एक प्रश्न स्वयं से....क्या हमने ऐसा जीवन जिया कि जीवन मे 100 पल भी ऐसे हों जिन पर ईश्वर और दुनियाँ गर्व कर सके? क्या मरते वक्त चेहरे पर संतोष और दिल मे सुकून होगा कि एक बेहतर जीवन जिया। जो कर सकते थे वो किया? कोई अफ़सोस के बिना सुकून से संसार को अलविदा कह सकें क्या वो जीवन हम जी रहे हैं? ~ श्वेता,DIYA
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