Friday 27 November 2020

क्या आप अपनी जिंदगी से संतुष्ट हैं?

 

क्या आप अपनी जिंदगी से संतुष्ट हैं?

जीवन मे असंतुष्टि का कारण अनियंत्रित इच्छाएँ होती है। इच्छाएँ-वासनाएँ दुष्पूर(कभी पूर्ण न होने वाली) हैं। रक्तबीज राक्षस की तरह है एक के पूरे होने पर कई जन्म लेती हैं।

प्यासे को जल पीने हेतु चाहिए, वह जल मिट्टी के बर्तन में दो या स्टील ग्लास में दो या चांदी ग्लास में दो या स्वर्ण ग्लास में दो फर्क नहीं पड़ता।

पीना तो जल ही है।

मग़र मूर्खतावश असंतुष्टि का कारण बनता है, जल के महत्त्व की उपेक्षा करके ग्लास को महत्त्व देना।

इसी तरह जीवन का आनन्द अपनों के साथ बिताए अच्छे पलों में है, लोगो की दुआओं में शामिल होने से है, किसी के जीवन मे मुस्कुराहट भरने से है। महल व ऐशोआराम तो ग्लास है असली जल तो अपनो का साथ व विश्वास है।

इसलिए मैं जीवन ऊर्जा से भरी हूँ और ऐशो आराम व सुविधाओं की अपेक्षा जीवन को महत्त्व देती हूँ इसलिए संतुष्ट हूँ।

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