Tuesday 27 July 2021

श्रद्धेया शैल बाला पंड्या का जीवन परिचय

 त्याग व सेवा मूर्ति शैल जीजी का परिचय


विवेकानंद जी व समस्त ऋषिगण भारत की आत्मा अध्यात्म है यह बताते हैं। यदि भारत को विश्वगुरु बनाना है तो अध्यात्म से जन जन को जोड़ना होगा। कठिन दुष्कर कार्य था, सोई चेतना को जगाना था।


युगऋषि परम पूज्य  गुरुदेब पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी व माता वन्दनीया भगवती देवी शर्मा ने अखिलविश्व ग़ायत्री परिवार बनाया व युगनिर्माण योजना की उद्घोषणा की। जगह जगह जनजागृति के केंद्र शक्तिपीठ बनाये व अश्वमेध यज्ञों की श्रृंखला चलाई। कठोर तप कर 3200 से अधिक सत साहित्य की रचना की, सप्त आंदोलन व शत सूत्रीय कार्यक्रम दिए।


युगऋषि के महाप्रयाण के बाद जिम्मेदारी वन्दनियाँ माता जी ने सम्हाली और सहयोग श्रद्धेया शैल जीजी व श्रद्धेय डॉक्टर प्रणव पंड्या जी ने किया।


माता जी के महाप्रयाण के समय तक ग़ायत्री परिवार बड़ा  हो चुका था और उसके केंद्र संचालन और पूरे विश्व में युगनिर्माण संचालन के लिए शशक्त नेतृत्व की आवश्यकता थी, माता जी व गुरुदेव दोनों के कार्य को सम्हालना व ग़ायत्री परिजनों को दिशा देना बड़ी जिम्मेदारी थी, इस हेतु माता जी ने महाप्रयाण से पूर्व ही यह जिम्मेदारी श्रद्धेया जीजी और श्रद्धेया डॉक्टर साहब को दे दी। श्रद्धेया जीजी के लिए बड़ी चुनौती थी ग़ायत्री परिवार को माता जी व गुरु जी की कमी महसूस न होंने देना। जब लोग शांतिकुंज आएं तो उन्हें उनकी कुशलक्षेम  पूंछना व उनके दुःख दर्द को बंटाना और माता सा प्यार लुटाना था। साथ ही गुरुदेव की तपस्यारत जिंदगी को अपनाकर तपशक्ति का संचार करना। 


जीजी ने अन्न त्याग कर केवल फलाहार व सब्जियों से अन्नमय कोष को शुद्ध करते हुए अनवरत गुरुदेव के सूक्ष्म मार्गदर्शन में ग़ायत्री के तप अनुष्ठान शुरू किए व पत्र व्यवहार, शांतिकुंज दर्शनार्थियों से सम्वाद और मिशन की गृह व्यवस्था सम्हाली। श्रद्धेय डॉक्टर साहब ने सप्त आंदोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम को देश विदेश तक पहुचाने में जीवन समर्पित कर दिया। पुत्र आदरणीय चिन्मय भैया को भी मिशन हेतु समर्पित कर दिया।


किसी भी धार्मिक संगठन की धुरी तप होता है, उसकी अनवरतता अनिवार्य होता है। प्रेम व भावसम्वेदना से लोगो को जोड़ कर रखना होता है। यह दो महत्त्वपूर्ण उत्तरदायित्व बिना शैल जीजी के सम्भव नहीं था। श्रद्धेया जीजी ने मिशन व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय हेतु  दिशा निर्देश दिए व इसे सम्हालने का व व्यवस्थित संचालन में समय समय पर अपना सहयोग दिया। अध्यात्म क्षेत्र की अनेकों उपलब्धियां शैल जीजी के पास हैं। कई साधक उनकी दिव्यता व क्षमता को अनुभव कर चुके हैं।


महाकाल के उत्तरदायित्व को सम्हालना कठिन कार्य था, मग़र श्रद्धेया जीजी व श्रद्धेय डॉक्टर साहब ने इसे जिम्मेदारी व पूर्ण निष्ठा से निभाया।


श्रद्धेया जीजी के चरणों मे प्रणाम 💐

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