बुद्धि के कारण,
पशु से श्रेष्ठ बना इंसान,
सद्बुद्धि के कारण,
मानव से महामानव बना इंसान....
भाव संवेदना के कारण,
नर से नारायण बना इंसान,
श्रेष्ठ कर्मों के कारण,
मानव से देवमानव बना इंसान...
चयन जो ग़लत हुआ,
और बुद्धि जो भ्रष्ट हुई,
मानव से पशुमानव बना इंसान,
मानव से नरपिशाच बना इंसान...
कहती है 'श्वेता' हे मन ज़रा सम्हल,
बड़े सोच विचार के ही बढ़ा हर क़दम,
ग़लत विचार और ग़लत चयन से एक न एक दिन,
'पशुमानव' और 'नरपिशाच' बन जाएगा,
सही विचार और सही चयन से एक न एक दिन,
'महामानव' और 'देवमानव' बन जायेगा...
हे मन! विचारों पर नज़र रखो,
यह विचार ही तो कर्म बीज बनेंगे,
विचार हमें कर्म करने को प्रेरित करेंगे,
जैसे कर्म व विचार होंगे वैसी आदतें बनेंगी,
वह आदतें संस्कार बन चित्त में चिपकेंगी,
वह संस्कार हमारे व्यक्तित्व में छलकेगा,
फ़िर वही हमारे व्यक्तित्व में उभरेगा...
हे मन! सावधान हो जाओ,
बुद्धि को सद्बुद्धि में बदलते जाओ,
नित्य ग़ायत्री जप, ध्यान और स्वाध्याय करो,
उपासना, साधना और आराधना का अभ्यास करो,
मानव से महामानव और देवमानव बनने में जुट जाओ,
कहती है 'श्वेता' हे मन!
जीवन देवता की साधना से इस जन्म को सार्थक बनाओ ...
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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