Friday, 3 January 2020

प्रश्न - *बाल सँस्कारशाला, स्कूलों और कॉलेज में बच्चों को "जनसँख्या विष्फोट" की समस्या के प्रति कैसे जागरूक करें*

प्रश्न - *बाल सँस्कारशाला, स्कूलों और कॉलेज में बच्चों को "जनसँख्या विष्फोट" की समस्या के प्रति कैसे जागरूक करें*

उत्तर- आत्मीय भाई, यदि प्रोजेक्टर है तो निम्नलिखित वीडियो जरूर दिखाएँ:-

https://youtu.be/wNn7iGat52s

एक प्रोजेक्ट के रूप में एक गोल कांच की बर्नी लें और उसमें छोटी प्लास्टिक बॉल डालें व निकालें। बॉल डालना जन्म और बॉल निकालना मृत्यु। कहिए धरती की साईज़ नहीं बढ़ रही, उच्च चिकित्सा संसाधनों ने मौत को नियंत्रित कर दिया है, और मनुष्य की औसत आयु बढ़ गयी है। जिस दिन जनसँख्या अधिक व प्राकृतिक संसाधन कम हो गए तो लोग एक ग्लास पानी और एक मुट्ठी अनाज के लिए एक दूसरे का कत्ल करने लगेंगे। मानव सभ्यता नष्ट हो जाएगी।

निम्नलिखित पुस्तक "जनसँख्या विष्फोट एक चुनौती' बच्चों को वितरित करें:-
http://literature.awgp.org/book/Jansankhya_Visfot_Ek_Chunauti/v1.1

बच्चों को कहें...
जनसंख्या वृद्धि किसी भी क्षेत्र में लोगों की संख्या बढ़ने को कहा जाता है। पूरे दुनिया में मनुष्य की जनसंख्या हर साल लगभग 8.3 करोड़ या 1.1% की दर से बढ़ती जा रही है। वर्ष 1800 को पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग एक अरब थी, जो 2017 तक बढ़ कर 7.6 अरब हो गई है। आगे भी इसकी संख्या में बढ़ाव की ही उम्मीद है और ये अंदाजा लगाया गया है कि 2030 के मध्य तक ये आबादी 8.6 अरब हो जाएगी और 2050 तक 9.8 अरब तक हो जाएगी। 2100 तक इसकी आबादी 11.2 अरब तक हो सकती है।

पशु जिस प्राकृतिक दर से जन्मते हैं, उसी दर से मरते हैं, इसलिए उनकी जनसँख्या नियंत्रित रहती है।

मनुष्य ने एडवांस चिकित्सा से मृत्यु दर कम कर दी है, तो जन्मदर भी मनुष्य को कम करनी पड़ेगी।

जो लोग कहते हैं कि बच्चे तो भगवान की देन हैं, जन्म मृत्यु तो ऊपर वाले के हाथ में है वह सफ़ेद झूठ बोलते हैं। यदि वह इस पर विश्वास करते तो फ़िर  अस्पताल ही क्यों बनते? जान बचाने की जद्दोजहद क्यों होती?

वेदों में व अन्य धर्म ग्रन्थों में यह स्पष्ट लिखा है कि *मनुष्य कर्म करने में स्वतंत्र है* , परिणाम उसे कर्म के अनुसार विधाता देता है।

*ज़हर खाने से मृत्यु होती है, बीमारी में दवा खाने से जीवन बच जाता है। इससे सिद्ध होता है कि जन्म-मृत्यु को भी कंट्रोल करने का अधिकार भगवान ने इंसान के हाथ में दिया है।*

प्रत्येक नागरिक को सचेत होकर *हम दो और हमारी एक सन्तान* या *हम दो और हमारी दो सन्तान* ही हो यह तय करना होगा। केवल स्वयं परिवार नियोजन करने भर से कॉमन चलेगा औरों को भी प्रेरित करना होगा।

साथ ही सरकार पर प्रेशर डालकर कानून बनवाना पड़ेगा। कुछ लोग ज्ञानी होते हैं वह बातों से समझाने से समझ जाते हैं, कुछ अज्ञानी होते है वह बिना कानूनी डंडे की मार के नहीं सुधरते। उनके लिए कितनी भी वर्कशॉप कर लो, कोई फायदा नहीं। अतः ज्ञानी व देशभक्त नागरिकों व बच्चों को वर्कशॉप करके *जनसँख्या नियंत्रण कानून* के लिए सहमत करना है।

 साम, दाम, दण्ड, भेद सभी विधियों को अपनाते हुए देश की जनसंख्या को शीघ्रता से नियंत्रित करना होगा। नहीं तो सब बेमौत और सामूहिक मौत मरेंगे, जब जितनी जनसँख्या उतना जल, अन्न और हवा न होगी।

भारत की जनसंख्या - वर्ष 2010 में  1,22,46,14,000 थी (क़रीब 1.22 अरब) और वर्तमान वर्ष 2020 की शुरुआत में हमारे देश की जनसँख्या कुल 1,387,297,452 (करीब 1.38 अरब) है। हमारा देश में लगभग 40% की दर से जनसँख्या बढ़ रही है। जो ख़तरनाक स्तर पर है।

चाइना ने तो अपनी जनसँख्या पर नियंत्रण पा लिया, लेकिन भारत में संकट गहरा रहा है। भारत वर्ष 2021 तक चाइना को भी जनसँख्या विष्फोट में पीछे छोड़ देगा। वह देश हो जाएगा जहां जनसँख्या अधिक व अन्न-जल-वस्त्र-रोज़गार कम होते जाएंगे।

प्यारे बच्चों आपके हाथ में हमारा देश है, क्या आप सामूहिक सुखी जीवन चाहते हो या सामूहिक अकालग्रस्त मौत? निर्णय आपको करना है? देश को आपको बचाना है। अपने आसपास सभी लोगों को जनसँख्या नियंत्रण व परिवार नियोजन का महत्त्व समझाना है। सबकी मनोभूमि जनसँख्या नियंत्रण कानून के लिए तैयार करनी है।

भारत को बचाना है तो *जनसँख्या नियन्त्रण कानून* लाना है। देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाएं। अपने माता पिता व रिश्तेदारों को इसके लिए तैयार करें।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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