कैरियर काउंसलिंग बच्चे की करते वक्त ध्यान दें:-
बच्चों को अपने संघर्ष की कहानी सुनाकर अपने जैसी सफ़लता उम्मीद करना वैसा ही है जैसे वर्ष 1999 में गाड़ी ख़रीदकर रोड पर चलाने का अनुभव हो।
आपके समय जब गाड़ी खरीदी थी ट्रैफिक कम था, वर्तमान समय में ट्रैफिक ज्यादा है और भविष्य में बढ़ेगा। अतः गाड़ी महंगी हो या सस्ती रोड बदलने वाली नहीं। ज़मीन व संसाधन बढ़ने वाले नहीं।
अतः जो कैरियर आपने अपने समय चुना था उस समय उस कैरियर पाथ में कितना ट्रैफिक था? वर्तमान में कितना है और भविष्य में कितना होगा? उस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।
बच्चे आज़कल दिमाग़ में पैसा व शोहरत लेकर कैरियर पाथ चुनते हैं, मग़र बच्चे व माता पिता दोनो भूल जाते हैं कि गाड़ी महंगी हो या सस्ती इससे रोड पर जाम व कठिनाई नहीं बदलती। ड्राइविंग न आती हो तो सस्ती गाड़ी भी एक्सीडेंट से ठुकेगी व महंगी भी एक्सीडेंट का शिकार होगी। दूरी वही गाड़ी तय करेगी व मंजिल तक पहुंचेगी जिसका ड्राइवर कुशल व बुद्धिमान हो।
अभिनेता हो या क्रिकेट हो या इंजीनियर हो या चार्टेड अकाउंटेंट हो या सिविल सर्विसेज सभी वाहन हैं मंजिल नहीं। इन्हें चलाने वाला ड्राइवर तय करेगा कि वह कितनी दूरी तय करेगा।
चार्टेड अकाउंटेंट सभी एक समान अमीर नहीं होते, इंजीनियर भी सभी एक समान सैलरी नहीं पाते, अभिनय जगत में सभी एक समान पैसा व शोहरत नहीं कमाते, क्रिकेट जगत में सभी सफल व पैसा अधिक नहीं कमाते?
कारण एक ही है, क्षेत्र चुनने के बाद परफॉर्मेंस व बुद्धिकुशलता पर सफलता निर्भर करती है।
बच्चों की बुद्धि कौशल पर कार्य कीजिये, तभी वह बढ़ते ट्रैफिक में भी जीवन की गाड़ी चला पायेगा। अन्यथा मूर्खता में बिना ड्राइविंग सिखाये गाड़ी थमाएँगे तो बच्चा एक्सीडेंट अवश्य करेगा।
जीवन जीने की कला सिखाइये, सफलता की रेस के साथ असफलता का ब्रेक हैंडल करना भी सिखाइये। जीवन की गाड़ी में रेस व ब्रेक दोनो हैंडल करना बुद्धिकुशलता से आना चाहिए।
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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