हनुमान गायत्री व उसका भावार्थ
ॐ अंजनीसुताय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।।
👉🏼 *ॐ* - सर्वशक्तिमान कण कण में व्यापत परमात्मा
👉🏼 *विद्महे(विद + महे)* - विद् अर्थात जानते हैं व उनकी उपस्थिति मानते हैं।
👉🏼 *धीमहि(धी + महि)* - धी - अर्थात बुद्धि, मन । महि अर्थात ध्यान। तो अर्थ हुआ हम उनका मन में ध्यान करते है, बुद्धि में आह्वाहन करते हैं।
👉🏼 *तन्नो* - वह हमारे लिए
👉🏼 *प्रचोदयात* - प्रकाशित करें, प्रेरणा दें, बुद्धि को प्रेरित करें।
*हनुमान गायत्री मंत्र का अर्थ हुआ* - हम हनुमानजी को सर्वशक्तिमान जानते और मानते हैं। ऐसे सर्वशक्तिमान हनुमानजी का हम मन में ध्यान करते हैं। हनुमानजी हमारी बुद्धि को प्रेरणा दें और सन्मार्ग को बढ़ाने हेतु हमारा पथ प्रदर्शन करें।
ॐ अंजनीसुताय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।।
👉🏼 *ॐ* - सर्वशक्तिमान कण कण में व्यापत परमात्मा
👉🏼 *विद्महे(विद + महे)* - विद् अर्थात जानते हैं व उनकी उपस्थिति मानते हैं।
👉🏼 *धीमहि(धी + महि)* - धी - अर्थात बुद्धि, मन । महि अर्थात ध्यान। तो अर्थ हुआ हम उनका मन में ध्यान करते है, बुद्धि में आह्वाहन करते हैं।
👉🏼 *तन्नो* - वह हमारे लिए
👉🏼 *प्रचोदयात* - प्रकाशित करें, प्रेरणा दें, बुद्धि को प्रेरित करें।
*हनुमान गायत्री मंत्र का अर्थ हुआ* - हम हनुमानजी को सर्वशक्तिमान जानते और मानते हैं। ऐसे सर्वशक्तिमान हनुमानजी का हम मन में ध्यान करते हैं। हनुमानजी हमारी बुद्धि को प्रेरणा दें और सन्मार्ग को बढ़ाने हेतु हमारा पथ प्रदर्शन करें।
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