Friday 27 September 2019

प्रश्न- *दी, नवरात्र व्रत अनुष्ठान गर्भवती महिलाएं व जिनके बच्चे अभी दूध पी रहे हैं, जिन्हें टाइम नहीं मिल पाता। वो आसानी सरल व्रत विधि व कम से कम कितनी माला के साथ करें?*

प्रश्न- *दी, नवरात्र व्रत अनुष्ठान गर्भवती महिलाएं व जिनके बच्चे अभी दूध पी रहे हैं, जिन्हें टाइम नहीं मिल पाता। वो आसानी सरल व्रत विधि व कम से कम कितनी माला के साथ करें?*

उत्तर- आत्मीय बहन,

भक्ति व अनुष्ठान भाव पूर्वक किये जाते हैं, तुम स्वयं को माता भगवती की सन्तान मानो, व जो आसानी से सधे उसे करो।

बच्चा छोटा है दुग्ध पर आधारित है, या गर्भवती हो, तो आप चाहो तो व्रत मत करो और चाहो तो व्रत एक वक्त करके और एक वक्त पूर्ण भोजन ले लो। व्रत में नित्य एक वक्त साबूदाना की खिचड़ी सेंधा नमक के साथ व फलों के रस पर्याप्त मात्रा में लेने पर बिल्कुल कमज़ोरी नहीं लगती, शाम को भोजन कर लोगी  तो पेट का अनिवार्य कोटा पूरा हो जाएगा।
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*जप संख्या जो आराम से भावना पूर्वक सधे* - 3 माला या 5 माला या 11 माला या 15 माला या 27 माला या 30 माला नित्य कर लो।
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*बच्चे को गोद में लेकर*, गर्भ पर हाथ रख के या बच्चा छोटा हो तो उसे दूध पिलाते हुए या बच्चे को गोद में सुलाते हुए - घड़ी सामने रखकर बिना माला के भी 15 मिनट या 20 मिनट या 30 मिनट या 40 मिनट या 60 मिनट जो भी भावना पूर्वक सधे जप लो।
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केवल गायत्री मंत्रलेखन निश्चित संख्या में करके भी अनुष्ठान सम्भव है।
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पूजन के पास जप के दौरान घी का दीपक जलता रहना चाहिए, एक जल का कलश नारियल के साथ रखा हुआ होना चाहिए। नारियल की जटा ऊपर की ओर होनी चाहिए। जप में उगते हुए सूर्य का ध्यान करें।

*गायत्री मंत्र* - ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

*भावार्थ:*- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

*महामृत्युंजय मंत्र* - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

स्वयं को बालक और माता आदिशक्ति को माता मानो, नवरात्रि अनुष्ठान पूर्ण श्रद्धा व निष्ठा से करो।

सुबह नवरात्र से पहले कई दिन उगता हुआ सूर्य ध्यान से देख लें, तभी नवरात्र में सूर्य ध्यान में आएगा। आप नारंगी कलर की कलर पेंसिल से कुछ दिन नवरात्र से पूर्व सूर्य भगवान को पेपर में बनाइये। इससे भी सूर्य का ध्यान करना आसान हो जाता है।

व्रत नहीं रख पा रहे तो भी विना व्रत के भी जप संख्या निश्चित कर गायत्री जप अनुष्ठान कर लें। नित्य गुरु आह्वाहन व शान्तिपाठ अवश्य करें।

नित्य सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं जिसे अर्घ्य कहते हैं, बचे हुए जल को स्वयं के व बेटी के मष्तिष्क में लगाएं।

