Monday, 9 December 2019

प्रश्न - *दी, मैं काफ़ी पैसे खर्च कर चुकी हूँ कील, मुंहासे, दाग व धब्वे के इलाज़ में। आयुर्वेदिक व एलोपैथिक ट्रीटमेंट दोनों अलग अलग लंबे समय तक अपनाया। मग़र कोई लाभ न हुआ, चेहरे पर कोई ग्लो नहीं शेष है, मेरा आत्मविश्वास डाउन हो चुका है।

प्रश्न - *दी, मैं काफ़ी पैसे खर्च कर चुकी हूँ कील, मुंहासे, दाग व धब्वे के इलाज़ में। आयुर्वेदिक व एलोपैथिक ट्रीटमेंट दोनों अलग अलग लंबे समय तक अपनाया। मग़र कोई लाभ न हुआ, चेहरे पर कोई ग्लो नहीं शेष है, मेरा आत्मविश्वास डाउन हो चुका है। क्या करूँ?*

उत्तर- आत्मीय बेटी, यह तो कॉमन समस्या है, इससे डरने की जरूरत नहीं है।

*इस समस्या का कारण है:-*

*. रक्तदोष व अशुद्धि
*. अत्यधिक तनाव
*. हार्मोन में गड़बड़ी का हो जाना या हारमोंस में सही ताल – मेल नहीं होना.
*. अपने त्वचा की सफाई न करना.
*. पेट की खराबी होना या पेट सही साफ़ न करना.
*. चेहरे पर क्रीम तेल या चिकनाई युक्त पदार्थ का इस्तेमाल करना.
*. चेहरे की त्वचा का बहुत अधिक तेलीय (Oily ) होना.
*. दिनचर्या का सही न होना.
*. खाने – पीने की गलत आदत होना.
*. अत्यधिक मात्रा में वसायुक्त भोजन करना.
*. कई लोगो के चेहरे पर फोड़े – फुंसियों का होना वंशानुगत समस्या भी होती है.
*. सूरज की किरणों के सामने अधिक रहना.
*. अच्छी नींद न आना.

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*इस समस्या से मुक्ति के हज़ारो उपाय हैं, कुछ हम बता रहे हैं उन्हें अपना लो।*
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1- रक्तशुद्धि के लिए अमृतारिष्ट या अमृतावटी आयुर्वेदिक डॉक्टर से पूंछ कर ले लो। यह रक्त का सक्रमण दूर करेगा व रक्त शुद्ध करेगा।
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2- शान्तिकुंज की नॉर्मल हवन सामग्री में गिलोय, चिरायता व तुलसी की सूखी लकड़ी को दरदरा कूटकर मिला लो। देशी गाय के घी में इसे मिलाकर 5 गायत्री मंत्र की, 3 चन्द्र गायत्री मंत्र की व 3 महामृत्युंजय मंत्र से गोमयकुण्ड(गाय के गोबर के कुंड) में 40 दिन आहुति दो। चन्द्रमा सी रौनक व दिव्य ग्लो चेहरे पर आएगा।
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3- सुबह उगते सूर्य का ध्यान करो दोनो भौ के बीच में और रात को पूर्णिमा के चाँद का ध्यान करो।
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4- पानी दिन में कम से कम 6 ग्लास पीना मगर पीने से पूर्व मन ही मन  गायत्री मंत्र बोलते हुए उसे देखना और भावना करना की यह गंगा जल है।
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5- स्वाद त्याग दो, स्वास्थ्यकर भोजन करो। भोजन से पूर्व भगवान को मन ही मन भोग लगाओ और प्रसाद समझकर खाओ।
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6- चेहरा मुल्तानी मिट्टी या कच्चे आलू के पेस्ट से ही दिन में दो बार सुबह शाम धोना।
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7- सुबह दो चम्मच शहद व आधा नीम्बू गुनगुने पानी मे डालकर ख़ाली पेट पी लेना। शाम को केवल हल्का गर्म एक ग्लास पानी पीकर सोना, कोई अच्छा विचार पढ़ना और पांच लाइन मन्त्रलेखन करके सोना। मन्त्रलेखन पुस्तिका तकिए पर रखकर लिखना व पुस्तिका को सोते वक्त तकिए के नीचे रख देना।
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8- *हार्मोनल व रक्त शुद्धि के लिए नाड़ी शोधन प्राणायाम निम्नलिखित विधि से करो।*

प्रारंभिक स्थिति : ध्यान मुद्रा।
ध्यान दें : श्वास-प्रक्रिया पर।

*दोहराना :*
बाएं नथुने से प्रारम्भ करते हुए 3 बार और दाएं नथुने से प्रारम्भ करते हुए 3 बार। अंत में दोनों नथुनों से सांस खींचकर मुंह से बाहर निकाल देना चाहिए। यह सात बार श्वांस प्रश्वास विधिवत करने को नाड़ीशोधन प्राणायाम कहते हैं। यह क्रिया कम से कम 3 से 5 बार करनी चाहिए। नज़दीकी शक्तिपीठ पर जाकर सीख सकते हैं।

