Friday, 4 June 2021

मन्त्रचिकित्सा मानसिक स्वास्थ्य व पर्यावरण शोधन हे

 *मन्त्रचिकित्सा मानसिक स्वास्थ्य व पर्यावरण शोधन हेतु*


प्रदूषण हर क्षेत्र में है, उनमें से एक क्षेत्र है ध्वनि प्रदूषण। 


ध्वनि का सीधा सम्बंध भावनाओं को तरंगित करने से है। इसलिए यह स्थूल और सूक्ष्म शरीर के साथ साथ कारण शरीर के उत्कर्ष व उन्नयन का आधार भी बन जाता है। तनाव मिटाने, मनःशक्ति संवर्धन व स्नायुतंत्रों को रिलैक्स करने में इसकी उपयोगिता देखी गयी है।


ध्वनियों का प्रभाव जलचर, थलचर, नभचर वर्ग के प्राणी, सभी प्रकार के जीव वनस्पतियों पर भी पड़ता है। वायु मंडल के परिशोधन व ध्वनि प्रदूषण को दूर करने में सकारात्मक ऊर्जा उतपन्न करने वाली ध्वनियां सहायक हैं।


गायत्री मंत्र व महामृत्युंजय मंत्र जैसे शक्तिशाली गेय मंत्रों के सही उच्चारण व सही धुन पर गाने से उतपन्न स्वरलहरी का विशेष प्रभाव उतपन्न होता है।


फसलों व वृक्षों के आसपास यह विशेष गेय मंत्रों की ध्वनि लहर तरंगों को नियमित प्रेषित कर अधिक फसल, उपयोगी फल उतपन्न किये जा सकते हैं।


गर्भवती स्त्री यदि गेय मन्त्र नियमित जपे व सुने तो गर्भस्थ शिशु मानसिक रूप से स्वस्थ, प्रखर बुद्धि व निर्मल हृदय का बनता है। जच्चा-बच्चा दोनो तनावमुक्त महसूस करते हैं व शरीर मे अच्छे हार्मोन्स निकलते हैं जिससे तन व मन स्वस्थ होते हैं।


विद्यार्थी, जॉब करने वाले, व्यवसायी व गृहणियों की मानसिक थकान को दूर करने व ऊर्जावान बनने के लिए इन गेय मंत्रों का जप व श्रवण अत्यंत लाभप्रद है।


घर में सब सामूहिक 24 गायत्री मन्त्र एक साथ उच्चारण कर दीपयज्ञ या यज्ञ के माध्यम से विशेष लाभ ले सकते हैं।


मन्त्र बॉक्स किचन व ड्राइंग रूम में हल्की मधुर आवाज में भी बजाने पर एक प्रकार की सकारात्मक ध्वनि तरंगों के निर्माण में सहायक होता है।


संदर्भ - शब्द ब्रह्म नाद ब्रह्म (वांग्मय 19)


🙏🏻श्वेता, DIYA

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