🌺 *देवताओ जैसा कर्मयोगी बनना* 🌺
इच्छाओं-चाहतों से बड़ी,
बेटे, हमेशा योग्यता-पात्रता रखना,
सफ़लता के आसमान में,
सद्बुद्धि व सामर्थ्य रूपी पंख से उड़ना।
कभी भी चाहतों को,
योग्यता से बड़ी मत रखना,
योग्यता-पात्रता की ऊँचाई,
हमेशा चाहतों से दोगुनी रखना।
देवताओं सी हमेशा,
मेरे बेटे सोच रखना,
खुशियां व सम्मान बाँटने में,
कभी कंजूसी मत करना।
प्रेम व सम्मान,
एक दूसरे के पूरक हैं,
यह सदा याद रखना,
जिससे भी प्रेम करना,
उसके मान-सम्मान का भी,
सदैव ध्यान रखना।
जॉब या व्यवसाय तुम वह करना,
मेरे बेटे, जो तुम्हें हृदय से पसन्द हो,
जिसके लिए तुम्हारे अंदर,
कुछ कर गुजरने का जुनून हो।
या जो भी जॉब या व्यवसाय कर रहे हो,
बस उससे ही प्रेम करना शुरू कर दो,
उसमें भी कुछ नया करने का,
एक जुनून - एक इरादा कर लो।
मेरे बेटे,
विजेता व कायर में,
ठीक से अंतर समझ लो,
विजेता उसी विपरीत परिस्थितियों में बनता है,
जिस विपरीत परिस्थितियों में कायर टूटता है।
ज़िंदगी के खेल में,
स्वयं की जिम्मेदारी स्वयं उठाना,
दूसरे को बॉलिंग को दोष मत देना,
बस स्वयं की बैटिंग सुधारना।
परमात्मा से जुड़कर,
तुम स्वयं इतने पूर्ण बनाना,
कि उनके सान्निध्य सत्संग में,
स्वयं में ही सदा आनन्दित रहना।
प्रार्थना व पुरुषार्थ,
एक दूसरे के पूरक हैं,
यह याद रखना,
एक के बिना दूजा,
सदैव अर्थहीन है,
यह कभी मत भूलना।
भक्तियोग बिना कर्मयोग के,
सफ़ल नहीं होता है,
कर्मयोग बिना भक्तियोग के,
असफल ही सदा रहता है।
प्रार्थना और पुरुषार्थ का,
जीवन में सदा संतुलन रखना,
अपनी बुद्धिरथ का सारथी,
सदैव जगतगुरु श्रीकृष्ण रखना।
जब जब भी जीवन मे,
भटकन या परेशानी आये,
थोड़ी देर गायत्री मंत्र जपना,
उगते सूर्य का ध्यान करना।
साथ ही श्रीमद्भागवत गीता का,
कुछ श्लोकों का स्वाध्याय करना,
फिर गुरुचरणों का नेत्र बन्द कर,
थोड़ी देर निर्विचार ध्यान करना।
फिर देखना मेरे बेटे,
हर समस्या का समाधान,
तुम्हारे भीतर से ही उभरेगा,
दिव्यज्ञान के सूर्योदय से,
समस्याओं अंधकार छटेगा।
तुम ही अपने भाग्य के निर्माता हो,
यह सदा याद रखना,
अपनी क़िस्मत को लिखने में,
सदैव सावधानी बरतना।
तुम अपनी क़िस्मत को,
मेरे बेटे, सीधे नहीं बदल सकते हो,
तुम तो बस अपनी आदतों को बदलना,
वो आदतें तुम्हारी किस्मत स्वयंमेव बदल देंगी।
इच्छाओं-चाहतों से बड़ी,
बेटे, हमेशा योग्यता-पात्रता रखना,
सफ़लता के आसमान में,
सद्बुद्धि व सामर्थ्य रूपी पंख से उड़ना।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
आज 19 फरवरी को बेटे आदित्य का जन्मदिन है, वह आज 11 वर्ष का हो गया है। यह कविता उसके जन्मदिन के उपलक्ष्य पर लिखी है।
