प्रश्न - *क्या बकरे को हलाल कर मारने और फिर उस मांस की दावत खाने पर अल्लाह ख़ुश होगा और मरने पर जन्नत देगा?*
उत्तर - कुछ धर्म मे प्रश्न करने पर सर धड़ से अलग कर दिया जाता है, वहां धर्म मे ऐसा क्यों है इसका लॉजिक आप नहीं पूंछ सकते।
देखिए किसी और जीव को मौत के घाट उतार देने से जन्नत मिलेगी यह सम्भव नहीं है। क्योंकि अगर अल्लाह ने पूरी दुनियां बनाई है तो उसके लिए इंसान भी उसकी सन्तान है और एक बकरा भी उसकी सन्तान है।
काफिर इंसान को मारने पर भी जन्नत मिलती है यह भी जन्नत जाने का शॉर्टकट बताया गया है।
साहब जन्नत कब मिलेगी, भई जब तुम मरोगे। जब हम मरेंगे तो हम क्रॉस क़वेशचन तो कर नहीं पाएंगे कि जन्नत है भी या नहीं। अब तक कितनो को जन्नत मिली और कितनों को नहीं इसका कोई प्रमाण नहीं प्राप्त किया जा सकता।
चलो जन्नत न सही, बकरे के हलाल करने कर बाद किसी का ध्यान ही लग गया हो या आध्यात्मिक अनुभूति हुई हो। कि अल्लाह ने कुबूल किया, इसका भी कोई प्रमाण नहीं।
जब ऐसी धार्मिक क्रिया जिसका रिज़ल्ट केवल मरने के बाद मिलता हो अप्रमाणिक ही होती है।
प्रमाणिक धार्मिक क्रिया वो है जिसका कुछ असर तुरन्त मिले, जैसे प्रार्थना करना, ध्यान करना, मंन्त्र जप करना, भजन करना, यज्ञ करना इत्यादि। इन सभी को करने के बाद और दौरान मन में शांति, वातारण में सुकून व्याप्त होता है।
उत्तर - कुछ धर्म मे प्रश्न करने पर सर धड़ से अलग कर दिया जाता है, वहां धर्म मे ऐसा क्यों है इसका लॉजिक आप नहीं पूंछ सकते।
देखिए किसी और जीव को मौत के घाट उतार देने से जन्नत मिलेगी यह सम्भव नहीं है। क्योंकि अगर अल्लाह ने पूरी दुनियां बनाई है तो उसके लिए इंसान भी उसकी सन्तान है और एक बकरा भी उसकी सन्तान है।
काफिर इंसान को मारने पर भी जन्नत मिलती है यह भी जन्नत जाने का शॉर्टकट बताया गया है।
साहब जन्नत कब मिलेगी, भई जब तुम मरोगे। जब हम मरेंगे तो हम क्रॉस क़वेशचन तो कर नहीं पाएंगे कि जन्नत है भी या नहीं। अब तक कितनो को जन्नत मिली और कितनों को नहीं इसका कोई प्रमाण नहीं प्राप्त किया जा सकता।
चलो जन्नत न सही, बकरे के हलाल करने कर बाद किसी का ध्यान ही लग गया हो या आध्यात्मिक अनुभूति हुई हो। कि अल्लाह ने कुबूल किया, इसका भी कोई प्रमाण नहीं।
जब ऐसी धार्मिक क्रिया जिसका रिज़ल्ट केवल मरने के बाद मिलता हो अप्रमाणिक ही होती है।
प्रमाणिक धार्मिक क्रिया वो है जिसका कुछ असर तुरन्त मिले, जैसे प्रार्थना करना, ध्यान करना, मंन्त्र जप करना, भजन करना, यज्ञ करना इत्यादि। इन सभी को करने के बाद और दौरान मन में शांति, वातारण में सुकून व्याप्त होता है।
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