Tuesday, 8 October 2024

प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ?

 प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ?


उत्तर - जिनका मष्तिष्क ओवर थिंकिंग के कारण अति अस्त व्यस्त रहता है, वह जब जप करते हैं तो दिमाग को आराम मिलता है और वह नींद में जाता है।


जिनका पेट जप के वक्त भरा होता है, ऑक्सीजन सारी भोजन पचाने में व्यस्त होती है, अतःजप के लिए आवश्यक स्पेस (आकाश तत्व) नहीं मिलता। जप को इग्नोर करने हेतु नींद आती है।


जो जप करना तो चाहते हैं, मगर जप की महत्ता का मर्म नहीं हृदय से महसूस करते। यंत्रवत जप करते हैं, दिमाग़ जप को महत्त्वपूर्ण नोटिस नहीं करता अतः नींद आती है।


कभी इंटरेस्टिंग फ़िल्म देखते हुए या अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्ति जिनको आप हृदय से चाहते हैं उनका लेक्चर वक्त आपको नींद आती है। उत्तर है नहीं..


वहीं पढ़ते वक़्त, ट्रेनिंग के वक्त, किसी ऐसे व्यक्ति का जो एवरेज है लेक्चर सुनते वक्त आपको नींद आलस्य आता है।


अतः कुछ प्रश्न स्वयं से कीजिये:-


1- सुबह उठकर गायत्री मंत्र तीन बारजपकर ईश्वर को जीवन में जो कुछ मिला है उसके लिए धन्यवाद दिया?

2- पूरी चैतन्यता के साथ नहाते वक्त मां गंगा का स्मरण करते हुए नहाया? एक एक जल की बूंद को महसूस किया? नहाकर शरीर को ऊर्जावान महसूस किया?

3- क्या जप करने के 15 मिनट पूर्व से जप करने के लिए मष्तिष्क को आवश्यक मन से तैयार किया?

4- जप से पूर्व एक ग्लास पानी को गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित करके स्वयं की तन मन आत्मा को जितनी माला करनी है उतने का संकल्प लेते हुए, जप कर सकेंगे चैतन्यता के साथ इस भाव के साथ जल पिया?

5- जप से पूर्व षट कर्म को भावपुर्वक किया?

6- जप से पूर्व कम से कम  21 बार प्राणायाम किया?

7- भगवान के आह्वाहन के बाद हृदय से यह विश्वास किया कि भगवान आ गए हैं, जो अतिमहत्वपूर्ण हैं उनकी उपस्थिति में जप हो रहा है। जब भगवान सामने है तो आप सो कैसे सकते हैं?

8- कम्बल या कुश के आसन की व्यवस्था की जप से पूर्व?

9- पूजन का कमरा साफ स्वच्छ और व्यवस्थित है? 

10- क्या नित्य 20 मिनट युग्साहित्य का स्वाध्याय होता है?


यदि उपरोक्त प्रश्न के उत्तर नहीं हैं, तो आप धार्मिक हैं आध्यात्मिक नहीं। गुरु से दीक्षित है पर  गुरु चेतना से जुड़े नहीं है। भगवान की पूजा यंत्रवत करते हैं। पूजन के वक्त आह्वाहन के बाद भगवान की उपस्थिति को मानते नहीं, विश्वास ही नहीं करते कि भगवान समक्ष हैं। अतः नींद और आलस्य पूजन के वक्त आना स्वाभाविक है क्योंकि इसी समय मन को आप आराम देते हैं।


उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर को हाँ में बदल दीजिए, उपरोक्त सारे नियम अपनाइए। स्वयं के भीतर सच्चा अध्यात्म जगाइए। कभी पूजन के वक्त नींद की शिकायत नहीं होगी।


प्रिय थोड़ा कठोर ज्ञान बोला है, किंतु मन को कसने के लिए थोड़ी कठोरता जरूरी है। क्षमा करना बुरा लगा हो तो...


आपकी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार

गुरुग्राम हरियाणा

अपने प्रश्न 9810893335 पर व्हाट्सएप करें

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