Wednesday 23 January 2019

प्रश्न - *दीदी प्रणाम, मैंने M.A in yoga cousrs किया है। अभी yoga studio चला रहा हूँ। दीदी अभी दो तीन महीने से मेरे मन मे उहापोह मची रहती है ।कि मैं गुरु जी का काम नही कर पा रहा हूं।

प्रश्न - *दीदी  प्रणाम, मैंने M.A in yoga cousrs किया है। अभी yoga studio चला रहा हूँ। दीदी अभी दो तीन महीने से मेरे मन मे  उहापोह मची रहती है ।कि मैं गुरु जी का काम नही कर पा रहा हूं। जब भी स्वध्याय करता हु तो लगता है कि जो अभी कर हूँ ।उसे छोड़ दू। केवल परिव्राजक बनकर गुरु जी का काम करू। मेरी आत्मा बार बार यही कहती है कि सारी दुनिया काम कर रही है ।फिर मैं क्यों अपने स्वार्थ के लिए योग सेंटर चला रहा हूं। कुछ समझ नही आता है। और कभी कभी ये भी विचार आते है कि गुरु जी ने स्वावलंबी युग सृजेता की बात कही है तो स्वावलंबी  होना जरूरी है। मार्गदर्शन करें...*

उत्तर- आत्मीय भाई, श्रेष्ठ आत्मा का ही चिंतन श्रेष्ठ होता है और लोकसेवा और गुरु के प्रति निष्ठा उसके आचरण से झलकती है। तुम श्रेष्ठ आत्मा हो और गुरुदेव के प्रिय शिष्य भी।

तीन तरह के मिशन में लोग है, एक बोलते ज्यादा है करते कुछ नहीं। गरजते है पर बरसते नहीं। कुछ पूंछने पर बहाने बनाते है कि अमुक कारण से यह न हो पाया।

दूसरे बोलते भी है और करते भी है, बादल गरजते औऱ बरसते भी है। इनके कार्य सर्वत्र दिखते है।

तीसरे नींव के पत्थर होते है, जो बरसते है लेकिन गरजते नहीं। जिनके बिना यह मिशन खड़ा ही नहीं हो पाता। समर्पित शिष्य - *करिष्ये वचनम तव* का भाव लिए।

शिष्यों को यह क्लियर होना चाहिए कि कौन सा कार्य वो अकेले कर सकते हैं और किन कार्यों के लिए टीम वर्क चाहिए। कहाँ टीम का हिस्सा बनना है और कहाँ अकेले लीड लेकर कार्य किया जा सकता है।

1- *व्यक्तिगत लेवल द्वारा किये गए कार्य* - उपासना-साधना स्वयं करना और दूसरों को करवाना, बालसँस्कार शाला स्कूलों में, कॉरपोरेट में कार्यशाला, जन सम्पर्क से युगऋषि के विचारों से जोड़ना, रोगपचार की योग और औषधि टिप्स और तकनीक बताना, झोला पुस्तकालय, छोटे साहित्य स्टॉल इत्यादि।

2- *टीम द्वारा किये जाने वाले कार्य* - सामूहिक साधना, वृक्षारोपण, बड़े स्तर की बाल सँस्कार शाला, दिया की विभिन्न गति विधि, बड़े यज्ञ आयोजन, बड़े स्तर के संघर्षात्मक-प्रचारात्मक आयोजन, बड़े पुस्तक मेले इत्यादि।

रथ के दो पहियों की तरह व्यक्तिगत लेवल पर मिशन के कार्य और टीम का हिस्सा बनकर कार्य दोनों होना चाहिए। लेकिन यदि व्यस्तता ज्यादा है तो व्यक्तिगत लेवल पर तो कुछ न कुछ कर ही लेना चाहिए।

जिस तरह भरत जी ने भगवान राम का प्रतिनिधि बनकर अयोध्या का राज्यभार सम्हाला था, ठीक उसी तरह योग सेंटर को आप युगऋषि श्रीराम का प्रतिनिधि बनकर सम्हालिये।

अब मालिक युगऋषि है, तो अपना बेस्ट प्रयास सेंटर को चलाने में करिये और रोगियों को योगियों में बदल दीजिये। लोगों को तीनों स्तर स्थूल, सूक्ष्म और कारण का योग करवाइये।

योग अर्थात जोड़ना, इलेक्ट्रिशियन बनकर उनकी चेतना को गुरु चेतना से जोड़ने का कार्य करिये।

जहां कहीं भी कार्यशाला योग की लेने जाते हैं उसके प्रचार प्रसार में अपने रजिस्टर्ड सेंटर/संस्था के नाम के साथ साथ डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन के ज्वाइंट प्रयास को दर्शाईये। क्योंकि आप दोनों का हिस्सा है, और दोनों कार्य आपको सम्हालना है। आप जहाँ खड़े हो वहां दिया और आपका योग सेंटर दोनों को समान प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। न्यूज पेपर में जब अपने प्रोग्राम की खबर छपवाएं तो गुरुदेव के एक विचार और उनकी प्रेरणा जरूर उसमें डाल दें। तुम्हारा योग सेंटर युगनिर्माण योजना का एक गेट बन जाये। सबको यह पता होना चाहिए कि तुम युगनिर्माण योजना की महत्त्वपूर्ण इकाई हो।

कुछ निम्नलिखित पुस्तक पढ़ो औऱ कई सारी उपयोगी बातें कण्ठस्थ कर लो, जगह जगह कार्यशाला में इनका उपयोग करो:-

1- जीवेम शरदः शतम
2- व्यक्तित्व विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं
3- प्रबन्धव्यवस्था एक विभूति एक कौशल
4- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा।
5- बुद्धि बढ़ाने के वैज्ञानिक उपाय
6- निराशा को पास न फटकने दें
7- मानसिक संतुलन
8- दृष्टिकोण ठीक रखें
9- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
10- मैं क्या हूँ?

विवेकानंद की तरह तुम गुरुयन्त्र बन जाओ, तुम्हारे मुख से उपरोक्त साहित्य का ज्ञानगंगा लोगों तक पहुंचे। युगसाहित्य से लोगो को जोड़ते चले जाओ।

योग के साथ साथ प्राकृतिक चिकित्सा और प्राचीन औषधियों का ज्ञान लोगों को करवाओ।

बुद्ध ने भिक्षुकों को एक जगह नहीं रखा था, उन्हें सर्वत्र बिखेर दिया था ताकि सर्वत्र ज्ञान पहुँच सके। इसी तरह गुरुदेव सबको शांतिकुंज में नहीं रखे हैं, सबको सर्वत्र बिखेर दिया है जिससे युगनिर्माण सर्वत्र पहुंच सके। गुरुदेव कण कण में है जहाँ सच्चा शिष्य है वहां गुरु सदैव रहता है। गुरु का प्रथम परिचय उसका शिष्य होता है। तुम गुरु का शानदार परिचय बनने में जुट जाओ।

विकलता छोड़ो, जहां हो वहां क्या कर सकते हो यह सोचो। व्यक्तिगत लेवल पर क्या कर सकते हो, टीम वर्क में क्या कर सकते हो। लिस्ट बनाओ, फिर समय का उसी हिसाब से विभाजन करो। जुट जाओ।

काम बनेंगे और बिगड़ेंगे भी, ध्यान रखो कि अपने प्रयास में, कार्ययोजना के निर्माण में और कार्ययोजना के क्रियान्वयन में कोई कमी न रह जाये। गुरु के निमित्त बनकर कर्म करो और फल गुरु के हाथों में छोड़ दो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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