सूर्य अर्घ्य मन्त्र -

*‘ॐ सूर्य देव सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।*

*साबूदाने की खिचड़ी मुख्यत: व्रत उपवास में बनाकर खाई जाती है*
इसको उपवास के लिये बना रहे हैं तो  सैंधा नमक का प्रयोग करें. साबूदाना दो तरह के होते हैं एक बड़े और एक सामान्य आकार के. यदि आप बड़े साबूदाना प्रयोग कर रहे हैं तो इसे 1 घंटा भिगोने के बजाय लगभग 8 घंटे भिगोये रखें. बाहर एशियाई स्टोर्स में यह साबूदाना Tapioca के नाम से उपलब्ध हो जाता है।
छोटे आकार के साबूदाने आपस में हल्के से चिपके चिपके रहते हैं लेकिन बड़े साबूदाने की खिचड़ी एकदम अलग बिखरी होती है। मुझे छोटे साबूदाने की अपेक्षा बड़े साबूदाने की खिचड़ी अधिक अच्छी लगती है लेकिन बड़े साबूदाने आस पास की किराना दुकानों में नहीं मिलते.

*आवश्यक सामग्री*

साबूदाना - 100 ग्राम
तेल या घी - 1.5 टेबल स्पून
जीरा - आधा छोटी चम्मच
हरी मिर्च - 2-3 (बारीक कतरी हुई)
मूंगफली के दाने - आधा छोटी कटोरी)
पनीर - 50 ग्राम (यदि आप चाहें)
आलू - 1 मीडियम आकार का
काली मिर्च - एक चौथाई छोटी चम्मच
नमक - स्वादानुसार
कसा हुआ नारियल - 1 टेबल स्पून (यदि आप चाहें)
हरा धनियां - 1 टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)

*बनाने की विधि*

साबूदाने को धो कर, 1 घंटे के लिये पानी में भीगने दीजिये. भीगने के बाद अतिरिक्त पानी निकाल दीजिये. यदि आप बड़े साबूदाना प्रयोग कर रहे हैं तो इसे 1 घंटा भिगोने के बजाय लगभग 8 घंटे भिगोये रखें.
आलू को छील कर धोइये और छोटे छोटे क्यूब्स में काट लीजिये. पनीर को भी छोटे छोटे क्यूब्स में काट लीजिये.
भारी तले की कढ़ाई में घी डाल कर गरम कीजिये. आलू के क्यूब्स गरम घी में डाल कर हल्के ब्राउन होने तक तल कर निकाल कर प्लेट में रख लीजिये. आलू के क्यूब्स तलने के बाद पनीर के क्यूब्स डाल कर हल्के ब्राउन तल कर उसी प्लेट में निकाल कर रखिये.
मूंगफली के दाने को मोटा चूरा कर लीजिये इसे दरेरा करें एकदम बारीक चूरा न करें
बचे हुये गरम घी में जीरा डाल दीजिये. जीरा भुनने के बाद, हरी मिर्च डाल दीजिये और चमचे से मसाले को चलाइये, इस मसाले मे मुंगफली का चूरा डाल कर एक मिनिट तक भूनिये. अब साबूदाना, नमक और काली मिर्च डाल कर अच्छी तरह 2 मिनिट चमचे से चला कर भूनिये. 2 टेबल स्पून पानी डाल कर धीमी गैस पर 7-8 मिनिट तक पकाइये,
ढक्कन खोलिये और देखिये कि साबूदाने नरम हो गये है। यदि नहीं हुये हैं और आपको मह्सूस हो कि अभी साबूदाने पकने के लिये और पानी चाहिये, तब 1 या 2 टेबल स्पून पानी डाल कर 4-5 मिनिट धीमी गैस पर और पकने दीजिये. आलू और पनीर के क्यूब्स मिला दीजिये. और चलाकर कढ़ाई को गैस से उतार लीजिये साबूदाना की खिचड़ी को बाउल या प्लेट में निकालिये. हरा धनियां नारियल ऊपर से डाल कर सजाइये. और खाइए। ये जच्चा व बच्चा दोनो के लिए उत्तम व स्वास्थ्यकर खिचड़ी है।

यह खिचड़ी वृद्ध भी व्रत के दौरान खा सकते हैं, और व्रत कर सकते हैं।

गर्भवती बहने भी उपरोक्त विधि से व्रत कर सकती हैं।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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