प्रश्न - *भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर लोग हिंदू होकर भी भद्दे मेसेज भेजते हैं? ऐसा क्यों है?*
उत्तर - जो जैसी प्रवृत्ति रखता है, वो उसी प्रकार के मैसेज की ओर आकृष्ट होता है।
*उदाहरण* - *क्या आप मक्खी की प्रवृत्ति के हैं गन्दगी ढूंढ़ते है और गन्दगी संग्रहित करते हैं? या मधुमक्खी की प्रवृत्ति के हैं अच्छाई ढूँढते है और अच्छाई ही संग्रहित करते है? संसार की समस्त वस्तुओं को उपयोग करने की एक जैसा अवसर दोनों के पास है, पुष्प और गन्दगी दोनों के लिए उपलब्ध हैं।*
*भगवान कृष्ण को भगवान की उपाधि - राक्षसों के वध, दुष्टता का अंत, पीड़ितों के उद्धार, धर्म स्थापना और गीता जैसे दिव्य ग्रन्थ के उपदेश हेतु दिया गया था।*
स्वयं विचार करो 13 वर्ष तक की बाल्यावस्था में कौन कितना रसिक हो सकता है, जहां के बच्चे इंटरनेट और टीवी भी उपयोग न करते हो। अपने बचपन को याद करो और अपने वर्तमान में आसपास के बच्चो को देखो। किशोरावस्था शुरू होते ही भगवान कृष्ण मथुरा पहुंच गए थे, फिर वृंदावन कभी लौटे ही नहीं। तो जो इतनी रसिक कहानियां बनी है वो लोगों ने गढ़ी हैं।
कंस समस्त दूध दही मक्खन कर के रूप में मथुरा मंगवा लेता था, राजा, मंत्री, रानियां दूध-दही-माखन खाने के साथ साथ उनसे स्नान करती थीं। और दूध दही मक्खन के अभाव में ग्रामीण बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे थे। अतः भगवान कृष्ण मथुरा तक दूध-दही-मक्खन न पहुंच सके इस हेतु मटकी फोड़ना और ग्वाल वालो बच्चो मक्खन खिला के उन्हें कुपोषण से बचाना लक्ष्य था।
राक्षस आतंकी सर्वत्र सुंदर स्त्रियों का अपहरण कर लेते थे, तो स्त्रियों का सार्वजनिक में नदी में नहाना खतरे से खाली नहीं था। अतः बाल कृष्ण उन्हें परेशान करके घर भेज देते थे।
भगवान कृष्ण कुशल कूटनीतिज्ञ थे, जहां बुद्धि से काम चलता हो वहां व्यर्थ में बल प्रदर्शित नहीं करते थे। शेर को मारने के लिए मल्लयुद्ध मूर्खता है, उसे जाल में फँसाना बुद्धिमानी है। अतः उन्हें छलिया और रणछोड़ कहा गया।
*संगठन में शक्ति होती है यही दिखाने हेतु दही-हांडी जैसे उत्सव जन्माष्टमी में मानायें जाते हैं।* कितना भी ऊंचा और कठिन दही हांडी का लक्ष्य हो अगर ग्रुप सँगठित है और तालमेल उचित है तो लक्ष्य मिलकर रहता है। देश के लोगों को एकता में शक्ति और संगठन में शक्ति का संदेश देता यह पर्व है।
गोवर्धन पूजन - स्वरोज़गार और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन स्वदेशी अपनाने का संदेश देता है।
*श्रीमद्भागवत गीता जीवन प्रबंधन, व्ययसाय प्रबंधन, मन प्रबंधन, अध्यात्म इत्यादि की अद्भुत पुस्तक है, A Greatest Management book to provide solution of all professional & Personal problems. विश्व की समस्त भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है। लेकिन दुर्भाग्यवश प्रत्येक घर, प्रत्येक शिक्षण संस्थान और प्रत्येक ग्रुप में इसका अनिवार्य स्वाध्याय नहीं होता। कृष्ण जन्माष्टमी जगतगुरु द्वारा दिये जीवन प्रबंधन के फार्मूलों के स्वाध्याय का दिन है।*
भगवान कृष्ण के समस्त विवाह या तो राक्षसों से वध के बाद छुड़ाई स्त्रियों को उनका सम्मान लौटाने हेतु विवशता में किये विवाह है, या राजनैतिक विवशता थी। जिससे वो प्रेम करते थे राधा रानी उन्हें तो विवाह कर वो द्वारिका ला भी न सके। प्रभु ने त्याग और कष्टमय जीवन लोकहित जिया।
