Monday 26 November 2018

प्रश्न - *कॉलेज में युवा बच्चों को गर्भ सँस्कार के महत्त्व से अवगत कराने के लिए भूमिका हेतु क्या बोलना चाहिए।*

प्रश्न - *कॉलेज में युवा बच्चों को गर्भ सँस्कार के महत्त्व से अवगत कराने के लिए भूमिका हेतु क्या बोलना चाहिए।*

उत्तर - आत्मीय देश के युवा और भारत के भविष्य के कर्ता धर्ता मेरे प्यारे बच्चों,

एक प्रश्न जिसका ईमानदारी से उत्तर दो, क्या आप आज के विकृत चिंतन युक्त, भ्रष्टाचार युक्त, दुराचार युक्त, स्वार्थकेन्द्रित और नशे में डूबते समाज से ख़ुश हो? जिस समाज मे स्त्री-बच्चे सुरक्षित नहीं, जहां फ़िल्मे टीवी सीरियल मुफ़्त घर बैठे अपराध सिखा रहे है? आप खुश है?

यदि नहीं खुश है, तो यह क्लास आपके लिए है। क्योंकि यदि देश मे सकारात्मक बदलाव चाहते है, तो इस बदलाव का हिस्सा हमें और आपको बनना पड़ेगा। If you want the change be the change..

इस देश की महत्तपूर्ण इकाई हमारा परिवार भी है, हम स्वयं इस देश का अंग है। यदि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं का श्रेष्ठ निर्माण कर ले, स्वच्छ मन और स्वस्थ शरीर बना ले, स्वयं के परिवार का निर्माण कर ले, प्यार और सहकार जगा ले, नैतिक मूल्यों की स्थापना कर दे, तो 1/देश का निर्माण तो हो ही जायेगा।

अच्छा यह बताइए... फ़सल की उपज को बढ़िया बनाने के लिए किसान क्या करता है?... किसान बीज को संस्कारित और मिट्टी को खर पतवार मुक्त करके शोधित करता है। फ़िर फसल बोता है और खाद पानी देता है।

इसी तरह अच्छे मनुष्यों का यदि निर्माण करना है, तो उसकी शुरुआत हमें अच्छे माता-पिता के निर्माण और गर्भ सँस्कार से शुरू करना पड़ेगा। हम आज भविष्य के माता पिता को Ancient wisdom for woomb science बताने आये हैं।

माता-पिता द्वारा प्रदत्त गुणसूत्रों पर स्थित डी.एन.ए. (D.N.A.) की बनी वो अति सूक्ष्म रचनाएं जो अनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण करती हैं, जीन (gene) वंशाणु या पित्रैक कहलाती हैं।

जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है। यानि इसी में हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है जैसे हमारे बालों का रंग कैसा होगा, आंखों का रंग क्या होगा या हमें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं, साथ ही इसमें संचित विचार यह तय करते है कि बच्चे का स्वभाव और व्यवहार कैसा होगा, आकृति के साथ प्रकृति भी यह निर्धारित करता है। और यह जानकारी, कोशिकाओं के केन्द्र में मौजूद जिस तत्व में रहती है उसे डी एन ए कहते हैं।

 डॉक्टर गायत्री शर्मा, डॉक्टर अमिता सक्सेना, डॉक्टर संगीता सारस्वत इत्यादि डॉक्टरों ने युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य की लिखी पुस्तक पुंसवन सँस्कार(गर्भ सँस्कार) और हमारी भावी पीढ़ी और उसका नवनिर्माण से प्रेरणा लेकर गर्भ विज्ञान पर विभिन्न रिसर्च किया, और पाया कि विचारशक्ति विज्ञान के विधिवत प्रयोग से, विभिन्न संस्कारों से हम गर्भ के डीएनए में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते है।

जिस तरह परमाणु विष्फोट का विषैला विकिरण अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण गर्भ के डीएनए को पीढ़ी दर पीढ़ी प्रभावित करता है, वैसे ही देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार उत्तराखंड से यग्योपैथी में पीएचडी होल्डर एवं चिकित्सक डॉक्टर वंदना, डॉक्टर रुचि और डॉक्टर ममता सक्सेना ने बताया कि विचार तरंग को यज्ञ द्वारा औषधीय यज्ञ से सूक्ष्मीकृत पुष्टिकारक बलवर्धक प्राण पर्जन्य युक्त धूम्र के माध्यम से अनुवांशिक रोगोपचार और वांछित मानसोपचार भी किया जा सकता है। याद रखिये केवल अग्नि(किरण), वायु(गैस) और रेडियो सी तीव्र गति(मंन्त्र सन्तरण) के साथ परमाणु से भी अति सूक्ष्म कण की ही पहुंच जीन को प्रभावित कर सकती है। जो या तो विधिवत विचारशक्ति के सम्प्रेषण या यज्ञ के द्वारा ही सम्भव है। विचार अतिसूक्ष्म होने के कारण उनकी पहुंच भी जीन(gene) तक है और यज्ञीय पुष्टि वर्धक धूम्र भी अति सूक्ष्म होने के कारण उनकी भी पहुंच जीन(gene) तक है।यज्ञ के धूम्र में औषधीय तेल और घी इत्यादि के औषधीय युक्त सूक्ष्म धूम्र कण का व्यास 1/10000 से 1/100000000 सेंटी व्यास तक बारीक/सूक्ष्म होता है।

गर्भ काल में गर्भ का ज्ञान विज्ञान समझकर यदि सावधानी बरती जाए तो हम मनचाही सन्तान प्राप्त कर सकते है। ....माता के शरीर से बच्चे का शरीर, माता-पिता के मन से बच्चे का मन निर्मित होता है...गर्भ काल के दौरान चरित्र-चिंतन-व्यवहार और आसपास का वातावरण वैसा निर्मित करना पड़ता है जैसी सन्तान हम जन्म देना चाहते हैं...सन्तुलित आहार जिस तरह गर्भस्थ शिशु के स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी होता है...वैसे ही सन्तुलित विचार गर्भस्थ शिशु के स्वस्थ मानसिकता और कुशाग्र बुद्धि के लिए जरूरी है...सन्तुलित आहार न दिया तो शरीर कुपोषण ग्रस्त होगा और सन्तुलित विचार न दिया तो मानसिक कुपोषण होगा...जरूरी टीके स्वास्थ्य के लिए लगवाने पड़ते है, ज़रूरी आध्यात्मिक टीके सँस्कार के रूप में लगवाने पड़ते हैं।..

तभी हम विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के मानक के अनुसार शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ सन्तान का जन्म सुनिश्चित कर सकते हैं, जो परिवार के साथ साथ देश समाज के लिए भी उपयोगी हो और अच्छे समाज के निर्माण में सहायक हो।

आइये गर्भ का ज्ञान विज्ञान समझते है...इस भूमिका के बाद...गर्भ सँस्कार की पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन शुरू कर दें।😇🙏🏻😇

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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