Thursday 17 January 2019

प्रश्न - *पति या पुत्र की शराब की लत कैसे छुड़वाएँ?*

प्रश्न - *पति या पुत्र की शराब की लत कैसे छुड़वाएँ?*

उत्तर - आत्मीय बहन, हज़ारों तरीक़े और दवाईयां अब नशा छुड़ाने के लिए मौजूद हैं।

जिनमें से एक होमियोपैथी की विधि है:- शराब की लत से मुक्ति हेतु-एक भाग सल्फ्यूरिक एसिड-क्यू और तीन भाग अल्कोहल मिलाकर 3-4 सप्ताह तक दिन में तीन बार लेने से लत छूट जाती है।

इसे जल में भी दे सकते हो। किशमिश चबाने से भी लत शराब की छूटती है।

आयुर्वेद दवाइयों के सेवन से भी लाभ मिलता है। अपने नज़दीकी शक्तिपीठ में व्यसनमुक्ति कार्यक्रम से जुड़े परिजनों से भी मदद ले सकते है। युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव के साहित्य भी पढ़ने के लिए दे सकते हैं।

https://youtu.be/5V0lXeA4WL0

https://goo.gl/images/oHeFD8

ये सब तब काम आएगा जब वह व्यक्ति स्वयं शराब छोड़ना चाहेगा।

शराब की शुरुआत जिज्ञासा-कौतूहल वश, टीवी-फ़िल्म-विज्ञापन से प्रेरित होकर, दोस्तों के दबाव में, कॉरपोरेट के झूठे अहंकार में शुरू होता है। स्वयं को  कुछ क्षण भूलने और वर्तमान समस्याओं से कुछ क्षण मानसिक रूप से हटने का कारगर उपाय होता है।

ध्यान करने पर शराब पीने से हज़ार गुना आनन्द ज्यादा मिलता है।

पहले इंसान शराब पीता है, फिर बाद में शराब इंसान को पीती है।

जो इंसान स्वयं की जिंदगी से सुखी और संतुष्ट होता है वो शराब नहीं पीता। जिन इंसानों को अपनों से प्रेम होता है वो भी शराब नहीं पीते। जो लोग मानसिक रूप से सुदृढ़ और उच्च मनोबल के होते हैं वो भी शराब नहीं पीते है।

शराब की लत से ग्रसित व्यक्ति का मनोबल टूट जाता है, अपनी कमज़ोरी को छुपाने हेतु वो शराब रोकने वालों से लड़ता है और कुतर्क करता है।

केवल पत्नी या माँ प्रेम और तप शक्ति से मनोबल और इच्छाशक्ति पति या पुत्र की बढ़ा सकती है और शराब छोड़ने हेतु प्रेरित कर सकती है। प्रेरणा मिलने पर और शराब छोड़ने को तैयार व्यक्ति को एक सप्ताह या 15 दिन के लिए किसी देवस्थान जहां तप ऊर्जा का भंडार हो वहां जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर युग गायत्री तीर्थ शान्तिकुंज हरिद्वार जाएं, समाधि, गायत्री मन्दिर, सप्तऋषि और अखण्डदीप के समक्ष शराब छोड़ने हेतु मनोबल मांगना चाहिए। वहाँ कम से कम 5 तपस्वी गायत्री साधकों के समक्ष शराब छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए और आशीर्वाद लेना चाहिए। उनसे मन की व्यथा कहकर ख़ाली हो जाना चाहिए। किसी भी हालत में एक सप्ताह तक दोनों वक्त केवल मन्दिर परिसर में बने माता भगवती भोजनालय से ही भोजन करना चाहिए। मन्दिर परिसर के बाहर एक सप्ताह तक न जाएं और न बाहर का कुछ खाएं। ज्यादा से ज़्यादा तप करें।

करोड़ो गायत्री मन्त्रों का जप वहाँ निरन्तर चलता है और नित्य गायत्री यज्ञ वहाँ होता है। अतः ऐसे वातावरण मनोबल बढ़ाते है, देवत्व जगाते है और असुरता मिटाते हैं। मनुष्य स्वतः शराब की लत छोड़ देता है।

घर में यह प्रभाव उतपन्न करने में अतिरिक्त ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। असम्भव इस संसार मे कुछ भी नहीं। प्रेम और समर्पण से भगवान को वश में बांधा जा सकता है तो भला इंसान को काबू करना कौन सी बड़ी बात है। उसकी बुराई छुड़ाई जा सकती है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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