Monday, 24 September 2018

कविता - जीवन के देवता को, आओ तनिक संवारे,

जीवन के देवता को,
आओ तनिक संवारे,
स्वास्थ्य के लिए,
चलो छोड़ दें,
स्वाद के बड़े चटखारे।

जीवन के देवता को,
आओ तनिक संवारे,
श्वांसों को लयबद्ध करके,
प्राणों को चार्ज कर डालें,
योग-प्राणयाम अपनाके,
स्वस्थ बलिष्ठ शरीर बना लें।

जीवन के देवता को,
आओ तनिक संवारे,
मन के कुविचारों को,
चलो बाहर का रास्ता दिखा दें,
चलो स्वाध्याय सत्संग से,
अच्छे विचारो की सेना बना लें।

जीवन के देवता को,
आओ तनिक संवारे,
मन को थोड़ा ठहरा के,
चलो ध्यान में डूब जाएं,
मैं क्या हूँ? कौन हूँ?,
चलो ध्यान में पता लगाएं।

जीवन के देवता को,
आओ तनिक संवारे,
चलो मन से दुर्भाव उखाड़े,
आओ मन में सद्भाव उभारें,
चलो आत्मीयता विस्तार से,
पूरे विश्व को कुटुंब बनाएं।

जीवन के देवता को,
आओ तनिक संवारे।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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