Friday, 27 November 2020

जब छोटे बच्चे गुस्से में अपने बड़े भाई, बहन को दीदी, भैया की बजाय नाम से पुकारते हैं, तो वे कैसा महसूस करते हैं?

 

जब छोटे बच्चे गुस्से में अपने बड़े भाई, बहन को दीदी, भैया की बजाय नाम से पुकारते हैं, तो वे कैसा महसूस करते हैं?

अत्यंत क्रोध व अत्यंत प्रेम में कोई किसी का सही नाम नहीं लेता, कुछ और ही कहेगा, कुछ अन्य उपनाम से सम्बोधित करेगा।

छोटे बच्चे क्योंकि सामान्य अवस्था में बड़े भाई या बड़ी बहन को भैया दीदी बोलते हैं, उनके मष्तिष्क को पता है कि क्रोध में सम्मान नहीं देना है। ऐसा कुछ बोलना है जिससे जितना कष्ट व क्रोध उनके भीतर है, वही क्रोध व पीड़ा वह बड़े भाई व बड़े बहन के अंदर पहुंचा सकें।

जो मन में होगा वही तो दूसरे को देंगे। प्यार होगा तो प्यार देंगे, सम्मान होगा तो सम्मान देंगे, क्रोध होगा तो क्रोध देंगे।

अब समझते हैं कि छोटा बच्चा क्रोधित क्यों हुआ?

प्यार बिना सम्मान अधूरा व अपाहिज है। हम बच्चों को प्यार करते हैं मगर उन्हें सम्मान नहीं देते। अपितु स्वयं के मजे के लिए उन्हें चिढ़ाकर आनन्द लेते हैं। या अत्यधिक टोंक कर यह जताते हैं कि तुम यह मत करो वो मत करो, तुम छोटे हो बड़ो की बात मानो। उनके आत्म सम्मान की धज्जियाँ उड़ाते रहते हैं। जब सम्मान दिया नहीं बच्चे को तो सम्मान वापस भी नहीं मिलेगा।

आप बड़े हो तो उनकी परेशानी को समझों, यदि वह गलत कर रहे हैं तो गलत क्यों कर रहे हैं? उन्हें यह बताए व समझाइये कि ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए, इसके लाभ व हानि क्या हैं? उनकी जिज्ञासा शांत कीजिये। वे ज़िद करेंगे, आप भी जिद्दी थे। वो नासमझ हैं तो उन्हें समझदार बनाना आपकी जिम्मेदारी है।

स्वयं के मान सम्मान में मत उलझिए, अपितु उन्हें सही राह दिखाइए व अच्छा इंसान बनाइये। उन्हें गिरकर सम्हलने दीजिये, अत्यधिक सहारा भी बच्चों को कमज़ोर बनाता है। उन्हें सहारा दीजिये मग़र अपाहिज़ मत बनाइये। उन्हें उनके पैरों पर ससम्मान सिखाइये।

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