Sunday 23 September 2018

प्रश्न - *दी, जीवन में तनाव(टेंशन) ही न हो, यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं?*

प्रश्न - *दी, जीवन में तनाव(टेंशन) ही न हो, यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं?*

उत्तर- आत्मीय भाई,  *तनावप्रबन्धन - एक कला और एक अध्यात्म विज्ञान है*

किसी परिस्थिति जन्य घटना/समस्या को कुछ लोग समस्या की तरह लेते हैं और कुछ लोग चुनौती की तरह लेते हैं।

*चुनौती* की तरह समस्या को लेने वाला व्यक्ति *समाधान केंद्रित* हो समाधान ढूंढने में जुट जाता है। इसलिए *उसके विचार हल्के नीली और पीली आभा लिए समाधान की खोज ब्रह्माण्ड में विचरते हुए सम्बन्धित समस्या का समाधान ढूंढते हैं*, समस्या के समाधान से सम्बंधित विचार आकर्षित करता है । एक प्रकार से व्यक्ति एकाग्र और ध्यानस्थ हो जाता है। सकारत्मकता से भरा हुआ होता है।  व्यक्ति अंदर से मजबूत होता चला जाता है और आत्मविश्वास बढ़ता चला जाता है।

*समस्या को समस्या समझने वाला व्यक्ति, समस्या केंद्रित होकर चिंता करने लगता है।* इसलिए उसके *विचार समस्या का बोझ लिए भूरे और काले रंग लिए* ब्रह्मांड से समस्या से जुड़े नकारात्मक विचार आकर्षित करते हैं। नकारात्मक विचार दिमाग़ की नसों में खिंचाव/तनाव उतपन्न करके कार्टिसोल जैसे ज़हरीले हार्मोन्स रिलीज़ करवाता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में बिखराव उतपन्न होता है और अंदर ही अंदर टूटने लगता है।

*तनाव का वास्तव में मतलब है कि समस्या से मानसिक प्रबंधन छोटा होना*

*तनावमुक्त होने का वास्तव में मतलब है कि समस्या से मानसिक प्रबन्धन बड़ा होना*

मानसिक प्रबंधन ही तनाव प्रबंधन है।  वास्तव में विचारो का प्रबंधन है- जिसके अंतर्गत हमें विचारो की सृजनात्मक शक्ति का प्रयोग करना आता है। हमें कौन से विचारो को रखना है और कौन से विचारो को छोड़ना है।

हमें विचारो को ऑन और ऑफ करने के साथ साथ, कौन से विचार को किस तरह सोचना है यह भी आना चाहिए।

👉🏼उदाहरण- जिस विद्यार्थी को पढ़ें तो कैसे पढ़े और सोचें तो कैसे सोचें का ज्ञान होगा, वो भला पढ़ाई को लेकर तनावग्रस्त क्यूं होगा भला?

👉🏼जिस कर्मचारी को यह पता हो कि भाई समस्या झेलने के लिए ही नौकरी मिली है, समस्या ही न होगी तो हमारी जॉब ही चली जायेगी। तो वो तो समस्या देख के कुछ कर गुजरने का सुअवसर, चुनौती रूप में स्वीकारेगा। जिसे समस्या को ठीक कैसे करना आता होगा, समस्या को पहचानना आता होगा, कैसे उस पर चिंतन करना है आता होगा वो भला समस्या के आने पर तनावग्रस्त क्यों होगा भला?

एक और सरल उदाहरण समझते हैं, टीवी घर की बिगड़ गयी, आपको ठीक करना नहीं आता आप तनावग्रस्त हो गए। अब बिगड़ी टीवी लेकर आप कुशल मैकेनिक के पास गए, तो वो क्या टेंशन लेगा? नहीं न...वो बड़े आराम से टीवी खोलेगा, उसे ठीक करेगा और आपको हैंडओवर कर देगा। क्योंकि उसे पता है टीवी कैसे ठीक करना है।
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अतः यह सिद्ध होता है कि तनाव का अर्थ हमारी प्रबंधन क्षमता में अकुशलता है, जिस पर तुरन्त काम करने की आवश्यकता है। विचार प्रबंधन और अपने कार्य क्षेत्र में कुशलता से हम तनाव के अस्तित्व को ही मिटा सकते है। तनाव न हो यह सुनिश्चित कर सकते हैं।

👉🏼 विचारों का प्रबंधन सीखने हेतु निम्नलिखित पुस्तक पढ़िये(http:// literature. awgp. org):-

1- विचारों की सृजनात्मक शक्ति
2- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
3- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
4- दृष्टिकोण ठीक रखें
5- निराशा को पाद न फटकने दें
6- मानसिक संतुलन
7- शक्तिवान बनिये

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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