Saturday, 17 July 2021

प्रश्न - मुझे रोना बहुत आता है? क्या करूँ..

 प्रश्न - मुझे रोना बहुत आता है? क्या करूँ..


उत्तर - अति सर्वत्र वर्जयेत - किसी भी चीज की अति नुकसानदेह है।


बहुत रोने वाले रोतलू बच्चे से उसकी माता भी परेशान हो जाती है, दूसरे तो दूसरे है, दूसरे तो  खिलाने के लिए हंसता खिलखिलाता बच्चा पसन्द करते है। हम और आप भी हंसता बच्चा पसन्द करते हैं।


यदि आप को भी बात बात पर रोना आता है, रोतलू किस्म के हैं, तो यह बताईये आपके साथ घर गृहस्थी करना भला कौन पसन्द करेगा? शिकायत करने वाले जीवनसाथी को कौन झेलना पसन्द करेगा? आपसे दोस्ती कौन करना चाहेगा? 


जब एक जोक्स पर कोई बार बार नहीं हंसता, फिर एक ही दुःख पर बार बार रोने की क्या आवश्यकता? रोने से दुःख कम नहीं होता, अपितु अधिक रोना हमें कायर बनाता रहता है। सस्ती  सहानुभूति ढूढ़ने हेतु प्रेरित करता है?


अरुणिमा सिन्हा जैसे अपाहिज भी आत्मविश्वास से एवरेस्ट फतह कर रहे हैं। आप दो पैर, दो हाथ और एक दिमाग़ होने के बाद भी किस्मत का रोना रोते रहते हो। शर्म नहीं आती कि जो बुद्धि व मानव शरीर भगवान ने दिया है, उन शक्तियों का प्रयोग सीखने की जगह, समस्या समाधान ढूंढने की जगह तुम रोने में व्यस्त हो।


अरे भाइयों एवं बहनों, मनपसंद व्यवहार वाली घर में सास और ऑफिस में बॉस नहीं मिलते। जीवनसाथी रिमोट कंट्रोल के साथ नहीं आते। जीवन के खेल में लोग तो क्रिकेट के खेल की तरह आपको आउट करने के लिए ही बॉल फेंक रहे हैं, लेक़िन जैसे कुशल बेट्समैन उन्हीं आउट करने के उद्देश्य से फेंकी बॉल पर कभी एक तो कभी चौका तो कभी छक्का लगाके रन बना लेता है,आप भी रन बनाओ, बुद्धि प्रयोग करो। 


विवेकानंद जी कहते हैं उठो जागो व आगे बढ़ो, तब तक मत रुको जब तक मंजिल मिल न जाये।


भगवान उसकी मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करता है।


सभी जीव जीवन के लिए संघर्ष करते हैं, सोते शेर के मुंह मे हिरण प्रवेश नहीं करता, शेर को पुरुषार्थ से शिकार करना पड़ता है। जंगल का राजा शेर जब तक युवा व पुरुषार्थी रहता है राज करता है, वही जब वृद्ध व अशक्त होता है तो उसे दर्दनाक मृत्यु कई दिनों तक भूखा प्यासा रहकर मिलती है। प्रकृति किसी पर भी दया नहीं करती। वीर भोग्या वसुंधरा - जो वीर है वही धरती में ऐशोआराम भोगता है। 


मनुष्य के पास बुद्धि जन्मजात है, बस उसे प्रयास से निखारना पड़ता है व बुद्धिबल के प्रयोग से अपना जीवन बेहतर बनाना होता है।अध्यात्म के अभ्यास से जीवन मे खुशी भरनी है।


चिड़िया को भोजन घोंसले में होम डिलीवरी में नहीं मिलता, आपको भी ख़ुशी होम डिलीवरी नहीं होगी। प्रयत्न पुरुषार्थ से ही हासिल होगी।


🙏🏻श्वेता, DIYA

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