इच्छाओं-चाहतों से बड़ी,
बेटे, हमेशा योग्यता-पात्रता रखना,
सफ़लता के आसमान में,
सद्बुद्धि व सामर्थ्य रूपी पंख से उड़ना।
कभी भी चाहतों को,
योग्यता से बड़ी मत रखना,
योग्यता-पात्रता की ऊँचाई,
हमेशा चाहतों से दोगुनी रखना।
देवताओं सी हमेशा,
मेरे बेटे सोच रखना,
खुशियां व सम्मान बाँटने में,
कभी कंजूसी मत करना।
प्रेम व सम्मान,
एक दूसरे के पूरक हैं,
यह सदा याद रखना,
जिससे भी प्रेम करना,
उसके मान-सम्मान का भी,
सदैव ध्यान रखना।
जॉब या व्यवसाय तुम वह करना,
मेरे बेटे, जो तुम्हें हृदय से पसन्द हो,
जिसके लिए तुम्हारे अंदर,
कुछ कर गुजरने का जुनून हो।
या जो भी जॉब या व्यवसाय कर रहे हो,
बस उससे ही प्रेम करना शुरू कर दो,
उसमें भी कुछ नया करने का,
एक जुनून - एक इरादा कर लो।
मेरे बेटे,
विजेता व कायर में,
ठीक से अंतर समझ लो,
विजेता उसी विपरीत परिस्थितियों में बनता है,
जिस विपरीत परिस्थितियों में कायर टूटता है।
ज़िंदगी के खेल में,
स्वयं की जिम्मेदारी स्वयं उठाना,
दूसरे को बॉलिंग को दोष मत देना,
बस स्वयं की बैटिंग सुधारना।
परमात्मा से जुड़कर,
तुम स्वयं इतने पूर्ण बनाना,
कि उनके सान्निध्य सत्संग में,
स्वयं में ही सदा आनन्दित रहना।
प्रार्थना व पुरुषार्थ,
एक दूसरे के पूरक हैं,
यह याद रखना,
एक के बिना दूजा,
सदैव अर्थहीन है,
यह कभी मत भूलना।
भक्तियोग बिना कर्मयोग के,
सफ़ल नहीं होता है,
कर्मयोग बिना भक्तियोग के,
असफल ही सदा रहता है।
प्रार्थना और पुरुषार्थ का,
जीवन में सदा संतुलन रखना,
अपनी बुद्धिरथ का सारथी,
सदैव जगतगुरु श्रीकृष्ण रखना।
जब जब भी जीवन मे,
भटकन या परेशानी आये,
थोड़ी देर गायत्री मंत्र जपना,
उगते सूर्य का ध्यान करना।
साथ ही श्रीमद्भागवत गीता का,
कुछ श्लोकों का स्वाध्याय करना,
फिर गुरुचरणों का नेत्र बन्द कर,
थोड़ी देर निर्विचार ध्यान करना।
फिर देखना मेरे बेटे,
हर समस्या का समाधान,
तुम्हारे भीतर से ही उभरेगा,
दिव्यज्ञान के सूर्योदय से,
समस्याओं अंधकार छटेगा।
तुम ही अपने भाग्य के निर्माता हो,
यह सदा याद रखना,
अपनी क़िस्मत को लिखने में,
सदैव सावधानी बरतना।
तुम अपनी क़िस्मत को,
मेरे बेटे, सीधे नहीं बदल सकते हो,
तुम तो बस अपनी आदतों को बदलना,
वो आदतें तुम्हारी किस्मत स्वयंमेव बदल देंगी।
इच्छाओं-चाहतों से बड़ी,
बेटे, हमेशा योग्यता-पात्रता रखना,
सफ़लता के आसमान में,
सद्बुद्धि व सामर्थ्य रूपी पंख से उड़ना।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
आज 19 फरवरी को बेटे आदित्य का जन्मदिन है, वह आज 11 वर्ष का हो गया है। यह कविता उसके जन्मदिन के उपलक्ष्य पर लिखी है।
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