Wednesday 11 March 2020

अन्न श्रोत पृथ्वी पूजन, 💫जल स्त्रोत कुँआ पूजन 💫फ़ल श्रोत पूजन व वृक्षारोपण

*कुछ भूले बिसरे पूजन जो प्राचीन समय में विवाह संस्कार का अंग थे, अब उनकी चर्चा तक लोग भूल गए हैं। शादी के कार्ड में उसका जिक्र भी नहीं होता, दादा-दादी से पूँछे तो पता चलेगा इनकी अनिवार्यता*

💫अन्न श्रोत पृथ्वी पूजन,
💫जल स्त्रोत कुँआ पूजन
💫फ़ल श्रोत पूजन व वृक्षारोपण

यह सँस्कार विवाह से दो दिन पूर्व कराया जाता है। खेत की मिट्टी का पूजन अन्न श्रोत के पूजन हेतु,  कुँआ का पूजन जल स्रोत पूजन हेतु, एक नए फलदार वृक्ष का रोपण और उसका पूजन फल स्त्रोत के रूप में किया जाता है।

वर-कन्या के घर मे सुख - समृद्धि, धन धान्य व फलने फूलने का आशीर्वाद मिलता है।

इसके मन्त्र इस प्रकार हैं:-

पृथ्वी पूजन मन्त्र :-

*पृथ्वी गायत्री*–ॐ पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्त्रमूत्यै धीमहि। तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्।

या देवी सर्वभूतेषु पृथ्वी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

कुँआ पूजन मन्त्र :-

*वरुण गायत्री*–ॐ जलबिम्वाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि। तन्नो वरुण: प्रचोदयात्।

या देवी सर्वभूतेषु जल स्त्रोत रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

वृक्षारोपण व पूजन मन्त्र

ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात

या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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