समझिए।*

कुलदेवी के दर्शन करने जा रहे हैं आपके पति तो आप भी साथ जाइये। माता से पति की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना कीजिये। *कुलदेवी की पूजा जरूर करनी चाहिए।*

*अपने परिवार के उद्धार के लिए और घर मे धनधान्य की व्यवस्था के सवा लाख गायत्री मंत्र का अनुष्ठान कीजिये*। साथ ही स्वयं पुनः कमाने निकलिए। अपना रिज्यूम अपडेट कीजिये। अब आप केवल पत्नी नहीं एक मां भी हैं। बेटी के लिए कमाना आपका भी उत्तरदायित्व है।

काम्य कर्मों के लिये, सकाम प्रयोजनों के लिये अनुष्ठान करना आवश्यक होता है। सवालक्ष का पूर्ण अनुष्ठान, चौबीस हजार का आंशिक अनुष्ठान अपनी- अपनी मर्यादा के अनुसार फल देते हैं। ‘ *जितना गुड़ डालो उतना मीठा* ’ वाली कहावत इस क्षेत्र में भी चरितार्थ होती है। साधना और तपश्चर्या द्वारा जो आत्मबल संग्रह किया गया है, उसे जिस काम में भी खर्च किया जायेगा, उसका प्रतिफल अवश्य मिलेगा। बन्दूक उतनी ही उपयोगी सिद्ध होगी, जितनी बढिय़ा और जितने अधिक कारतूस होंगे। गायत्री की प्रयोग विधि एक प्रकार की आध्यात्मिक बन्दूक है। तपश्चर्या या साधना द्वारा संग्रह की हुई आत्मिक शक्ति कारतूसों की पेटी है। दोनों के मिलने से ही निशाना साधकर शिकार को मार गिराया जा सकता है। सवा लाख गायत्री मंत्र जप अनुष्ठान के दौरान यदि चाहे तो निम्नलिखित मन्त्रों की माला भी एक्स्ट्रा जप सकती है, यह ऑप्शनल है:-

1- गुरुमंत्र - *ॐ ऐं श्रीराम आनन्दनाथय गुरुवे नमः ॐ*

2- गणेश ऋण मुक्ति मंन्त्र- *ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥*

3- शिव भाग्योदय मंन्त्र - *ॐ जूं स: माम् भाग्योदयं कुरु कुरु स: जूँ ॐ।।*

4- पति संरक्षण शिव मंन्त्र - *ॐ जूँ स: माम् पति पालय पालय स:  जूँ ॐ।।*

व्यवसाय में सफलता और दरिद्रता नाश के लिये गायत्री की ‘श्रीं’ शक्ति की उपासना करनी चाहिये। मन्त्र के अन्त में तीन बार ‘श्रीं’ बीज का सम्पुट लगाना चाहिये। साधना काल के लिये *पीत वस्त्र, पीले पुष्प, पीला यज्ञोपवीत, पीला तिलक, पीला आसन प्रयोग करना चाहिये और रविवार या गुरुवार को उपवास करना चाहिये। शरीर पर शुक्रवार को हल्दी मिले हुए तेल की मालिश करनी चाहिये। पीताम्बरधारी, हाथी पर चढ़ी हुई गायत्री का ध्यान करना चाहिये। पीतवर्ण लक्ष्मी का प्रतीक है। भोजन में भी पीली चीजें प्रधान रूप से लेनी चाहिये। इस प्रकार की साधना से धन की वृद्धि और दरिद्रता का नाश होता है।*

*भगवान उसकी मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते हैं, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण की तरह हथियार नहीं उठाते, केवल अर्जुन रूपी समर्पित शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं। उनके सारथी बनते हैं।*

 नारी आंदोलन के लिए गुरुदेब माताजी ने अथक प्रयास किये। स्त्रियों को वेद, गायत्री जप और यग्योपवीत का अधिकार दिया। उन्हें समाज मे आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया। गायत्री परिवार की स्त्री होकर असहाय नहीं बैठना चाहिए, परिस्थिति का सामना करिये। किसी को ख़ुश करने में अपने पंख और पैर मत काटिये, शारीरिक-मानसिक अपाहिज़ मत बनिये। स्वयं के दुर्गा-शक्ति, सरस्वती और लक्ष्मी रूप को जागृत कीजिये, अपने घर की आर्थिक डूबती नैया को कैप्टन बनकर सम्हालिये। प्यार से पति को समझाइए, दोनों मिलकर आर्थिक जिम्मेदारी उठाइये।

 एक बात और उन्हें क्षमा कर दीजिए, उन्होंने जो आपको कड़वे वचनों से दुःख दिए हैं उसके कारण आपके हृदय में घाव बने हुए हैं। यदि आप अपने पति को हृदय से क्षमा कर देंगी। तो उनका सौभाग्य पुनः लौट आएगा। स्त्री रूपी गृह लक्ष्मी को दुःखी करके कोई भी पुरुष मां लक्ष्मी को प्रशन्न नहीं कर सकेगा। अतः आर्थिक हानि झेलेगा ही।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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