Thursday 15 July 2021

प्रश्न - पशुवत जीने में क्या बुराई है? प्राकृतिक अवस्था मे रहने वाले पशु पक्षी कितने सुखी हैं..

 प्रश्न - पशुवत जीने में क्या बुराई है? प्राकृतिक अवस्था मे रहने वाले पशु पक्षी कितने सुखी हैं..


उत्तर - न पशुवत जीने में बुराई है और न विकसित मनुष्य की तरह जीने में बुराई है।


समस्या तब उत्तपन्न होती है जब कोई आधा मनुष्य व आधा पशुवत जीना चाहता है। 


पक्के मकान व सभ्य समाज में रहकर जङ्गली पशुवत व्यवहार उचित नहीं, जङ्गली कबीले में आदिवासियों के बीच सभ्य आधुनिक व्यवहार उचित नहीं।


पशु पक्षी कुछ भी पकाकर नहीं खाते, कोई वस्त्र नहीं पहनते, कुछ भी कृत्रिम उपयोग मे नहीं लेते, पेड़ पौधे व गुफा - कंदरा में निवास करते हैं। आप भी बिल्कुल वैसा प्राकृतिक एवं पशुवत जीवन जी सकते हो। बुद्धि प्रयोग बन्द करके जड़वत जियें।


यदि बुद्धि प्रयोग हुआ, एवं समाज मे आपका प्रवेश हुआ तो सामाजिक नियम मानने पड़ेंगे।


मनुष्य आनन्द के लिए शरीर पर नहीं है, उसकी निर्भरता मन पर  है, वह जानता है शरीर को दर्द या आराम दिया जा सकता है, सुख या दुःख नहीं। सुविधा से आराम मिलता है सुख नहीं। सुख व दुःख मन की अनुभूति है, मन के आध्यात्मिक क्रमशः विकास से निरंतर मन्त्र जप, ध्यान व स्वाध्याय से परम आनन्द पाया जा सकता है। सुखी रहा जा सकता है।


💐श्वेता, DIYA

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