Monday 26 November 2018

कविता - सतयुग की वापसी कैसे होगी?

*सुना है....*
सतयुग में सब आनन्दित थे,
हृदय में चैन और सुकून था,
भावसम्वेदना से ओतप्रोत,
देवत्व से भरा, परमार्थी हर इंसान था।

*और कलियुग में...*
कलियुग में सब दुःखी है,
अब हृदय में न चैन है और न सुकून है,
भाव सम्वेदना विहीन स्वार्थी इंसान है,
जो अत्यंत दुःखी और संतप्त है।

*यक्ष प्रश्न यह है कि*..
सतयुग की वापसी का,
फ़िर कैसे आग़ाज़ हो?
जीवन संगीत से भरा,
फिर कैसे पुनः समाज हो?

कैसे विकृत चिंतन से उपजी,
समस्या का समाधान हो,
कैसे प्रेम सहकार से भरे,
पुनः वतावरण निर्माण हो?

*चिंतित न हो*...
युगऋषि ने सतयुग की पुनः वापसी हेतु,
विचारक्रांति का स्वरूप तैयार किया है,
सप्त आंदोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम का,
दिव्य युगनिर्माण कार्यक्रम तैयार किया है।

आओ मिलकर हम सब,
युगनिर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाएं,
जन जन में देवत्व जगा के,
धरती पर ही स्वर्ग का अवतरण करवाएं।

आओ विकृत चिंतन को,
सद्चिन्तन-स्वाध्याय से श्रेष्ठ बनाये,
स्वच्छ मन, स्वस्थ शरीर से,
सतयुगी सभ्य समाज बनाएं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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