*नाड़ी शोधन प्राणायाम के दौरान भावना(क्या सोचना व कल्पना करना है)* -

सामान्य तनावहीन श्वास पर 5 मिनट ध्यान दें फिर हाथ को प्राणायाम मुद्रा में उठायें।

प्रातः काल पूर्व की ओर मुख करके सुखासन पर बैठकर बाई नासिक से श्वांस खींचे फेफड़े के साथ साथ थोड़ा पेट भी फूल जाए। इस विधि से वह नाभिचक्र को प्रभावित करती है। बाएं नासिका से जो सांस खींची जाती है वह इड़ा नाड़ी द्वारा भीतर जाती है जिसे चन्द्र नाड़ी कहते हैं। इसलिए बाएं नासिका से श्वांस लेते हुए भावना के करें कि नाभि में स्थित पूर्णिमा के चाँद को स्पर्श करके शीतल व प्रकाशित बन रही है। जब श्वांस बाहर करें तो भावना करें कि इड़ा नाड़ी द्वारा लाई शीतलता व प्रकाश से रक्त शुद्ध व पुष्ट बन रहा है। ऐसा तीन बार करें।

उसके बाद दाहिने नासिका से इसी प्रकार श्वांस खींचे। दाहिनी नासिका से जो सांस खींची जाती है वह पिंगला नाड़ी द्वारा भीतर जाती है जिसे सूर्य नाड़ी कहते हैं। इसलिए दाहिने नासिका से श्वांस लेते हुए भावना के करें कि नाभि में स्थित उदीयमान सुनहरे के सूर्य को स्पर्श करके ऊष्म व प्रकाशित बन रही है। जब श्वांस बाहर करें तो भावना करें कि सूर्य नाड़ी द्वारा लाई ऊष्मा व प्रकाश से रक्त शुद्ध, शशक्त व रोगमुक्त बन रहा है। ऐसा तीन बार करें।

अंत में दोनों नथुनों से सांस खींचकर मुंह से बाहर निकाल देना चाहिए, दोनों नासिका से श्वांस सुषुम्ना नाड़ी द्वारा भीतर प्रवेश करता है। यह सात बार श्वांस प्रश्वास (3 बार बाएं नासिका से, 3 बार दाहिने नासिका से और एक बार दोनों नासिका से श्वांस ग्रहण करना व छोड़ना)  विधिवत करने को नाड़ीशोधन प्राणायाम कहते हैं।

*शुरुआत में अभ्यास हेतु संख्या गिनने का भी सहारा ले सकते हैं व अभ्यस्त होने पर उपरोक्त विधि ही अपनाएं।*

*लाभ :*
नाड़ी शोधन प्राणयाम रक्त और श्वासतंत्र को शुद्ध करता है। गहरा श्वास रक्त को ऑक्सीजन (प्राणवायु) से भर देता है। यह प्राणायाम श्वास प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है और स्नायुतंत्र को संतुलित रखता है। यह चिन्ताओं और सिर दर्द को दूर करने में सहायता करता है।

*सावधानी :*
सुविधा से जितनी देर तक संभव हो श्वास उतनी देर ही रोकें। यदि अस्थमा या हृदय रोग से ग्रस्त हो तो श्वास न रोकें।

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9- रक्तशुद्धि, शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक स्वास्थ्य लाभ के लिए निम्नलिखित विधि से भावना मन्त्र दिन में एक बार दोहराओ। यह अभ्यास भी 40 दिन करना है।

 *युगऋषि* पुस्तक 📖 *पँच तत्वों द्वारा सम्पूर्ण रोगों का निवारण* में गिरा हुआ स्वास्थ्य सम्हालने, आत्मविश्वास बढाने व व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में आशातीत सुधार हेतु *भावना मन्त्र* को विस्तार से बताया है।

अच्छे सकारात्मक विचार से 👉🏻 अच्छी भावनाएं 👉🏻 अच्छी भावनाओं से 👉🏻 स्वास्थ्यकर अच्छे हार्मोन्स स्राव 👉🏻 जिससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

प्रतिदिन प्रातःकाल या सायं काल एकांत स्थान पर शांत चित्त होकर, नेत्र बन्द करके बैठ जाइए। शरीर को शिथिल व आरामदायक मुद्रा में रखिये। सब ओर से ध्यान हटाकर शरीर को निम्नलिखित *भावना मन्त्र* पर मन-चित्त को ध्यानस्थ कीजिये। दृढ़ता से यह विश्वास कीजिये कि *भावना मन्त्र* में कहे गए *दिव्य शक्ति युक्त वचन* से आपके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। आप स्वस्थ हो रहे हैं।

सर्वप्रथम मन ही मन 5 बार गायत्रीमंत्र जपिये व 3 बार महामृत्युंजय मंत्र जपिये:-

गायत्रीमंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।*

महामृत्युंजय मंत्र - *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥*

कुछ क्षण ईश्वर का ध्यान कीजिये, फिर भावना मन्त्र के एक एक वाक्यों को ध्यान से बोलिये व महसूस कीजिये।

