Saturday, 23 March 2019

कविता - सास, बहु और उनका झगड़ा

*सास, बहु और उनका झगड़ा*

सास बहू के शिकार को खड़ी है,
बहु सास के शिकार को अड़ी है,
दोनों के पास एक ही हथियार है,
दोनों चाहती उससे मनचाहा व्यवहार है।

यह हथियार कहलाता है,
माँ का बेटा और पत्नी का पति,
दोनों मानती है,
उसे अपनी अपनी सम्पत्ति।

यदि पुरुष माँ की सुनेगा,
तो *ममा ब्याय* कहलायेगा,
यदि पुरुष बीबी की सुनेगा,
तो *जोरू का गुलाम* कहलायेगा।

अब यदि माँ के घर बीबी के साथ रहेगा,
तो रोज़ तू तू मैं मैं सहेगा,
यदि वो बीबी के साथ माँ से अलग रहेगा,
तो आत्मग्लानि में तिल तिल मरेगा।

बड़ी कठिन परिस्थिति है,
एक तरफ़ कुआँ है,
और दूसरी तरफ़ खाई है,
एक तरफ़ बीबी है,
और दूसरी तरफ जन्म देने वाली माई है।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😭😭😭😭😭😭

वह पुरुष भगवान की शरण मे गया,
बड़ी दयनीय अवस्था में गिड़गिड़ाया और रोया,
तब आकाशवाणी हुई,
और अंतर्जगत में प्रतिध्वनि हुई।

बुद्धिकुशलता का उपयोग कर बच्चा,
अनशन, असहयोग और धरने पर बैठ बच्चा,
अपना गृह युद्ध! हे मनुष्य! स्वयं लड़ो,
अपने कर्तव्यों को! दोनों तरफ़ निःश्वार्थ पालो।

बीबी के लिए माँ के प्रति कर्तव्यों को,
कभी मत छोड़ो,
माँ के लिए बीबी के प्रति कर्तव्यों को,
 कभी मत छोड़ो,
किसी एक की भावना में,
दूसरे की उपेक्षा मत करो,
बहादुरी और बुद्धिकुशलता से,
दोनों शेरनियों को पालो।

कह दो, दोनों को साफ़ साफ़,
मैं अब बंट गया हूँ, दोनों में हाफ हाफ,
हम तुम दोनों को नहीं सुधार सकते,
एक के कहने पर दूसरे को नही छोड़ सकते,
मुझे अब पूरा हथियाने की,
यह चाह छोड़ दो,
प्लीज़ मुझसे एक दूसरे की,
बुराई करना छोड़ दो।

तुम दोनों की नहीं बनती न बने,
रोज़ आपस मे ठनती है ठने,
मैं सुबह का भोजन माँ के साथ,
और शाम का भोजन पत्नी के साथ खाऊंगा,
मरते दम तक तुम दोनों से,
अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाऊंगा।

अब मैं निर्भय हूँ और निडर हूँ,
जो होगा अब देख लूँगा,
न तू तू मैं मैं सहूँगा,
और अब न हीं आत्मग्लानि में मरूँगा।

तुम दोनों को,
हमने अपना निर्णय सुना दिया है,
तुम दोनों ही मेरी ज़िंदगी हो,
अब यह भी बतला दिया है,
क्या मेरी ज़िंदगी और सुकून के लिए,
तुम दोनों आपस मे,
समझौता कर सकती हो?
हे मेरे जीवन की दोनों लाइफ़ लाइन!
मेरे लिए क्या साथ रह सकती हो?

अगर अलग अलग रहना है,
तो यह अलगाव तुम दोनों के बीच होगा,
मेरा समय हाफ माँ को,
और हाफ ही पत्नी तुम्हें मिलेगा।

मुझे रोकने का कोई प्रयास मत करना,
अन्यथा तुम दोनों में से किसी के,
हाथ नहीं आऊँगा।
मैं अब तुम दोनों के गुस्से से नहीं डरूँगा,
बहादुरी से निज धर्म का,
 दोनों तरफ पालन करूंगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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