*अब इतने विराट प्रभु के चरित्र में जन्म से 13 वर्ष की आयु पर रसिक कथाएं गाने वाले गुरु और भक्त यदि श्रीमद्भागवत गीता के वीरता जगाने वाले और कर्तव्यबोध जगाने वाले सन्देश गाते और सुनाते तो हमारा देश कभी गुलाम नहीं बनता। हज़ारो अर्जुन की सेना खड़ी हो जाती।देश सदा स्वतन्त्र रहता।*
आस्था टीवी पर बड़े बड़े बाबाजी को भौड़ी रसिक कथाएं और भक्ति गीत के नाम पर मनोरंजन के गीत गाते सुनती हूँ। *तो मुझे केवल एक बड़ी मक्खी स्टेज पर और मख्खियों के झुंड मैदान में भक्त रूप में दिखाई देते हैं।*
*जब व्हाट्सएप और फेसबुक में कोई अभद्र मेसेज भेजता या फारवर्ड करता है, तो वह मक्खी प्रवृत्ति की गंदगी का परिचय देता है।*
जो स्त्रियाँ और पुरुष समूह में भौंडे रसिक भजन गाती और उन पर नृत्य करते है वो भी मुझे मक्खियों के समूह ही नजर आती हैं। ऐसी मक्खियां समाज को दूषित कर कायरता का पाठ पढ़ाती हैं।
*जो स्त्री-पुरूष श्रीमद्भागवत गीता के सन्देश, साहस और वीरता के जागरण, संगठन में शक्ति, यज्ञ आयोजन इत्यादि करते हैं वही सच्चे भक्त और मधुमक्खी प्रवृत्ति के दिखते हैं।*
*श्रीमद्भागवत गीता से ज्ञान के परागकण को स्वयं ग्रहण करने वाले गुरु मधुमक्खी और ज्ञानी वीरों की सेना मधुमक्खियो का झुंड तो युगनिर्मनियो के कार्यो में ही देखने और सुनने को मिलता है। जो युगनिर्माणि अर्जुन की सेना को पुनः धर्मस्थापना, देश की सुरक्षा और पीड़ितों के उद्धार हेतु खड़ा कर रही है।*
अब जब किसी का भद्दा मेसेज जन्माष्टमी पर आए तो रिप्लाई में यह मैसेज पोस्ट करके भेज दें। और मक्खी जरूर बोल दें, इतनी वीरता तो उतपन्न करें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - जो जैसी प्रवृत्ति रखता है, वो उसी प्रकार के मैसेज की ओर आकृष्ट होता है।
*उदाहरण* - *क्या आप मक्खी की प्रवृत्ति के हैं गन्दगी ढूंढ़ते है और गन्दगी संग्रहित करते हैं? या मधुमक्खी की प्रवृत्ति के हैं अच्छाई ढूँढते है और अच्छाई ही संग्रहित करते है? संसार की समस्त वस्तुओं को उपयोग करने की एक जैसा अवसर दोनों के पास है, पुष्प और गन्दगी दोनों के लिए उपलब्ध हैं।*
*भगवान कृष्ण को भगवान की उपाधि - राक्षसों के वध, दुष्टता का अंत, पीड़ितों के उद्धार, धर्म स्थापना और गीता जैसे दिव्य ग्रन्थ के उपदेश हेतु दिया गया था।*
स्वयं विचार करो 13 वर्ष तक की बाल्यावस्था में कौन कितना रसिक हो सकता है, जहां के बच्चे इंटरनेट और टीवी भी उपयोग न करते हो। अपने बचपन को याद करो और अपने वर्तमान में आसपास के बच्चो को देखो। किशोरावस्था शुरू होते ही भगवान कृष्ण मथुरा पहुंच गए थे, फिर वृंदावन कभी लौटे ही नहीं। तो जो इतनी रसिक कहानियां बनी है वो लोगों ने गढ़ी हैं।
कंस समस्त दूध दही मक्खन कर के रूप में मथुरा मंगवा लेता था, राजा, मंत्री, रानियां दूध-दही-माखन खाने के साथ साथ उनसे स्नान करती थीं। और दूध दही मक्खन के अभाव में ग्रामीण बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे थे। अतः भगवान कृष्ण मथुरा तक दूध-दही-मक्खन न पहुंच सके इस हेतु मटकी फोड़ना और ग्वाल वालो बच्चो मक्खन खिला के उन्हें कुपोषण से बचाना लक्ष्य था।
राक्षस आतंकी सर्वत्र सुंदर स्त्रियों का अपहरण कर लेते थे, तो स्त्रियों का सार्वजनिक में नदी में नहाना खतरे से खाली नहीं था। अतः बाल कृष्ण उन्हें परेशान करके घर भेज देते थे।