👉🏻🌹🌹 *भावना मन्त्र* 🌹🌹👈🏻

"मेरे रक्त का रंग खूब लाल है, यह मेरे उत्तम स्वास्थ्य का द्योतक है। इसमें अपूर्व ताजापन है। इसमें कोई विजातीय तत्व नहीं है, इस रक्त में प्राण तत्व प्रवाहित हो रहा है। मैं स्वस्थ व सुडौल हूँ और मेरे शरीर के अणु अणु से जीवन रश्मियाँ नीली नीली रौशनी के रूप में निकल रही है। मेरे नेत्रों से तेज और ओज निकल रहा है, जिससे मेरी तेजस्विता, मनस्विता, प्रखरता व सामर्थ्य प्रकाशित हो रहा है। मेरे फेफड़े बलवान व स्वस्थ हैं, मैं गहरी श्वांस ले रहा हूँ, मेरी श्वांस से ब्रह्मांड में व्याप्त प्राणतत्व खीचा जा रहा है, यह मुझे नित्य रोग मुक्त कर रहा है। मुझे किसी भी प्रकार का रोग नहीं है, मैं मेरे स्वास्थ्य को दिन प्रति दिन निखरता महसूस कर रहा हूँ। यह मेरी प्रत्यक्ष अनुभूति है कि मेरा अंग अंग मजबूत व प्राणवान हो रहा है। मैं शक्तिशाली हूँ। आरोग्य-रक्षिणी शक्ति मेरे रक्त के अंदर प्रचुर मात्रा में मौजूद है।"

"मैं शुद्ध आत्मतेज को धारण कर रहा हूँ, अपनी शक्ति व स्वास्थ्य की वृद्धि करना मेरा परम् लक्ष्य है। मैं आधिकारिक शक्ति प्राप्त करूंगा, स्वस्थ बनूँगा, ऊंचा उठूँगा। अब मैं समस्त बीमारी और कमज़ोरियों को परास्त कर दूंगा। मेरे भीतर की चेतन व गुप्त शक्तियां जागृत हो उठी हैं। मैं अपने जीवन में सफ़लता के मार्गपर अग्रसर हूँ। मैं अपनी समस्त समस्याओं के समाधान हेतु सक्षम बन गया हूँ।"

"अब मैं एक बलवान शक्ति पिंड हूँ, एक ऊर्जा पुंज हूँ। अब मैं जीवन तत्वों का भंडार हूँ। अब मैं स्वस्थ, बलवान और प्रशन्न हूँ।"

निम्नलिखित सङ्कल्प मन में पूर्ण विश्वास से दोहराईये:-

1- मैं त्रिपदा गायत्री की सर्वशक्तिमान पुत्र/पुत्री हूँ।
2- मैं बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान परमात्मा का बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान पुत्र/पुत्री हूँ।
3- मैं गायत्री की गर्भनाल से जुड़ा/जुड़ी हूँ और माता गायत्री मेरा पोषण कर रही हैं। मुझे बुद्धि, स्वास्थ्य, सौंदर्य व बल प्रदान कर रही है।
4- मैं वेदमाता का वेददूत पुत्र/पुत्री हूँ। मुझमें ज्ञान जग रहा/रही है।
5- जो गुण माता के हैं वो समस्त गुण मुझमें है।
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फिर गायत्रीमंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।* बोलते हुए दोनों हाथ को आपस मे रगड़िये। हाथ की हथेलियों को आंखों के उपर रखिये धीरे धीरे आंख खोलकर हथेलियों को देखिए। फिर हाथ को पहले चेहरे पर ऐसे घुमाइए मानो प्राणतत्व की औषधीय क्रीम चेहरे पर लगा रहे हो। फिर हाथ को समस्त शरीर मे घुमाइए।

शांति तीन पाठ निम्नलिखित मन्त्र द्वारा बोलिये सबके स्वास्थ्य और आरोग्य के लिए दोहराइये:-

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः

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उपरोक्त विधि 40 दिन तक अपनाओ और जब चेहरे से कील मुहांसे, दाग धब्बे गायब हो जाएं व दिव्यता का अनुभव करना। तो सेल्फी खींचकर भेज देना। मेरी फीस के रूप में 1000 प्रतियां *हारिये न हिम्मत की* स्कूलों में किशोर लड़कियों को बांट देना। साथ ही बच्चियों के साथ फ़ोटो खींचकर मुझे भेज देना। यह उपरोक्त इलाज़ शुरू करने से पहले एक काग़ज़ में सङ्कल्प लिख कर भगवान  के पास रख दो, कि मेरा चेहरा कील मुँहासे दाग धब्बे सेमुक्त हो जाएगा तो 1000 प्रतियां *हारिये न हिम्मत* पुस्तक किशोरियों को बांटूंगी।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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