भगवान कृष्ण कुशल कूटनीतिज्ञ थे, जहां बुद्धि से काम चलता हो वहां व्यर्थ में बल प्रदर्शित नहीं करते थे। शेर को मारने के लिए मल्लयुद्ध मूर्खता है, उसे जाल में फँसाना बुद्धिमानी है। अतः उन्हें छलिया और रणछोड़ कहा गया।
*संगठन में शक्ति होती है यही दिखाने हेतु दही-हांडी जैसे उत्सव जन्माष्टमी में मानायें जाते हैं।* कितना भी ऊंचा और कठिन दही हांडी का लक्ष्य हो अगर ग्रुप सँगठित है और तालमेल उचित है तो लक्ष्य मिलकर रहता है। देश के लोगों को एकता में शक्ति और संगठन में शक्ति का संदेश देता यह पर्व है।
गोवर्धन पूजन - स्वरोज़गार और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन स्वदेशी अपनाने का संदेश देता है।
*श्रीमद्भागवत गीता जीवन प्रबंधन, व्ययसाय प्रबंधन, मन प्रबंधन, अध्यात्म इत्यादि की अद्भुत पुस्तक है, A Greatest Management book to provide solution of all professional & Personal problems. विश्व की समस्त भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है। लेकिन दुर्भाग्यवश प्रत्येक घर, प्रत्येक शिक्षण संस्थान और प्रत्येक ग्रुप में इसका अनिवार्य स्वाध्याय नहीं होता। कृष्ण जन्माष्टमी जगतगुरु द्वारा दिये जीवन प्रबंधन के फार्मूलों के स्वाध्याय का दिन है।*
भगवान कृष्ण के समस्त विवाह या तो राक्षसों से वध के बाद छुड़ाई स्त्रियों को उनका सम्मान लौटाने हेतु विवशता में किये विवाह है, या राजनैतिक विवशता थी। जिससे वो प्रेम करते थे राधा रानी उन्हें तो विवाह कर वो द्वारिका ला भी न सके। प्रभु ने त्याग और कष्टमय जीवन लोकहित जिया।
*अब इतने विराट प्रभु के चरित्र में जन्म से 13 वर्ष की आयु पर रसिक कथाएं गाने वाले गुरु और भक्त यदि श्रीमद्भागवत गीता के वीरता जगाने वाले और कर्तव्यबोध जगाने वाले सन्देश गाते और सुनाते तो हमारा देश कभी गुलाम नहीं बनता। हज़ारो अर्जुन की सेना खड़ी हो जाती।देश सदा स्वतन्त्र रहता।*
आस्था टीवी पर बड़े बड़े बाबाजी को भौड़ी रसिक कथाएं और भक्ति गीत के नाम पर मनोरंजन के गीत गाते सुनती हूँ। *तो मुझे केवल एक बड़ी मक्खी स्टेज पर और मख्खियों के झुंड मैदान में भक्त रूप में दिखाई देते हैं।*
*जब व्हाट्सएप और फेसबुक में कोई अभद्र मेसेज भेजता या फारवर्ड करता है, तो वह मक्खी प्रवृत्ति की गंदगी का परिचय देता है।*
जो स्त्रियाँ और पुरुष समूह में भौंडे रसिक भजन गाती और उन पर नृत्य करते है वो भी मुझे मक्खियों के समूह ही नजर आती हैं। ऐसी मक्खियां समाज को दूषित कर कायरता का पाठ पढ़ाती हैं।
*जो स्त्री-पुरूष श्रीमद्भागवत गीता के सन्देश, साहस और वीरता के जागरण, संगठन में शक्ति, यज्ञ आयोजन इत्यादि करते हैं वही सच्चे भक्त और मधुमक्खी प्रवृत्ति के दिखते हैं।*
*श्रीमद्भागवत गीता से ज्ञान के परागकण को स्वयं ग्रहण करने वाले गुरु मधुमक्खी और ज्ञानी वीरों की सेना मधुमक्खियो का झुंड तो युगनिर्मनियो के कार्यो में ही देखने और सुनने को मिलता है। जो युगनिर्माणि अर्जुन की सेना को पुनः धर्मस्थापना, देश की सुरक्षा और पीड़ितों के उद्धार हेतु खड़ा कर रही है।*
अब जब किसी का भद्दा मेसेज जन्माष्टमी पर आए तो रिप्लाई में यह मैसेज पोस्ट करके भेज दें। और मक्खी जरूर बोल दें, इतनी वीरता तो उतपन्न करें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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